गुरुवार, 5 मई 2011

हिंदी भाषा और न्यू मीडिया: संभावनाएं एवं चुनौतियाँ--सेमिनार धर्मशाला में

तबियत ठीक है, कल दिनांक ४/५/२०११ को "हिंदी भाषा और न्यू मीडिया: संभावनाएं एवं चुनौतियाँ" विषय पर   हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में हिंदी एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया था.

आज जा रहे हैं कांगड़ा की ओर, मिलते हैं वापस लौट कर ..........

मंगलवार, 3 मई 2011

चक्करदार रास्तों ने चक्कर में डाल दिया --- ललित शर्मा

दिल्ली का कार्यक्रम बढ़िया रहा, सभी ब्लॉगर मित्रों से मुलाकात हुयी, बात हुयी. इस कार्यक्रम के साथ मैंने हिमाचल यात्रा का कार्यक्रम भी जोड़ रखा था. इसलिए केवल राम के साथ धर्मशाला आ गया. शाम ६ बजे राजीव तनेजा जी ने ISBT छोड़ा और हम हिमाचल प्रदेश रोड वेज की डीलक्स बस से धमर्शाला के लिए ६.५० को चल पड़े. 2x2 की बस में 33-34 नंबर की सीट मिली. सीट देखते  हे मुड उखड गया. लेकिन किया भी कुछ नहीं जा सकता था. इन्ही सीटों से संतोष करना पड़ा. चंडीगढ़ तक तो ठीक-ठाक पहुचे, उना के बाद चक्करदार रास्तों ने चक्कर में डाल दिया. बस का यह सफ़र लगभग १२ घंटे का है. इतनी लम्बी दूरी  तक पहली बार बस में जाना हुआ. 

सुबह हम धर्मशाला पहुचे तो खासी ठण्ड थी. मैंने गर्म कपडे निकाल लिए. केवल ने चाय बना कर पिलाई और मैं सो गया. दिन भर सोया रहा. शाम को शहर में घुमने गए तो तबियत ठीक नहीं लग रही थी. हरारत सी बदन में थी. थोड़ी देर बाद बुखार सा चढ़ गया. सुबह तक तबियत वैसी ही थी. डॉ. को फोन करके टेबलेट लिखाइ और सुबह टेबलेट ले कर फिर सो गया. बस के सफ़र ने तोड़ कर धर दिया. दो दिनों से खाट छोड़ी ही नहीं है. आस-पास घुमने का सारा उत्साह ठन्डे बस्ते में चला गया. देखते हैं कल तक तबियत कुछ ठीक हो गयी तो आगे की यात्रा की जाएगी. घर के सामने से धौलाधार के शिखर पर बर्फ जमी हुयी है. नजारा बहुत ही अच्छा है. अभी तो इसे ही देख रहा हूँ. हालत देख कर त्रिउंड जाने का इरादा स्थगित कर दिया. इसे नीरज जाट जी के लिए छोड़ दिया.हो सका तो शाम को करमापा से मिला जायेगा. दलाई लामा के यहाँ से सन्देश मिला कि वे धर्मशाला में नहीं है. मेरे यहाँ रुकने तक आ गए तो उनसे भी मुलाकात करने का इरादा है. मिलते हैं ब्रेक के बाद....