बुधवार, 14 मार्च 2012

और मिसाईलें धरी रह गयी ------------ ललित शर्मा

भोर में ही घोड़े की टापों जैसे फ़ोन घनघनाने लगा, आँखे मलकर कोसते हुए फ़ोन उठाया तो परम फ़ेसबुक सखा की आवाज आई, "भैया फ़ेसबुक बंद है क्या? रात को तो बंद किया था तब तो चालु था…अब पता नहीं क्या हुआ, देखता हूँ -  मैने कहा। नेट चालु करके फ़ेसबुक खोला तो बंद मिला। बंद है यार यहाँ भी नहीं खुल रहा…। अब क्या किया जाए वह बोला…। आराम करो और क्या है……इतना कहकर मैने फ़ोन काट दिया। इधर नेट शुरु होते ही दनादन चैट पर लोग आने लगे, फ़ेसबुक बंद होने का समाचार अभनपुर से अमेरिका तक, मोकामा से मास्को तक……जरवाय से जर्मनी तक…… बिलासपुर से बुर्किनाफ़ासो तक आग की तरह फ़ैल चुका था। फ़ोन पर फ़ोन बजने लगे……। सारे फ़ेसबुकियों को लग रहा था कि फ़ेसबुक बंद हो जाएगा तो क्या करेंगे? चचा भी खांसते-खंखारते अपने कमरे से मेरे पास चले आए……और सवाल दागा… फ़ेसबुक नहीं खुल रहा है भतीजे, जरा देख लो मेरे कम्पयुटर में तो कोई खराबी नहीं है? कम्पयुटर में कोई खराबी नहीं है चचा……फ़ेसबुक ने ही अपनी दुकान बढा ली……। चचा माथे पर हाथ रख कर चिंतामग्न हो गए……

फ़ोन फ़िर बजने लगा……वही सवाल……अरे मैने क्या ठेका ले रखा है फ़ेसबुक का, या कोई मेरी हिस्सेदारी है उसमें……पूछो जकर बकर बर्ग से……फ़ेसबुक बंद किया उसने और आफ़त मेरे गले पड़ रही है……एक तो सुबह ही नींद से उठा दिया। चचा कहने लगे कि बहुत बुरा हुआ, तुम्हे क्या पता है कितने करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएगें? कितने लोग आत्महत्या कर लेगें। कितनों की गर्लफ़्रेंड उड़नतश्तरी पर बैठ कर निकल लेगीं। कितनों की खड़ी फ़सल खराब हो जाएगी……मैने भी खेत में मक्का और सुरजमुखी बो रखे है। सब बरबाद हो जाएगें, पानी नहीं मिलने से……ह्म्म……चचा फ़ेसबुकिया खेती की बात कर रहे थे। जैसे देश की खाद्यान्न समस्या के समाधान में फ़ेसबुक का ही बड़ा हाथ है। धरती पर बोए अन्न से तो इनका पेट नहीं भरता… चले अब फ़ेसबुकिया खेती से पेट भरने…। इधर फ़ेसबुक बंद होने के समाचार गुगल वाले नाच रहे थे…… फ़ेसबुकिया ग्राहक अब गुगल प्लस की ओर दिखाई देने शुरु हो गए। वहाँ किसी ने लिखा कि - फ़ेसबुक का बंद होना घोर अन्याय है। सरकार को संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए……। सरकार की कार्यवाही का तो पता नहीं, पर हमने एक मेल जरुर कर दी जकर बकर बर्ग को………

