एक बंदरिया उछल रही है .......... ब्लॉग4वार्ता .............ललित शर्मा
ललित शर्मा का नमस्कार, जब से गूगल ने ब्लॉग की नयी सेटिंग दी है, तब से मुंडा ख़राब है, पोस्ट लिखने का ही मन नहीं करता और न ही वार्ता लगाने का। 4 साल से पुराने ब्लॉगर पर काम करते हुए आसानी होती थी। नए पर काम करने लिए मन बनाने में समय लगेगा। गूगल की यह दादागिरी ठीक नहीं है। पर हम क्या कर सकते हैं, उसका मुफ्त का प्लेटफार्म इस्तेमाल कर रहे हैं जो वह करेगा वही झेलना पड़ेगा>>>>>>>>अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कूछ उम्दा लिंक ............
एक्सेल पर अंकों मे लिखी धनराशि को शब्दों मे स्वतः रूपांतरित करने का आसान
तरीका एक्सेल पर काम करते समय कई बार आवश्यकता होती है कि अंकों मे लिखी गयी धनराशि
को शब्दों (रुपए पैसे) मे भी लिखा जाए (जैसे 1254.25 को One thousand two
hundred fifty four and twentyfive paise Only)। यद्यपि एक्सेल मे
माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से यह प्रयोग सीधे नहीं उपलब्ध कराया गया है। लेकिन इसका
उपाय [...] रोहित उमराव के तीन लैंडस्केप
सेना द्वारा संचालित एक फ़ोटोग्राफ़ी कोर्स पूरा करके कबाड़ी फोटूकार
रोहित उमराव आज जम्मू से वापसी कर रहे हैं. उन्होंने कश्मीर से तीन
ज़बरदस्त लैंडस्केप कबाड़खाने के लिए भेजे हैं. फ़ोटो बड़ा कर के देखने के
लिए उन पर क्लिक करें.एक बंदरिया उछल रही है देखो अपने आप बाबा
की एक और कविता-
छतरी वाला जाल छोड़करअरे, हवाई डाल छोड़करएक बंदरिया कूदी धम सेबोली तुम
से, बोली हम से,बचपन में ही बापू जी का प्यार मिला थासात समन्दर पार पिता
के धनी दोस्त थेदेखो, मुझको यही, नौलखा हार मिला थापिता मरे तो हमदर्दी का
तार मिला थाआज बनी मैं किष्किन्धा की रानीसारे बन्दर, सारे भालू भरा करें
अब पानीमुझे नहीं कुछ और चाहिए तरुणों से मनुहारजंगल में मंगल रचने का मुझ
पर दारमदारजी,
लड़ी...बूंदो की ... लड़ी...बूंदो की ...
झड़ी ..सावन की ...
घड़ी ....बिरहा की ...
बात ..मनभावन की ...
रात ...सुधि आवन की .....
सौगात ......... नीर बहावन की ......!! इंडिया टुडे की वेब साईट पर एक खबर पढ़ रहा था की ६००० वीसा जोकि MEA ने
ब्रिटेन स्थित भारतीय दूतावास को कोरियर से भेजे थे, वे गायब हो गए ! सहज
अंदाजा लगाया जा सकता है की कोई भी हमारे देश विरोधी ताक़त, खासकर आतंकवादी
इनका उपयोग किस हद तक इस देश के खिलाफ कर सकते है! मगर अपना देश है की मस्त
है जोड़-तोड़ के गणित में, सिर्फ वर्तमान में जी रहा है ! एक अपनी गोटी फिट
करने में मस्त है, तो दूसरा यह सोचने में लगा है की इसे कहाँ फिट करूँ और
तीसरा यही देखने में लगा है कि ये महानुभाव कैसे इस गोटी को फिट करता है ! वाह
रे मेरे देश, मेरा भारत महान ! बड़े अफ़सोस के साथ लिख रहा हूँ कि हमारे इस
लोकतांत... अधिक »काम के बोझ तले दबे हों तो इस तरह दबाव कम कीजिये -- इस सवाल का ज़वाब दीजिये . एक मित्र की ई मेल ने न सिर्फ सोचने पर मज़बूर कर दिया बल्कि ज्ञान चक्षु भी
खोल दिए . एक सवाल -- लीजिये आप भी पढ़िए और बढ़िया ज़वाब देने की कोशिश
कीजिये :
एक काली अँधेरी बरसाती रात में आप अपनी कार में कहीं जा रहे हैं . तूफ़ान
जोरों पर है . अचानक एक बस स्टॉप पर आप देखते हैं -- वहां बस तीन लोग खड़े हैं
.
