हम अंधविश्वास से ग्रसित समाज में व्याप्त कुरीतिओं की चर्चा कर रहे हैं. जो घटनाएं वास्तविक जीवन में घटी हुयी हैं और जिनका सम्बन्ध हमारे जीवन से है. ये सभी घटनाएँ हमारे जीवन में घटित होती रहती हैं. हम इनसे जूझते रहते हैं और जब हम लुटपिट जाते हैं तो भी नही चेतते. हमें इनसे सबक लेकर इसं अंधविश्वासों एवं कुरीतियों से पीछा छुडाना चाहिए.
पिछले आलेख पर प्रतिक्रियाएँ आई हैं वो आपके समक्ष प्रस्तुत हैं - संगीता पुरी ने कहा… बिना आग के चावल पकाने की मुझे जानकारी नहीं मिली .. अब अगली कडी में इसका इंतजार रहेगा .. ये लोग वास्तव में ठग होते हैं .. ये सिर्फ साधु बनकर ही नहीं .. कई अन्य तरीकों से भी घूमा करते हैं .. कभी सोने चांदी साफ करने के बहाने ये लोग सोने चांदी को साफ कर देते हैं .. तो कभी इन्हे साफ करने का पाडडर बेचते ये लोग नजरों के सामने से सोने चांदी को गायब कर देते हैं .. कभी खुदाई में गडा हुआ कीमती सामान बताते हुए नकली सामानों को चुपके चुपके महंगे दामों में बेच जाते हैं .. उनके अचानक गायब होने के बाद ही लोगों को मालूम हो पाता है कि वे ठगे गए हैं .. वहां शायद हिप्नोटाइज करने का सहारा लेते हैं .. उनके पोल को भी खोले जाने की आवश्यकता है .. वैसे साधु बनकर ठगी करना सबसे आसान है .. इसलिए इसका अधिक सहारा लेते हैं !!
गिरिजेश राव ने कहा… इसीलिए कहा जाता है - मुच्छड़ से पंगा, ना बाबा ना।
Ashish Shrivastava ने कहा… जय हो !
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" ने कहा… हिन्दूस्तान में ऎसे काले/पीले/नीले/हरे पंडितों और रहमान अली/सुलेमान अली/मियाँ मलिक/बाबा बंगाली जैसे बाबाओं की कोई कमी नहीं...एक ढूंढों,हजार मिलेंगें...वैसे ढूंढने की भी कोई जरूरत नहीं,ये लोग खुद आपको ढूंढ लेंगें :)किस्सा बढिया सुनाया आपने...लेकिन बिना आग के चावल पकने की जानकारी छुपा गए... शायद अन्त में देंगें जैसे कि मजमे वाले करते हैं...देखने वाला बेचारा इसी इन्तजार में खडा रहता है कि बाबा जी बस अभी बताने ही वाले हैं :)
पिछले आलेख पर प्रतिक्रियाएँ आई हैं वो आपके समक्ष प्रस्तुत हैं - संगीता पुरी ने कहा… बिना आग के चावल पकाने की मुझे जानकारी नहीं मिली .. अब अगली कडी में इसका इंतजार रहेगा .. ये लोग वास्तव में ठग होते हैं .. ये सिर्फ साधु बनकर ही नहीं .. कई अन्य तरीकों से भी घूमा करते हैं .. कभी सोने चांदी साफ करने के बहाने ये लोग सोने चांदी को साफ कर देते हैं .. तो कभी इन्हे साफ करने का पाडडर बेचते ये लोग नजरों के सामने से सोने चांदी को गायब कर देते हैं .. कभी खुदाई में गडा हुआ कीमती सामान बताते हुए नकली सामानों को चुपके चुपके महंगे दामों में बेच जाते हैं .. उनके अचानक गायब होने के बाद ही लोगों को मालूम हो पाता है कि वे ठगे गए हैं .. वहां शायद हिप्नोटाइज करने का सहारा लेते हैं .. उनके पोल को भी खोले जाने की आवश्यकता है .. वैसे साधु बनकर ठगी करना सबसे आसान है .. इसलिए इसका अधिक सहारा लेते हैं !!
गिरिजेश राव ने कहा… इसीलिए कहा जाता है - मुच्छड़ से पंगा, ना बाबा ना।
Ashish Shrivastava ने कहा… जय हो !
