मित्रों कल हमने एक पोस्ट लिख कर जानना चाहा था कि हमारे तक इनकी मेल क्यों नहीं पहुंची? इसका जवाब आयोजकों की तरफ़ से अभी तक नहीं आया। एक सज्जन ने जरुर टिप्प्णी दर्ज कराई थी कि कार्यशाला में प्रतिभाग के इच्छुक अभ्यर्थियों को निर्धारित प्रारूप पर सूचना प्रेषित करते हुए अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण का कार्य सामान्यतः पहले आओ-पहले पाओ नियम के आधार पर किया जाएगा। निर्धारित संख्या पूरी हो जाने पर पंजीकरण का कार्य कभी भी बन्द किया जा सकता है।यह एक गोष्ठी एवं कार्यशाला है . इसमे किसी को निमन्त्रण नही दिया गया था http://www.hindisamay.com/Blogworkshop.htm के अनुसार नामांकन आमन्त्रित किए गए थे. रात मनोज कुमार जी ने भी इसी आशय की टिप्पणी दर्ज की थी।
मेरा विरोध किसी व्यक्ति विशेष से नहीं है, जो साथी सम्मिलित हुए हैं वे भी हमारे मित्र हैं। लेकिन जब यु जी सी या सरकार के किसी अन्य मद से कार्यक्रम हो रहा है तो एक नागरिक के नाते मेरा अधिकार है कि जानकारी ली जाए। बात निकली है दूर तक जाएगी।अगर कार्यक्रम व्यक्तिगत रुप से इन्होने अपनी जेब के रुपए से आयोजित किया है तो मैं क्षमा प्रार्थी है। अगर यु जी सी या सरकार के किसी अन्य मद से कार्यक्रम हो रहा है तो आयोजकों को जवाब देना ही पड़ेगा। मुझे आयोजकों से जवाब चाहिए अन्य किसी से नहीं।अन्य ब्लागर बंधुओं की जानकारी के लिए इनके द्वारा अन्य लोगों को भेजी गयी ई मेल का स्क्रीन शॉट संलग्न है। बाकी जानकारियाँ सूचना के अधिकार के अंतर्गत उच्च शिक्षा आयोग से ली जा रही है।
उपरोक्त मेल एक मित्र के दवारा भेजी गयी है।
आयोजक की दृष्टि उपयुक्त की उपस्थ्िाति-भागीदारी से आयोजन को सफल और सार्थक बनाने की होती है, आयोजक कोई भी हो, यहां भी ऐसा ही होना चाहिए. वस्तुस्थिति पारदर्शी और सार्वजनिक होनी ही चाहिए. आपके इस प्रयास से अन्य भी लाभान्वित होंगे.
जवाब देंहटाएंअभी तो कार्यक्रम चल ही रहा है...अभी व्यस्तता मे कैसे जबाब दें?? :)
जवाब देंहटाएं... सूचना के अधिकार के तहत सारी जानकारी ... शुरु से अन्त तक ... आमंत्रण-निमंत्रण ... स्वीक्रत्ति-खर्चे ... शिष्टाचार-भ्रष्टाचार ... बगैरह बगैरह ... आखिर सरकारी आयोजन जो है ...!!!
जवाब देंहटाएं... हमारा उद्देश्य सिर्फ़ पारदर्शिता व निष्पक्षता है !!!
जवाब देंहटाएं... खुशी की बात है सरकारी आयोजन शुरु हुये !!!
जवाब देंहटाएं... सभी ब्लागर साथियों को नई पहल की बधाई व शुभकामनाएं !!!
जवाब देंहटाएं... किन्तु यह खेदजनक है कि सब गुप-चुप ढंग से चल रहा है ... सार्वजनिक तौर पर प्रचार-प्रसार होता तो बहुत ही खुशी होती ... खैर कोई बात नहीं, अपुन के पास तो वैसे भी वर्तमान समय में शामिल होने का टाईम नहीं था !!!
जवाब देंहटाएंकिन्तु यह खेदजनक है कि सब गुप-चुप ढंग से चल रहा है ... सार्वजनिक तौर पर प्रचार-प्रसार होता तो बहुत ही खुशी होती .