१. एक बूढी औरत जो इतनी बीमार दिख रही है जैसे अभी दम निकल जायेगा .
२. एक पुराना दोस्त जिसने कभी एक हादसे में आपकी जान बचाई थी .
३. एक खूबसूरत लड़की --आपके ख्वाबों की मल्लिका , जिससे आप शादी करना चाहते
हैं .
ऐसे में आप किसे लिफ्ट देंगे ? आपकी गाड़ी में बस एक ही व्यक्ति बैठ सकता है ... अधिक »
प्यार एक सफ़र है, और सफ़र चलता रहता है...पार्क में बैठना कितना सुकून देता है, बस थोड़ी देर ही सही... मुझे भी अच्छा
लगता है बस यूँ ही बैठे रहो और आस-पास देखते रहो... कई तरह के लोग... हर किसी
की आखों से कुछ न कुछ झांकता रहता है... ढलती हुयी शाम है, हल्के हल्के बादल
है... ठंडी हवा चल रही है... पास वाली बेंच पर कई बुज़ुर्ग आपस में कुछ बातें
कर रहे हैं... ऊपर से तो वो मुस्कुरा रहे हैं लेकिन उनकी आखें सुनसान हैं...
उस सन्नाटे को शायद शब्दों में उतारना मुमकिन न हो सके.... उम्र के इस आखिरी
पड़ाव पर सभी के जहन में "क्या खोया-क्या पाया...." जैसा कुछ ज़रूर चलता
होगा... कितनों के चेहरे पर इक इंतज़ार सा दिखता है... इंतज़ार उस आखिरी मोड़
क... अधिक » अनोखी शब्दावली शब्दों का अकूत भंडार
न जाने कहाँ तिरोहित हो गया
नन्हें से अक्षत के शब्दों पर
मेरा मन तो मोहित हो गया ।
बस को केवल " ब " बोलता
साथ बोलता कूल
कहना चाहता है जैसे
बस से जाएगा स्कूल ।
मार्केट जाने को गर कह दो
पाकेट - पाकेट कह शोर मचाता
झट दौड़ कर कमरे से फिर
अपनी सैंडिल ले आता .
घोड़ा को वो घोआ कहता
भालू को कहता है भाऊ
भिण्डी को कहता है बिन्दी
आलू को वो आऊ ।
बाबा की तो माला जपता
हर पल कहता बाबा - बाबा
खिल खिल कर जब हँसता है
तो दिखता जैसे काशी - काबा ।
जूस को कहता है जूउउ
पानी को कहता है पायी
दादी नहीं कहा जाता है
कहता काक्की आई ।
छुक - छुक को वो तुक- ... अधिक »
उनकी आँखों में सपने से अधिक तनाव तैरते हैं...... आज युवाओं की जिंदगी स्पीड से चलती मोटरबाइक जैसी हो गई है। जिसमें केवल गति
है। इस गति को बनाए रखने के लिए युवा कुछ भी करने को तैयार हैं। हर काम का
शार्ट कट उन्हें पता है। ले ही बाद में उन्हं पछताना पड़े, पर सच तो यह है कि
उनके पास अभी तो पछताने का भी वक्त नहीं है। हर काम को तेजी के साथ कर लेने की
प्रवृत्ति उन्हें कहाँ ले जा रही है, इसका अंदाजा उन्हें भी नहीं है।
प्रतिस्पर्धा का दौर बचपन से ही शुरू हो जाता है। प्ले ग्रुप में पढ़ते बालक को
नए स्कूल में एडमिशन के लिए होने वाले इंटरव्यू की चिंता सताती है। जूनियर
के.जी. में आते ही वह होमवर्क की चक्की पीसना शुरू कर देता है। कक्षाएँ बढ़ती
जाती... अधिक » ऋदम-ए-व्योमगणपति सबको प्यारे सबसे न्यारे
I LIKE U मैं कहता तुमको
BRAIN तुम्हारा सब पर भारी
HELP करना EXAM मे मुझको
FACEBOOK पर PROFILE बनाकर
रखना CONNECTED इस जगको
PROBLEM आती जब भी भारी
INSTANT HELP करते हो हमको
CELLPHONE भी लेकर जाना
तुम रोज़ भेजना SMS हमको
TWEETER पर TWEET तुम्हारी
FOLLOW करेंगे हम सब तुमको
अगले बरस फिर जल्दी आना
मोदक LOVELY लगते हमको
उन बेवफाओं के किए क्या दिल लगाना छोड़ दे ?जो छोड़कर जाते हैं अपने इश्क को मझधार में
उन बेवफाओं के किए क्या दिल लगाना छोड़ दे ?
