ब्लोगर्स हाउस सुबह हो गई है. कल के ब्लोगर मिलन के बाद. नीरज जाट अभी सोकर उठा है. अलबेला खत्री ने गरम पानी पिया नमक डाल के, आज किसी के यहाँ इनका न्योता है.
अल सुबह भाटिया जी और अलबेला में युद्ध हो गया. बरतन मांजने को लेकर. अलबेला देशी तरीके से मांजने के मूड में थे. लेकिन भाटिया जी को जर्मन तरीके से ही मांजना था.
केवल राम रचना सुनाने के लिए पीछे पड़ गए. कहने लगे मेरी रचना सुनो.... अब सुबह सुबह रचना झेलना बहुत भारी पड़ जाता है. क्योंकि रात भर वही रचना चलती रही. सभी ने अपनी अपनी रचना का जिक्र किया.......
लेकिन नीरज जाट में कुछ दम था. क्योंकि तिलियार में पानी कुछ कम था. इसलिए इसने ही सारी रचनाएँ झेली.... कल के गुलाब जामुन का असर जो था........ बाकी तो सारा आइटम कार में ही धरा रह गया............ समीर लाल की रचना सुनने का मन था...... लेकिन उन्होंने फोन पर अपनी रचना नही सुनाई.....
अल सुबह भाटिया जी और अलबेला में युद्ध हो गया. बरतन मांजने को लेकर. अलबेला देशी तरीके से मांजने के मूड में थे. लेकिन भाटिया जी को जर्मन तरीके से ही मांजना था.
केवल राम रचना सुनाने के लिए पीछे पड़ गए. कहने लगे मेरी रचना सुनो.... अब सुबह सुबह रचना झेलना बहुत भारी पड़ जाता है. क्योंकि रात भर वही रचना चलती रही. सभी ने अपनी अपनी रचना का जिक्र किया.......
लेकिन नीरज जाट में कुछ दम था. क्योंकि तिलियार में पानी कुछ कम था. इसलिए इसने ही सारी रचनाएँ झेली.... कल के गुलाब जामुन का असर जो था........ बाकी तो सारा आइटम कार में ही धरा रह गया............ समीर लाल की रचना सुनने का मन था...... लेकिन उन्होंने फोन पर अपनी रचना नही सुनाई.....
मैंने तो सुबह सुबह अजवायन ली, क्योंकि कल रात से ही तबियत नासाज हो गई ...... सर्दी जुखाम और बुखार ने हालत गंभीर कर रखी है.. सब कुछ उल्टा पुल्टा ...........
नीरज बोल्ला.. कुछ लेते क्यों नहीं?.... अरे भाई तीन दिनों से ले ही रहे थे....... रात टीचर्स और अलबेला की रचनाओं के साथ कटी........
योगेन्द्र मौदगिल ने तो तम्बू ही उखाड़ दिया......रात ही पानीपत चल पड़े. लेकिन कविता कहानी और व्यंग्य की महफ़िल खूब जमी........
नीरज बोल्ला.. कुछ लेते क्यों नहीं?.... अरे भाई तीन दिनों से ले ही रहे थे....... रात टीचर्स और अलबेला की रचनाओं के साथ कटी........
योगेन्द्र मौदगिल ने तो तम्बू ही उखाड़ दिया......रात ही पानीपत चल पड़े. लेकिन कविता कहानी और व्यंग्य की महफ़िल खूब जमी........
अब सुबह हो चुकी है और नहाने के बाद अलबेला जी जयपुर जायेंगे.....हम रिवाड़ी जायेंगे.........नीरज का नहाने का मन नहीं है..............
केवल राम कल ही नहा लिए थे.......... राज भाटिया जी को जर्मन मेड साबुन नहीं मिल रहा है......नहाने के लिए..
संगीता जी ने कल ही भविष्यवाणी कर दी थी कि मुझे सर्द गरम हो सकती है.......
अब देखते हैं कब तक तबियत ठीक होती है...... और ब्लोगर रजाई से बाहर निकलते हैं...... अभी केवल राम चाय बना कर ला रहे है. अगर किसी को हिमाचल की चाय पीनी हो तो टिप्पणी द्वारा सूचना दे ........... फिर मत कहना की जादू नहीं दिखाया............. आगे पढ़ें
केवल राम कल ही नहा लिए थे.......... राज भाटिया जी को जर्मन मेड साबुन नहीं मिल रहा है......नहाने के लिए..
संगीता जी ने कल ही भविष्यवाणी कर दी थी कि मुझे सर्द गरम हो सकती है.......
