आरम्भ से पढ़ें
वापसी की यात्रा पहाड़ से उतरने वाली थी। सभी धड़ल्ले से उतर रहे थे। सुमीत भी एक झटके में ही नीचे उतर आया। रास्ते में मुझे एक कोटपुतली राजस्थान के श्रद्धालु मिले। उनकी चुंदड़ी वाली पगड़ी देख कर उनसे कुछ बात चीत की।
उन्होने बताया कि लगभग डेढ सौ साल पहले उनका परिवार कबीर साहब का अनुयायी बना था। तब से पीढी दर पीढी हम निभा रहे हैं। एक परिवार दार्जलिंग से आया हुआ था।
इस परिवार के मुखिया देवमणि जी से मेरी कई किलोमीटर तक चर्चा हुई। उन्होने भी बताया कि लगभग 200 वर्षों से उनका परिवार कबीर पंथ का अनुयायी रहा है। इनके साथ कई माताएं भी आई थी दार्जलिंग से।
उनका उत्साह देखते ही बनता था। इन्होने अपना सामान चाय तोड़ने की टोकरी की तरह सिर पर टांक रखा था। भारत के कई राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे थे।
वापसी की यात्रा पहाड़ से उतरने वाली थी। सभी धड़ल्ले से उतर रहे थे। सुमीत भी एक झटके में ही नीचे उतर आया। रास्ते में मुझे एक कोटपुतली राजस्थान के श्रद्धालु मिले। उनकी चुंदड़ी वाली पगड़ी देख कर उनसे कुछ बात चीत की।
उन्होने बताया कि लगभग डेढ सौ साल पहले उनका परिवार कबीर साहब का अनुयायी बना था। तब से पीढी दर पीढी हम निभा रहे हैं। एक परिवार दार्जलिंग से आया हुआ था।
इस परिवार के मुखिया देवमणि जी से मेरी कई किलोमीटर तक चर्चा हुई। उन्होने भी बताया कि लगभग 200 वर्षों से उनका परिवार कबीर पंथ का अनुयायी रहा है। इनके साथ कई माताएं भी आई थी दार्जलिंग से।
उनका उत्साह देखते ही बनता था। इन्होने अपना सामान चाय तोड़ने की टोकरी की तरह सिर पर टांक रखा था। भारत के कई राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे थे।
वापसी पर जंगल के रास्ते में हमें हिरण, जंगली सुअर, चिंकारा आदि देखने मिले। जो नाले में पानी पी रहे थे।
देवमणि से बातें करते हुए मैं सुमीत और गुड्डु से पीछे रह गया था। ये काफ़ी आगे बढ गए। जब देवमणि के पीछे छुटने वाले परिवार का फ़ोन आया तो मैने उन्हे रुकने के लिए कहा और आगे बढ गया।
थोड़ी देर चलने के बाद सुमीत लोग दिखाई दे गए। जल्दी जल्दी कदम बढाने पर उनके पास पहुंच गया। जब अभ्यारण का गेट दिखाई दिया तो लगा कि बांधवगढ को हमने फ़तह कर लिया।
गेट पर फ़ारेस्ट के गार्ड और रेंजर दिए गए पास वापस ले रहे थे और उस पास में लिखी हुई संख्या को गिन रहे थे। कहीं कोई जंगल में रह जाए और कोई हादसा हो जाए तो लेने के देन पड़ जाएगें। हमने भी अपना अनुमति पत्र उनके पास जमा करा दिया।
देवमणि से बातें करते हुए मैं सुमीत और गुड्डु से पीछे रह गया था। ये काफ़ी आगे बढ गए। जब देवमणि के पीछे छुटने वाले परिवार का फ़ोन आया तो मैने उन्हे रुकने के लिए कहा और आगे बढ गया।
थोड़ी देर चलने के बाद सुमीत लोग दिखाई दे गए। जल्दी जल्दी कदम बढाने पर उनके पास पहुंच गया। जब अभ्यारण का गेट दिखाई दिया तो लगा कि बांधवगढ को हमने फ़तह कर लिया।
गेट पर फ़ारेस्ट के गार्ड और रेंजर दिए गए पास वापस ले रहे थे और उस पास में लिखी हुई संख्या को गिन रहे थे। कहीं कोई जंगल में रह जाए और कोई हादसा हो जाए तो लेने के देन पड़ जाएगें। हमने भी अपना अनुमति पत्र उनके पास जमा करा दिया।
