बैंगलोर में हिन्दी ब्लॉगर बिरादरी भी रहती है, यह तो हम वर्षों से जानते थे और यहाँ पहुंचने के पूर्व भी ब्लॉगर मिलन का कार्यक्रम बन गया था। सोचा यह था कि एक दिन सभी किसी नियत स्थान पर एकत्रित हो जाएं तो सभी से मिलन हो सकता है। परन्तु हमारे प्रवास के दिनों में रविवार सम्मिलित नहीं था। रविवार तक तो हमें घर पहुंचना था। मंगलवार का रात्रि भोजन का निमंत्रण भाई आशीष श्रीवास्तव द्वारा मिला। हम रात्रि साढे आठ बजे के आस पास उनके घर पर पहुंच गए। घर पर उनके अलावा उनकी माता जी, श्रीमती जी एवं पुत्री गार्गी, कुल मिलाकर चार की नफ़री है।
पाबला जी, ललित जी, पीडी जी, आशीष जी एवं गार्गी जी :) |
घर पहुंचने पर चाय पानी के संवाद चर्चा प्रारंभ हुई, ब्लॉग एगीगेटर नारद से लेकर चिट्ठा जगत, ब्लॉग वाणी इत्यादि की चर्चा के साथ हमारी वाणी एवं ब्लॉग सेती एग्रीगेटर का भी जिक्र हुआ। परन्तु ब्लॉगिंग का जो आनंद 2011 तक था वह इन एगीगेटरों के माध्यम से लौट कर नहीं आया। चिट्ठा जगत में उस समय 30 हजार ब्लॉग दर्ज थे। ब्लॉग वाणी सफ़ल एग्रीगेटर था, जल्दी खुल जाता था और फ़ीड भी एक बटन दबाने पर दिखाई देने लगती थी। मेरे डेस्कटॉप पर हमेशा खुला रहता था। जब भी समय मिला सरसरी तौर पर एक निगाह डाल लेता था। पर अब उस जैसा मजा नहीं, मैने कई वर्षों से किसी एग्रीगेटर की ओर झांक कर देखा ही नहीं।
आशीष श्रीवास्तव जी का छत्तीसगढ़ से नाता है, साथ पड़ोस के गोंदिया शहर के निकट के गाँव के निवासी भी हैं। वर्डप्रेस पर इनका ब्लॉग विज्ञान विश्व काफ़ी प्रसिद्ध है, इसके साथ ब्लॉग स्पॉट पर भी इनके कई ब्लॉग हैं। हमारे से सीनियर ब्लॉगर हैं, प्रारंभिक दिनों में इन्होनें हिन्दी ब्लॉगिंग को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चर्चा के बीच ये बार-बार किसी को फ़ोन लगा रहे थे। थोड़ी देर बाद द्वार उन्मुक्त हुआ और ब्लॉगर प्रशांत प्रियदर्शी सपत्नी प्रकट हुए। यह मेरे लिए बोनस जैसा था, उम्मीद से दुगना। प्राचीन ब्लॉगर प्रशांत प्रियदर्शी को निक नेम "पीडी" के नाम से जानते हैं। पीडी जी का ब्लॉग "मेरी छोटी सी दुनिया" है, इस पर दो बज्जिया बैराग बढिया पोस्ट चेपे हैं।
बातचीत करते खाना भी लग गया, खूब बातें हुई। नए पुराने ब्लॉगरों के जिक्र के साथ। जब ब्लॉगर साथ बैठेगें तो चर्चा होगी ही न। पाबला जी गार्गी की फ़ोटो लेते रहे। गार्गी ने लिखाई कर सारे घर की दीवारें रंग डाली हैं, मेरा बेटा उदय भी यही करता था, पर उसकी इन हरकतों में उसकी मां सतत निगाह रखती थी। थोड़े दिनों में उसकी यह आदत छूट गई। बच्चों के लिए दीवाल एक श्याम पट का काम करती है। जो चाहे मांड लो, जैसे चाहे पेंसिल घुमा लो। हमारे समय में तो चाक पेंसिल मिलती थी, जिसका लिखा कपड़े की एक रगड़ से साफ़ हो जाता था। आज की पेसिंलों का लिखा मिटाने के लिए फ़िर से दीवालें पोतनी पड़ती है।
