आज सुबह दैनिक नवभारत के प्रथम पेज पर हेडिंग है "मेहंदी से बेहोश हुई १६ महिलाएं" नकली मेंहदी से दहशत,
यह समाचार अम्बिकापुर से है। नकली और विषाक्त रसायन युक्त मेंहदी लगाने से रामानुजगंज के मितगाई ग्राम में एक पुरुष सहित १६ महिलाएं बेहोश हो गई।
इस घटना से समूचे सरगुजा में हड़कंप का माहौल बना हुआ है। प्रभावित सभी लोगों को को रामानुजगंज के अस्पताल में भरती कराया गया है।
जहाँ उनकी स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है। पुलिस ने दुकानों से मेंहदी के पैकेट जप्त कर लिए है।
हुआ यूँ की रामानुजगंज के मितगई ग्राम में ईद की खुशियाँ मनाने के लिए मुस्लिम समाज की महिलाओं एवं युवतियों ने हाथ में मेहँदी रचाई, जिसके कुछ ही देर बाद हाथ सुन्न हो गए और बर्फ जैसे ठंडे होकर सूजने लग गए, फिर अचानक बेहोशी छाने लगी, कुछ तो मेहँदी रचाने के एक घंटे बाद ही अचेत होने लगी।
स्थानीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय तिर्की ने मेंहदी के प्रयोग से अचेत होने की पुष्टि करते हुए बताया कि मेंहदी से ही रिएक्शन हुआ है।
महिलाओं को मेहंदी लगाने से पहले अब सौ बार सोचना पड़ेगा। मंहदी हमारे त्योहारों का मुख्य आकर्षण है, जब भी कोई त्यौहार हो विशेषकर महिलाएं मेहदी अवश्य लगाती है।
यह समाचार अम्बिकापुर से है। नकली और विषाक्त रसायन युक्त मेंहदी लगाने से रामानुजगंज के मितगाई ग्राम में एक पुरुष सहित १६ महिलाएं बेहोश हो गई।
इस घटना से समूचे सरगुजा में हड़कंप का माहौल बना हुआ है। प्रभावित सभी लोगों को को रामानुजगंज के अस्पताल में भरती कराया गया है।
जहाँ उनकी स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है। पुलिस ने दुकानों से मेंहदी के पैकेट जप्त कर लिए है।
हुआ यूँ की रामानुजगंज के मितगई ग्राम में ईद की खुशियाँ मनाने के लिए मुस्लिम समाज की महिलाओं एवं युवतियों ने हाथ में मेहँदी रचाई, जिसके कुछ ही देर बाद हाथ सुन्न हो गए और बर्फ जैसे ठंडे होकर सूजने लग गए, फिर अचानक बेहोशी छाने लगी, कुछ तो मेहँदी रचाने के एक घंटे बाद ही अचेत होने लगी।
स्थानीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय तिर्की ने मेंहदी के प्रयोग से अचेत होने की पुष्टि करते हुए बताया कि मेंहदी से ही रिएक्शन हुआ है।
महिलाओं को मेहंदी लगाने से पहले अब सौ बार सोचना पड़ेगा। मंहदी हमारे त्योहारों का मुख्य आकर्षण है, जब भी कोई त्यौहार हो विशेषकर महिलाएं मेहदी अवश्य लगाती है।
खाने -पीने एवं दैनिक उपयोंग में आने वाली वस्तुओं में इस कदर मिलावट होने लगी है कि आदमी क्या खाए क्या लगाए ये भी सोंचना पड़ेगा। इनकी जाँच करने वाला अमला कहाँ सोया हैं, पता नहीं?
किस किस चीज से बचा जाए .. जीना तो यहीं पडेगा न !!
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