जवाब देंहटाएंमेरा भी यही कहना है। शायद ब्लाग जगत को शुरूआत मे ही गुटबाजी ने अपने कब्जे मे ले लिया है। कुछ लोग शायद अपने प्रचार प्रसार के लिये ही ऐसा कर रहे हैं। खैर हमे तो गम नही क्यों कि हम तो साधारण से लेखक हैं फिर हमारी ऊपर तक पहुँच भी नही तो हमे कौन लेखक मानेगा? उन सब के लिये भी शुभकामनायें लेकिन एक बात जरूर है कि सच्चाई सामने जरूर आनी चाहिये। हमे भी पता चला कि बडे लेखक या ब्लागर कैसे बना जाता है। हमे तो कोई मेल नही मिली।धन्यवाद ललित जी आप ब्लाग जगत की पार्दर्शिता के लिये सराहणीय काम कर रहे हैं। बधाई।
उदय जी ठीक ही कह गये: आयोजक की दृष्टि उपयुक्त की उपस्थ्िाति-भागीदारी से आयोजन को सफल और सार्थक बनाने की होती है, ..... आपके इस प्रयास से अन्य भी लाभान्वित होंगे.
जवाब देंहटाएंअब आप स्वयम को समझलीजिये हम भी समझने की कोशिश करते है जी
मैं तो यह कहना चाहूँगा यह मीट सरकारी खर्च पर एक प्रान्त विशेष केलोगों के लिए आयोजित की गई है और यह राष्ट्रिय या अन्तराष्ट्रीय मीट कतई नहीं कहीं जा सकती है ..... इसकी सार्वजनिक सूचना नहीं दी गई .... खेद का विषय है ....
जवाब देंहटाएंमैं तो यह कहना चाहूँगा यह मीट सरकारी खर्च पर एक प्रान्त विशेष के लोगों के लिए आयोजित की गई है और यह राष्ट्रिय या अन्तराष्ट्रीय मीट कतई नहीं कहीं जा सकती है ..... इसकी सार्वजनिक सूचना नहीं दी गई .... खेद का विषय है ....
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी मर्जी है ?
जवाब देंहटाएंरामराम
अब आपको जवाब दें या सम्मेलन पर ध्यान दें? ठंड रखिये फ़ुरसत पाते ही आपको जवाब भी दिया जायेगा। और ज्यादा जल्दी है तो सूचना के अधिकार के तहत यूजीसी से जानकारी मांग लिजिये। पता नही आपको और ताऊ एंड कंपनी को कोई और काम क्यों नही है? फ़ोकट लोगों के पीछे पडे रहते हैं। उन्हें भी कमाने खाने दिजिये ना थोडा ।
जवाब देंहटाएंलो जी आगी अब सबकी अम्माजी आगई। सबके सवालों का जवाब देने आगई। अब एक एक का जवाब एक एक टिप्पणी मा दे देत हैं। ऊ का है ना कि हमरे नखलेऊ मा ऐसा ही होत है सलीके से। अऊर कनपुरवा मा विषेष सलीके से होत है।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले ललित बिटवा तुमका जवाब दे देत हैं कि ई सब खेल कैसन हुआ? अऊर कैसन किया जाता है? हम त खुदे बहुत बडे अऊर उंचे ओहदे से रिटायर हुई हैं अऊर तगडी पेंशन पात हैं.
जवाब देंहटाएंजरा रूकना हमरी सब्जी जलने की बदबू आने लगी है जरा किचन मा जाकर लौटती हैं तब फ़ुरसत से जवाब देती हैं. कहीं जाना मत हम खाना बनाकर तुरंते लौटूंगी. आज सारी बात का खुलासा करके ही मानेंगी आज.
जवाब देंहटाएंहां त हम लऊटियायी हैं अऊर अब सुना जाये कि ये लोग कैसन हिंदी का नाम गुलगपाडा मचाय के अपने अपनों को रेवडियां बांटत हैं.
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न. १ अब जैसे हिंदी सम्मेलन करवाना है अऊर उसमे सिर्फ़ अपने वालों को हि बुलवाना है तो सबसे पहले उंहा इद डिपारटमैंटवा मा आपन आदमी फ़िक्स करदो, जो तुहार इशारन पै काम करबे वारो होनो चहिये।
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न.२ इसका बाद मा जिन जिन को बुलवाना हो उनका लिस्ट बनवा लिया जाये. और उनको अंदर कि स्थिति बता दी जाये
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न. ३ फ़िर जब सब रेवडी खाने वालों की लिस्ट तैयार होने पर एक अनाम से ब्लाग सम्स्था का जिसे कोई ना पढता हो उस पर इसकी सूचना जाहिर करें
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न.४ जाहिर सूचना मे शर्त यह रहनी चाहिये कि पहले आये वो पाये अऊर सीट पूरी होते ही रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जायेगा
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न. ५ अब यह ५ वां फ़ार्मुला असली खेल करने का है जरा ध्यान से पढा जाये....आपने जैसन ही ब्लागवा मा इसकी घोषणा की उसके साथ ही आपके जो रेवडी पाने वाले चेले चमचे हैं तुरंत उनका आनलाईन फ़ार्म सबमिट कर दो. हो गया ना रजिस्ट्रेशन पूरा.
