आजादी के लिए नेताओं ने खूब अनशन किए पर प्रेमिका को पाने लिए अनशन का अविष्कर्ता वीरु को ही माना जाता है,वीरु ने टंकी पर नौटंकी की बसंती को मनाने के लिए, उसके अनशन से प्रभावित होकर सारा रामगढ उमड़ आया, कहीं हादसा न हो जाए। दर्शकों ने खूब मजा लिया वीरु के टंकीरोहण का। आज भी लोगों की जबान पर से वीरु के संवाद नहीं उतरे हैं। एक तरफ़ा प्रेम करने वालों को वीरु ने एक नया आईडिया दिया। अब तक न जाने कितने लोग अपनी मांग मनवाने के लिए टंकी पर चढे होगें? उस जमाने में गाँव में टंकियां नहीं होती थी। शोले फ़िल्म से सरकार ने प्रेरणा लेकर गाँव-गाँव में नल-जल योजना के तरह टंकी का निर्माण करवा दिया। अब प्रत्येक गाँव में एक अदद टंकी है। अगर प्रेमी या प्रेमिका नहीं मन नहीं रहे हैं तो शान से टंकी पर चढ कर मान-मनौवल हो जाता है। बसंती भी खुश और मौसी भी खुश। दोनों के सर से भार उतर जाता है। यह टंकी की ही महिमा है जो दो प्रेमियों को मिला देती है, अगर न मिल पाए तो हवालात की हवा खाने का शौक पूरा हो ही जाता है।
समय के साथ टंकी के अनशन की महत्ता कम होती जा रही है, क्योंकि टंकी उंचाई कम होती है। छोटी टंकी पर चढ कर आत्मोसर्ग की धमकी देने पर खतरा रहता है कि कोई पीछे से चढ कर उतार न ले। बंसती भी हाथ से चली जाएगी और जेल में चक्की पीसींग एन्ड पीसींग एन्ड पीसींग हो जाएगा। सरकार ने टंकियों की जगह गाँव-गाँव में मोबाईल के टावर खड़े कर दिए। पहले एक ही टंकी होती थी, अब हर कस्बे में 5-6 मोबाईल टावर तो होते ही हैं। जिसका भी नेटवर्क बढिया हो उसी टावर पर बेझिझक चढा जा सकता है। जो जितने बड़े टावर पर चढता है वह उतनी ही उच्च कोटि का प्रेमी या प्रेमिका समझा जाता है। अगर चचा आज के जमाने में होते तो उन्हे काजी की अदालत में पेश होना नहीं पड़ता। टावररोहण से ही मामला निपट जाता। नगरवासियों की सहानुभूति भी मिल जाती। आम के आम और अचार के भी दाम, मामला फ़िट समझो। किसी नवाब से वजीफ़े में 10-20 उम्दा बोतलें अलग से मिल जाती बख्शीश के रुप में। टेलीफ़ोन टावर ने टंकी की महत्ता को कम कर दिया।
नर और नारी एक समान का नारा जब से चला है तब से नारी भी पुरुषोचित कार्यों में पीछे नहीं हैं। बराबरी का जमाना जो है। क्यों किसी से कम रहें। धौलपुर के खिरोड़ा गाँव की शादीशुदा बसंती टेलीफ़ोन टावर पर चढ गयी और वहीं से अपने प्रेमी को हांक लगाई। टावर पर चढे-चढे ही चेताया कि उससे शादी करले वर्ना टावर से कूद कर जान दे देगी। मौसी तो थी नहीं, पर वहाँ के एस डी एम तक खबर पहुंच गयी। अधिकारियों के हाथ-पैर फ़ूल गए, वे दौड़े-दौड़े आए। मान मनौवल मनुहार होने लगा। झूठा आश्वासन दिया गया सच्चे जैसा। हामी भी भरी गयी शादी करवाने की। लड़की चाहती थी कि टावर पर चढे चढे ही फ़ेरा हो जाए, पर पंडित तैयार नहीं हुए रिस्क लेने के लिए। बुढौती में टावर से गिर कर बोलो राम हो गया तो उसके बच्चों को कौन पालेगा? आखिर बसंती मान ही गयी। टावर से उतर आयी। मौसी ने खुश होकर उसे नारी निकेतन भेज दिया और वीरु जेल की हवा खा रहे हैं।
एक चोर-पुलिस की प्रेम कहानी घट गयी, चोर और पुलिस का चोली दामन का साथ है, अगर चोर न हो तो पुलिस को कौन पूछे, चोरों ने ही आज तक पुलिस का अस्तित्व कायम रखा है। इनके कुनबे के डकैत, गिरहकट, ठग इत्यादियों से पुलिस रोजी-रोटी चल रही है। एक चोर किसी के घर में चोरी करने घुसा, घर मालिक ने उसे पहचान लिया, दौड़ाने पर वह टेलीफ़ोन के टावर पर चढ गया। वहीं से धमकी देने कि वह सत्यवादी हरिश्चंद्र है, अगर उसे ईमानदारी का प्रमाण पत्र नहीं दिया गया तो वह टावर से कूद जाएगा। तमाशबीनों के हुजूम के साथ अधिकारी भी पहुंच गए। उनके सामने अगर कोई चोर भी आत्महत्या कर ले तो मानवाधिकार का मामला बन जाता है। चोर की सेवा पानी होने लगी, साईक्रीन से भी मीठी बोली में पुलिस वाले मनाते रहे। दण्डाधिकारी भी अपने डंडे को झुकाए मनुहार करते रहे। टीवी चैनल वालों को टीआरपी बढाने का मौका मिल गया, टावररोहण की खबर दिखाई जाने लगी। चोर के हौसले बुलंद हो गए,पुलिस चुपचाप सुनती रही, चोर वाट लगाता रहा। टावर के पावर से गरियाता रहा, आखिर उसने बात मान ली और टावर से उतर आया, उतरते ही पुलिस ने झप लिया और हवालात के हवाले किया।
