खेल-खेल में खेल संघ में एक नेता फ़िर अध्यक्ष चुने गए, मैं गंवईहा कई वर्षों से सोचता रहा हूँ कि इन खेल सघों में नेता ही क्यों काबिज होते?
जिस भी खेल संघ की बात करें उस पर किसी ना किसी राजनैतिक दल का व्यक्ति प्रमुख पद पर बैठा है। चाहे रास्ट्रीय स्तर से लेकर हम गांव के स्तर तक हो, सभी खेल संघों का यही हाल है। भाई- भतीजावाद हर जगह कायम है।
२५ साल पहले की बात बताता हूँ, मैं व्हालीबाल का खिलाड़ी रहा हूँ, राज्य स्तर तक मैंने बहुत खेला है। जिला स्तर पर जब टीम का चुनाव हो रहा था तो हम गांव से अपनी प्रतिभा दिखा कर टीम में शामिल होने गए थे। हमारा चुनाव कर लिया गया.
जब हम खेलने गए तो पता चला एक प्रभावशाली व्यक्ति के लड़के को भी टीम में शामिल कर लिया, जिसे खेलना ही नही आता। मैंने टीम मनेजर से इसके बारे में पूछा तो उसने कहा कि यार कौन सा इसको खेलना है, आया है तो एक सम्मिलित होने का प्रमाण पत्र मिल जायगा और क्या है। ये बातें आपको २५ बरस पुरानी बता रहा हूँ, आज भी यही हो रहा है।
जिस भी खेल संघ की बात करें उस पर किसी ना किसी राजनैतिक दल का व्यक्ति प्रमुख पद पर बैठा है। चाहे रास्ट्रीय स्तर से लेकर हम गांव के स्तर तक हो, सभी खेल संघों का यही हाल है। भाई- भतीजावाद हर जगह कायम है।
२५ साल पहले की बात बताता हूँ, मैं व्हालीबाल का खिलाड़ी रहा हूँ, राज्य स्तर तक मैंने बहुत खेला है। जिला स्तर पर जब टीम का चुनाव हो रहा था तो हम गांव से अपनी प्रतिभा दिखा कर टीम में शामिल होने गए थे। हमारा चुनाव कर लिया गया.
जब हम खेलने गए तो पता चला एक प्रभावशाली व्यक्ति के लड़के को भी टीम में शामिल कर लिया, जिसे खेलना ही नही आता। मैंने टीम मनेजर से इसके बारे में पूछा तो उसने कहा कि यार कौन सा इसको खेलना है, आया है तो एक सम्मिलित होने का प्रमाण पत्र मिल जायगा और क्या है। ये बातें आपको २५ बरस पुरानी बता रहा हूँ, आज भी यही हो रहा है।
हम जानते हैं कि तीरंदाजी आदिवासियों का एक महत्वपूर्ण एवं परम्परागत कला-कौशल है, वे इसमें माहिर हैं क्योंकि इससे उनका जीविको पार्जन एवं भरण-पोषण जुड़ा हुआ है।
एक सज्जन मुझे मिले बड़ी जल्दी में थे, मैंने उनको कहा बड़ी जल्दी में हो यार क्या बात है, वो बोले यार कल तीरंदाजी का राज्य स्तरीय आयोजन है, मैं उसका अध्यक्ष हूँ कार्यक्रम की तैयारी करवानी है, बड़ी जिम्मेदारी है।
मैंने वहां सोचा जिसके बाप दादे ने कभी तीर का मुँह नही देखा वो आज तीरंदाजी संघ का मुख्य पदाधिकारी है।
जब इस तरह से लोग खेलों में अपनी दखलंदाजी करते रहेंगे खेल और खिलाड़ियों का शोषण होते रहेगा। ऐसी स्थिति में पदक की आस लगना बेमानी है।
ग्रामस्तर के खिलाड़ी बड़ी कठिनाई से जिला स्तर पर खेल लिए, ये बहुत बड़ी बात है, कई प्रतिभाऐं तो गांव की अँधेरी गलियों से बाहर आ ही नहीं पाती। उनका कौशल वहीँ दफ़न हो जाता हैं। मेरे मायने में खेल संघों पर खिलाडियों को ही महत्वपूर्ण पदों पर बैठना चाहिए तभी वो किसी भी खेल के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।
एक सज्जन मुझे मिले बड़ी जल्दी में थे, मैंने उनको कहा बड़ी जल्दी में हो यार क्या बात है, वो बोले यार कल तीरंदाजी का राज्य स्तरीय आयोजन है, मैं उसका अध्यक्ष हूँ कार्यक्रम की तैयारी करवानी है, बड़ी जिम्मेदारी है।
मैंने वहां सोचा जिसके बाप दादे ने कभी तीर का मुँह नही देखा वो आज तीरंदाजी संघ का मुख्य पदाधिकारी है।
जब इस तरह से लोग खेलों में अपनी दखलंदाजी करते रहेंगे खेल और खिलाड़ियों का शोषण होते रहेगा। ऐसी स्थिति में पदक की आस लगना बेमानी है।
ग्रामस्तर के खिलाड़ी बड़ी कठिनाई से जिला स्तर पर खेल लिए, ये बहुत बड़ी बात है, कई प्रतिभाऐं तो गांव की अँधेरी गलियों से बाहर आ ही नहीं पाती। उनका कौशल वहीँ दफ़न हो जाता हैं। मेरे मायने में खेल संघों पर खिलाडियों को ही महत्वपूर्ण पदों पर बैठना चाहिए तभी वो किसी भी खेल के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।
छत्तीसगढ़ी में एक कहावत है ……
जेखर काम उही ला साजे
नई साजे तो ठेंगा बाजे
तात्पर्य यह है किसी भी काम में जो सिद्धहस्त है, वही उसे करना चाहिए अन्यथा काम बिगड़ जाता है।
Nice Views
जवाब देंहटाएंvaise asli khilaadi to neta log hi hote hain ... to unka dakhal to hona hi hai ... sundar likha hai
जवाब देंहटाएंजाल-जगत पर आपके नये चिट्ठे का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पोस्ट के लिए बधाई!
aap sabhi tippnikaron ram,appu,digambar nasva,bhartimanank,amit k sagar ko mere blog par aane ki hardik shubh kamnayen,aasha hai aapka sahyog milta rhega,
जवाब देंहटाएंnarayan narayan
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने । स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंगुलमोहर का फूल
आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंआपको पढ़कर अच्छा लगा
लेखन हेतु शुभकामनाएं
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