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न.७ अब तुम्हारे चेले चमचे तो फ़िक्स हो गये अऊर दुसरे किसी का फ़ार्म आये भी त कहदो कि सीट फ़ुल हुई गवा अऊर रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका आप अगले साल ट्राई करें
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न.८ अब तुम्हारे रास्ते में कोई कांटा तो आया ही नही, अऊर सरकारी प्रक्रिया का अनुपालन भी होगया सरकार तुम्हरे ऊपर अंगुली नाही उठा सकत.
जवाब देंहटाएंफ़ार्मुला न.९ अगर भूले किसी अरविंद मिश्र सरीखे आदमी का रजिस्ट्रेशन करना भी पडे तो उसको इतना म्च्छरों से कटवावो अऊर इतना जलील करो कि अगली बार वो आने की हिम्मत ही नाही करे. जैसे पिछली बारी मिश्रजी इलाहाबाद सम्मेलन मा गये रहे अऊर अबकी बार वर्धा का नाम भी नाही लिया, (पिछली बार की मच्छर कटौती अबहिन तलक याद रही है ना)
जवाब देंहटाएंअब जब सब कुछ तुहार मनमर्जी का हुई गवा तब अपने जिन चेलों के नाम से आपने रजिस्ट्रेशन करवाया है उनको मेल द्वारा निमंत्रण भेजो इसका क्या फ़ायदा नुक्सान होगा? अगली टिप्पणी मा पढो
जवाब देंहटाएंजैसे तुम्हरे चम्चे को निमंत्रण मिलेगा इससे दू गो बात होगी, पहली त यही कि ऊ आपको महान हिंदी भाषा का मठाधीश समझेगा, कि सरकारी हिंदी आयोजन के कर्तम कर्ता आप ही हैं. अऊर आपकी सख्शियत मे चार चांद लग जायेंगे,
जवाब देंहटाएंअऊर दूसरी बात यह होगी कि ऊ खुद आपका अभी तक एक आंख वाला चेला था इस निअमंत्रण के बाद आपका खास अंधा चेला बन जायेगा. कारण कि १५ हजार ब्लागर मे आपने उसको सिर्फ़ १५ में समझा. तो ये हुई ना आम के आम अऊर गुठलियों के साथ साथ छिल्कन के भी दाम.
जवाब देंहटाएंअऊर जो चेले चमचे रजिस्ट्रेशन के बावजूद भी नाही आ पाये ऊ आपको लाईव टेलिकास्ट मा टिपपणी करने के काम आयेंगे अऊर आपने चाय पानी पिया या नही? किसको मच्छर से कटवाया किसको छुदवाया? ई सवाल पूछकर टिप्पणी करते रहेंगे? इस तरह आपकी चर्चा जो मुर्दा हो चुकी है ऊ भी कुछ चमकने लगेंगी।
जवाब देंहटाएंवैसे चर्चा पर इतने लोगन की इज्जत से खिलवाड हो चुका है कि उंहा कोई भला आदमी त जाबे ही नाही करता सिर्फ़ दू चार खास खास चमचों के उंहा कोई भी नाही जात,
अब हम तुमको बताती हैं अगली साल का गुलगपाडा अपने नाम अकिसे किया जाये?
त अब बताय देत हैं फ़ार्मुला...काहे से कि हम भी बहुते बडे तोपची सरकारी पद से रिटायर हुई के पेंशनवा पा रही हैं अऊर इस तरह का गुलगपाडा करने में अब्बल नंबर १ रही हैं...ई सब त मच्छर जैसन गुलगपाडा है अब हम तुमका अगला फ़ार्मुला बता रही हैं जिससे अगली साल इनका इंहा से भगाय के खुद गुलगपाडा करो अऊर तुम्हरे वालों को रेवडी बांटो. वर्ना तुम अऊर तुहार ताऊ करते रहो गधा सम्मेलन, कछु नाही होबे वारो।
जवाब देंहटाएंजय जय राधे राधे
अब जैसे भी हो चाहे UGC मा करो या कि तुहार कोई सरकारी मंत्री संत्री दोस्त हो या कोई अखबार वाला दोस्त हो....उन सबसे मिलकर इस मामले को ऊछलवा दो अऊर ये स्थापित कर दो कि इन लोगन ने किस तरह से गुलगपाडा किया है. अऊर मांग करो कि इन्हें हटाया जाये.