अब देखते हैं कब तक तबियत ठीक होती है...... और ब्लोगर रजाई से बाहर निकलते हैं...... अभी केवल राम चाय बना कर ला रहे है. अगर किसी को हिमाचल की चाय पीनी हो तो टिप्पणी द्वारा सूचना दे ........... फिर मत कहना की जादू नहीं दिखाया............. आगे पढ़ें
nsmssksr yah tippani jsbsrdasti se karvaai gayi hai. baki batein baad mein.
जवाब देंहटाएंraj bhatia
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जवाब देंहटाएंnsmssksr yah tippani jsbsrdasti se karvaai gayi hai. baki batein baad mein.
जवाब देंहटाएंraj bhatia
main to abhi sokar he nahin utha hu. ye photo kahan se aa gaya?
जवाब देंहटाएंwaakai sab photoo mast hain.
oho, to chai bhatia ji ne di thi.
जवाब देंहटाएंहम तो इसी लिए खिसक लिए थे हालत ठीक नज़र नहीं आ रहे थे ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनोक झोंक प्यार मुहब्बत की निशानी है
जवाब देंहटाएंयह बना असली परिवार। बरतन हों और खड़कने की आवाज नहीं आए तो काहे की रसोई और कैसा परिवार। शीत युद्ध है गर्म युद्ध।
जवाब देंहटाएंबहुत चिंतित है ब्लु लाइन बसे
kuchh bhi kaho, rohtak aa kar maza aa gaya, bhai raj bhatiya aur lalit sharma ke alava sangita puri,nirmla kapila, dr aruna kapoor,ajay jha samet naye sathiyon me kevalram,niraj jat,hardeep ityadi se mil kar maza aaya.....agar aise prem aur utsah bhare aayojan lagatar hote rahen to bloggers me aur nikatta aayegi bahut bahut aabhr raj ji ka ...........
जवाब देंहटाएंvaise lalit ji ne maze khoob karaaye - maine to khoob aanand liya raat bhar rachna ka .............ha ha ha ha ha ha
खूब रहा ब्लागर मिलन ... पढ़कर आनंद आ गया पंडित जी ...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रिपोर्टिंग ....... असल रिपोर्टिंग तो यही है ..... काफी सारी अंदर की बातें पता चली !!
जवाब देंहटाएंमूंछो की लाज रख ली..... बेधरक हो कर रिपोर्ट कर दी.... बढिया लगा.
जवाब देंहटाएंमज़ा आया रिपोर्ट पढ़ कर ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंchaliye zald lout ke aiye ham log aa rahe hai C.G.
जवाब देंहटाएंvaheen sunege
चाय तो मुझे भी पीनी है जी
जवाब देंहटाएंहिमाचल जाकर ही पीयेंगें, केवलराम जी के हाथों से
फिर बर्तन किस तरीके से मांजे गये देशी या जर्मन
नीरज में दम है सुबह-सुबह रचना को झेला :)
आपकी अजवायन ने कुछ आराम दिया या नहीं
रात को ही वह दवा ले लेते जी, जो अलबेला जी बता रहे थे :)
प्रणाम
@अलबेला जी
जवाब देंहटाएंगलत बात है जी खुद तो रातभर रचना का आनन्द लिये और सुबह नीरज को झेलाया।
ललित जी को दवा क्यों नहीं दिलवाई जी आपने
प्रणाम
खूब रहा ब्लागर मिलन
जवाब देंहटाएंहमें तो हिमाचल की चाय का इन्तजार है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजानदार शानदार जबर्दस्त्त ..मजा आ गया पढकर ये मिलन .
जवाब देंहटाएंजय हो।
जवाब देंहटाएं---------
ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।
ab kesi tbiyt he jnaab ki hm to bs aapke khtte mithe anubhvon ke prtikshart hen. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंआपने तो डरा ही दिया था.
जवाब देंहटाएंमैंने पहले ही कहा था पानी के किनारे जरा खाने "पीने में एहतियात बरतना। हो गया ना ऐंड-बैंड़।
जवाब देंहटाएंपोस्ट ही बता रही है सबके रात का फसाना। :-)
जय हो !!!
नीरज ने इतनी मोटी रजाई ओढी हुई है तो क्या इतनी ठण्ड थी?
जवाब देंहटाएंजय हो,अब तो कल की चाह का आर्डर बुक कर लेवें.
जवाब देंहटाएंपढ़कर आनंद आ गया भैया.... सेहत का ख्याल रखें... शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरचना! :)
जवाब देंहटाएंठण्ड में कोट पहन कर नहाना उचित रहेगा... मेरी सलाह मान लीजिये.. :)
जादू नहीं दिखाया! पूरी पोस्ट ही जादू है!