पं.डी.के.शर्मा"वत्स" ने कहा… हिन्दूस्तान में ऎसे काले/पीले/नीले/हरे पंडितों और रहमान अली/सुलेमान अली/मियाँ मलिक/बाबा बंगाली जैसे बाबाओं की कोई कमी नहीं...एक ढूंढों,हजार मिलेंगें...वैसे ढूंढने की भी कोई जरूरत नहीं,ये लोग खुद आपको ढूंढ लेंगें :)किस्सा बढिया सुनाया आपने...लेकिन बिना आग के चावल पकने की जानकारी छुपा गए... शायद अन्त में देंगें जैसे कि मजमे वाले करते हैं...देखने वाला बेचारा इसी इन्तजार में खडा रहता है कि बाबा जी बस अभी बताने ही वाले हैं :)
अब हम आगे चलते हैं कि लोग ठगी के नए नए तरीके इजाद करके कैसे लुटने का काम करते है. अब हम चलते हैं. एक बार कुछ साल पहले हमारे ३६ गढ़ में अकाल पड़ गया.
पहले तो वर्षा नहीं हुई, फिर जब फसल काटने का टाइम आया तो जब फसल कटी हुई खेत में पडी थी तो कई दिन लगातार वर्षा हो गई जिससे कटी कटाई फसल बर्बाद हो गई, मेरे हाथ ही स्वयं १२ एकड़ में ३२ बोरा धान ही हाथ आया. कहने का मतलब ये है कि इस अकाल एवं अवर्षा से सभी परेशान थे.
हमारे गांव में एक राइसमिल वाला मारवाडी सेठ है. उसके यहाँ एक भगवा कपडे वाले संत का अवतरण हुआ. सेठ ने उसकी बड़ी खातिरदारी की. कई दिनों तक उसने सेठ की गद्दी पर डेरा डाल रखा था और सुबह शाम गांव में घूम कर सबसे घरों घर जाकर मिलता था और फर्राटे दार अंग्रेजी में बात करता था. लोग भी उसके चक्कर में आ रहे थे. कि बाबा जी बहुत पढा लिखा है. अंग्रेजी में ही बात करता है.
एक दिन शाम के समय वो मेरे घर पर पधारे.हमारे एक मित्र और बैठे थे वो गायत्री परिवार से सम्बंधित हैं. हमने उठ कर उनका अभिवादन किया. उचित स्थान प्रदान किया.
अब बाबाजी ने अपनी मंशा मेरे सामने जाहिर करना शुरू किया, महाराज इस इलाके में वर्षा नहीं हुयी है और मेरा इरादा है कि नगर में वृष्टि यज्ञ किया जाये जिससे यहाँ वर्षा हो जाये और अकाल ग्रस्त क्षेत्र को इसका लाभ मिले ,
आपको ही इस कार्य के लिए उपयुक्त पात्र समझ कर सेठ जी ने आपके पास भेजा है. इस लिए आप मेरे निवेदन पर विचार कीजिये कि इस यज्ञ को हम किस तरह सम्पन्न करेंगे और व्यवस्था में कितना खर्च आएगा?
उनकी बातें सुन कर पहले तो मैंने अपने मित्र की ओर देखा कि उनका चहरे के क्या हाव भाव हैं. थोडा उसे पढने की कोशिस की. मैं समझ गया था सेठ जी ने अपना पीछा छुडाने के लिए इसे मेरे पास भेज दिया.
मैंने कहा कि " बाबाजी आपका काम तो हो जायेगा-और वर्षा होने की भी १००% गारंटी है. तो बाबा जी बोले मुझे तो पहले ही मालूम था कि सेठ सही ठिकाने पर भेज रहे हैं. खर्चा कितना आएगा ये बताईए जल्दी से जल्दी क्योंकि हमारे पास समय भी काम है और गांव में पैसा भी इक्कट्ठा करना है यज्ञ के लिए.
अब मैं पूर्ण रूप से उसकी नियत समझ गया था. मैंने कहा कम से कम २० लाख रूपये और अधिक से अधिक तो चाहे आप पूरी सरकार का खजाना खुलवा कर लगा दो जैसी आपकी मर्जी.
वो बोले ये तो बहुत जयादा है कम में काम चलाओ. मैंने कहा कम में काम नही चलेगा. तो उसने कहा कि आप मुझे अथर्ववेद दे दो, मुझे सेठ जी ने बताया है कि आपके पास सब मिल जायेगा, और किसी दुसरे यज्ञ कर्ताओं का इंतजाम करता हूँ मुझे संस्कृत नहीं आती इस लिए समस्या हो रही है. नहीं तो मै स्वयं ही यज्ञ का आयोजन कर लेता. हाँ लेकिन मुझे मंत्र शक्ति से अग्नि प्रज्ज्वलित करना आता है.
