अभी हमारी चर्चा तांत्रिकों के हथकंडों पर चल रही है. की किस तरह वो लोंगो पर अपने हथकंडों का प्रयोग करके अपनी रोजी रोटी चलाते हैं. और लोगों को कैसे लुटते हैं. कई लोग अपनी दुश्मनी निकलने या किसी को बदनाम करके उसे परेशान करने के लिए भी तांत्रिक से मिली भगत करके अपना ऊल्लू साधते है. हमारे पास कल की प्रतिक्रियाएं उत्साह वर्धक हैं.
Ratan Singh Shekhawat ने कहा… सही लिखा आपने लोग ऐसे ही फंसते है और जगहंसाई से बचने के लिए बात को छुपा जाते है और इन बाबाओं की दुकानदारी चलती रहती है | ऐसे बाबाओं को तो मेरे स्वर्गीय नाना जी सबक सिखाते थे वे ऐसे किसी भी गांव में घूमते हुए साधू को पकड़ लेते और कहते आ एक टांग पर खड़े होकर दोनों तपस्या करते है देखते है हम दोनों में से कौन साधू बना रहता और और कौन बाधू | ये सुनने के बाद कभी कोई साधू उनके पास रुकता ही नहीं था |
संगीता पुरी ने कहा… जादू के दो खेल सीखकर इतनी तेजी से ये बाबा लोगों को भयभीत करने वाली दो बातें बोलकर उनपर अपना जादू डाल देते हैं कि .. सचमुच आपको सोंचने का भी मौका नहीं मिलता .. और आप सभी लुट जाते हैं .. जो लुटता है वो बेवकूफ बनने के भय से इस बात की चर्चा भी नहीं करता .. इस कारण समाज में अन्य लोग भी लुटते चले जाते हैं .. टेलीवीजन, रेडियो या पत्र पत्रिकाएं भी कारगर तरीके से समाज के लुटेरे इन व्यक्तियों को सामने नहीं लाते .. बल्कि इन्हें और अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया जाता है .. इसलिए समस्याएं सुलझने के बजाय उलझती जा रही है !!
Science Bloggers Association ने कहा… आशा है इससे सीख लेकर आगे लोग लुटने से बचेंगे।
Ratan Singh Shekhawat ने कहा… सही लिखा आपने लोग ऐसे ही फंसते है और जगहंसाई से बचने के लिए बात को छुपा जाते है और इन बाबाओं की दुकानदारी चलती रहती है | ऐसे बाबाओं को तो मेरे स्वर्गीय नाना जी सबक सिखाते थे वे ऐसे किसी भी गांव में घूमते हुए साधू को पकड़ लेते और कहते आ एक टांग पर खड़े होकर दोनों तपस्या करते है देखते है हम दोनों में से कौन साधू बना रहता और और कौन बाधू | ये सुनने के बाद कभी कोई साधू उनके पास रुकता ही नहीं था |
संगीता पुरी ने कहा… जादू के दो खेल सीखकर इतनी तेजी से ये बाबा लोगों को भयभीत करने वाली दो बातें बोलकर उनपर अपना जादू डाल देते हैं कि .. सचमुच आपको सोंचने का भी मौका नहीं मिलता .. और आप सभी लुट जाते हैं .. जो लुटता है वो बेवकूफ बनने के भय से इस बात की चर्चा भी नहीं करता .. इस कारण समाज में अन्य लोग भी लुटते चले जाते हैं .. टेलीवीजन, रेडियो या पत्र पत्रिकाएं भी कारगर तरीके से समाज के लुटेरे इन व्यक्तियों को सामने नहीं लाते .. बल्कि इन्हें और अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया जाता है .. इसलिए समस्याएं सुलझने के बजाय उलझती जा रही है !!
Science Bloggers Association ने कहा… आशा है इससे सीख लेकर आगे लोग लुटने से बचेंगे।
अब हम चर्चा को आगे बढ़ते हैं कि लोगों में जादू-टोना या तंत्र-मंत्र का अन्धविश्वास इतने गहरे पैठ चूका है कि वो इससे अलग होकर सोचने की स्थिति में ही नहीं हैं.