जवाब देंहटाएं@अलबेला जी...ये सही नहीं किया आपने...दस मिनट के लिए ही मिले और जयपुर को चल दिए
जवाब देंहटाएं@ललित जी...आप सही हैं... चुपचाप रेवाड़ी के लिए निकल लिए...:-(
जादू दिख गया हमें तो...अभी बचोगे नहीं..सुनाये बिना छोडूंगा नहीं..कभी तो पकड़ आ जाओगे इसी ट्रिप में. :)
जवाब देंहटाएंहाय मूंछवाले डार्लिंग..why did not you call me? मुन्नी नाराज हुई तुमसे डार्लिंग.. you have missed the bus of 'MUNNI BADNAM HUI TERE LIYE' dance.
जवाब देंहटाएंDont worry darling..keep in mind for next time...love you darling n best wishes to all the bloggers.
सोच रहे हैं कि हमें भी पहुँच ही जाना चाहिए था :)
जवाब देंहटाएंक्या आपका बहाना बना हम भी न नहाने का प्रयास करें।
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख़., यदि आप को "अमन के पैग़ाम" से कोई शिकायत हो तो यहाँ अपनी शिकायत दर्ज करवा दें. इस से हमें अपने इस अमन के पैग़ाम को और प्रभावशाली बनाने मैं सहायता मिलेगी,जिसका फाएदा पूरे समाज को होगा. आप सब का सहयोग ही इस समाज मैं अमन , शांति और धार्मिक सौहाद्र काएम कर सकता है. अपने कीमती मशविरे देने के लिए यहाँ जाएं
जवाब देंहटाएंललित जी
जवाब देंहटाएंजितनी शानदार पोस्ट है , उतनी ही शानदार प्रतिक्रियाएं भी क्या कहूँ ...आपका अंदाज ही कुछ ऐसा है ...आप सबसे मिलकर हार्दिक प्रसंता हुई ....आगे भी इन्तजार रहेगा मिलन का ..सुंदर पोस्ट
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
हिन्दी को उत्थान और हिन्दी ब्लॉगिंग को बढ़ावा ऐसे ही मिलने वाला है शायद…?
जवाब देंहटाएंन सिर्फ़ पोस्ट में, बल्कि टिप्पणियों में भी "दादा कोंडके" छाप विशिष्ट बदबू आ रही है…। क्या यह पोस्ट किसी और द्वारा लिखी गई है? क्योंकि ललित भाई तो सार्थक लिखते हैं…।
बहुत ही अच्छे अंदाज का प्रस्तुतिकरण हैं ललीत जी आपका देखकर बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंकाश हम भी आ पाते ....
ललित जी आपके प्रस्तुतीकरण का ढ़ग बहुत ही पंसद आया
जवाब देंहटाएंजानकारी प्रदान करने के लिए आपका आभार
काश हम भी आ पाते ....
मै ब्लोगर मिलन में पहली बार शरीक हुई!..बहुत ही बढिया अनुभव रहा!...सभी ने अपनी कमियां गिनवाई!..लेकिन साथ में खुबियां इतनी मिक्स हुई कि....मटर आलू की सब्जी में एक आलू और एक मटर के दाने का कोम्बिनेशन रहा!...लेकिन स्वाद तो अनोखा आ ही गया!....अलबेका ख्त्री जी ने व्यस्तता के बावजूद भी और लेट पहुंच कर भी...महफिल की शोभा बढाई!...ललित जी ने बहुत सुंदर शब्दों मे विवरण परोसा है...धन्यवाद!...इस ब्लोगर मिलन का श्रेय राज भाटिया जी को जाता है!...बधाई भाटिया जी!...अब अगले ब्लोगर मिलन के निमंत्रण का इंतजार है!....
जवाब देंहटाएंाच्छा तो ये बात है । ललित जी उस पाँच सौ के नोट का क्या हुया मैने तो सोचा आज उसी पर पोस्ट लगेगी। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंअसल मिलन तो सभा के बाद ही होता है जिस में व्यक्ति अनौपचारिक होता है। इस अनौपचारिक मिलन की सुंदर रिपोर्टिंग है।
जवाब देंहटाएंललित जी,
जवाब देंहटाएंरिपोर्टिंग को interesting बनाने के लिए एक शब्द 'रचना' का इस्तेमाल बार-बार किया गया है...इसके पीछे कोई मकसद है क्या...?