कबीर पंथ के प्रथम गुरु धनी धर्मदास और आमीन माता मंदिर |
होटल पहुंचने पर टांगे जवाब दे चुकी थी। क्योंकि बीस किलोमीटर रिकार्ड समय में लगातार चलना मामुली नहीं है। ठंड बढ चुकी थी। पानी ठिठुर रहा था।
गर्म पानी मंगाकर पैरों की सिकाई की गयी और तय किया की भोजन करके कुछ देर सोया जाए और आधी रात को उठकर वापसी की जाए।
भोजन करके सो गए। रात डेढ बजे मेरी नींद खुली। मैने इन्हे जगाया। बड़ी मुस्किल से दोनो महानुभाव उठे। सामान पैक किया गया। होटल का बिल चुकाया।
वैसे नर्मदा लाज रुकने ले लिए उत्तम है और यहां के रसोईए ने उम्दा खाना खिलाया। रेट कुछ ज्यादा था लेकिन उम्दा खाने ने कसर पूरी कर दी।
मैने स्कार्पियों की बीच वाली सीट पकड़ी, गुड्डू ने पिछली सीट और सुमीत ने ड्रायवर के साथ वाली। गाड़ी चल पड़ी बांधवगढ से अपने गंतव्य की ओर।
गर्म पानी मंगाकर पैरों की सिकाई की गयी और तय किया की भोजन करके कुछ देर सोया जाए और आधी रात को उठकर वापसी की जाए।
भोजन करके सो गए। रात डेढ बजे मेरी नींद खुली। मैने इन्हे जगाया। बड़ी मुस्किल से दोनो महानुभाव उठे। सामान पैक किया गया। होटल का बिल चुकाया।
वैसे नर्मदा लाज रुकने ले लिए उत्तम है और यहां के रसोईए ने उम्दा खाना खिलाया। रेट कुछ ज्यादा था लेकिन उम्दा खाने ने कसर पूरी कर दी।
मैने स्कार्पियों की बीच वाली सीट पकड़ी, गुड्डू ने पिछली सीट और सुमीत ने ड्रायवर के साथ वाली। गाड़ी चल पड़ी बांधवगढ से अपने गंतव्य की ओर।
गुड्डू के खर्राटे शुरु हो गए। मैने शंका होने पर जंगल में गाड़ी रुकवाई, गाड़ी में हीटर चल रहा था बाहर निकलते ही ठंड का पता चल गया।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। जल्दी से गाड़ी में घुस कर मैने सोने का यत्न किया लेकिन नींद नही आ रही थी। सुबह 4 बजे के बाद नींद आई तो सपने में एक भयानक चुड़ैल का चेहरा दिखाई दिया।
मैं उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसका चेहरा लगातार बदलता जा रहा था। उसके रुप बदलते जा रहे थे।
मुझे कह रही थी कि –“ अब तुम्हारा समय पूरा हो गया है, तुम्हे मेरे साथ चलना ही पड़ेगा।“ फ़िर उसके चेहरे का रंग अनवरत बदलने लगा।
मैंने उसे गाली दी और गन की ओर हाथ बढा रहा था। गन मेरे हाथ से दूर छिटकते जा रही थी। तभी मेरी आँख खुली तो देखा कि गाड़ी जंगल में खड़ी है। मैने गाड़ी रुकने का कारण पूछा तो सुमीत बोला नींद आ रही है।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। जल्दी से गाड़ी में घुस कर मैने सोने का यत्न किया लेकिन नींद नही आ रही थी। सुबह 4 बजे के बाद नींद आई तो सपने में एक भयानक चुड़ैल का चेहरा दिखाई दिया।
मैं उसे पहचानने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसका चेहरा लगातार बदलता जा रहा था। उसके रुप बदलते जा रहे थे।
मुझे कह रही थी कि –“ अब तुम्हारा समय पूरा हो गया है, तुम्हे मेरे साथ चलना ही पड़ेगा।“ फ़िर उसके चेहरे का रंग अनवरत बदलने लगा।
