मल्हार नगर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में अक्षांक्ष 21 90 उत्तर तथा देशांतर 82 20 पूर्व में 32 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। बिलासपुर से रायगढ़ जाने वाली सड़क पर 18 किलोमीटर दूर मस्तूरी है।
वहां से मल्हार, 14 कि. मी. दूर है। मस्तुरी पहुंचने पर मल्हार जाने वाले मार्ग पर एक बड़ा द्वार बना हुआ है और यहीं से तारकोल की इकहरी सड़क मल्हार की ओर जाती है।
पुरातात्विक दृष्टि से मल्हार महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ कई एकड़ में फ़ैला हुआ मृदा भित्ति दुर्ग भी है। मल्हार के मृदा भित्ती दुर्ग (मड फ़ोर्ट) सर्वप्रथम जिक्र जे. डी. बेगलर ने 1873-74 के अपने भ्रमण के दौरान किया। परन्तु उन्होने इस मड फ़ोर्ट में विशेष रुचि नहीं दिखाई। उन्होने इस शहर में मंदिरों के 2 खंडहरों का जिक्र किया।
के. डी. बाजपेयी मानते हैं कि पुराणों में वर्णित मल्लासुर दानव का संहार शिव ने किया था। इसके कारण उनका नाम मलारि, मल्लाल प्रचलित हुआ।
यह नगर वर्तमान में मल्हार कहलाता है। मल्हार से प्राप्त कलचुरीकालीन 1164 ईं के शिलालेख में इन नगर को मल्लाल पत्त्न कहा गया है। इस तरह यह छत्तीसगढ़ का प्रमुख पुरातात्विक स्थल है।
एक अद्भुत प्रतिमा यहाँ के संग्रहालय में है। जिसे अध्येता विष्णु की प्रतिमा बताते हैं। जिसके एक हाथ से सीधी तलवार दबाई हुई है, शीष पर टोपी और कानों में कुंडल के शीश के बगल में चक्र दिखाई देता है।
पोषाक बख्तरबंद जैसी है तथा पैरों में लम्बे जूते (गम बूट) हैं। इस प्रतिमा के नाम निर्धारण पर गत संगोष्ठी में विवाद की स्थिति उत्पन्न थी, कुछ इसे विष्णु प्रतिमा मानते हैं, कुछ नहीं।
वैसे यह प्रतिमा किसी युनानी योद्धा जैसे दिखाई देती है। यह खोज एवं अध्ययन का विषय भी है। अगर किसी ने ऐसी प्रतिमा कहीँ और देखी हो तो बताईए।
मल्हार की मौर्यकालीन अद्भुत विष्णु प्रतिमा |
पुरातात्विक दृष्टि से मल्हार महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ कई एकड़ में फ़ैला हुआ मृदा भित्ति दुर्ग भी है। मल्हार के मृदा भित्ती दुर्ग (मड फ़ोर्ट) सर्वप्रथम जिक्र जे. डी. बेगलर ने 1873-74 के अपने भ्रमण के दौरान किया। परन्तु उन्होने इस मड फ़ोर्ट में विशेष रुचि नहीं दिखाई। उन्होने इस शहर में मंदिरों के 2 खंडहरों का जिक्र किया।
के. डी. बाजपेयी मानते हैं कि पुराणों में वर्णित मल्लासुर दानव का संहार शिव ने किया था। इसके कारण उनका नाम मलारि, मल्लाल प्रचलित हुआ।
यह नगर वर्तमान में मल्हार कहलाता है। मल्हार से प्राप्त कलचुरीकालीन 1164 ईं के शिलालेख में इन नगर को मल्लाल पत्त्न कहा गया है। इस तरह यह छत्तीसगढ़ का प्रमुख पुरातात्विक स्थल है।
एक अद्भुत प्रतिमा यहाँ के संग्रहालय में है। जिसे अध्येता विष्णु की प्रतिमा बताते हैं। जिसके एक हाथ से सीधी तलवार दबाई हुई है, शीष पर टोपी और कानों में कुंडल के शीश के बगल में चक्र दिखाई देता है।
पोषाक बख्तरबंद जैसी है तथा पैरों में लम्बे जूते (गम बूट) हैं। इस प्रतिमा के नाम निर्धारण पर गत संगोष्ठी में विवाद की स्थिति उत्पन्न थी, कुछ इसे विष्णु प्रतिमा मानते हैं, कुछ नहीं।
वैसे यह प्रतिमा किसी युनानी योद्धा जैसे दिखाई देती है। यह खोज एवं अध्ययन का विषय भी है। अगर किसी ने ऐसी प्रतिमा कहीँ और देखी हो तो बताईए।
बेहतरीन प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंचन्द्रगुप्त मौर्य का परिचय, चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास
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