भोजन के वक्त वजन कम करने की बात छिड़ गई। पाबला जी का वजन काफ़ी कम हो गया है और आशीष श्रीवास्तव जी ने भी अपना वजन भोजन पर नियंत्रण करके कम कर लिया। 2005 के आस पास हमारा भी वजन 103 किलो था, पर शक्कर अधिक होने के कारण धीरे धीरे कम होते होते 75 किली रह गया। वो तो भला हो डॉक्टर सत्यजीत साहू का जिन्होने इस पर ध्यान दिया, वरना हम तो घिसते घिसते आज 25 किलो के रह जाते। सारे कपड़े ढीले हो गए, नए कपड़े लेने पड़े। जब वजन बढने लगा तो फ़िर नए कपड़े आए। आज वजन ठीक है, 90-95 के बीच कांटा झूलते रहता है। वैसे भी एक उम्र में आकर डाईट पर नियंत्रण करना आवश्यक है। खासकर कुर्सी पर बैठकर काम करने वालों के लिए।
राष्ट्रपति पुरस्कृत ज्योतिषी संगीता पुरी जी से कभी मजाक कह दिया करता हूँ कि ग्रहों के संकट निवारण के लिए "ब्लॉगर भोज" के लिए अपने क्लाईंटों को कहा करें, जिससे उनके संकट का निवारण शीघ्रता से हो जाएगा और समस्याओं का समाधान भी। यथा 5-11-21-51 ब्लॉगर श्रद्धानुसार जिमाने में कोई हर्ज नहीं है। वर्तमान में ब्लॉगर ही संकट मोचन बनकर सामने आए हैं। विभिन्न विषयों पर लिखे जा रहे ब्लॉगों के कारण ही गुगल पर जानकारियाँ उपलब्ध हो पाई हैं और इसमें ब्लॉगरों के योगदान को किसी काल में भी नकारा नहीं जा सकता। नेट पर हिन्दी ब्लॉगरों की ही देन है।
ब्लॉगरों की बैठकी तो ऐसी होती है, जैसे बहुत दिनों के बाद कोई घर छुट्टी आता है और सारी रात परिजनों से बातचीत में कट जाती है, सुबह पौ फ़टते पता चलता है कि बातचीत में ही रात गुजर गई। यहाँ भी रात बढने लगी तो चर्चाओं पर विराम देकर हमने आशीष जी से विदा ली। उत्तम ब्लॉगर भोजन से हृदय आनंदित हो गया था और अब एक लम्बी नींद की आवश्यकता महसूस हो रही थी। सभी नीचे छोड़ने आए और हम अपने ठिकाने होटल लौट आए। इस तरह एक छोटी सी ब्लॉगर बैठकी हो गई। आशीष जी का घर हमारे होटल से नजदीक ही था। जल्दी ही जीपीएस वाली बाई ने हमें होटल तक पहुंचा दिया और कहा " आपकी मंजिल आ गई है।" जारी है, आगे पढें…
बहुत बढ़िया संस्मरण प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
ब्लॉगर मीट का रोचक विवरण ... सचमुच! बहुत ज़रूरी होता है, संकटनिवारक ब्लॉगरभोज करवाना 😊
जवाब देंहटाएंब्लॉगर मीट का रोचक विवरण ... सचमुच! बहुत ज़रूरी होता है, संकटनिवारक ब्लॉगरभोज करवाना 😊
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअब ब्लॉगर मीट अपने अगले स्तर पर हैं, ब्लॉगर कहीं भी मिल लेते हैं, यह बड़े आयोजनों की तुलना में बढि़या तरीका है। जो घूमते हैं वे अधिक तेजी से अधिक लोगों से मिल पाएंगे :)
जवाब देंहटाएंसंस्मरण साझा करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजय सियाराम
जवाब देंहटाएंजय सियाराम
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक संस्मरण ललित सर। बहुत कुछ जानने को मिला। साधुवाद।
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