मैंने उसे गाली दी और गन की ओर हाथ बढा रहा था। गन मेरे हाथ से दूर छिटकते जा रही थी। तभी मेरी आँख खुली तो देखा कि गाड़ी जंगल में खड़ी है। मैने गाड़ी रुकने का कारण पूछा तो सुमीत बोला नींद आ रही है।
मैने कहा कि अब तुम लोग सो जाओ,गाड़ी मैं चलाता हूँ। मैने ड्रायविंग सीट संभाली तो मील का पत्थर बता रहा था कि केंवची 18 किलोमीटर है।
केंवची पहुंच कर मैने गाड़ी एक होटल में लगाई चाय पीने के लिए। गाड़ी से निकल कर चाय बनते तक ठिठुर चुका था।
होटल की भट्टी की आँच भी गरमाहट नहीं दे रही थी। मिस्त्री ने बताया कि दो दिनों से यहां पाला पड़ रहा है। पानी जमने लगा है।
जल्दी से चाय के घूंट लेकर मैं आगे बढ लिया। केंवची से अचानकमार टायगर अभ्यारण प्रारंभ हो जाता है। जंगल के बीच पहाड़ी घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर इतने मोड़ हैं कि गिनती ही नहीं हो सकती। सर्पीला रास्ता गाड़ी की स्पीड बढाने ही नहीं दे रहा था।
केंवची पहुंच कर मैने गाड़ी एक होटल में लगाई चाय पीने के लिए। गाड़ी से निकल कर चाय बनते तक ठिठुर चुका था।
होटल की भट्टी की आँच भी गरमाहट नहीं दे रही थी। मिस्त्री ने बताया कि दो दिनों से यहां पाला पड़ रहा है। पानी जमने लगा है।
जल्दी से चाय के घूंट लेकर मैं आगे बढ लिया। केंवची से अचानकमार टायगर अभ्यारण प्रारंभ हो जाता है। जंगल के बीच पहाड़ी घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर इतने मोड़ हैं कि गिनती ही नहीं हो सकती। सर्पीला रास्ता गाड़ी की स्पीड बढाने ही नहीं दे रहा था।
सूर्योदय हो रहा था, सामने सूरज की किरणे सीधे ही चेहरे पर पड़ती थी तो रास्ता दिखाई नहीं देता था। अचानकमार अभ्यारण में रात में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है तथा साथ में यह भी हिदायत है कि रात 6 बजे से सुबह 8 बजे तक अभ्यारण में कहीं पर वाहन खड़ा नहीं कर सकते।
यहाँ भी शेर देखे जाते हैं। लेकिन बांधवगढ जैसे अचानकमार में शेर का लोकेशन फ़ारेस्ट के लोगों को पता नहीं रहता। शेर यहां वहां घूमते हुए दिखाई दे जाते हैं। अचानकमार अभ्यारण में कई गांव भी हैं जहां लोगों की बसाहट है।
यहां प्रकाश के लिए सोलर लाईटें लगी है और ठंड भी अन्य क्षे्त्रों की अपेक्षा अधिक ही पड़ती है। पिछली बार मुझे गर्म कोट पहनना ही पड़ गया था। जबकि पेंड्रारोड़ में ठंड नहीं थी।
वैसे भी जंगली इलाके में ठंड का असर कु्छ अधिक ही होता है। ग्रामीण आग जलाकर घर को गर्म कर लेते हैं और महुआ रस पीकर तन को। इस प्रकार ठंड से उनका बचाव हो जाता है।
यहाँ भी शेर देखे जाते हैं। लेकिन बांधवगढ जैसे अचानकमार में शेर का लोकेशन फ़ारेस्ट के लोगों को पता नहीं रहता। शेर यहां वहां घूमते हुए दिखाई दे जाते हैं। अचानकमार अभ्यारण में कई गांव भी हैं जहां लोगों की बसाहट है।
यहां प्रकाश के लिए सोलर लाईटें लगी है और ठंड भी अन्य क्षे्त्रों की अपेक्षा अधिक ही पड़ती है। पिछली बार मुझे गर्म कोट पहनना ही पड़ गया था। जबकि पेंड्रारोड़ में ठंड नहीं थी।