मैंने मन ही मन सोचा कि अब ये फंसा अपनी आरती उतरवा कर ही जायेगा" मैंने कहा" ये तो बहुत चमत्कार की बात है महाराज, इतने गुणी महापुरुष के दर्शन पाकर तो हम कृतार्थ हो गये. ये तो हम बडभागी हैं जो आप हमारे ड्योढी पर आये और अपने चरणरज से हमारा घर पवित्र किया.
मेरे द्वारा प्रशंसा सुन कर बाबाजी गद-गद हो गये. फिर मैं पूछा महाराज "अग्नि, मंत्र में है या समिधाओं में?"
तो उसने कहा " मंत्र में"
मैंने कहा कि अथर्ववेद के कौन से मंडल के कौन से सूक्त के कौन से मंत्र में यह शक्ति निहित है. मुझे भी बताएं.
तो उसने कहा कि मैंने अपनी डायरी में लिख रखा है सब, लेकिन मुझे मंत्र तो जबानी याद है.
मैंने कहा" महाराज अग्नि का एकमात्र काम है जलाना और ये दोस्त और दुश्मन नही पहचानती जो इसकी लपटों के लपेटे में आ जाता है उसे जला कर राख कर देते है.
बाबा जी बोले आप सही बोल रहे है. तो मैंने कहा महाराज जिस मंत्र में अग्नि है उसका उच्चारण तो आपको मुह से ही करना पड़ेगा, उसके बाद ही तो यज्ञ की अग्नि प्रज्ज्वलित होगी.
उन्होंने कहा सही कह रहे हो.
मैंने कहा -"तो महाराज जब मंत्र आपके मुंह से निकलेगा तो सबसे पहले आपके मुंह को जलाएगा, क्योंकि उसमे तो अग्नि का वास है."
अब बाबाजी समझ चुके थे कि वो मेरे शब्द जाल के चक्कर में फँस चुके है. मैंने कहा "महाराज आपके तो मंत्रों में शक्ति है अग्नि प्रज्ज्वलित करने की, मैं तो बिना मुंह खोले-बिना किसी मंत्र का उच्चारण किए ही सिर्फ एक आहुति से ही अग्नि प्रज्ज्वलित कर सकता हूँ.
अब वो चुप हो गये -चलने कि तैयारी करने लगे. मैंने कहा महाराज सेठ जी ने जान बुझ कर आपको मेरे पास भेजा है.
तो मेरे मित्र बोले - महाराज अब आप जाइये और इस यज्ञ की कही पर चर्चा भी मत कीजिये. नही तो आपके लिए अनर्थ हो जायेगा. अब बाबाजी चल पडे.
तब मेरे मित्र ने बताया कि ये हमारे गायत्री मंदिर में भी गये थे और इनकी योजना थी कि लाख दो लाख रुपया नगर के सम्मानित नागरिकों का नाम लेकर इक्कट्ठा करते और छोटा मोटा यज्ञ करवा कर बाकी पैसा ले कर चम्पत हो जाते-आपने शुरुवात में ही इनकी योजना फेल कर दी.
नए-नए भेष बना कर, नई -नई युक्तियों का अविष्कार करके लोगों का धन लुट कर अपना धन्धा चलाने के लिए ढोंगी लोग आते हैं -अपनी सतर्कता से ही इनसे बचा जा सकता है.
पहले तो वर्षा नहीं हुई, फिर जब फसल काटने का टाइम आया तो जब फसल कटी हुई खेत में पडी थी तो कई दिन लगातार वर्षा हो गई जिससे कटी कटाई फसल बर्बाद हो गई, मेरे हाथ ही स्वयं १२ एकड़ में ३२ बोरा धान ही हाथ आया. कहने का मतलब ये है कि इस अकाल एवं अवर्षा से सभी परेशान थे.
हमारे गांव में एक राइसमिल वाला मारवाडी सेठ है. उसके यहाँ एक भगवा कपडे वाले संत का अवतरण हुआ. सेठ ने उसकी बड़ी खातिरदारी की. कई दिनों तक उसने सेठ की गद्दी पर डेरा डाल रखा था और सुबह शाम गांव में घूम कर सबसे घरों घर जाकर मिलता था और फर्राटे दार अंग्रेजी में बात करता था. लोग भी उसके चक्कर में आ रहे थे. कि बाबा जी बहुत पढा लिखा है. अंग्रेजी में ही बात करता है.
