शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

हाई ब्लड प्रेशर-सलमान खान-एक दिन के वी आई पी---------ललित शर्मा

महामहिम राज्य पाल दिनेश नंदन सहाय
छत्तीसगढ राज्य का निर्माण 1 नवम्बर 1999 को हुआ, नए राज्य के उद्घाटन समारोह में मुझे भी शिरकत करने का मौका मिला। दिनेश नंदन सहाय जी को छत्तीसगढ का राज्यपाल बनाया गया था। गाहे-बगाहे वे मुझे चर्चा करने के लिए राज भवन बुला लेते थे। सरल और सहृदय श्री दिनेश नंदन सहाय जी के कार्यकाल में केन्द्र सरकार से प्रदेश में बहुत सारी योजनाओं शुभारंभ हुआ। रेल सुविधाओं का विस्तार हुआ। इसके पश्चात 9 नवम्बर को मुझे उत्तराखंड राज्य के उद्घाटन समारोह में शिरकत करने का मौका मिला। देहरादून में भव्य समारोह का आयोजन हुआ। मुझे गर्व है कि मैं दो नए राज्यों के उदय का साक्षी बना। एतिहासिक पलों का भागीदार बना।
1 नवम्बर को प्रतिवर्ष छत्तीसगढ राज्य के जन्मदिन पर राज्योत्सव मनाया जाता है। सरकार से निमंत्रण तो समय पर पहुंच जाता है लेकिन 1999 के पश्चात किसी अन्य समारोह में उपस्थित होने का मौका ही नहीं मिल पाया। इस वर्ष राज्योत्सव दीपावली का त्यौहार होने के कारण 26 नवम्बर से प्रारंभ हो गया। कार्यक्रम में सलमान खान के आने की घोषणा भी की गयी थी। इससे अंदाजा लग रहा था कि भीड़ कुछ ज्यादा ही होने लगी है। उदय को जब पता चला सलमान खान आने वाले हैं तो उसने मुझ से कहा कि वो भी जाएगा सलमान खान को देखने के लिए। लेकिन मुझे कार्यक्रम स्थल की दुश्वारियों का अंदाजा था इसलिए उसे मना कर दिया।
हर भारतीय की इच्छा होती है कि गणतंत्र दिवस का परेड समारोह देखे। मेरी भी यही इच्छा थी। एक बार अवसर मिल ही गया। लेकिन 5 घंटे इस समारोह में बैठना मेरे लिए भारी पड़ गया था। इसलिए तब से मैं विशेष सुरक्षा व्यवस्था वाले कार्यक्रमों में जाने से बचता हूँ, कुछ मित्रों के कारण राज्योत्सव के उद्घाटन समारोह में जाने का मन बनाया और पहुंच या। अभूतपूर्व सुरक्षा का इंतजाम था। पास संस्कृति का खेल यहां भी देखने मिला। पीले कार्ड धारी को वी आई पी माना गया। इस पास को कलेक्टर ने जारी किया था। एक बात मेरी समझ में नहीं आई कि प्रदेश के मुख्य सचिव के द्वारा भेजे गए आमंत्रण-पत्र की गरिमा और महत्व अधिक है कि कलेक्टर द्वारा बनाए गए वी आई पी की। 
मुख्य सचिव के निमंत्रण पत्र में तो यह भी जाहिर नहीं था कि कार्ड उद्घाटन समारोह का है समापन का। दो स्टेज बनाए गए एक पर उद्घाटन कार्यक्रम होना था तथा दूसरे पर सांस्कृतिक कार्यक्रम। चारों तरफ़ पुलिस का पहरा था जैसे किले बंदी कर रखी हो। जो एक बार अंदर आ गया उसका बाहर जाना मुस्किल था। मुख्य स्टेज के सामने जहाँ बैठने की व्यवस्था थी वहाँ उच्चाधिकारियों के बीबी-बच्चों ने कब्जा कर रखा था। उन्हे सलमान खान को ज्यादा नजदीक से देखना था। कई दिग्गज नेता भी वहां स्थान नहीं पा सके।
राज्योत्सव आयोजन से जुड़े मंत्री से लेकर अधिकारी कर्मचारी तक फ़ुल टेंशन में दिखे। सबका ब्लड प्रेशर हाई था। जब तक दाब न हो तो कार्यक्रम सफ़ल कैसे हो सकता है? आयोजन सकुशल सम्पन्न हो जाए इसकी चिंता सभी के माथे पर दिख रही थी। उद्घाटन कार्यक्रम से जुड़ी सभी चीजें व्यवस्थित रुप से दिखाई दे रही थी। संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जी 5 बजे से ही व्यवस्था देखने पहुंच चुके थे। उनकी फ़ौज कार्यक्रम स्थल पर व्यवस्था बना रही थी। संस्कृति विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी मुस्तैदी से तैनात थे।
मेरी पीछे की कुर्सियों पर एक महिला दल पहुंचा, सलमान खान को नजदीक से देखने चाह उनके चेहरे से प्रगट हो रही थी। एक ने कहा कि अरे क्या बताऊं सलमान ने मुझे फ़ोन करके बुलाया है तब आई हूँ,। तभी मोबाईल की घंटी बजी- बात शुरु हूई, एक महिला गुजराती में बोली- हूं वी आई कुर्सी मा बैठी छूँ, मने, सलमान खाने मोबाईल करी बोलायु एटले हूँ आईवी। एक दिन का वी आई पी बनना भी कितना उत्साह जनक होता है, चेहरे की रौनक ही बदल देता है। सहेलियों और रिश्ते दारों को बताना पड़ता है कि आज वी आई पी बन गए।