वैसे भी जंगली इलाके में ठंड का असर कु्छ अधिक ही होता है। ग्रामीण आग जलाकर घर को गर्म कर लेते हैं और महुआ रस पीकर तन को। इस प्रकार ठंड से उनका बचाव हो जाता है।
अचानकमार के जंगल के छपरवा गांव में फ़ारेस्ट का एक रेस्टहाउस है। जिसमें भूतों का डेरा है। स्टार न्युज के “डरना मना है’ कार्यक्रम में इस रेस्ट हाउस के विषय में एक स्टोरी देखी थी।
तब से मेरे इच्छा है कि एक रात इस रेस्ट हाऊस में जरुर गुजारुं और भूतों से मुलाकात करुं। स्टोरी में रायपुर के एक परिवार के बारे में ही बताया गया था कि वे रात को छपरवा रेस्ट हाउस में रुक गए थे।
जब खाना खाने लगे तो उन्हे पर्दे हिलते हुए नजर आने लगे कि जैसे परदे की पीछे कोई है। फ़िर उन्हे छाया दिखाई देने लगी। कहते हैं कि चौकीदार ने उन्हे रुकने से मना किया था। लेकिन वे नहीं माने। फ़िर कोई आकृति दिखाई दी।
थोड़ी देर के बाद सब शांत हो गया। लेकिन वे सब आपस में ही लड़ने लगे और एक दुसरे को मरने मारने पर उतारु हो गए। किसी तरह वे रात को रेस्ट हाउस से बाहर निकल कर भागे तो उनकी जान बची।
तब से मेरे इच्छा है कि एक रात इस रेस्ट हाऊस में जरुर गुजारुं और भूतों से मुलाकात करुं। स्टोरी में रायपुर के एक परिवार के बारे में ही बताया गया था कि वे रात को छपरवा रेस्ट हाउस में रुक गए थे।
जब खाना खाने लगे तो उन्हे पर्दे हिलते हुए नजर आने लगे कि जैसे परदे की पीछे कोई है। फ़िर उन्हे छाया दिखाई देने लगी। कहते हैं कि चौकीदार ने उन्हे रुकने से मना किया था। लेकिन वे नहीं माने। फ़िर कोई आकृति दिखाई दी।
थोड़ी देर के बाद सब शांत हो गया। लेकिन वे सब आपस में ही लड़ने लगे और एक दुसरे को मरने मारने पर उतारु हो गए। किसी तरह वे रात को रेस्ट हाउस से बाहर निकल कर भागे तो उनकी जान बची।
इस तरह की घटना और भी लोगों के साथ हो चुकी है। बताते हैं कि यहां किसी ने अपनी पत्नी को जला दिया था। तब से वही लोगों को नजर आती है।
रात को इस रेस्ट हाउस में कोई रुकता नहीं है। मैने जब से यह स्टोरी देखी है तब से इस रेस्ट हाउस में एक रात गुजारने का मन बना चुका हूँ लेकिन वह रात कब आएगी? यह अभी तय नहीं हुआ है।
यह रेस्ट हाऊस मेरे सामने आया तो मैं गाड़ी से उतरकर रेस्ट हाउस को देखा। सुबह का समय था इसलिए चौकीदार दिखाई नहीं दिया। वह रात नहीं रुकता शायद अपने घर चला जाता है।
मैने रेस्ट हाउस की फ़ोटो ली और आगे की यात्रा जारी रखी। यह रेस्ट हाउस अचानकमार अभ्यारण्य के घनचोर जंगल में है। मैं भूत प्रेत इत्यादि को मानता नहीं हूँ अगर कोई ब्लॉगर मित्र मेरे साथ इस रेस्ट हाउस में रात रुकना चाहता है तो उसका स्वागत है।
रात को इस रेस्ट हाउस में कोई रुकता नहीं है। मैने जब से यह स्टोरी देखी है तब से इस रेस्ट हाउस में एक रात गुजारने का मन बना चुका हूँ लेकिन वह रात कब आएगी? यह अभी तय नहीं हुआ है।
यह रेस्ट हाऊस मेरे सामने आया तो मैं गाड़ी से उतरकर रेस्ट हाउस को देखा। सुबह का समय था इसलिए चौकीदार दिखाई नहीं दिया। वह रात नहीं रुकता शायद अपने घर चला जाता है।