जिन रास्तों ने ज़ख्म देकर पैरों को घायल किया
जब वो ना फितरत छोड़े अपनी तो
हम क्यों उन रास्तों पर जाना छोड़ दे ?
हे इश्क वो दाता जिसने
भटकती रूह सा जीवन दिया
और वो कहते हैं की हम
इश्क से खौफ खाना छोड़ दे
वो कहते हैं हमसे सरेराह
यूँ नशे में चलना बंद करो
हमें डर हैं मोहब्बत की
खुमारी के उतर जाने का
गर साथ वो अपने हैं तो
फिर हमारी नज़रों का काम क्या
कैसे दुनियादारी की ख़ातिर
उनका सहारा छोड़ दे ?
जाने वाले ऐसे गए
ज्यो शाख से पत्ते गए
वो ना आएं लौटकर तो
आस भी लगाना ... अधिक » जिसने पूजा गऊ माता को उसका जीवन धन्य हुआ !!,,,,,,,,
मुझे मालूम हुआ कि हमारे देश में १९४७ में गऊ माता की गिनती १२० करोड़ थी आज
सिर्फ १२ करोड़ हैं वो इस लिए कि हमारा देश गऊ माता को बाहर के मुल्कों में
निर्यात करता है यहाँ उनका वध करके उनको मार के खाया जाता है हम सनातनी हिन्दू
हैं हमारे धर्म में गऊ माता को पूजा जाता है तो ये जानके मुझे बहुत अफ़सोस हुआ
कृष्ण भगवान जी ने गऊ माता को माता के रूप में स्वीकार
किया तो हम आज चुपचाप बैठे अपनी माता के ऊपर हो रहे अत्याचार को क्यूँ सहन कर
रहे हैं?????????? इस के लिए मैंने एक कविता लिखी है जो आप लोगों के सम्मुख
प्रस्तुत कर रही हूँ
अमृत जैसा ढूध पिलाकर
गऊ माता ने बड़ा किया !!
तुमने केवल धन क... अधिक »
चित्रशिला घाटमृत्यु एक शाश्वत सत्य है, जो भी प्राणी जन्म लेता है उसकी मृत्यु अवश्यंभावी
है. हमारे सनातन धर्म में श्रीमद्भागवत पुराण को मृत्यु-ग्रन्थ भी कहा गया है
जिसमें इस सत्य से अनेक आख्यानों द्वारा साक्षात्कार कराया गया है.
सँसार में अनेक धर्म हैं, जिनके अपने अपने अन्तिम संस्कार के तौर तरीके हैं.
हमारे धर्म में शव को जलाने का प्रावधान है. जलाने के लिए तालाब, नदी या
नदियों का संगम स्थल शमशान के रूप में कुछ खास जगहों पर चिन्हित होते हैं.
नियम-विधान तो यह भी है कि छोटे बालक-बालिकाओं के शवों को दफनाया जाता है.
इसके अलावा कोढ़ी, सन्यासी या जोगी वंश-जाति के लोगों को मृत्योपरांत दफनाया
जाता है. दक... अधिक » सुपर फूड कूट्टू (Buckwheat)*सुपर फूड कूट्टू *(Buckwheat)
*एक उत्कृष्ट बीज, अन्न और शक्ति का भण्डार** *
कूटू का हालांकि कुट्टू को अनाज की तरह प्रयोग में लिया जाता है परन्तु यह
बड़ी पत्तियों वाली रूबार्ब प्रजाति के एक पौधे का बीज है। इसका वानस्पतिक
नाम फेगोपाइरम एस्कुलेन्टम (Fagopyrum esculentum) है। हालांकि यह अनाज नहीं
है, लेकिन यह अनाज की तरह ही प्रयोग किया जाता है। पोष्टिकता के हर मापदंड में
यह गेहूं, चावल, मक्का आदि से उत्कृष्ट है। इसका शर्करा-सूचकांक (Glycemic
Index) गेहूं, चावल, मक्का आदि से काफी कम हाता है। उत्तर भारत में नवरात्रि
में हिन्दू अनुयायी अक्सर कूटू के आटे की बनी चीज़ें खाते हैं, जैसे की कूटू... अधिक »
मनाओ जश्न कि...चूर होना है...जीवन क्या है
पानी का बुलबुला
क्षण भंगुर...
