विचारों को व्यक्त करने का माध्यम वाणी है, यह वाणी विभिन्न भाषाओं के माध्यम से संसार में प्रकट होती है। इन भाषाओं को दीर्घावधि तक स्थाई रुप से सुरक्षित रखने एवं एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य लिपि करती है। कहा जाए तो भाषा को जीवंत रखने के लिए हम जिन प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करते हैं, उन्हे लिपि कहते हैं। हम गुहा चित्रों, भग्नावशेषों, समाधियो, मंदिरो, मृदाभांडों, मुद्राओं के साथ शिलालेखो, चट्टान लेखों, ताम्रलेखों, भित्ति चित्रों, ताड़पत्रों, भोजपत्रों, कागजो एवं कपड़ों पर अंकित मनुष्य की सतत भाषाई एवं लिपिय प्रगति देख सकते हैं। इन सबको तत्कालीन मानव जीवन का साक्षात इतिहास कहा जा सकता है।
उदयगिरि मध्यप्रदेश |
सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ साथ भाषा एवं लेखनकला का विकास भी होता रहा। प्रारंभ में लिखने के साधन गुफाओं की दीवारें, र्इंट, पत्थर, मृद्पात्र एवं शिलापट्ट आदि थे। देश, काल एवं परिस्थिति अनुसार ये साधन बदलते गये और लिपि एवं भाषा परिस्कृत होती गई।विचारों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा एवं लिपि प्रथम साधन है। लिपि के अभाव में अनेक भाषाएँ उत्पन्न होकर नष्ट हो गई । आज उनका नामो निशान तक नहीं रहा। लिपियाँ भी समाप्त हो गई, वे भी इससे अछूती नहीं रही। ललितविस्तर आदि प्राचीन ग्रंथों में तत्कालीन प्रचलित लगभग चौंसठ लिपियों का नामोल्लेख मिलता है, लेकिन आज उसमें में अधिकांश लिपियाँ अथवा उनमें लिखित साहित्य उपलब्ध नहीं है।
शंख लिपि उदयगिरि |
कुछ प्राचीन लिपियाँ आज भी एक अनसुलझी पहेली बनी हुई हैं। उनमें लिखित अभिलेख आज तक नहीं पढ़े जा सके हैं। आज हम देखते हैं कि भारत में बहुधा प्राचीन स्थालों, पर्वतों एवं गुफाओं में टंकित ‘शंख लिपि’ के सुन्दर अभिलेख प्राप्त होते हैं इनको भी आज तक नहीं पढ़ा जा सका है। इस लिपि के अक्षरों की आकृति शंख के आकार की है। प्रत्येक अक्षर इस प्रकार लिखा गया है कि उससे शंखाकृति उभरकर सामने दिखाई पड़ती है। इसलिए इसे शंखलिपि कहा जाने लगा।
शंखलिपि सरगुजा सीता लेखनी पहाड़ |
जब भी मैं प्राचीन स्थलों पर शंख लिपि को देखता हूं तो मन जिज्ञासा से भर उठता है, कि प्राचीन काल का मनुष्य इस लेख के माध्यम से आने वाले पीढी को क्या सूचना एवं संदेश देना चाहता था। परन्तु लिपि की जानकारी की अभाव में यह रहस्य स्थाई हो गया है। विद्वान गवेषक इन लेखों को पढने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अभी तक योग्य सफलता नहीं मिल सकी है। आज भी विविध सिक्कों, मृद्पात्रों एवं मुहरों पर लिखित ऐसी कई लिपियाँ और भाषाएँ हमारे संग्रहालयों में विद्यमान हैं जो एक अनसुलझी पहेली बनी हुई है। समय को प्रतीक्षा है इन पहेलियों के सुलझने की। जब इनमें कैद इतिहास बाहर निकल कर सामने आएगा और नई जानकारियाँ मिलेगी।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3 - 12 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2179 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
भाषओं एवं लिपियों का लुप्त होना दुर्भाग्य है और वर्तमान में उन्हें न पढ पाना महादुर्भाग्य। अगर लिपि को पढने की कुंजी मिल जाए तो इतिहास जगत के लिए शुभ दिन होगा और इतिहास में नए अध्याय जुड़ेगें... इस अनुपम जानकारी के लिए बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंI know what is sankh lipi
जवाब देंहटाएंCan u teach me.
हटाएंVivek Singh contact me 9050232490
हटाएंVivek g please give me ur no. Please sir
हटाएंI know what you know .. no one can teach the shankh lipi...... I know how can....
हटाएंI know what you know .. no one can teach the shankh lipi...... I know how can....
