कल मेरी पुत्री श्रुतिप्रिया का जन्म दिन था. तीन साल पहले मैं बचपन के मित्र कंवर लाल के गाँव गया. जोधपुर से डेचू और डेचू से चलकर बाप तहसील में कुशलावा उसका गाँव है. मेरे अचानक पहुचने पर वह बहुत खुश हुआ. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि मैं उसके गाँव तक पहुच सकता हूँ. बस उसे तो यही लगी रही कि कहाँ बैठों और क्या खिलाऊं. मैं उसे मना करता रहा और वह मनुहार करता रहा. बरसों के बाद दोनों मिले थे.खूब बातें हुयी, थोड़ी देर बाद वह उठा और एक अख़बार का फटा हुआ पन्ना लेकर आया, जिसे उसने जतन से संभाल रखा था. उसमे एक कविता थी. जिसे मुझे पढ़ कर सुनाया. मैंने उसे वह कविता लिख कर देने को कहा. उसने मुझे कविता लिख दी.
कल पुराने पैड के भीतर से वह पन्ना गिरा. कंवरिया की यादों ने मुझे घेर लिया. तुरंत उसे फोन लगाया और बात की. उसने पूछा कि आज कैसे याद आई? मैंने नहीं बताया. हाल-चाल और खैरियत लेकर फोन काट दिया. श्रुति के जन्मदिन पर वह कविता प्रस्तुत है. इसके रचयिता का नाम मुझे पता नहीं. किसी को पता हो तो अवश्य बताएं. उनका नाम एवं लिंक दिया जायेगा.....
कन्या भ्रूण अगर मारोगे, माँ दुर्गा का श्राप लगेगा.
बेटी की किलकारी के बिन, आँगन-आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, वह घर सभ्य नहीं होता
बेटी के आरतिए के बिन, पावन यज्ञ नहीं होता है.
यज्ञ बिना बादल रुठेंगे, सूखेगी वर्षा की रिमझिम
बेटी की पायल के स्वर बिन, सावन-सावन नहीं रहेगा
आँगन-आँगन नहीं रहेगा, आँगन-आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उस घर कलियाँ झर जाती हैं.
खुशबु निर्वासित हो जाती ,गोपी गीत नहीं गाती हैं.
गीत बिना बंशी चुप होगी, कान्हा नाच नहीं पायेगा.
बिन राधा के रस न होगा, मधुबन मधुबन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उस घर घड़े रीत जाते हैं
अन्नपूर्ण अन्न न देती, दुरभिक्षों के दिन आते हैं
बिन बेटी के भोर अलूणी,थका थका दिन साँझ बिहूणी
बेटी बिना न रोटी होगी, प्राशन प्राशन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसको लक्ष्मी कभी न वरती
भव सागर के भंवर जाल में, उसकी नौका कभी न तरती
बेटी के आशीषों में ही, बैकुंठों का बासा होता
बेटी के बिन किसी भाल का, चन्दन चन्दन नही रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, राखी का त्यौहार न होगा
बिना रक्षा बंधन भैया का, ममतामय संसार न होगा
भाषा का पहला सवार बेटी, शब्द शब्द में आखर बेटी
बिन बेटी के जगत न होगा, सर्जन सर्जन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
सब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
मिलना-जुलना आना-जाना, यह समाज का ताना बाना
बिन बेटी कैसे अभिवादन, वंदन वंदन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
जवाब देंहटाएंसब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
जी हाँ ..सच है....
जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें बिटिया को..
शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंदेश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंबिन बेटी कैसे अभिवादन, वंदन वंदन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
वाहबहुत सुंदर रचना.!!!!!!
आपका बहुत बहुत आभार!!
कविता की एक एक पंक्ति बढ़िया है और सही है. जन्मदिन की बधाई...
जवाब देंहटाएंयह तो सच है कि बेटियां घर की रौनक होती हैं!
जवाब देंहटाएंप्रेरक गीत !
श्रुति को जन्मदिन की बहुत शुभकामनयें और आशीष!
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
जवाब देंहटाएंसब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
वर्तमान स्थिति में यह पंक्तियाँ सोचने पर मजबूर करती हैं ...!
श्रुतिप्रिया जी को जम्दीन कि हार्दिक बधाई .....!
जिसने भी इस कविता की रचना कि शानदार की|
जवाब देंहटाएंway4host
श्रुति के जन्म दिन पर बहुत बहुत बधाई ष कविता जिसने भी लिखी बहुत सुंदर ही भावविभोर कर देने वाली है । खानदान की रौनक लड़की, खानदान की इज्ज़त लड़की लेकिन जब वो पैदा होती क्यों मातम सा छा जाता है । क्यों मुखड़ा कुम्लाह जाता है । दिल से बेटियों का स्वागत करने की ज़रूरत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना...बेटी अब विदा होने वाली है ..मन भर आया है पढ़्कर...
जवाब देंहटाएंश्रुतिप्रिया को आशीष व जन्मदिन की बधाई ...
सस्नेह आशीर्वाद बिटिया के लिए ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता .. बिटिया को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबिन बेटी के जगत न होगा, सर्जन सर्जन नहीं रहेगा
जवाब देंहटाएंआँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा ...
सबसे पहले तो श्रुति के जन्म दिन पर बहुत बहुत शुभकामनायें और ढेर सारा स्नेह...