जवाब देंहटाएंइनके ऊपर जांच बैठायी जाये अऊर तुम्हारे किसी आदमी की नियुक्ति करवालो, बस इन सबका मुंह काला हो जायेगा
जवाब देंहटाएंजब इतना काम कर लो तो अम्माजी तुम्हें बतायेंगी कि कैसे क्या करना है? काहे से कि अम्माजी ने घाट घाट का पानी पिया है सरकारी नौकरी मा, इनकी तरह कोई तोप बम फ़ेक्टरी मा बैठकर ब्लागिंग नाही की है, असली काम किया है
जवाब देंहटाएंबिटवा लोगो अब हम थक गयी हैं अऊर हमार खाना भी तैयार रखा है सो खाई पीके हम त अब सोंयेगी, अगर शाम तक मूड हुआ त फ़िर आयेंगी, अऊर हमरे से मिलना हो त चौक बाजार नखलेऊ मा मिल लेना
जवाब देंहटाएंउन्होंने जो किया वो जाने पर आप जो कर रहे है १००%सही कर रहे है एक जिम्मेदार नागरिक को ऐसे कृत्यों के खिलाफ आवाज जरुर उठाना चाहिए |
जवाब देंहटाएंइस तरह का आयोजन तो सरासर सरकारी पैसे का दुरूपयोग है |
आपकी वर्तनी में ही दोष है
जवाब देंहटाएंमेल कभी पहुँचती है ?
मेल तो पहुँचता है और आराम से पहुँचते-पहुँचते ही पहुँचता है...
पहुँचती तो फ़ीमेल है
जो सीधे सीधे पहुँचती है
मेल तो कमबख्त हार लेने भी जाएगा तो बार में बैठ जाएगा तो पहुँचने वाली जगह कौन पहुंचे टट्टू ?
मेरा तो सर चकरा गया.... अरी अम्मा एक बार मे ही सब बात कह दो ना, सब से पहले अपना खाना बना लो, कही सब्जी वब्जी जल गई तो बापू आप के संग हमे भी खुब जली कटी सुनायेगा, पहले आराम से खाना बना लो चार पांच चपाती हमारे लिये भी बना लेना, ओर दो कटोरे सब्जी के लेकिन देसी घी कम डालना, फ़िर खा पी कर अम्मा ओर बेटा मिल कर इन सब की खटिया खडी करेगे... अब मुझे चक्कर आ रहे हे, इतनी सारी टिपण्णियां अम्मा तेरी पढ कर ओर फ़िर यह अकल भी बीच मे कहा से आ गये, उस से पहले कोई दादू भी आ गये...... हे राम
जवाब देंहटाएंअरे राज भाटिया बिटवा तू भी बहुते नादान है। इतनी बडी बात कहने का लिये एक ठो टिप्पणी मा सारी बात नाही जा सकत है ना, ईका लिये इतना सारा टिप्पणी करना पडा।
जवाब देंहटाएंघी वाली दाल अरहर की अऊर सांझे चूले की रोटियां खानी है त हमरे नखलेऊ चले आना हमरे पास। हम जैसन बात चटकारे लेके करत हैं वैसन ही अरहर की दाल भी बडी चटखारे दार बनावत हैं। खाबे की इच्छा होय त अम्माजी के पास चले आईयो।
अऊर सुना है तू भी ब्लागर सम्मेलन करवाने वाला है त उसमे भी हमका रेवडी मिलहै कि नाही?
अऊर हमरे बिलाग पर आकर सवालों के जवाब जरूर देके जाना।
-सबकी अम्माजी
ललित बिटवा जरा हमरे बिलाग पे आना
जवाब देंहटाएंअऊर हमरे बिलाग पर आकर सवालों के जवाब जरूर देके जाना।
शर्मा जी, आप भी कहां इन चक्करों में पड़ गये.... छोड़िये इस सब को..
जवाब देंहटाएंहा हा हा ये अम्मा जी तो खूंटा जमा के बईठ् गई है इहां पर ललित जी ....
जवाब देंहटाएंआप भी का बात करते हैं मर्दे ....मेल कैसे पहुंचती ...
पहुंचती तो फ़िमेल होती न ..कहिए मेल नहीं पहुंचा ...और काहे पहुंचता आप तक .....आप कोई ऊ टाईप का थोडी हैं ...हा हा हा हा हा हा हा हा ...आप तो वर्धा को ...एक दम गर्दा गर्दा कर दिए ...
