सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

बारूद के धमाकों से नहीं मिटती लोक संस्कृति : अबुझमाड़ में करसाड़

पच्चीस बरसों के बाद अबुझमाड़ के नारायणपुर मार्ग पर जा रहे थे, उबड़-खाबड़ इकहरी सड़क अब चिकनी और दोहरी हो चुकी है। मार्ग पर सन्नाटे की जगह, चहल पहल दिखाई दे रही है। मोटर सायकिलों की भरपूर आवा जाही हो रही है, जो उस समय यदा कदा ही दिखाई देती थी। लग रहा था कि काफ़ी कुछ बदल गया है और बदल रहा है। 
देवी राजटेक (राजेश्वरी) स्थान
हम नारायणपुर से भीतर जंगल के कोकोड़ी गाँव में  आदिवासियों के त्यौहार करसाड़ जात्रा में सम्मिलित होने जा रहे थे। जहाँ करंगाल परगना के पैंतालिस गांव के आदिवासी तीन दिवसीय त्यौहार करसाड़ मनाने के लिए एकत्रित हुए थे। 

मिलन, जय जुहार
हमें कच्ची सड़क पर धूल उड़ाते हुए बहुत सारे लोग मोटर सायकिलों पर जाते हुए दिखाई दे रहे थे। हम भी उनके पीछे पीछे मंदिर तक पहुंच गए। सरई के वृक्षों के बीच सैकड़ों मोटरसायकिलें खड़ी थी एवं खुले मैदान में खई खजाने की दुकाने सजी हुई थी। आदिवासी महिलाएं-पुरुष एक दूसरे से मिलकर जुहार (अभिवादन) कर रहे थे।

देव मांझी महेश्वर पात्र के साथ लेखक ललित शर्मा
राज टेका (राजेश्वरी) के मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई थी। परगना से आए हुए देव एक स्थान पर विराजमान थे। साथ ही जगदलपुर से आए हुए राजा के देवता (पाट देवता) की पूजा हो रही थी। देव हाड़े हिड़मा उनकी पत्नी राज टेका ग्राम भ्रमण पर थे। करंगाल परगना के देव मांझी महेश्वर पात्र के संचालन में सभी प्रक्रियाएं संचालित हो रही थी। 
पाट देवता, जगदलपुर राजा के देव
करसाड़ (कोंडागाँव क्षेत्र में ककसाड़) का अर्थ देवक्रीड़ा होता है, जिसे देवता खेलाना कहते हैं। करसाड़ को गोंडी भाषा में "करसी हियाना" कहा जाता है। करसाड़, हल्बा एवं गोंड़ दो जनजातियों के सम्मिलन एवं समरसता का पर्व है। देव मांझी महेश्वर पात्र ने कहते हैं कि बूढा देव के भाई का नाम हाड़े हिड़मा (कोकोड़ी करिया) है। उन्होंने मावली देवी की पुत्री राजटेका से प्रेम विवाह किया था। 

ढोल पर नृत्य 
मावली माता हल्बा जनजाति की देवी हैं और बूढा देव गोंड़ जनजाति के देवता हैं। बूढा देव के भाई हाड़े हिड़मा (कोकोड़ी करिया) एवं मावली देवी की बेटी राजटेका (राजेश्वरी) के प्रेम विवाह द्वारा हल्बा एवं गोंड़ जनजाति का मिलन हुआ और करसाड़ को दोनो जनजाति मिलकर मनाते हैं। 
युवा महिलाओं द्वारा नृत्य
इस तीन दिवसीय पर्व के पहले दिन करंगाल परगना के सभी देव कोकोड़ी पहुंचते हैं, जिनमें हाड़े हिड़मा के बेटा बेटी एवं भाई बहन होते हैं। यहाँ पहुंचने पर देव मांझी उनका आगमन सत्कार सम्मान करते हैं ढोल बजाए जाते हैं। उसके बाद बेटी एवं बहनों को एक पक्ति में एवं बेटे और भाईयों को अगल पंक्ति में स्थान दिया जाता है।
देवी की डोलियाँ
रात को सामुहिक भोज होता है तथा अगले दिन जात्रा संयोजकों की तरफ़ से सबको एक समय पकाने खाने के लिए चावल दाल दिया जाता है। अगले दिन सुबह हाड़े हिड़मा एवं राजटेका ग्राम भ्रमण पर जाते हैं, प्रत्येक गृहवासी इनका तेल एवं हल्दी लगाकर स्वागत करता है। ग्राम भ्रमण के पश्चात इनको यात्रा स्थल पर लाया जाता है।
हर हर बाइक घर घर बाइक - बदलाव की लहर 
नगाड़ों की ध्वनि के से देवता खेलाने का कार्य प्रारंभ हो जाता है। वृक्षों के नीचे आराम कर रहे सभी लोग आयोजन स्थल पर पहुंच जाते हैं। महिलाएं नृत्य करती हैं एवं युवा ढोल बजाते हुए कदमों पर थिरकते हैं तथा इनके बीच देवता खेलते हैं। सिरहों पर देवताओं की सवारी आ जाती है। यह कार्य रात तक चलता है। 
हाड़े हिड़मा एवं राज टेका देवी के आगमन की प्रतीक्षा करते 
उसके पश्चात अगले दिन सुबह देवता तालाब में स्नान करते हैं एवं उनकी इच्छा के अनुरुप मुर्गा, बकरा, सुअर आदि की बलि दी जाती है। इसी स्थान पर बलि पकाई खाई जाती है। मंडादेव से नारायणपुर की मावली मड़ई की तिथि प्राप्त कर सांझ तक सभी देवता अपने अपने स्थान को रवाना हो जाते है एवं करसाड़ यात्रा सम्पन्न हो जाती।
सभी देवता एक स्थान पर 
इस जात्रा के दौरान नारायणपुर की प्रसिद्ध मावली मड़ई के आयोजन की तिथि देवताओं से पूछ कर तय की जाती है। उनकी इच्छा के अनुसार नियत तिथि को नारायणपुर में मावली मड़ई का आयोजन किया जाता है। यह मड़ई आगामी 21-22 फ़रवरी को आयोजित होगी। जात्रा में सम्मिलित होकर इस अवसर को अपने कैमरे में कैद करना एक सुखद अनुभव रहा तथा आदिवासी संस्कृति को समीप से जानने एवं समझने का अवसर मिला।
पटेल, लेखक, चालकी, डॉ राजाराम त्रिपाठी, राजीव रंजन प्रसाद, देव मांझी महेश्वर पात्र एवं शिव कुमार पान्डेय
जो इलाका बारुद की गंध से हमेशा सराबोर रहता है और जहाँ कब किसकी मौत आ जाए, इसका पता नहीं है। मौत एवं जीवन के इस खेल के बीच अपने त्यौहारों एवं पर्वों को मनाते हुए अपनी प्राचीन परम्परा अक्षुण्ण रखना जीवटता ही है। इससे साबित होता है  कि लोक संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी होती हैं कि इन्हें मिटाना संभव नहीं। 