ये कविता जिन्होंने भी लिखी है, बहुत अच्छी लिखी है.. भावुक कर दिया इस रचना ने.. बेटियां होती ही ऐसी हैं...
बिटिया को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
जवाब देंहटाएंसब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
मिलना-जुलना आना-जाना, यह समाज का ताना बाना
बिन बेटी कैसे अभिवादन, वंदन वंदन नहीं रहेगा
आँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा
बेटियां हर घर की रौनक होती हैं जहाँ बेटियां नहीं होती वो घर, घर नहीं होता ? जब विदा होकर वो दुसरे घर जाती हैं तो इस घर के साथ -साथ वो उस घर को भी गुलजार करती हैं ..
असमय बेटी का बिछोह एक भुक्त भोगी ही जान सकता हैं...?
जिस घर बेटी जन्म न लेती, उसका निष्फल हर आयोजन
जवाब देंहटाएंसब रिश्ते नीरस हो जाते, अर्थहीन सारे संबोधन
बड़े पुन्य से घर में बेटी का जन्म होता है.श्रुतिप्रिया को जन्म दिन की अशेष शुभकामनाएं - आशीर्वाद .
जवाब देंहटाएंनारायण भूषणिया
बेटी श्रुति को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ...
जवाब देंहटाएंबेटियों पर मेरी एक छोटी सी कविता
अजन्मी बच्ची की पुकार .........
ओह माँ ..क्यूँ तू ही मेरी दुश्मन बनी
क्यूँ तू खुद को ही मारने चली ...
किया तुने एक घर को रोशन
माँ तुम्हारी ने ...
एक बंश बेल को बढने दिया ...
फिर क्यूँ ....
तुमने मेरी बलि दे डाली ??
क्यों नहीं सुनी तुमने
अपने दिल की आवाज़
ओह माँ ... माँ
क्यूँ तूने मुझे जन्म
नहीं लेने दिया...
(.अनु..)
बहुत सुंदर और लाजवाब कविता .. बिटिया को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंकिसी ने कहा था --जिस घर में बेटी नहीं , वह घर घर नहीं शमशान है .
जवाब देंहटाएंन भी हो , लेकिन बिन बेटी घर में रौनक भी नहीं होती .
श्रुतिप्रिया बिटिया को जन्मदिन की बहुत बधाई और शुभकामनायें .
बहुत ही आत्मीय अभिव्यक्ति। बिटिया को शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआशीर्वाद बिटिया के लिए ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता
श्रुति को जन्मदिन की ढेर सारी बधाई .....
जवाब देंहटाएंmany many happy returns of the day dear shruti:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता....
जवाब देंहटाएंश्रुति को जन्म दिन की सप्रेम बधाई....
बिटिया को जन्मदिन के ढेरों आशीष!!
जवाब देंहटाएंकविता के लिए धन्यवाद.. कविता दिल को छूती है, झकझोरती है, सवाल पूछती है!!
बेटियां तो हर घर की शान होती है ,
जवाब देंहटाएंबेटियां तो खुशियों की खान होती है ,
बेटियां तो नूर-ए-जहान होती है ;
जन्म से पहले इन्हें मत मरो ,
बेटियां ईश्वर की वरदान होती है ;
श्रुतिप्रिया को जन्म दिन की बधाई एवं शुभकामनाएं !
प्रिय श्रुतिप्रिया को जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं । भावपूर्ण कविता !
जवाब देंहटाएंप्रिय श्रुतिप्रिया को जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं, शुभाशीष्।
जवाब देंहटाएंविलंब शुभकामना के लिये खेद! क्या होगा हमारे स्वास्थ्य का। फिर घेर लिया है सर्दी खांसी हरारत्……पहुंचा हूं आज और कुछ घंटे पहले
बिटिया को जन्मदिन की शुभकामनाएं..............
जवाब देंहटाएंबिटिया को बहुत-बहुत आशीर्वाद. अज्ञात कवि की ह्रदयस्पर्शी कविता की सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंजीवनभर इस कमी को झेलने के लिए मजबूर हूं .. यह कविता ताराप्रकाश जोशी जी की है .. श्रुतिप्रिया को बहुत स्नेह और आशीष !!
जवाब देंहटाएंबिन बेटी के जगत न होगा, सर्जन सर्जन नहीं रहेगा
जवाब देंहटाएंआँगन आँगन नहीं रहेगा, आँगन आँगन नहीं रहेगा ...
ये कविता जिन्होंने भी लिखी है, बहुत अच्छी लिखी है.
दामन मे मेरे खुशियां हज़ार हो गईं,
न भूलूंगा ये पल कभी "बिटिया' जिस पल तुझे पाया है
ऐसा लगता है भगवान खुद मुझ गरीब के घर आया है।
दामन मे मेरे खुशियां हज़ार हो गईं,
न भूलूंगा ये पल कभी "बिटिया' जिस पल तुझे पाया है
ऐसा लगता है भगवान खुद मुझ गरीब के घर आया है।
दामन मे मेरे खुशियां हज़ार हो गईं,
न भूलूंगा ये पल कभी "बिटिया' जिस पल तुझे पाया है
ऐसा लगता है भगवान खुद मुझ गरीब के घर आया है।