वह जानेगा क्या मजा है पीने पिलाने में,
जो हो आया है इक बार तिरे मयखाने में।
दुश्मनों को भी गले मिलते देखा हमने,
दीवानों की महफ़िल लगी तिरे मयखाने में।
ईश्क हकीकी का मजा मिजाजी क्या जाने,
मयकशी ने दिया है पैगाम तिरे मयखाने में।
रफ़ीक भी रकीब जैसे मिलते रहे जहां में,
रकीब भी रफ़ीक हो गए हैं तिरे मयखाने में।
दीवानगी ले आती है रोज यहाँ मुझको,
वरना क्युं आता सर-ए-आम तिरे मयखाने में।
(C) तोप रायपुरी
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वाह
जवाब देंहटाएंदीवानगी ले आती है रोज यहाँ मुझको,
जवाब देंहटाएंवरना क्युं आता सर-ए-आम तिरे मयखाने में।
गजब का मयखाना का प्रेम ....
सुन्दर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई !!
वाह बहुत शानदार.
जवाब देंहटाएंरामराम
रफ़ीक भी रकीब जैसे मिलते रहे जहां में,
जवाब देंहटाएंरकीब भी रफ़ीक हो गए हैं तिरे मयखाने में।
वाह क्या बात है... लाज़वाब...
शायद फिर कोई दीवाना होश खो बैठा
जवाब देंहटाएंइक शोर सा उठा है तिरे मयखाने में।
सुन्दर शायराना अंदाज़।
बहुत खूब, वाह..
जवाब देंहटाएंwaah...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंLage Raho Sir Ji ,
जवाब देंहटाएंGood Presentation : )