घंटे भर में तो ऐसा लगा कि जैसे आपातकाल लग गया हो………नेट पर आन्दोलन की खबरें आने लगी, बच्चे, युवा, बुजुर्ग, नर,नारी, किन्नर सभी आन्दोलन में शरीक होते दिखाई दिए, विपक्ष चिल्लाने लगा कि - सरकार अकर्मण्यता से फ़ेसबुक बंद हुआ है। करोड़ों बेरोजगार हो गए……इससे देश में अराजकता फ़ैल जाएगी। करोड़ों फ़ेसबुकिए कम से कम अपने लाईक और कमेंट के चक्कर में पड़े थे…। इन्हे फ़ेसबुकिया बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए……बड़े से लेकर छुटभैइए नेता सभी अपनी रोटी सेंकने लग गए…… फ़ेसबुकियों के समर्थन में विपक्ष खड़ा होकर बयान बाजी कर रहा था……तो मोमबत्ती ब्रिग्रेड को भी काम मिल गया। सारे एक जुट होकर चौक चौराहों पर बिहाने बिहाने मोमबत्तियाँ जलाने लगे……कुछ यूवा लाल गुलाब बांट कर गेट वेल सून करने लगे…… अन्ना के आन्दोलन से बड़ा आन्दोलन देश में दिखाई देने लगा। इतना बड़ा आन्दोलन तो भ्रष्टाचार और सुशासन में मुद्दे पर कभी नही हुआ। कुछ नेता इस स्वस्फ़ूर्त आन्दोलन बता कर जेपी आन्दोलन से तुलना कर रहे थे……।

भैंस की सानी और दूध से समय मिलते ही ताई ने फ़ेसबुक खोला तो बंद मिला………प्लस पर जाने पर समाचार मिला कि फ़ेसबुक बंद हो गया है, ड्योढी पर आकर चिल्लाने लगी… किस मुए का काम है जो इसे बंद कर दिया…… अरे काम के बाद थोड़ी फ़ुरसत मिलती थी तो यार दोस्तों से मन-तन की बतिया लेते थे……अब इनसे यह भी सहन नहीं होता… सिर पर घास का भरोटा (गट्ठर) लिए चुन्नू की माँ ने सुन लिया…… उसने वहीं पर घास का गट्ठर फ़ेंक कर दहाड़ मारी………अरे किसको आग लग गयी जिसने फ़ेसबुक बंद कर दिया…… नासपीटों से आधी आबादी की खुशी नहीं देखी जाती…… एक महिला बिल तो पास नहीं कर सके, उपर से फ़ेसबुक भी बंद कर दिया। बस फ़िर क्या था आधी आबादी उखड़ गयी और आन्दोलन की राह पर चल पड़ी। सड़क पर उतरे फ़ेसबुकियों को देख कर सरकार हिल गयी, प्रधानमंत्री की कुर्सी डांवाडोल होने लगी, सरकार की सहयोगी पार्टियों ने अल्टीमेटम दे दिया कि इस समस्या का समाधान तुरंत निकाला जाए अन्यथा हम अपना समर्थन वापस ले लेगें। प्रधानमंत्री ने सुरक्षा परिषद एवं केबिनेट की आपात बैठक बुलाई और विचार विमर्श होने लगा।

थोड़ी देर बाद सरकार के प्रवक्ता ने प्रेस कांफ़्रेस बुलाकर पत्रकारों को बताया कि - सरकार फ़ेसबुक को वापस लाने का पुरजोर प्रयास कर रही है, जकर बकर बर्ग बाथरुम में है, उसके बाहर आते ही कुछ समाधान निकल आएगा………तभी प्रवक्ता के ने फ़ोन पर कुछ बात की और बोला - फ़ेसबुक बंद होने में विदेशी शक्तियों का हाथ है…… अभी फ़ोन से जानकारी मिली है कि अफ़रा तफ़री की स्थिति को देखते हुए मौके का फ़ायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने काश्मीर की तरफ़ कुछ मिसाईलें तैनात कर दी है। देश के सामने भयंकर समस्या खड़ी हो गयी है… संकट की इस घड़ी में समस्त देशवासियों से अपील की जाती है कि धैर्य बनाएं और हमारी सेनाएं दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देगीं, काश्मीर को अपने हाथ से नहीं जाने देगें। एक प्रेस कांफ़्रेस में ही मुद्दा बदल गया, सारे देश में देश भक्त्ति के गाने बजने लगे…… लोग सड़कों पर नारे लगाने लगे…… जो हमसे टकराएगा…… मिट्टी में मिल जाएगा, दूध मांगोगे तो खीर देगें, काश्मीर मांगोगे तो चीर देगें। हमारी सेनाओं ने भी अग्नि और पृथ्वी मिसाईलें इस्लामाबाद और करांची को निशाने पर लेकर तैनात कर दी…… मॉक ड्रिल करके देख ली गयी……।