एक दिन शाम के समय वो मेरे घर पर पधारे.हमारे एक मित्र और बैठे थे वो गायत्री परिवार से सम्बंधित हैं. हमने उठ कर उनका अभिवादन किया. उचित स्थान प्रदान किया.
अब बाबाजी ने अपनी मंशा मेरे सामने जाहिर करना शुरू किया, महाराज इस इलाके में वर्षा नहीं हुयी है और मेरा इरादा है कि नगर में वृष्टि यज्ञ किया जाये जिससे यहाँ वर्षा हो जाये और अकाल ग्रस्त क्षेत्र को इसका लाभ मिले ,
आपको ही इस कार्य के लिए उपयुक्त पात्र समझ कर सेठ जी ने आपके पास भेजा है. इस लिए आप मेरे निवेदन पर विचार कीजिये कि इस यज्ञ को हम किस तरह सम्पन्न करेंगे और व्यवस्था में कितना खर्च आएगा?
उनकी बातें सुन कर पहले तो मैंने अपने मित्र की ओर देखा कि उनका चहरे के क्या हाव भाव हैं. थोडा उसे पढने की कोशिस की. मैं समझ गया था सेठ जी ने अपना पीछा छुडाने के लिए इसे मेरे पास भेज दिया.
मैंने कहा कि " बाबाजी आपका काम तो हो जायेगा-और वर्षा होने की भी १००% गारंटी है. तो बाबा जी बोले मुझे तो पहले ही मालूम था कि सेठ सही ठिकाने पर भेज रहे हैं. खर्चा कितना आएगा ये बताईए जल्दी से जल्दी क्योंकि हमारे पास समय भी काम है और गांव में पैसा भी इक्कट्ठा करना है यज्ञ के लिए.
अब मैं पूर्ण रूप से उसकी नियत समझ गया था. मैंने कहा कम से कम २० लाख रूपये और अधिक से अधिक तो चाहे आप पूरी सरकार का खजाना खुलवा कर लगा दो जैसी आपकी मर्जी.
वो बोले ये तो बहुत जयादा है कम में काम चलाओ. मैंने कहा कम में काम नही चलेगा. तो उसने कहा कि आप मुझे अथर्ववेद दे दो, मुझे सेठ जी ने बताया है कि आपके पास सब मिल जायेगा, और किसी दुसरे यज्ञ कर्ताओं का इंतजाम करता हूँ मुझे संस्कृत नहीं आती इस लिए समस्या हो रही है. नहीं तो मै स्वयं ही यज्ञ का आयोजन कर लेता. हाँ लेकिन मुझे मंत्र शक्ति से अग्नि प्रज्ज्वलित करना आता है.
मैंने मन ही मन सोचा कि अब ये फंसा अपनी आरती उतरवा कर ही जायेगा" मैंने कहा" ये तो बहुत चमत्कार की बात है महाराज, इतने गुणी महापुरुष के दर्शन पाकर तो हम कृतार्थ हो गये. ये तो हम बडभागी हैं जो आप हमारे ड्योढी पर आये और अपने चरणरज से हमारा घर पवित्र किया.
मेरे द्वारा प्रशंसा सुन कर बाबाजी गद-गद हो गये. फिर मैं पूछा महाराज "अग्नि, मंत्र में है या समिधाओं में?"
तो उसने कहा " मंत्र में"
मैंने कहा कि अथर्ववेद के कौन से मंडल के कौन से सूक्त के कौन से मंत्र में यह शक्ति निहित है. मुझे भी बताएं.
तो उसने कहा कि मैंने अपनी डायरी में लिख रखा है सब, लेकिन मुझे मंत्र तो जबानी याद है.
मैंने कहा" महाराज अग्नि का एकमात्र काम है जलाना और ये दोस्त और दुश्मन नही पहचानती जो इसकी लपटों के लपेटे में आ जाता है उसे जला कर राख कर देते है.
बाबा जी बोले आप सही बोल रहे है. तो मैंने कहा महाराज जिस मंत्र में अग्नि है उसका उच्चारण तो आपको मुह से ही करना पड़ेगा, उसके बाद ही तो यज्ञ की अग्नि प्रज्ज्वलित होगी.
उन्होंने कहा सही कह रहे हो.