मैने रेस्ट हाउस की फ़ोटो ली और आगे की यात्रा जारी रखी। यह रेस्ट हाउस अचानकमार अभ्यारण्य के घनचोर जंगल में है। मैं भूत प्रेत इत्यादि को मानता नहीं हूँ अगर कोई ब्लॉगर मित्र मेरे साथ इस रेस्ट हाउस में रात रुकना चाहता है तो उसका स्वागत है।
अभ्यारण्य में दो जगह गाड़ी के नम्बर एवं ड्रायवर का नाम लिखा जाता है। एक जांच चौकी बनी है। ताकि अनाधिकृत रुप से कोई शिकारी वन्य जीवों को नुकसान ना पहुंचा दे।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से आने जाने वालों की जानकारी रखना आवश्यक है। अचानकमार के जंगल से मैं लगभग नौ बजे बाहर निकल चुका था। मुझे लगा कि गाड़ी में एक सवारी कम है।
मैने ड्रायवर से पूछा कि गुड्डू कहां है? तो पता चला कि उसे पेंड्रारोड़ से लिया था वहीं छोड़ दिया गया है। मैने लगातार नांदघाट तक गाड़ी ड्राईव की। यहां चाय नास्ता करने के बाद सुमीत ने स्टेयरिंग संभाल लिया।
सुमीत गाड़ी कमाल की ड्राईव करता है। जब यह गाड़ी चलाता है तो मैं चैन से सो जाता हूँ। इसने मुझे साढे 12 बजे घर पहुंचा दिया। इस त्तरह हमारी बांधवगढ की यात्रा सम्पन्न हुई।
वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से आने जाने वालों की जानकारी रखना आवश्यक है। अचानकमार के जंगल से मैं लगभग नौ बजे बाहर निकल चुका था। मुझे लगा कि गाड़ी में एक सवारी कम है।
मैने ड्रायवर से पूछा कि गुड्डू कहां है? तो पता चला कि उसे पेंड्रारोड़ से लिया था वहीं छोड़ दिया गया है। मैने लगातार नांदघाट तक गाड़ी ड्राईव की। यहां चाय नास्ता करने के बाद सुमीत ने स्टेयरिंग संभाल लिया।
सुमीत गाड़ी कमाल की ड्राईव करता है। जब यह गाड़ी चलाता है तो मैं चैन से सो जाता हूँ। इसने मुझे साढे 12 बजे घर पहुंचा दिया। इस त्तरह हमारी बांधवगढ की यात्रा सम्पन्न हुई।
बांधवगढ की यात्रा सम्पन्न हुई।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष आप सब के लिए मंगलमय हो.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक वृतांत ....
जवाब देंहटाएंहर पल यही है दिल की दुआ आपके लिए
खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
महकी हुई उमंग भरी हो हर इक सुबह
चाहत के गुल से पथ हो सजा आपके लिए
अब आप इस दिलचस्प यात्रा-वृत्तांत पर एक किताब छपवा ही लीजिए. आनंद आ गया धारावाहिक में. आभार. अंतर्राष्ट्रीय नए अंगरेजी कैलेंडर वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपका ये यात्रा विवरण |
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ |
jnab llit bhaayi aese khtrnaak kaarnaamae is guzrte sal men hi agr hm kr lenge to aage bhi to bhayi hmen bhut kuchh krnaa he nya saal mubaark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंछपरवा रेस्ट हाउस में आप के साथ रुकने के लिए मैं तैयार हूँ, जब जाना हो बता दें।
जवाब देंहटाएंआदरणीय ललित शर्मा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार
आपके यात्रा विवरण के बारे मैं क्या कहूँ ...बस मैं भी आनद ले लेता हूँ .आपको और आपकी मित्र मण्डली ..तथा पूरे परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
इति श्री बान्धवगढ़ गाथा।
जवाब देंहटाएंरोचक वृतांत.
