रविवार, 2 मई 2010

हो्शियार! शिकारी ही शिकार हो गए

गफ़लत में रहे तो कभी-कभी होशियार से होशियार शिकारी भी शिकार बन जाता हैं, नजरें चुकी या ध्यान कहीं विचलित हुआ और शिकार बन गए।

शिकार होने से बचने के लिए चौकन्ना होना जरुरी है। जो चौकन्ना होता है वह बच जाता है, कुशल शिकारी वह होता है जो शिकार को पता ही नहीं चलने देता और गर्दन दबोच लेता है।

यही हाल कैमरे से शिकार का भी है। आदमी अपनी शक्ल देखना चाहता था तो दर्पण का अविष्कार हुआ। लेकिन दर्पण के सामने खड़े हो तभी वह आपका प्रतिबिंब दिखाता है, आपके हटते  ही बिंब गायब हो जाता है। इसे स्थाई रुप से दिखाने के लिए कैमरे और फ़ोटो का अविष्कार हुआ।

आपकी तश्वीर उसमें कैद हो जाती है फ़िर छाप कर दीवार पर टांग लिजिए हमेशा देखते दिखाते रहिए। लेकिन एक अदद तश्वीर कितनी मेहनत से ली जाती है इसका क्या आपको पता है?

अगर पता है तो भी देखिए और नहीं पता है तो भी देखिए, आपके लिए लाए हैं कुछ तश्वीर खींच रहे लोगों की तश्वीरे मित्र पद्मसिंग जी के सौजन्य से, दे्खिए आनन्द लिजिए.  

थोड़ा झुक के भाई शायद पूरी फ़ोटो आ जाए

थोड़ा देख के, जरा पेंट का भी ध्यान रखना कहीं................!

अब सही पोजिशन है-जरा मुस्कुराओ-रेड़ी, वन-टु-थ्री

लांग शॉट स्टेट ड्राईव

अरे रुको जरा! एक स्नेप हो जाए-बस इसी अंदाज में

16 टिप्‍पणियां:

  1. कुशल शिकारी वह होता है जो शिकार को पता ही नहीं चलने देता और गर्दन दबोच लेता है।
    पर कभी कभी शिकार को बताकर भी शिकार करने में मज़ा आता है
    वैसे तस्वीर खींचने वालो की तस्वीरें बहुत अच्छी हैं

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  2. इसमें शिकारी ,शिकार नहीं हो रहा ,बल्कि ललित शर्मा जी शिकार कर रहें हैं / चलो जो भी हो बढ़िया प्रस्तुती /

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  3. जयराम जी की। "इसमें शिकारी ,शिकार नहीं हो रहा ,बल्कि ललित शर्मा जी शिकार कर रहें हैं / चलो जो भी हो बढ़िया" शिकारी पकड़ मे आ गये क्या? जो भी हो सनडे स्पेशल रहा।

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  4. तस्‍वीर खींचने वालों की तस्‍वीर .. बढिया !!

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  5. अरे ललित जी , हम तो सोचे थे ये शिकार आपने किये हैं ।
    खैर सीन तो दिल्ली के इण्डिया गेट का ही लगता है।
    वैसे सचमुच ये सीन होते बड़े मजेदार हैं --खींचने वाला और खिंचवाने वाला --दोनों का पोज़ देखने लायक होता है।

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  6. वाह शिकारियों को शिकार बना डाला

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  7. किस जगह की तस्वीरें हैं, बता देते तो मजा दुगुना हो जाता।

    वाकई संडे स्पेशल है।

    लाजवाब।

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  8. शिकारी खुद शिकार हो जाता है!

    बहुत अच्छे!

    इसीलिये हम तो "पत्ता खड़का और बंदा भड़का" वाला सिद्धान्त अपनाये रहते हैं कि कहीं शिकार ना हो जायें। :)

    ललित जी,

    आज तो फोटोग्राफी पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड हो गई है और फोटो खींचने वाले को बड़ी आसानी ह गई है। असली फोटोग्राफी तो ब्लैक एण्ड व्हाइट फोटोग्राफी में थी जिसमें कैमरे के प्रकाश को ध्यान में रखकर अपरचर स्वयं सेट करना पड़ता था।

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  9. वाह जी वाह क्या बात है. आप ने तो शिकारी को ही शिकार बना डाला जी

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  10. शिकवा रहे गिला रहे हमसे,
    आरजु यही है एक सिलसिला रहे हमसे।
    फ़ासलें हों,दुरियां हो,खता हो कोई,
    दुआ है बस यही नजदीकियां रहें हमसे॥
    :-)

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  11. बहुत सही..जब देखा तस्वीर में तस्वीर खींचते!!

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  12. ये भी बढ़िया रही....अच्छी तस्वीरें शिकार करते हुए

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