मैंने कहा -"तो महाराज जब मंत्र आपके मुंह से निकलेगा तो सबसे पहले आपके मुंह को जलाएगा, क्योंकि उसमे तो अग्नि का वास है."
अब बाबाजी समझ चुके थे कि वो मेरे शब्द जाल के चक्कर में फँस चुके है. मैंने कहा "महाराज आपके तो मंत्रों में शक्ति है अग्नि प्रज्ज्वलित करने की, मैं तो बिना मुंह खोले-बिना किसी मंत्र का उच्चारण किए ही सिर्फ एक आहुति से ही अग्नि प्रज्ज्वलित कर सकता हूँ.
अब वो चुप हो गये -चलने कि तैयारी करने लगे. मैंने कहा महाराज सेठ जी ने जान बुझ कर आपको मेरे पास भेजा है.
तो मेरे मित्र बोले - महाराज अब आप जाइये और इस यज्ञ की कही पर चर्चा भी मत कीजिये. नही तो आपके लिए अनर्थ हो जायेगा. अब बाबाजी चल पडे.
तब मेरे मित्र ने बताया कि ये हमारे गायत्री मंदिर में भी गये थे और इनकी योजना थी कि लाख दो लाख रुपया नगर के सम्मानित नागरिकों का नाम लेकर इक्कट्ठा करते और छोटा मोटा यज्ञ करवा कर बाकी पैसा ले कर चम्पत हो जाते-आपने शुरुवात में ही इनकी योजना फेल कर दी.
नए-नए भेष बना कर, नई -नई युक्तियों का अविष्कार करके लोगों का धन लुट कर अपना धन्धा चलाने के लिए ढोंगी लोग आते हैं -अपनी सतर्कता से ही इनसे बचा जा सकता है.
बहुत बढिया जानकारी दी, बचने के लिए सावधान होना जरुरी है- ना जाने किस भेष मे ऐसे ही लोगों ने कषाय वस्त्रों की मर्यादा को भंग किया है। चावल पकाने वाली जानकारी के लिए आभार-आगे भी देते रहें, इन तांत्रिकों का पेशा ही भया दोहन पर टिका है,-बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी. हम असावधान होते है इसलिये ठगे जाते है.
जवाब देंहटाएंAisi jaankari jan samanya me failane ki aaj nitaant aavashyakta hai lalit sir...
जवाब देंहटाएंJai Hind
मनुष्य का लालच और बिना कर्म किए सब कुछ पाने की चाहत से ही ऐसे लोग हमें ठगते हैं। भारत के लोग कर्मकाण्डी लोग हैं और प्रतिदिन ही भगवान के समक्ष भीख माँगते हैं तो ऐसे संयासी लाखों में पैदा हो जाते हैं। अच्छी जानकारी। ऐसी घटनाएं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे अनेक बार होती हैं बस जागरूक रहने की आवश्कता है।
जवाब देंहटाएंइन ढोंगी बाबाजी के खिलाफ लिखकर आप समाज में जागरूकता लाने के लिए बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं .. इन्होने ज्योतिष(जिसे मैं एक विज्ञान के तौर पर परख चुकी हूं), तंत्र मंत्र(जिसे परखा नहीं,पर उसके महत्व को इंकार नहीं कर सकती)या अन्य प्राचीन विद्याओं को तहस नहस करने का काम किया है .. समाज को इनपर अविश्वास करने को मजबूर किया है .. जिनपर समाज को विश्वास दिलाने के लिए हमें अधिक श्रम करना पड रहा है !!
जवाब देंहटाएंआप ने बहुत सुंदर लिखा,ऎसे बाबा लोग ही आम लोगो का विशवास खराब करते है, आप के ब्लाअंग का फ़ीड नही है, मेने काफ़ी कोशिश की इसे लिस्ट मे डालने के लिये,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
ललित भाई लिख तो बढ़िया रहे हो मेरी रुचि का विषय भी है लेकिन अभी काम्संट्रेट होकर पढ नही पा रहा हूँ । एक दिन पढ़कर इस पर एक पोस्त ही लिखता हू " ना जादू ना टोना " मे । लिखते रहो यह ज़रूरी काम है ।
जवाब देंहटाएंसमाज की जागरूकता के लिए ऎसे प्रयास निहायत जरूरी हैं......सिर्फ ऎसे पाखंडियों के ही कारण आज हमारी प्राचीन विद्याओं को अविश्वास की नजरों से देखा जाने लगा है...
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