अगर नहीं तो हमारे ब्लॉग जगत की एक वरिष्ठ महिला ब्लोग्गर का नाम भी 'रचना 'है ....और आप सभी उनको जानते हैं...एक महिला का नाम अगर जान बूझ कर इस तरह लिया गया है तो मैं इसका विरोध करती हूँ....यह बात ठीक नहीं है...किसी की भी गरिमा का ध्यान हम सबको रखना चाहिए....असहमतियां अपनी जगह होनी चाहिए...और उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा अपनी जगह ...सच कहूँ तो आपकी पोस्ट और टिप्पणियाँ दोनों ही मुझे द्विआर्थी लगी है....आप तो इतने शालीन व्यक्ति हैं, आपसे ये भूल कैसे हो गई..?
@Ada ji,
जवाब देंहटाएं@ Suresh bhai
Mai kabhi bhi dviarthi sanvad nahi likhata hun. aur na hi kisi ka dil dukhana chahta hun. meri post ka vah aashay nahi tha jo lagaya gaya hai. han kuchh majakiya tippniyon ne post ka rukh avashay mod diya hai.
Mera ashay kisi ki bhavnaon ke thes pahuchana nahi hai.
majakiya tippniyon
जवाब देंहटाएंashleeltaa ko majakiya kehana kitna sahii haen
bhand mirasio ki mehfil jamii thee kyaa
चलिये एक पोस्ट के लिये विषय मिल गया ब्लागर्स को
जवाब देंहटाएंबड़े भले और भोले लोग हैं जो जिन शब्दों का बार-बार प्रयोग करते हैं उनका क्या मतलब निकलता है यह भी नहीं जानते। अलबेला खत्री ने पहले भी दादा कोड़के टाइप बातें लिखी हैं रचना जी का नाम लेकर। बेहद शर्मनाक है यह प्रवृत्ति।
जवाब देंहटाएंललित जी, आपसे क्षमाप्रार्थी हूं कि मेरी एक टिप्पणी भी वह वजह रही है जिसके कारण आपको क्लेश पहुंचा..
जवाब देंहटाएंकई दिनों की ब्लौग से दूरी के बाद, आज जब तनिक सक्रिय हुआ तो इस पोस्ट को पढ़कर हैरान रह गया। स्पष्ट रूप से जिस तरह एक महिला-ब्लौगर का मजाक उड़ाया जा रहा है,वो लज्जित करने वाला और अशोभनीय है....ललित जी,कम-से-कम आप से ऐसी अपेक्षा तो नहीं थी। एक कमजोर-सा स्पष्टिकरण अपनी टिप्पणी के रूप में जो आप दे रहे हैं,वो भी हास्यास्पद है। आश्चर्य तो मुझे ये लग रहा है कि सुरेश जी और अदा जी को छोड़कर और कोई इस बात का विरोध भी नहीं जता रहा।
जवाब देंहटाएंइतने ठण्ड में क्या जरुरत थी इस सम्मलेन की ?
जवाब देंहटाएंअरे मुओं अकेले अकेले ब्लागर मिलन कर लिया अऊर अम्माजी को पालागी भी नाही किया? ई का घोर कलजुग आ गवा? अब तो अम्माजी नाराज हुई तुम लोगन से!
जवाब देंहटाएंफ़िर भी का करें? अम्माजी हैं ना त आशीर्वादे मुंह से फ़ूटत है। जुग जुग जीवो...पूतो फ़लों अऊर रात मा गिलास थामो के सुबह दूध से नहाय लो!
-तुम सबकी अम्माजी
मौसम और मिजाज जैसा भी रहे, गरम रहे ये राम रसोई.
जवाब देंहटाएंkaviyon ki rachna sunte hi shrotaon ko jukham bukhar ho jata hai... lekin ye aaj kavi mahraaj ko rachna sun kar ajwaayan leni pad gayi...:)
जवाब देंहटाएंhar rachna apna apna alag prabhaaw chhodti hai
filhal aapko aainda garima ka khayaal rakhna chahiye
ललित जी, ये क्या से क्या हो गया।
जवाब देंहटाएंब्लोगर मिलन हो गया और हमें पता भी नहीं चलता . अगर पता होता तो मै भी शिरकत करता
जवाब देंहटाएंऐसी हल्की फ़ुल्की बातों का मज़ा , कभी कभी गूढ गम्भीर बातों से ज़ियादा आता है, न जाने क्यूं।
जवाब देंहटाएंअच्छा गोल्चौरा है ! ... तो इसलिए निर्धारित करके भी आप हमसे मिले बगैर निकल लिए ! / ?
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