जवाब देंहटाएंमुझे 1988 में कायनेटिक होंडा पर सपत्नीक, ढ़ाई वर्ष की बिटिया के साथ, रींवा से भिलाई लौटते समय रात 7 से 9 बजे का वह अचानकमार के जंगलों से गुजरना याद हो आया। क्या कुछ हुआ था, यह तो किसी पोस्ट पर बताऊँगा :-)
छपरवा के रेस्ट हाउस में घटी दुर्घटना सन 1975 के आसपास की है और लगभग आठ साल पहले जब यह रेस्ट हाउस दुरुस्त हुआ तब पहले-पहल यहां रात गुजार कर खर्राटे भरने का सुख मैंने भी लिया था, अच्छी याद दिलाई आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक वर्णन ..छपरवा के रेस्ट हॉउस की फोटो से ही काम चलाइए ...भूतों के चक्कर में पड़ना अच्छी बात नहीं है :):) वैसे भूत वाकयी होते हैं क्या ?
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनायें
agli bar bhutoo se milne ka program hai. entry chalu hai cont. lalit sharma ji , sumit das
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक वर्णन . भूत वाकयी होते हैं क्या ?
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनायें
भूतो से मुक़ाबला ..... ही ही ही ... अब आयेगा असली मजा | नव वर्ष की सभी पाठको को शुभकामनाए |
जवाब देंहटाएंइस यात्रा में मजा भूत आ रहा था:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ओर रोचक यात्रा जी लेकिन समझ मै नही आया इस चुडेल को डर नही लगा आप की मुछे देख कर? पता नही केसे आदमी से पंगा ले लिया, तभी डर के भाग गई वेसे आप के पास उस समय तो गन भी नही थी.
जवाब देंहटाएंबढ़िया यात्रा विवरण ।
जवाब देंहटाएंपोस्ट का टाइटल पढ़कर ज़रा भूतों और चुड़ैल से परिचय होने की सम्भावना लगी थी , लेकिन अभी तो लगता है इंतजार करना पड़ेगा ।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
२१वी सदी में भूत ? मैं नहीं मानता हूँ ...नववर्ष पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की आपको हार्दिक सुभकामनाएँ.
भाईजी, बैठे-बैठे पूरो इंडिया घूमन को
जवाब देंहटाएंमोको मिल रायो ह ..थारो धन्यवाद !
नव वर्ष आप सब के लिए मंगलमय हो.
जवाब देंहटाएंRead More: http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/12/2010.html
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ........
जवाब देंहटाएं’.
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...और चुडैलो को भी
मजेदार पोस्ट रही जी।
जवाब देंहटाएंअपन भी कभी रुकना चाहते हैं आपके साथ उस रेस्ट हाऊस में, लेकिन थो़ड़ा इंतजार करना होगा:)
नये साल की बहुत बहुत बधाई।
नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो
जवाब देंहटाएंन हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!
... shubhaa-shubh nav varsh-2011 !!
डराने की कोशिश तो पूरी की है आपने
जवाब देंहटाएंपर बिना टिप्पणी किए हम नहीं डरने वाले
एक हिन्दी ब्लॉगर पसंद है
चुडैल का इन्तजार है...नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंक्या जबरदस्त यात्रा रही आपकी । जंगली जानवर देखे, शेर भी और चुडैल से भी मुलाकात हो गई । नया साल आपको परिवार समेत बहुत शुभ हो ।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंपल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥
आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!
जवाब देंहटाएंआपको और आपकी मूछों को देखकर भाग खड़ा होगा भूत । अच्छी पोस्ट , नववर्ष की शुभकामनाएं । "खबरों की दुनियाँ"
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरोचक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ललित जी आपकी यात्रा की ठण्ड देख तो मुझे कंपकपी आने लगी ...
जवाब देंहटाएंपिछली पोस्ट तो पढ़ी नहीं पर यात्रा वृतांत तो गज़ब का है .....
मैं भूत प्रेत इत्यादि को मानता नहीं हूँ अगर कोई ब्लॉगर मित्र मेरे साथ इस रेस्ट हाउस में रात रुकना चाहता है तो उसका स्वागत है।
क्यों डरा रहे हैं ....?
आगे इन्तजार है .....
यात्रा विवरण रोचक लगा
जवाब देंहटाएंआभार
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डराने में कामयाब रहे
देखिये उँगलियाँ अभी तक काँप रही हैं ...
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भूत पिशाच निकट नहीं आवें, राखी सावंत का नाम सुनावें
महाखली अतुलित बल धामा .....