30 सितम्बर का दिन वास्तव में तनाव पूर्ण था, किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था कर रखी थी। साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की अपीले जारी की गयी थी। फ़ैसला आते-आते बाजार बंद हो चुका था। पान-चाय भी नहीं मिल पा रही थी। एक भंगार का काम करने वाला हाथ में रेड़ियो लेकर एक बंद दुकान के पाटे पर बैठा है और बड़ा चिंतित है। बार बार रेड़ियो को कान से लगाकर सुनने की कोशिश करता और इसी तरह उसे लगभग दो घंटे बीत चुके थे। मैं वहां दुबारा आया तो वह उसी पाटे पर बैठा था। मैने उसकी फ़ोटो ली,शायद वह कह रहा हो, मैं इस देश का वासी हूँ मुझे भी चिंता है देश की..........चाहे फैसला कुछ भी आये.......अमन चैन से दो जून की रोटी कमाई जाये..... देखिये.....फोटो.......
रोज कमाना-रोज खाना..कहाँ से अफोर्ड करें ये दंगों की लक्जरी.
जवाब देंहटाएंचिंता तो सबको होती है जी चाहे गरीब हो या अमीर !
जवाब देंहटाएंllit bhaayi apne shi chitrn kiya he shi khaa gnga meri man ka naam baap kaa nam himaly he isi liyen yhaan hr trf mndir msjid shivaly he . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंकभी क्रिकेट कमेंट्री के लिए यह दृश्य आम होता था, अब अगर खबरों के लिए है तो अच्छा ही है.
जवाब देंहटाएंचित्र सचाई बयान करता है।
जवाब देंहटाएंचाहे फैसला कुछ भी आये.......अमन चैन से दो जून की रोटी कमाई जाये ...
जवाब देंहटाएंहर आम आदमी यही चाहता है उसे मन्दिर मस्जिद से बड़ा उसका अपना रोटी है
बिना लाग लपेट के सच्चाई बयान करती रिपोर्ट |
जवाब देंहटाएंअपनी रोज़ी रोटी की चिन्ता में एक आम आदमी का प्रतिनिधित्त्व करती तस्वीर
जवाब देंहटाएंसच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना ...उसके लिए तो राम और रहीम सब रोटी है.
जवाब देंहटाएंचित्र सचाई बयान करता है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....
सच्ची बात ....
जवाब देंहटाएंचित्रों ने कही....
रोजी रोटी की चिंता इन्ही को ज्यादा रहती है । उनको क्या फर्क पड़ता है ?
जवाब देंहटाएंशानदार तस्वीरें ।
सच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना
जवाब देंहटाएं'रोज कमाना-रोज खाना..कहाँ से अफोर्ड करें ये दंगों की लक्जरी.'
जवाब देंहटाएंभईया प्रणाम. अच्छे चित्र और भावनात्मक दृष्टी वाली इस पोस्ट के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंचित्र झूठ नही बोल रहा। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआम जनता तो चाहती है शांति से अपना काम कर के दो जून की रोटी का जुगाड करे ।
जवाब देंहटाएंसच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना
जवाब देंहटाएं..................................
एक भारतवासी की कहानी
जवाब देंहटाएंचित्रों की जुबानी।
...अच्छी प्रस्तुति...
कुछ सोचने के लिए मजबूर हुआ हूं...
निल्कुल सत्य है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपकी निगाहों का भी जवाब नहीं . लाजवाब प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति...चित्रों की जुबानी।आभार
जवाब देंहटाएंउसकी चिंता रंग लायी. और अमन चैन ने मुरली बजायी.
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