भुवनेश्वर एक ऐसा नगर है जहाँ हम कोई भी सड़क पकड़ कर किसी भी तरफ़ निकल जाएं दर्शनीय एवं पुरातत्वीय स्मारकों के दर्शन हो जाएगें। अब हम धौली जा रहे थे, जो भुवनेश्वर से लगभग किमी की दूरी पर है। चलते मेरे ध्यान में ध्यान में नहीं था कि यह महत्वपूर्ण स्थान है और इसके बिना मेरी भुवनेश्वर यात्रा अधुरी रह जाएगी। यह एक टेकरी/ डूंगरी पर स्थित है। ऑटो वाले ने डूंगरी से थोड़ी दूर पर ही उतार दिया। पैड़ियों से ऊपर जाने पर स्तूपनुमा इमारत दिखाई दी। यह नई बनी प्रतीत हो रही थी। इसकी चारों दिशाओं में बुद्ध को विभिन्न आसनों में दिखाया गया है। पहली प्रतिमा धम्म परिवर्तन मुद्रा, दूसरी प्रतिमा भूमि स्पर्श मुद्रा, तीसरी प्रतिमा गणिका द्वारा खीर प्रदान करते हुए, चौथी प्रतिमा अभय मुद्रा, पांचवी प्रतिमा निर्वाण मुद्रा में स्थापित की गई है। इस स्तूप का निर्माण बौद्ध धर्मावलम्बियों द्वारा कराया गया है। बड़ी संख्या में लोग इस स्थान का भ्रमण करने आते हैं।
धौली स्तूप भुवनेश्वर |
अशोक शिलालेख धौली |
कांच से घिरा हुआ शिलालेख |
2 - मनुष्यों एवं पशुओं के चिकित्सालय खुलवाए जाएं एवं उसमें औषधि की व्यवस्था की जाए। मनुष्यों एवं पशुओं की सुविधा के लिए मार्ग में छायादार वृक्ष लगवाए जाएं एवं राहगीरों के लिए जल की व्यवस्था कुंए खुदवा कर की जाए।
3 - राजकीय पदाधिकारियों को आदेश दिया गया कि प्रति पांच वर्ष पश्चात धर्म प्रचार के लिए जाएं।
4 - राजकीय पदाधिकारियों को आदेश दिया गया कि व्यवहार के सनातन नियमों यथा नैतिकता एवं दया का सर्वत्र प्रचार किया जाए।
5 - धर्ममहामात्रों की नियुक्ति एवं धर्म एवं नैतिकता का प्रचार प्रसार किया जाए।
6 - राजकीय पदाधिकारियों को स्पष्ट आदेश है कि सर्वलोकहितकारी कुछ भी प्रशासनिक सुझाव एवं सूचना मुझे प्रत्येक स्थान एवं समय पर दें।
7- सभी जाति एवं धर्मों के लोग सभी स्थानों पर रह सकें क्योंकि वे आत्म संयम एवं हृदय की पवित्रता चाहते हैं।
8-राज्याभिषेक के दसवें वर्ष अशोक सम्बोधि (बोध गया) की यात्रा कर धर्म यात्राओं का प्रारंभ किया जाए। ब्राह्मणों एवं श्रमणों का दर्शन एवं गरीबों के नैतिक कल्याण का प्रचार किया जाए।
9- दास तथा अनुचरों के प्रति शिष्टाचार का पालन करें, जानवरों के प्रति उदारता एवं ब्राह्मणो तथा श्रमणों के प्रति उचित व्यवहार करने का आदेश दिया गया।
10- अशोक ने घोषणा कि यश एवं कीर्ति के लिए नैतिकता होनी चाहिए।
11- धर्म प्रचारार्थ अशोक ने अपने विशाल साम्राज्य के विभिन्न स्थानों पर शिलाओं पर धम्म लिपिबद्ध कराया जिसमें धर्म संबंधी महत्वपूर्ण सूचनाओं का वर्णन है।
राजा एवं राणा सम्मुख |
शिलालेख को हम नहीं देख पाये थे।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लेख। भुवनेश्वर के बारे में नई जानकारी मिली।
जवाब देंहटाएंP.N. Subramanian जी - शिलालेख डूंगरी की चढाई पर है, इसलिए दिख नहीं पाता। वो तो मेरी नजर अचानक पड़ गई। नहीं तो हम भी बैरंग ही लौटते खिसियाते हुए।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपंछी खोजते हुए आज इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और आप से ज्ञान।
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