प्रतिवर्ष हम दीवाली मनाते हैं दशहरे से ही दीवाली की तैयारियाँ शुरु हो जाती हैं। सभी अपने-अपने सामर्थ्य के हिसाब से त्यौहार मनाने की तैयारी करते हैं। जब दीवाली आती है तो सभी हर्षोल्लास से दीवाली मनाते हैं। मैं भी बचपन से यही प्रक्रिया देखते आ रहा हूँ। इस दिन हम पूजा करके अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। रिश्तेदारों इष्ट मित्रों के यहाँ पूजा का प्रसाद पहुंचाते हैं। इस तरह त्यौहार का व्यवहार चलता है।
लेकिन एक बात मुझे बहुत ही खराब लगती है कि मिलते ही लोग पूछते हैं दीवाली कैसी रही? बस इतना सुनते ही खोपड़ी चढ जाती है। अरे भाई कल ही मिले थे, आज भी मिल रहे हैं। अब एक दिन में क्या दीवाली अच्छी या बुरी हो जाएगी। मेरे मायने में तो त्यौहार सभी वर्ग उत्साह से मनाता है और त्यौहार सभी का अच्छा ही गुजरता है। अच्छा खाना,अच्छा पहनना और रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों के साथ मिल कर आनंद लेना। पता नहींलोग यह प्रश्न क्युं करते हैं कि "दीवाली कैसी मनी?
शायद यह सोच कर पूछते होंगे कि सामने वाले ने दिवाली पर जुया खेला या नहीं ....खेला तो जीता या नहीं .......जीता तो कितना जीता ......हारा तो कितना हारा ....फिर खुद कि बराबरी कर के देखते होंगे कि इस के बराबर में मैं कहाँ खड़ा हूँ !
जवाब देंहटाएंजुया = जुआ पढ़ा जाए !
जवाब देंहटाएंललित भाई अब तो बता ही दिजिये दिवाली कैसी मनी :-)
जवाब देंहटाएंललित जी, इस प्रश्न का अर्थ यह है कि त्योहार पर सब ठीक रहा ना? अब कहीं बीमारी, कही मृत्यु तो कहीं और कुछ। इसलिए शायद यह शब्द प्रचलन में आया होगा कि बिना विघ्न के त्योहार मना या नहीं।
जवाब देंहटाएंयह तो यक्ष प्रश्न है।
जवाब देंहटाएंham nahi puchhenge hamko malu hai achhi bani diwali
जवाब देंहटाएंकैसी मनी दीवाली
जवाब देंहटाएंपहले पूछते थे लोग
अब कोई बात नहीं पूछते !
ज़माना बदल गया है ।
वैसे हम तो पूछते हैं --कैसी रही दीवाली ।
हाहाहा ..क्या सर कित्ता सिंपल है देखिए मैं बताता हूं एकदम टनाटन मतबल इसका ....... कैसी मनी दीवाली .....मतलब कि भईया कैसी मनी और ......और कैसी दीवाली ...न ही कोई मनी ..न ही कोई दीवाली .....या फ़िर ऐसे कि मानो ..आपकी कोई दीवाली रुठ गई हो ...तो फ़िर आपने उन्हें मनाया कैसे ....और भी हैं कहिए तो पूरा लिस्ट भेजें ..
जवाब देंहटाएंबस ऐसे ही होते हैं कुछ निरर्थक से प्रश्न ...पूछना चाहते हों कि क्या कुछ खास किया ...वैसे सच तो यह है कि आज कल कौन पूछता है किसी को ?
जवाब देंहटाएंअब तो बता ही दें कि कैसी रही :)
जवाब देंहटाएंगुस्से में है हमारे फ़ौजी साहब। पूछने वाला इसलिये पूछता है कि पलट कर आप भी पूछें उससे, और फ़िर वो अपनी भड़ास निकाल सके।
जवाब देंहटाएंगुस्सा मत किया करो जी आप, नहीं बताना तो मत बताओ - दीवाली कैसी मनी?
:):))
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी मनी | और भगवान करे हमेशा एसी मनती रहे |
जवाब देंहटाएंआपने भी तो आखिरकार यही पूछा है- ''पता नहीं लोग यह प्रश्न क्युं करते हैं कि "दीवाली कैसी मनी?''
जवाब देंहटाएंकितना जीतें ? यह भी एक सवाल होता है .इसीलिए मैंने श्री प्रवीण पांडे को यह टिप्पणी भेजी है ------
जवाब देंहटाएं" एक सवाल मैं करूँ, एक सवाल तुम करो ;
हर सवाल का सवाल ही जवाब हो ... "
दिवाली की आपको कोटि-कोटि शुभकामनाएं .अशोक बजाज रायपुर
अरे भाई कल ही मिले थे, आज भी मिल रहे हैं। अब एक दिन में क्या दीवाली अच्छी या बुरी हो जाएगी।
जवाब देंहटाएंसर मेरा आना तो बहुत दिनों बाद हुआ आपके ब्लॉग पर तो शायद मैं तो पूछ ही सकती हूँ की कैसी रही आपकी दिवाली ???
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