गेट पर ड्युटी कर रहा एक थानेदार भी चिंतित दिख रहा था, दुसरे से कह रहा था कि बीबी बच्चे आ रहे हैं उन्हे गेट पर रोक रखा है। फ़लाँ साहब वहां ड्युटी में हैं।अरे उन्हे अंदर लाने की व्यवस्था करो। उसकी चिंता जायज थी क्योंकि बीबी के क्रोध के सामना करना बहुत ही कठिन है। कम-ओ-बेश वहाँ ड्युटी कर रहा हर कर्मचारी अधिकारी इसी समस्या से जूझ रहा था। इधर राज्योत्सव की व्यवस्था करे कि अपने परिवार को सामने का स्थान दिलाए। कठिन परीक्षा की घड़ी थी। जिसमें उत्तीर्ण होना भी जरुरी था नहीं तो पुरुषार्थ पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाता।
लगभग 8 बजे कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। नवोदित तीनों राज्य (छत्तीसगढ, उत्तराखंड, झारखंड) मुख्यमंत्री रमन सिंग जी, रमेश पोखरियाल जी और अर्जुन मुंडा पधार चुके थे। महामहिम राज्यपाल शेखर दत्त जी ने राज्योत्सव समारोह शुभारंभ करने की घोषणा की। गुब्बारों के साथ शानदार आतिश बाजी हुई। उपर आकाश में एक ग्लाईडर राज्योत्सव का बैनर लिए आतिशबाजी के बीच उड़ रहा था। कुल मिलाकर आयोजन भव्य रहा। जिन्हे स्थान मिला उन्होने भी और जिन्हे नहीं मिला उन्होने भी आनंद लिया।
तभी सलमान खान का काफ़िला पहुंच गया अपने बाऊंसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा के साथ। स्टेज पर एफ़ आई आर सीरियल वाली चंद्रमुखी चौटाला (कविता कौशिक) पहुंच चुकी थी। उसके बाद सलमान खान पहुंचे। उसने आते ही दो चार डायलाग चिपकाए।महामहिम राज्यपाल शेखर दत्त जी एवं तीनो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उनका स्वागत किया। मंच पर राहुल भैया भी दिखे। हम संतुष्ट थे कि एक ब्लागर भी इस भव्य समारोह में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहा है। सलमान खान ने वीडियोकॉन का प्रचार किया और दो अधिकारियों का अपना मित्र बता कर चलते बने। लोग खड़े होकर सोच रहे थे कि एक दो गाने पर ठुमका लगाएगा। लेकिन सलमान ने उन्हे निराश कर दिया। दर्शकों ने दबंग-दबंग का शोर कर खूब हल्ला मचाया।
एक सज्जन सलमान की सुरक्षा करने वाले बाऊंसर शेरा का गुणगान कर रहे थे। उन्होन कहा कि-सलमान कहता है कि शेरा के होते कोई परिन्दा भी उसके पास पर नहीं मार सकता। शेरा अकेला ही 25 लोगों को उठाकर फ़ेंक देता है। शेरा भी मंच पर दिखा लेकिन खली जैसा नजर नहीं आया। लोग भी अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन करने से नहीं चूकते। सलमान की कार रवाना हो चुकी थी, मुस्किल से 10-12 मिनट स्टेज पर दिए और चलते बने।
अपना हाथ-जगन्नाथ-मोबाईल फ़ोटो
किसी भी कार्यक्रम में 4 घंटे बैठना मुस्किल हो जाता है। कार्यक्रम समाप्त होते ही जन सुविधा का स्थान ढूंढा क्योंकि टंकी फ़ुल गयी थी। यह इसलिए बता रहा हूँ कि मेरे जैसे पता नहीं कितने लोग थे वहाँ पर। जब जन सुविधा में पहुंचा तो वहां भी वी आई पी लाईन लगी हुई थी। एक काम ठीक हुआ कि वहाँ के लिए कोई पास की व्यवस्था नहीं थीJ। नहीं तो लाल-पीले-नीले पासों से बहुत बड़ी मुस्किल खड़ी हो जाती। इस संकट से उबरने के बाद कुछ हल्का महसूस हुआ। स्टेज पर बम्बईया डांस प्रारंभ हो गया था। रात के साढे नौ बज रहे थे। ब्लागर भैया ने नास्ता करवा कर श्रस्नेह विदा किया।
जब हम बाहर निकले तो पीले कार्ड वाले वी आई पी स्टेंड में एक सीन देखने मिला की लोगों ने एक चेयर पर 10-10 चेयर रख ली हैं और उस पर खड़े होकर कार्यक्रम देख रहे हैं। आखिर लोग जुगाड़ ही लगा लेते हैं। एक वह भी स्थान था कि लोगों के पास एक भी कुर्सी नहीं बैठने के लिए और एक जगह यह भी थी जहां एक-एक को 10-10 कुर्सियाँ मिली हुई थी।रास्ते में देखा कि भीड़ अभी तक आ रही थी सलमान खान को देखने। उनको विश्वास ही नहीं था कि सलमान खान वापस चला गया। इस तरह राज्योत्सव का उद्घाटन समारोह देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
(तीन चित्र-हरिभूमि और नई दुनिया से साभार)

