सोमवार, 16 नवंबर 2009

मधुकोड़ा ने कोड़ा तो खूब ही कोड़ा

जो न करा दे वह राजनीति है, इसी राजनीति ने एक निर्दलीय विधायक मधुकोड़ा को झारखंड का मुख्य मंत्री बना दिया। इसके सामने सारी राष्ट्रीय पार्टियां बेबस खड़ी नजर आ रही हैं। 

वाह से सत्ता का खेल और सांप सीढी का कमाल। वाह रे कोड़ा तुमने कितना कोड़ा (खोदा) अब वह निकल रहा है, तो बिलबिला रहे हो, श्रीमान जी ये कोड़ने से पहले सोचना था.

 लेकिन कोड़ते समय ये ध्यान थोडी रहता है कि कितना कोड़ डाले. वो तो बाद में पता चलता है. जब  कोड़ाई (खोदाई)  के बड़े-बड़े गढ्ढे खुले आम लोगों को दिखाई देने लगते हैं कि ये तो लगता है कि बहुत कोड़ डाला.

कम से कम कोड़ने के बाद उन गड्ढों को पाट देना था जिससे दिखाई ना दे, लेकिन चोरी कब तक छिपेंगी, एक ना एक दिन सामने आना ही था. 

आज मुझे तुम्हारी हरकतों के कारण लिखना पड़ ही गया, वरना भ्रष्ट शिरोमणी मैं तुम्हारे मुंह पर थूकता भी नहीं। 

जब तुम खुद को स्वयं ही निर्दोष घोषित कर अदालत में मानहानि का दवा करना चाहते हो. आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने तुम्हारे ६५ से अधिक ठिकानो पर छापा मारकर प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर ही दो हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की सम्पत्ति का निवेश करने का आरोप लगाया है. 

आज तुम कह रहे हो सारे आरोप मनगढ़ंत है. तो आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय में बैठे अधिकारी बहुत बड़े फ़िल्मी पटकथा लेखक हैं जिन्होंने एक पूरी फिल्म की पटकथा ही रच दी, 

तुम्हारी अनुशंसा पर इन्हें तो यहाँ से हटा कर सरकारी डाक्युमेंट्री बनाने का काम ही दे देना चाहिए. ये तो सब जानते हैं कि चोरी पकडे जाने पर एक चोर का मिथ्या प्रलाप है. 

इससे से तो यही साबित होता है "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे" तुम्हे तो और मौका मिलता तो कोड़ते ही रहते पता नहीं कहाँ-कहाँ कितने गढ्ढे करते? 

तुमने आम आदमी के धन को दोनो हाथों से लूटा है। देश की जनता तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेगी।

7 टिप्‍पणियां:

  1. उसकी कोई गलती नहीं ललित जी , गलती सिस्टम की है, हम लोगो की है जो आँख मूद इन डकैतों को देश का खजाना सौंप देते है, उस पूरे प्रकरण में सिर्फ कोडा ही नहीं बहुत बड़ी बड़ी मछलिया है इसलिए वह आस्वस्थ है कि वे लोग उसे कोई हानि नहीं पहुंचा सकते ! और अंत में हमारा मौन सिंग आंटी के साथ एकदम मौन है !

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  2. पानी में हागही तो उपलाहिच जी संगी!

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  3. चलो ठीक है फिल्मकारो को पटकथा के लिये भटकना नही पडेगा.

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  4. अपने देश की न्यायप्रणाली की विश्वसनीयता (?) को देखते हुए इनके इस आत्मविश्वास पर कोई हैरानी नहीं हो रही ! इन्हे भली भान्ती पता है कि कुछ नहीं बिगडने वाला....

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  5. भई मैने "पुरातत्ववेता " ब्लॉग पर ऐसे ही ऊँडे जाओ एक पोस्ट लिखी है मालवा मे ऊँडना यानि कोड़ना होता है । तो कोड़े जाओ कोड़े जाओ ।

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