मांगे मनवाने के लिए टावर अनशन से कारगर कोई दूसरा उपाए नहीं है। एक झटके में ही टीआरपी मिल जाती है। मीडिया को काम मिल जाता है और निठल्लों को मुफ़्त का तमाशा। वीरु ने भी न सोचा होगा कि उसका फ़ार्मूला इतना कामयाब होगा? फ़िल्म की रायल्टी मिले ना मिले पर टंकीरोहण की रायल्टी पर उसका हक निश्चित ही बनता है। टंकी का टावर के रुप में उन्नयन हो चुका है। अनशन के लिए सर्वोचित माध्यम के रुप में टावर अपनी प्रतिष्ठा बनाने में कामयाब हो गए। लोकपाल बिल के लिए टंकी अनशन करने की बजाए टावर अनशन किया जाता तो सफ़लता मिलने की सौ प्रतिशत गारंटी थी। मामला टंकी अनशन होने के कारण टांय टांय फ़िस्स होता दिखाई दे रहा है। इसलिए वीरु को टंकीरोहण के आईडिया के लिए रायल्टी देकर अनशन के लिए मनचाही कम्पनी के टावर पर चढा जा सकता है। चचा अब टावर अनशन की योजना बना रहे हैं, जिस दिन बोतलों का वजीफ़ा आ जाएगा उस दिन एक बोतल लेकर टावर पर ही मिलेगें।
अब इन भटके वीरों को क्या कियो जाये।
जवाब देंहटाएंवीरों को नमन...
जवाब देंहटाएंटंकी से टावर!प्रोग्रेस हर क्षेत्र में हो रही है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर वर्णन .
जवाब देंहटाएंअगर विकास हुआ तो सभी क्षत्रों में हुआ है ना ..इसलिए टंकी से टावर का सफ़र इन्होने भी तय कर लिया ....!
जवाब देंहटाएंटंकी का टावर के रुप में उन्नयन और अब टावर अनशन की योजनाये... विकास काफी ऊँचाई तक होता दिखाई दे रहा है... काफी ऊंचा...
जवाब देंहटाएंसुन्दर टंकी/टावर आख्यान. आधुनिक वीरू/वीरायिनों को समझाना होगा. आजकल के टावर भी असुरक्षित हैं. ऊपर बत्ती जलाने के लिए भी बिजली की तार गयी होती है.
जवाब देंहटाएंटंकी की नौटंकी भी अजब है। :)
जवाब देंहटाएंपुराने जमाने में विजयस्तम्भ और कुतुबमीनार जैसी इमारते भी क्या इसीलिए बनी थी? कभी इन पर भी प्रकाश डालें।
जवाब देंहटाएंजो काम मोबाइल से संभव नहीं, उसके लिए टॉवर साधन बन रहा.
जवाब देंहटाएंकल 20/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बढिया प्रस्तुतिकरण टंकी पुराण का।
जवाब देंहटाएंटंकी की नौटंकी --यानि सत्याग्रह का आधुनिक तरीका ।
जवाब देंहटाएंटंकी भी जितनी ऊंची होगी , आपकी आवाज़ उतनी ही सुनी जाएगी ।
टंकी-टावर प्रेमी संघ जिंदाबाद.....
जवाब देंहटाएंbehad umda lekh
जवाब देंहटाएंtankee aur tower kee tankaar ko namaskaar
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi jankari ab to ye trick kafi achhi hai...???
जवाब देंहटाएंटंकी नौ हों या दस
जवाब देंहटाएंइन पर नहीं किसी
की चलती कोई बस
दिलचस्प .. टंकी अनशन
जवाब देंहटाएंरोचक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंवह दिन दूर नही..जब नेता टंकी में चडकर कहेंगे..हमें जीताओ नही तो हम भी कूद जायेंगे........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंधनतेरस व दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
टंकी से टावर तक ..बढ़िया प्रस्तुति करण
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
मजेदार गाथा
जवाब देंहटाएंhaay raam! itni oonchai se neeche dekhne pr chkkr n aate honge???? main to n chdhun....programme cancel......draya n kro lalit bhaiya!
जवाब देंहटाएं