24 टिप्‍पणियां:

  1. सल्लू को बता तो दिये न कि अब कैटरीना उसके लिये करवा-न भरेगी
    आपकी बात कैट से चल ही रही है सही है न ताऊ
    मिसफ़िट:सीधी बात

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  2. और जे टंकी फ़ुल्ल कौन सी होती है . पूछ लिया वैसे जवाब ज़रूरी नहीं है
    मिसफ़िट:सीधी बात

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  3. अनुराग वासू से मुलाकात करा दो भैया एक स्टोरी अपन भी लिक्खे हैं. वैसे तो कई ठो हैं पर इस पर सनीमा अच्छा बनेगा
    मिसफ़िट:सीधी बात

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  4. अरे वाह!! रिपोर्ट पढ़कर आनन्द आ गया.

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  5. बढ़िया रिपोर्ट ! एक ही बार में धारा प्रवाह पढ़ गए |

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  6. राज्‍योत्‍सव के ऐसे पक्ष, जो अक्‍सर अनजाने और अछूते रह जाते हैं. तथ्‍यपूर्ण जीवंत विवरण.

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  7. गजब रिपोर्टिंग किये हैं आप, और एक दिन के वी.आई.पी. बनने का सुख अलग ही होता है।

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  8. यह मूछे वाले ही सलमान है क्‍या? हमें तो ऐसे ही लग रहे हैं।

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  9. चलिये सलमान मिलन कार्यक्रम तो निपट गया...

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  10. रिपोर्ट ऐसी कि लगा हर दृश्य सामने चल रहा हो ...बहुत अच्छी प्रस्तुति .

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  11. बहुत सुन्दर वर्णन किया है | आप को एक दिन का वी आई पी बनने की जुरत नहीं पड़ेगी क्यों कि कुछ लोग जनम जनम के वी आई पी होते है| इस प्रकार के कार्यक्रम में सलमान को बुलाने का औचित्य समझ में नहीं आया |

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  12. उदय तो खुद ही स्टार है।
    फिर भी उसे ले जाते और सलमान की बजाय लोगों की मूढता दिखाते।

    प्रणाम

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  13. बढिया रिपोर्ट..............

    बाकि आपकी मूंछे वाकई एक ओजस लिए है....
    बढिया सेवा कीजिए इनकी.

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  14. अपने जंगलो मे जा कर देख ले कोई निरिह जानवर तो नही इस के हत्थे चढ गया..

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  15. इस दिलचस्प विवरण को पढ़कर अब हम तो कभी वी ई पी पास की लाइन में नहीं लगेंगे भाई ।

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  16. अच्छा आप भी सलमान को जिन्दा देख कर आये . हमने तो फोटो मे ही देखा है

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  17. आपने राज्‍योत्‍सव की बहुत ही सजीव रिपोर्टिग की है .. अपने फैन्‍स के लिए सलमान को ठुमका तो लगाना ही चाहिए था !!

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  18. ये तो सलमानोत्स्व हो गया एक तरह से :)

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