9 टिप्‍पणियां:

  1. किशोरावस्था में मुझे भी सागर जिले के केसली विकासखंड में गोंड जनजाति की एक मड़ई में शामिल होने का मौका मिला था । उस समय स्कुल में मेरे कई दोस्त गोंड थे, तो मैं भी इनके सदस्य जैसे ही शामिल हुआ था । बस मुर्गा-बकरे से दूर रहा । वैसे नक्सली इलाके में जाकर ये अनुभव करना अपने आप में बड़ी बात है । बाकी जो है, तो हैइये है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. किशोरावस्था में मुझे भी सागर जिले के केसली विकासखंड में गोंड जनजाति की एक मड़ई में शामिल होने का मौका मिला था । उस समय स्कुल में मेरे कई दोस्त गोंड थे, तो मैं भी इनके सदस्य जैसे ही शामिल हुआ था । बस मुर्गा-बकरे से दूर रहा । वैसे नक्सली इलाके में जाकर ये अनुभव करना अपने आप में बड़ी बात है । बाकी जो है, तो हैइये है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. ललितादित्य हैं, विचरते हैं जगत को जगत लखाने।

    जवाब देंहटाएं
  4. बदलाव तो प्रकृति का नियम है, लेकिन आपके शब्दों के माध्यम से यह जानकार अत्यंत ख़ुशी हुई कि आज भी अबूझमाड़ के वासियों के हृदय में वही निर्मलता और विमलता कायम है, जो प्राथमिक शाला की बालभारती के पाठ में पढ़ी थी। बहुत सुंदर चित्र व जानकारी हेतु आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. अब आपके दर्शनों की इच्छा बलवती हो रही है गुरूदेव

    जवाब देंहटाएं
  6. सचमुच भाई साहब ये गाँव देहात ही है हमारे जिसके वजह से संस्कृति अभी बची है वर्ना तो सब अंग्रेज हो चुके हैं या हुआ चाह रहे हैं वो अलग बात है वो रह हिन्दुस्तानी भी नहीं पाए हैं...
    बदलाव को आपने खुद महसूस किया और हमें यहाँ बैठे अह्सास दिलाया ये सब देशवासियों के लिए एक सुखद अहसास और स्वर्णिम भविष्य की आस है ... बाकि तो जो हैये है सो है .....

    जवाब देंहटाएं
  7. छा गए गुरुदेव मुझे आज पहली बार आदिवासी लोगो की पूरी जानकारी मिली और आप जिस सरल भाषा में इसे लेखनीबद्ध किया वह रोचक है जो लेख पढ़निय बनाती है

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  9. Thanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!

    Phục vụ cho nhu cầu vận chuyển hàng hóa bắc nam bằng đường sắt ngày càng lớn, vận chuyển container bằng đường sắt và vận tải, gửi hàng hóa dịch vụ vận chuyển ô tô bằng đường sắt bằng đường sắt cũng đã xây dựng nên những qui trình, dịch vụ vận chuyển container lạnh bắc nam chuyên nghiệp và có hệ thống. Đảm bảo mang đến chất lượng tốt nhất cho khách hàng sử dụng dịch vụ.

    जवाब देंहटाएं