आर टी आई का फ़ॉर्म है कि भिजवाएं ...साथ में दस का पोस्टल ऑर्डर भी ..निवेदक में लिखिएगा ...ऊ सब ब्लॉगर जो ...वर्धा के पर्दा को उठाने पर आमादा हैं /.......हा हा हा अब आगे नहीं कहेंगे ..हा हा हा
अब कौनौ ब्लॉगर मीट हौवे त मच्छरवा तो कट्बे करी ...मोहे मच्छर से डर लागे ..न जईबे न जईबे हम वर्धा सम्मेलंवा में न जैबे ....उन्हा फुरसतिये हैं और उनके चेले चपाडी रामा चेले चपाडी .....न जईबे न जईबे हम वर्धा सम्मेलंवा में न जैबे
जवाब देंहटाएंकेहुंके रामा मिले ऐ सी कमरवा केहु सोवे बिना मच्छरदानी
जवाब देंहटाएंना जैबे ना जैबे हम तो वर्धा सम्मेलंनवां .....रामा वर्धा सम्मेलंवा
फुरसतिया सोवें ऐ सी कमरवा शैलेश भाई बिना मच्छरदानी हो ...
तौनो ललित भैया जाएँ बिना मखाये ...हम तो न जैबे न जैबे वर्धा सम्मेलंनवां
अम्मा अब तो आप का आशिर्वाद लेना ही पडेगा, सच मे आप तो ज्योतिष भी हे, जो भविष्य भी जानती हे, अब तो हम भी नखलऊ जरुर आवेगे,वेसे आप ने यह बात सुनी कहा से अभी तो भाफ़ भी नही निकली इस बात की.... राम राम अम्मा जी
जवाब देंहटाएंसूचना के अधिकार का नाम सुना है ना ? आवेदन पत्र नेट पर उपलब्ध है ।
जवाब देंहटाएंजो सूचना यहाँ चाही जा रही है वह भी नेट पर उपलब्ध है।
जवाब देंहटाएं१. गोष्ठी की प्रथम सूचना सत्यार्थमित्र पर
http://satyarthmitra.blogspot.com/2010/06/blog-post_29.html
२. गोष्ठी की संशोधित सूचना सत्यार्थमित्र पर
http://satyarthmitra.blogspot.com/2010_07_01_archive.html
३.विश्वविद्यालय की साइट ‘हिन्दी समय’ पर पीडीएफ़ फ़ाइल
http://www.hindisamay.com/Blogworkshop.htm
४-हिंदीविश्व.ओ.आर.जी.पर सूचना http://www.hindivishwa.org/pdf/wrkshopbloger.pdf
आमंत्रण सबके लिए था। पहल ब्लॉगर को करनी थी।
अम्मा जी हर काम छोड़ कर आपकी चिंता कर रही है .
जवाब देंहटाएंअम्मा हो तो ऐसी , अम्मा जी जैसी !
अरे आदरणीय ललित भैया! आप ईमेल पर आमंत्रण का इन्तेजार करते बैठे रहे क्या?
जवाब देंहटाएंअगर मैं और महेश भैया भी महज औपचारिक आमंत्रण का इन्तेजार करते बैठे रहते तो जा ही नहीं पाते वर्धा इस सेमीनार में,
ये तो अच्छा हुआ की महेश भैया ने सीट बुक करवा ली अपनी और मेरी ट्रेन की , फिर अपन ने वहां सूचना दे दी, बस सारा खेला हो गया फिर तो... पहुँच भी गए दोनों, शामिल हुए और लौट कर रपट भी लिख दी जिसे आपने पढ़ा लेकिन कमेन्ट करना सही नहीं समझा अपने रोष के कारण, जबकि रिपोर्ट जो मैंने डाली है वह हकीकतन ब्लागर्स के ही काम की है. कोई वान्दा नई आपने पढ़ लिया यही काफी है, पढने के बाद आपने जिस से चर्चा की मेरी रिपोर्ट की, उसने बताया की हाँ आपने पढ़ ली है. शुक्रिया पढने के लिए .....
बाकी जब सूचना के अधिकार वाला जवाब आ जाए तो मुझे बताना जरुर क्योंकि ये एक बढ़िया खबर होगी मेरे लिए, मेरे पत्रकार होने के नाते, इस कदम के लिए आपको बधाई
What is going on here darling? Let me know if any problem is there. love you darling.
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