आँखों की नमी
धुंधला देती सब
हँसना होगा...
लड़ना होगा
खुद को ही खुद से
खुद के लिए...
बढ़ना होगा
निड़रता से फ़िर
बेखौफ़ होके...
धीरज रखो
दुख में भी अपने
मुस्कान लिए...
औरों के लिए
भूल कर खुद को
मनाओ जश्न....
मनाओ जश्न
कि थकना है हमे
चूर हों हम...
-अर्चना बंद और सरकार सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों के विरोध में जिस तरह से देश
के अधिकांश दल कल के भारत बंद में शामिल हुए और उसके बाद इस बंद के समर्थकों
को सरकार ने भी जिस तरह से शाम तक विदेशी पूँजी निवेश पर अधिसूचना जारी कर
अपनी मंशा बता दी उससे यही लगता है कि अब शायद सरकार ने आर्थिक सुधार के
मुद्दे पर किसी भी दल के सामने अनावश्यक रूप से न झुकने की नीति अपना ली है.
यह सही है कि पिछले कुछ दिनों में सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से लम्बे समय
में देश को क्या लाभ या हानि होगी इसका केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है पर
जिस तरह से केवल विरोध के लिए ही विरोध करने को एक साधन बनाया जा रहा है उसका
को... अधिक »
झीलें है कि गाती- मुस्कुराती स्त्रियाँ ..... सिक्के के दो पहलूओं की ही तरह एक ही झील एक साथ अनगिनत विचार स्फुरित करती
है . कभी स्वयं परेशान हैरान त्रासदी तो कभी झिलमिलाती खुशनुमा आईने सी , जैसे
दृष्टि वैसे सृष्टि- सी ... जिस दृष्टि ने निहारा झील को या कभी ठहरी तो
कभी लहरदार झील की आकृतियों के बीच अपने प्रतिबिम्ब को, अपनी स्वयं की
दृष्टि-सा ही दृश्यमान हो उठता है दृश्य .
*झील जैसे स्त्री की आँख है *
*
*
झील जैसे स्त्री की आँख है
कंचे -सी पारदर्शी पनियाई
आँखों के ठहरे जल में
झाँक कर देखते
अपना प्रतिबिम्ब हूबहू
कंकड़ फेंका हौले से
छोटे भंवर में
टूट कर चित्र बिखरना ही था ...
झीलों के ठहरे पानी में
कुछ भी नष्ट नहीं होता ... अधिक »
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम
सच में नए ब्लॉगर पर काम करने में मुश्किल आ ही रही है. नया विजेट लगाने का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा , ब्लॉग अनफॉलो करना नहीं सूझ रहा ! अच्छे लिंक्स में मेरी कविता को शामिल करने के लिए बहुत आभार !
शुभ प्रभात खुबसूरत लिंक के लिए प्रणाम स्वीकार करें बड़ी सुन्दर माला पिरोई है .
जवाब देंहटाएंसच में नए ब्लॉगर पर काम करने में मुश्किल आ ही रही है. नया विजेट लगाने का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा , ब्लॉग अनफॉलो करना नहीं सूझ रहा !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स में मेरी कविता को शामिल करने के लिए बहुत आभार !
वाह ललित बाबू ...
जवाब देंहटाएंनया रंग , नया अंदाज़ ...
आज यह वार्ता ललित डॉट कॉम पर ?
जवाब देंहटाएंआपके जरिये अच्छे लिंक्स मिले .... आभार ... हम भी हैं यहाँ ।
आपने सही कहा,,,नये देश बोर्ड में लिखने का मन ही नही हो रहा,,,
जवाब देंहटाएंऔर परेशानी भी होती है,गूगल को चाहिए नया पुराना दोनों विकल्प
रखे,,,,
RECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
बड़े ही रोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएंनए नए काम में दिक्कत तो आती ही है . धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी .
जवाब देंहटाएं@संगीता स्वरुप ( गीत ) --- नये ब्लॉगर के कारण समझ नहीं आया और वार्ता ललित डोट कॉम पर लग गयी............:D
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
सभी सेतु सशक्त अभिव्यक्ति लिए खड़े मिले .आभार .
जवाब देंहटाएंएक बंदरिया उछल रही है .......... ब्लॉग4वार्ता .............ललित शर्मा
ब्लॉ.ललित शर्मा, शनिवार, 22 सितम्बर 2012
बेहतरीन सूत्र !
जवाब देंहटाएंपर बहुत सुंदर लग रही है बंदरिया उछलते हुऎ !