दो परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र आमने सामने थे, अमेरिका की इन घटनाओं पर खास नजर थी…… क्योंकि दुनिया का नम्बरदार तो वही है, कहीं भी टाँग फ़ंसाने का विशेषाधिकार उसी के पास है। उसने कहा कि हम फ़ेसबुक चालु कराने का प्रयत्न करते हैं, तब तक युद्ध स्थगित रखा जाए और पाकिस्तान धैर्य रखे तो उसे विशेष इमदाद दी जाएगी। इधर सेनाएं आमने-सामने थी। लोग फ़ेसबुक को भूल कर दो देशों के बीच बढ रहे तनाव पर नजर रख रहे थे। लाला जी दुकान बंद करके गोदाम में ताला लगा कर बैठ गए। युद्ध के समय डबल कमाई के मंसुबे बांधने लगे। लोग अपने घरों में महीने भर का राशन जमा करने के जुगाड़ में थे। अमेरिका को पाकिस्तान ने धमकी दी कि इमदाद फ़ौरी तौर पर जारी नहीं की तो वह गौरी को छोड़ देगा। अमेरिका में सीनेट की बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों की व्हाईट हाऊस में शिखर वार्ता करवाई जाए… शायद समस्या का  कुछ हल निकले…… शिखर वार्ता प्रारंभ हुई…… पाकिस्तान अड़ा रहा इमदाद पर और हमारे प्रधानमंत्री अड़े रहे पाक अधिकृत काश्मीर पर………वार्ता जो्र शोर से शुरु थी…… तभी अमेरिकी राष्ट्रपति के पीए ने आकर उसके कान में चुपके से बताया कि "सर फ़ेसबुक शुरु हो गया है"…………   खबर लगते ही फ़ेसबुकिए अपने काम में लग चुके थे…… और मिसाईलें धरी की धरी रह गयी…  

28 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया धारदार व्यंग, हम तो कल आनन्द में थे, पहले से ही फेसबुक बन्द कर बैठे हुये हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. व्यक्ति की मानसिकता को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करता व्यंग्य .....!

    जवाब देंहटाएं
  3. हम तो नहीं आये झांसे में ,कहा ही था कि यह टेम्पररी है !जो लोंग हर मिनट की अपडेट डालते हैं फेसबुक पर उनकी चिंता जरुर हुए , बेचारों ने दिन कैसे गुजारा होगा !
    रोचक व्यंग्य !

    जवाब देंहटाएं
  4. FACEBOOK PR KARARA VYANG...PR ISME SATYA KA DARSHAN BHI HAI..MANAV MANSIKATA..KA SUNDER CHITRAN.. BADHAI HO.........

    जवाब देंहटाएं
  5. bhala ho facebook ka.............jo aisi post padhane ko mili
    haa haa...

    जवाब देंहटाएं
  6. दो चार घंटे फेसबुक बंद रहा तो आपको व्‍यंग्‍य के लिए एक विषय ही दे गया .. फेसबुकिए की मानसिक स्थिति के हिसाब से बिल्‍कुल सटीक लिखा है !!

    जवाब देंहटाएं
  7. हम तो कम ही जाते हैं फेसबुक पर, लेकिन मित्रों के लिए कमर कसने लगे थे.