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हटाएंHow
हटाएंHello everyone I need someone who have some knowledge of this language. Urgently contact me at sun07396@gmail.com
जवाब देंहटाएंहा हम सीखना चाहते है
हटाएंHello everyone I need someone who have some knowledge of this language. Urgently contact me at sun07396@gmail.com
जवाब देंहटाएंKeep patience you will find someone
हटाएंKeep patience you will find someone
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हटाएंनमस्कार सर मे अमित सोलंकी हू मेने बहोत जगह पर खोज किया हे| संख लिपि सिखने के लिए पर कही पर भी कोई जरिया नहीं मिला जिस से की में संख लिपि सिख सको यदि हम संख लिपी सिख जाते हे तो हम अपने भारत देश की पूर्ण इतिहास को जान पाएंगे तो अगर आप मेरी इस कार्य में थोड़ी मदद कर देंगे तो में अपने भारत देश के बारे में पूर्ण रूप से जान पाउँगा .
जवाब देंहटाएंनमस्कार सर मे योगेश हू मेने बहोत जगह पर खोज किया हे| संख लिपि सिखने के लिए पर कही पर भी कोई जरिया नहीं मिला जिस से की में संख लिपि सिख सको यदि हम संख लिपी सिख जाते हे तो हम अपने भारत देश की पूर्ण इतिहास को जान पाएंगे तो अगर आप मेरी इस कार्य में थोड़ी मदद कर देंगे तो में अपने भारत देश के बारे में पूर्ण रूप से जान पाउँगा .
जवाब देंहटाएंPlease contact me about shanklipi language :- Complainus@india.com
जवाब देंहटाएंShankh lipi Tirthankar Mahavir ke Samay ki hai. Use padhna bahut Gahan hai.Wah rasto par bhi likhi gayi hai.Rajgruh me Virajaman hai.Jainiyone dhyan dena chahiye.Budha,Mahavir ke Anuyayi the.ve pahale jain the.Jainiyone dhyan nahi diya isliye galat Itihas likha gaya.
जवाब देंहटाएंProf.Jawahar Mitha,Ahmednagar,.
Hallo bhaiyo mujhe sankh lipi aati to nahi he lekin mujhe esha lagta he sayad me ishe samja ya hal kar sakta hu or aap loge ki ushka arthe ya raaj bata skta hu
जवाब देंहटाएंAgar app mera saat de to ham apne desh ke liye kosis kar sakta hu
Mene kavi aaj tak na sankh lipi dekhi he lekin me iske baare me janta hu pata nahi keshe
So please contact me Saurabh.khare1803@gmail.com
Dr.Saurabh khare Pawai
Pin-488446 Dis.Panna (M.P.)
If you then prove it
हटाएंAnd send some of your knowledge to my gmail nick2020k@gmail.com
सर जी आपकी लेख को कोटि - कोटि प्रणाम
जवाब देंहटाएंhttps://cgdekho1.blogspot.in/2018/05/Chhattisgarh-Tourism-Spot.html
Haa mai bhi sikhna chata hu sankh lipi
जवाब देंहटाएंHaa mai bhi sikhna chata hu sankh lipi
जवाब देंहटाएंYe English nhe hai yar sankh Pepe Sanskrit see mil ta hai bhasha
जवाब देंहटाएंबिहार नालंदा राजगीर में सोन भण्डार नामक एक पहाड़ है उसके अन्दर माना जाता है कि मगध का राजा जरासंध अपना सारा खजाना सोना इसी पहाड़ी में छुपा रखा था , इसको तोप से तोड़ने के लिए अंग्रेजों बहुत प्रयत्न किया पर टुट नहीं पाया पत्थर का दर्वाजा , उस पत्थर पे शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ है वहां की मान्यता है कि जो उसको पढ़ लेगा उसी समय सोन भण्डार का दरवाजा खुल जाएगा, और वो धन राष्ट्र के काम आ जाएगा । कोई शंख लिपि भाषा जानते हैं तो आप राजगीर अवश्य जाईए आपकी बहुत जरूरत है वहां पे ।
जवाब देंहटाएंShankhalipi Bhasha hai jisse aap aur Hum Nahi Jaan Sakte iske liye Hame aaj se do hazaar saal purani kitabo Ka Sath Lena hoga
जवाब देंहटाएंMujhe lagta hai soun gir ki gufa ke khajane aur ajay garh fort ke khajane ka gehra sambhand hai
जवाब देंहटाएंMain bhi sikhna chahta hun shankha lipi
जवाब देंहटाएंKash mere ko bhi Sankalp a Jaaye
जवाब देंहटाएंSanskrik
जवाब देंहटाएंक्या भारत में रहने वाले आदिवासियों को इस भाषा की जानकारी होगी क्यूंकि वो लोग बहरी दूनिया से अलग रहते हैं तो उनकी पढ़ाई भी अलग होगी पीढ़ियों में चलती आ रही होगी
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