गुरुवार, 24 सितंबर 2009

भारी भरकम चिमनी ढह गई

बहुचर्चित बालको सयंत्र में निर्माणाधीन चिमनी के ढह जाने की खबर सुनकर आज सुबह सुबह ही कलेजा हिल गया। 
इस दुर्घटना में १५० लोगों के मलबे में दबे होने की खबर हैं तथा २४ मजदूरों के शव निकाले जाने की खबर हैं,

जिसमे से ९ मजदूरों के मारे जाने की पुष्टि कोरबा कलेक्टर अशोक अग्रवाल ने की है। यह हादसा घोर लापरवाही का नतीजा है। 

लोगों का कहना है कि निर्माण कम्पनी द्वारा घटिया स्तर की निर्माण सामग्री से निर्माण कराया जा रहा था। क्योंकि निर्माण में जिन लोहे की छडों एवं सामग्री का उपयोंग किया गया हैं वो मलबे में स्पस्ट दिख रहा है।

 चिमनी निर्माण में वहां के मजदूरों ने गुणवत्ता की भी शिकायत की ,३२ एम्.एम्.की जगह १६ एम् एम् की छडों का उपयोंग किया गया जिससे भारी भरकम चिमनी ढह गई, 

२७० मीटर ऊँची चिमनी केंटिन और आफिस के ऊपर गिरी हैं जहाँ और लोगों के दबे होने की आशंका है। 

आगे नवभारत कहता हैं की "घटना में जो चिमनी जमींदोज हुई उसका निर्माण बिना प्रशासनिक स्वीकृति के कराया जा रहा था। 

बताया जाता है कि इस चिमनी के निर्माण के लिए नगरीय प्रशासन विभाग से अनुमति लेनी होती है। किन्तु कम्पनी ने बिना अनुमति के निर्माण कार्य शुरू करा दिया,

प्रश्न यहाँ पर उठता हैं की इसकी जिम्मेदारी किसकी हैं,ये छत्तीसगढ़ के उद्योग इतिहास का सबसे बड़ा हादसा हैं, प्रशासन के अधिकारीयों ने निर्माण के दौरान निर्माण सामग्री की जाँच क्यों नही की? 

जब बिना अनुमति निर्माण कार्य हो रहा था तो उसे रुकवाया क्यों नही, 

क्या वे स्वयं किसी गंभीर हादसे का इंतजार कर रहे थे? जिन मजदूरों को इस प्रशासनिक लापरवाही के कारण प्राण गवाने पड़े हैं, उनके बच्चो के पालन पोषण की जिम्मेदारी कौन लेगा? 

यहाँ बहुत सारे प्रश्न अनुतरित हैं,जिनका जवाब प्रशासन को देना हैं.
 

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