    जवाब देंहटाएं
  8. सटीक व्यंग... सही कहा आपने कुछ ही घंटे बंद रहने पर ये हाल है तो आगे क्या होगा इनका वो दिन दूर नहीं जब नशामुक्ति केन्द्रों की तरह face book व्यसन मुक्ति केंद्र की जरुरत पड़ेगी... :)

    जवाब देंहटाएं
  9. शानदार व्यंग्य मारा है अभंपुरिहा बाबू, हमहू तो तोहका फोन टुनटुनाने रहेब हमरा खातिर से नाही न चिढेल बा
    वैसन मजा आ गेल रहिल तुहार ई पोस्टवा ल पढ़ के
    जय हो फेसबुकियाँ बाबा कि मममममेरा मतलब ब्लागर बाबा ललित शर्मा जी कि

    जवाब देंहटाएं
  10. दूध मांगोगे तो खीर देगें, काश्मीर मांगोगे तो चीर देगें।

    की जगह

    दूध मांगोगे तो खीर देगें, फ़ेसबुक मांगोगे तो चीर देगें।
    हो जाय तो मामला और जम जायेगा बल्कि हर जगह कश्मीर को फ़ेसबुक से रिप्लेस किया जा सकता है।

    व्यंग्य गजब का बना है :) :) :)

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर व्यंग, फेसबुक की कसम.

    जवाब देंहटाएं
  12. संध्या जी की बात से सहमत हूँ ....ऐसा भी हो सकता हैं सोचां न था ...?
    आपको शायद बकर बर्ग ने पहले से ही कान में फुसफुसा दिया था की फेसबुक बंद होने वाला हैं, तभी तो आपने अपनी दूकान वहाँ से बड़ा दी क्यों ?????

    जवाब देंहटाएं
  13. फेस-बुकियों का क्या किया जाए. ये वो आतिश है जलाये न जले, बुझाये न बुझे.

    जवाब देंहटाएं
  14. बंद ही हो जाए तो अच्छा है . फिर किसी मां को बेटा , बहन को भाई , पत्नी को पति और दोस्त को दोस्त तो वापस मिल जायेगा . :)

    जवाब देंहटाएं
  15. अक्सर ऐसा हो जाता है :), बढ़िया व्यंग्य !

    जवाब देंहटाएं
  16. हम तो होली से फेसबुक बंदीगृह से रिहा हो चुके.... बस खील, चना, और फल फ़ुरूट लेके कभी कभी अपने आजीवन बन्दी मित्रों से मिलने चले जाते हैं... जल्दी सबकी रिहाई हो ... दुवा है मेरी :)

    जवाब देंहटाएं
  17. फेस बुकियों की मनःस्थिति को बहुत बारीकी से जान समझकर सशक्त व्यंगात्मक अभिव्यक्ति की है। बधाई और शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  18. aap jis kisi kam men wyast rahen usame pariwartan hone par yahi manhsthiti banati hai aapane sukshma chitran kiya . kyon dhanyawad dun .ho sakata hai iaske bad yadi aapane kuchha nahin likha to.isliye kewal aapako PRANAM .

    जवाब देंहटाएं
  19. logon ke beech ye naye varg facebukiye kitne aapas men jude hain isa lekh se pata chal gaya. poora vishva isa manch ke liye ek hai phir chahe kisi prakritik apada ke aane par khabar bhi na le.
    bahut badhiya vyang. vaise isa lekh se hi pata chala ki facebook kuchh ghanton ke liye band bhi hua tha.

    जवाब देंहटाएं
  20. हमारे प्रधानमंत्री अड़े रहे, पाक अधिकृत कश्‍मीर पर। बस यह बात कुछ हजम नहीं हुई। बाकि व्‍यंग्‍य लाजवाब था।
    इस समस्‍या की ओर आपका ध्‍यान नहीं गया क्‍या कि यहाँ मेल से सब्रकाइब का आप्‍शन हटा दिया गया है। मेरे प्रश्‍न का उत्तर मेरी मेल पर ही देना, यहाँ देने पर तो मुझे प्राप्‍त नहीं होगा।

    जवाब देंहटाएं
  21. आपके लेख से ही पता चला कि कल फेसबुक कुछ देर के लिए बंद था.....
    बढ़िया व्यंग :):)

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत सुन्दर लेखन सर, तारीफ के लिए शब्द नहीं

    जवाब देंहटाएं
  23. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं