शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

मैं इस देश का वासी हूँ-----ललित शर्मा

30 सितम्बर का दिन वास्तव में तनाव पूर्ण था, किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्था कर रखी थी। साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाए रखने की अपीले जारी की गयी थी। फ़ैसला आते-आते बाजार बंद हो चुका था। पान-चाय भी नहीं मिल पा रही थी। एक भंगार का काम करने वाला हाथ में रेड़ियो लेकर एक बंद दुकान के पाटे पर बैठा है और बड़ा चिंतित है। बार बार रेड़ियो को कान से लगाकर सुनने की कोशिश करता और इसी तरह उसे लगभग दो घंटे बीत चुके थे। मैं वहां दुबारा  आया तो वह उसी पाटे पर बैठा था। मैने उसकी फ़ोटो ली,शायद वह कह रहा हो, मैं इस देश का वासी हूँ मुझे भी चिंता है देश की..........चाहे फैसला कुछ भी आये.......अमन चैन से दो जून की रोटी कमाई जाये..... देखिये.....फोटो.......



 

24 टिप्‍पणियां:

  1. रोज कमाना-रोज खाना..कहाँ से अफोर्ड करें ये दंगों की लक्जरी.

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  2. चिंता तो सबको होती है जी चाहे गरीब हो या अमीर !

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  3. llit bhaayi apne shi chitrn kiya he shi khaa gnga meri man ka naam baap kaa nam himaly he isi liyen yhaan hr trf mndir msjid shivaly he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  4. कभी क्रिकेट कमेंट्री के लिए यह दृश्‍य आम होता था, अब अगर खबरों के लिए है तो अच्‍छा ही है.

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  5. चाहे फैसला कुछ भी आये.......अमन चैन से दो जून की रोटी कमाई जाये ...
    हर आम आदमी यही चाहता है उसे मन्दिर मस्जिद से बड़ा उसका अपना रोटी है

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  6. बिना लाग लपेट के सच्चाई बयान करती रिपोर्ट |

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  7. अपनी रोज़ी रोटी की चिन्ता में एक आम आदमी का प्रतिनिधित्त्व करती तस्वीर

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  8. सच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना ...उसके लिए तो राम और रहीम सब रोटी है.

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  9. चित्र सचाई बयान करता है।

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  10. सच्ची बात ....
    चित्रों ने कही....

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  11. रोजी रोटी की चिंता इन्ही को ज्यादा रहती है । उनको क्या फर्क पड़ता है ?
    शानदार तस्वीरें ।

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  12. सच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना

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  13. 'रोज कमाना-रोज खाना..कहाँ से अफोर्ड करें ये दंगों की लक्जरी.'

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  14. भईया प्रणाम. अच्छे चित्र और भावनात्मक दृष्टी वाली इस पोस्ट के लिए आभार.

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  15. चित्र झूठ नही बोल रहा। शुभकामनायें

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  16. आम जनता तो चाहती है शांति से अपना काम कर के दो जून की रोटी का जुगाड करे ।

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  17. सच कहा आम जनता को इनकी राजनीती से क्या लेना देना
    ..................................

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  18. एक भारतवासी की कहानी
    चित्रों की जुबानी।
    ...अच्छी प्रस्तुति...
    कुछ सोचने के लिए मजबूर हुआ हूं...

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  19. आपकी निगाहों का भी जवाब नहीं . लाजवाब प्रस्तुति .

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  20. बढ़िया प्रस्तुति...चित्रों की जुबानी।आभार

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  21. उसकी चिंता रंग लायी. और अमन चैन ने मुरली बजायी.

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