भिनसारे भिनसारे ही
कोयलिया की कूक
सुनाई देने लगी
सोचने लगा, अभी कौन से आम बौराए हैं
जो कोयलिया कूक रही है
विहंग को कौन बांध पाया है?
वे कोई मानव नहीं?
किसी प्रांत के एपीएल,
बीपीएल कार्डधारी लाभार्थी नागरिक नहीं
जो किसी के बंधन में बंध कर परतंत्र हो जाएगें
जीवन स्वतंत्र है
स्वतंत्र जन्मे और स्वतंत्र मरें
परतंत्रता तो इन्हे पल की नहीं सुहाती
न ही सीमा पार करने के लिए
किसी सरकार के अनुज्ञा-पत्र की दरकार होती
जब चाहें तब पंख फ़ड़फ़ड़ाए और उड़ जाते हैं
जब मन में आए तो गाने लगते हैं
काश! विहंग सा जीवन ही क्षण भर को मिल जाए
तो मन करता है
पूरा एक जीवन ही जी लूं
बहुत खूबसूरत रचना सच कहा वो किसी बंधन में थोड़े न बंधे हैं जो किसी के कहने पर ही बोलेंगें खायेंगे या उडेंगे सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंकाश!!...
जवाब देंहटाएंललित भैया जी आसमान में उड़ने की चाह पंछी सा जीवन आपके संग उड़ने किचाह बन गई
जवाब देंहटाएंपंख तने हो, नील गगन हो,
जवाब देंहटाएंगति हो, लय हो, पवन मगन हो।
पंछी.नदिया ,पवन के झोंके कोई सरहद न इन्हें रोके
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंकाश!!!! विहंग सा जीवन क्षण भर को मिल जाए....हम तो बचपन से चिड़िया बनने की चाह रखते हैं, रोज सपने में उड़ते हैं... लाज़वाब रचना
जवाब देंहटाएंकाश.......
जवाब देंहटाएंकिसी बंधन में जीना भी कोई जीवा है ... काश बंधन मुक्त हो सकें सभी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही व सुन्दर.
जवाब देंहटाएंघुघूतीबासूती
bandhan mukt jeevan ki sundar kalpana...
जवाब देंहटाएंसच्ची ....
जवाब देंहटाएंकाश ........
सादर
अनु