हमारे मोहल्ले में दो पड़ोसियों राधे और किशोरी के बीच नल पर पानी भरने को लेकर आपस में तू-तू में-में हुई और नौबत हाथा-पाई-मार-पीट तक पहुँच गई.
इसके कुछ दिन बाद राधे की बीवी कुछ असामान्य हरकतें करने लगी, बाल खोल कर नाचती और मुंह टेढा करके अजीब तरह की आवाजें निकलती.आदमी की मोटी आवाज में बोलती , उसकी आवाज बदल जाती थी, देखने से ही बडा डर लगता था.
बैगा बुलाया जाता वाह तंत्र-मंत्र करता और वाह एक-दो घंटे में नार्मल हो जाती. इसके बाद ये कार्यक्रम लगभग रोज ही चलने लगा.
एक दिन वह सडक पर फिर रौद्र रूप में आ गयी और चिल्लाने लगी की किशोरी की घरवाली टोनही है और उसने ही मेरे ऊपर-मारण मंत्र का प्रयोग करवाया है.
उसे लेकर एक बाबाजी के पास गये वह तांत्रिक था. उसने भी अभी गाँव में नयी दुकान खोली थी. में भी उनके साथ गया. बाबाजी के पास पहुचे तो उसने पूजा कमरे में बिठाया और झाड़ फूंक करने लगा.
पूजा कमरे का माहौल बडा खौफनाक था. सामने काली माई की मूर्ति और भी बहुत सारे देवी देवताओं की मूर्तिया लगी थी, कमरे में अँधेरा था सिर्फ दीपक की ही रौशनी थी.
वहां पहुँचते ही वह महिला फिर ऐंठने लगी, मुंह तिरछा बनाकर आदमी की मोटी आवाज में बोलने लगी. बाबा ने एक फ़ूल लिया और फर्श पर गोला बनाया. फिर उसमे जैसे ही जोड़ का चिन्ह बनाया, वह चीखने लगी "मुझे मत जलाओ" मुझे मत जलाओ "
बाबा बोला"बोल "तू कहाँ से आया है-कौन है ? तुझे किसने भेजा है"
तो उसने उसके पडोसी किशोरी का नाम लिया और बोला "उसने फलां तांत्रिक के माध्यम से मुझे इसके घर में भेजा है"
बाबा बोला "चले जा"
वह बोला"मेरी मियाद है-मैं इसे लेकर ही जाऊंगा"
बाबा बोला चला जा नहीं तो मैं तेरा बहुत बुरा हल कर दूंगा.
वह महिला फिर मुह टेढा करके चिल्लाने लगी और बोली "नहीं जाऊंगा-मैं इसे लेकर ही जाऊंगा"
बाबा बोला " जाओ रे लोहे का सरिया एक दम लाल होते तक गरम करके लाओ-उसे इसके मुह में डालूँगा"
तो वह बोला नहीं-नहीं ऐसा मत करो,
ये सब तमाशा मैं वहां पर बैठ कर देख रहा था. फिर बाबा ने कुछ मंत्र बुदबुदाया और उस पर पानी का छींटा मारा वह औरत जोर से चिल्ला कर शांत हो गयी.
इस तरह उसका पडोसी जादू-मंतर करने वाला घोषित हो गया. उसकी दुकान में ग्राहकों ने जाना बंद कर दिया. और उसके पडोसी राधे की घरवाली रोज इसी तरह की हरकतें करके किशोरी का ही नाम लेती थी कि उसने ही जादू टोना करवाया है.
आखिर हार कर किशोरी ने अपना घर और दुकान बेच दिया और वह शहर में रहने चला गया, तब से उसके पडोसी राधे की घरवाली ठीक हो गयी और आज तक उस पर कोई भुत प्रेत नहीं आया है
बाबा की दुकानदारी बडे जोर से चल रही है, अब तो काफी लोग दूर -दूर से आते हैं अपना भुत उतरवाने।
हमारे मोहल्ले में दो पड़ोसियों राधे और किशोरी के बीच नल पर पानी भरने को लेकर आपस में तू-तू में-में हुई और नौबत हाथा-पाई-मार-पीट तक पहुँच गई.
