राजधानी रायपुर से 352 किलोमीटर अम्बिकापुर एवं अम्बिकापुर से 45 किलोमीटर छत्तीसगढ़ का शिमला एवं निर्वासित तिब्बतियों की शरण स्थली मैनपाट स्थित है।
मैनपाट के ग्राम कमलेश्वरपुर के इर्द गिर्द शरणार्थी तिब्बतियों के कैम्प हैं। यहीं पर पर्यटन विभाग के शैला रिसोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जलजली (दलदली) नदी है।
इस नदी का लगभग 3 एकड़ का क्षेत्र ऐसा है कि इस पर कूदने से यह हिलता है। इसे जम्पिंग लैंड भी कह सकते हैं। जब इस भूमि पर कोई कूदता है तो यह स्पंज की गेंद जैसी प्रतिक्रिया देती है। यहाँ आने के बाद लोग बच्चों की तरह उछल कूद कर इसे परखते हैं।
मैनपाट के ग्राम कमलेश्वरपुर के इर्द गिर्द शरणार्थी तिब्बतियों के कैम्प हैं। यहीं पर पर्यटन विभाग के शैला रिसोर्ट से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर जलजली (दलदली) नदी है।
इस नदी का लगभग 3 एकड़ का क्षेत्र ऐसा है कि इस पर कूदने से यह हिलता है। इसे जम्पिंग लैंड भी कह सकते हैं। जब इस भूमि पर कोई कूदता है तो यह स्पंज की गेंद जैसी प्रतिक्रिया देती है। यहाँ आने के बाद लोग बच्चों की तरह उछल कूद कर इसे परखते हैं।
मैनपाट जलजली |
जलजली की इस विशेषता से बाहरी दुनिया के लोग अधिक परिचित नहीं है। फ़िर भी कुछ सैलानी प्रतिदिन कुदरत के इस अजूबे को देखने के लिए पहुंचते हैं।
जब संसार में कहीं पर धरती हिलती है तो हलके से भी कंपन से घबराहट फ़ैल जाती है और इससे भारी क्षति भी होती है।
यही एकमात्र ऐसा भूचाल है जिसका आनंद लेने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं और प्रकृति के इस अजूबे को देख कर दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।
इस स्थल से थोड़ी दूर झरना भी है लेकिन वन क्षेत्र होने कारण यहाँ तक पहुंचने का मार्ग नहीं बना है।
जब संसार में कहीं पर धरती हिलती है तो हलके से भी कंपन से घबराहट फ़ैल जाती है और इससे भारी क्षति भी होती है।
यही एकमात्र ऐसा भूचाल है जिसका आनंद लेने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं और प्रकृति के इस अजूबे को देख कर दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।
इस स्थल से थोड़ी दूर झरना भी है लेकिन वन क्षेत्र होने कारण यहाँ तक पहुंचने का मार्ग नहीं बना है।
मैनपाट जलजली (वेट लैंड) |
मेरा मानना है कि यह स्थान देश में धरती बनने की प्रक्रिया का प्रथम उदाहरण है। जब धरती पर जल ही जल था और उसके बाद धीरे-धीरे जल में वनस्पति का जमाव होने लगा और जल दलदल में परिवर्तित होकर ठोस होते गया.
करोड़ों वर्षों की प्रक्रिया के पश्चात जल ठोस भूमि में परिवर्तित हो गया। यहाँ पर जल से भूमि बनने की यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है। सैकड़ों वर्षों के पश्चात यह भूमि भी ठोस हो जाएगी।
मैनपाट जलजली (वेट लैंड) |
दलदली की इस भूमि के नीचे नदी बहती है। वनस्पति ने इस भूमि को इतना अधिक जकड़ रखा है कि इसका क्षरण भी नहीं होता और कूदने पर हमेशा यह इसी तरह की प्रतिक्रिया करती है।
नदी के जल के ऊपर मिट्टी और वनस्पति की लगभग 4-5 मीटर मोटी परत है, इस पर मैने पत्थर से भरी ट्राली लेकर ट्रेक्टर को भी जाते हुए देखा है, यह जमीन इतने वजन के बाद भी फ़टती नहीं है और न ट्रेक्टर के पहिए इसमें धंसते हैं। प्रकृति का यह अजूबा मैने मैनपाट में देखा और कहीं नहीं।
अद्भुत स्थान है यह अब तो इसका भ्रमण करना होगा धन्यवाद इस प्रकृति के चमत्कार की जानकारी देने के लिए
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति। सुना भर है, जा नहीं पाये।
जवाब देंहटाएंमैंने यह जगह देखी है ललित भैय्या, वाकई अदभुत है।
जवाब देंहटाएंमैंने यह जगह देखी है ललित भैय्या, वाकई अदभुत है।
जवाब देंहटाएंअदभुत जानकारी श्रीमान
जवाब देंहटाएंउत्तर दे
जवाब देंहटाएंअद्भुत है ।
जवाब देंहटाएंकुदरत के अजूबे Jumping Land... अदभूत।
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