इसके कुछ दिन बाद राधे की बीवी कुछ असामान्य हरकतें करने लगी, बाल खोल कर नाचती और मुंह टेढा करके अजीब तरह की आवाजें निकलती.आदमी की मोटी आवाज में बोलती , उसकी आवाज बदल जाती थी, देखने से ही बडा डर लगता था.
बैगा बुलाया जाता वाह तंत्र-मंत्र करता और वाह एक-दो घंटे में नार्मल हो जाती. इसके बाद ये कार्यक्रम लगभग रोज ही चलने लगा.
एक दिन वह सडक पर फिर रौद्र रूप में आ गयी और चिल्लाने लगी की किशोरी की घरवाली टोनही है और उसने ही मेरे ऊपर-मारण मंत्र का प्रयोग करवाया है.
उसे लेकर एक बाबाजी के पास गये वह तांत्रिक था. उसने भी अभी गाँव में नयी दुकान खोली थी. में भी उनके साथ गया. बाबाजी के पास पहुचे तो उसने पूजा कमरे में बिठाया और झाड़ फूंक करने लगा.
पूजा कमरे का माहौल बडा खौफनाक था. सामने काली माई की मूर्ति और भी बहुत सारे देवी देवताओं की मूर्तिया लगी थी, कमरे में अँधेरा था सिर्फ दीपक की ही रौशनी थी.
वहां पहुँचते ही वह महिला फिर ऐंठने लगी, मुंह तिरछा बनाकर आदमी की मोटी आवाज में बोलने लगी. बाबा ने एक फ़ूल लिया और फर्श पर गोला बनाया. फिर उसमे जैसे ही जोड़ का चिन्ह बनाया, वह चीखने लगी "मुझे मत जलाओ" मुझे मत जलाओ "
बाबा बोला"बोल "तू कहाँ से आया है-कौन है ? तुझे किसने भेजा है"
तो उसने उसके पडोसी किशोरी का नाम लिया और बोला "उसने फलां तांत्रिक के माध्यम से मुझे इसके घर में भेजा है"
बाबा बोला "चले जा"
वह बोला"मेरी मियाद है-मैं इसे लेकर ही जाऊंगा"
बाबा बोला चला जा नहीं तो मैं तेरा बहुत बुरा हल कर दूंगा.
वह महिला फिर मुह टेढा करके चिल्लाने लगी और बोली "नहीं जाऊंगा-मैं इसे लेकर ही जाऊंगा"
बाबा बोला " जाओ रे लोहे का सरिया एक दम लाल होते तक गरम करके लाओ-उसे इसके मुह में डालूँगा"
तो वह बोला नहीं-नहीं ऐसा मत करो,
ये सब तमाशा मैं वहां पर बैठ कर देख रहा था. फिर बाबा ने कुछ मंत्र बुदबुदाया और उस पर पानी का छींटा मारा वह औरत जोर से चिल्ला कर शांत हो गयी.
इस तरह उसका पडोसी जादू-मंतर करने वाला घोषित हो गया. उसकी दुकान में ग्राहकों ने जाना बंद कर दिया. और उसके पडोसी राधे की घरवाली रोज इसी तरह की हरकतें करके किशोरी का ही नाम लेती थी कि उसने ही जादू टोना करवाया है.
आखिर हार कर किशोरी ने अपना घर और दुकान बेच दिया और वह शहर में रहने चला गया, तब से उसके पडोसी राधे की घरवाली ठीक हो गयी और आज तक उस पर कोई भुत प्रेत नहीं आया है
बाबा की दुकानदारी बडे जोर से चल रही है, अब तो काफी लोग दूर -दूर से आते हैं अपना भुत उतरवाने।
भूतन की महिमा भूतन जाने...
जवाब देंहटाएंहमें तो नेता रूपी ज़िंदा भूतों से बचाओ...
जो लोगों को जीते-जी भूत बनाने में लगे हैं...
जय हिंद...
बुद्धिमान लोगों की अतिरिक्त बुद्धि और बेवकूफों की अतिरिक्त बेवकूफी ही टोने टोटके , नजर लगने और झाडकर उतारनेवाले बाबाओं के महत्व में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है !!
जवाब देंहटाएंहाँ ...पारिवारिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए भी कई बार भूत भूतनियों का अवतरण हो जाता है ...देखा है ..!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पर इन बाबाओ का भी भूत भी तो उतरना चाहिये
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