शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

डेढ साल में ब्लॉगर भी न बन पाए--------- ललित शर्मा

(माईक्रो-पोस्ट)विगत डेढ वर्षों से ब्लागिंग कर रहे हैं, इस अवधि में सैकड़ों ब्लागर मित्रों से मिले होगें और हजारों के ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई होगी। लगता है कि इतने दिनों में भी ब्लॉगर होने की अहर्ताएं पूरी नहीं कर पाए हैं। शायद इसीलिए वर्धा के सरकारी ब्लॉगर सम्मेलन का आमंत्रण हमारे तक नहीं पहुंच पाया (शायद सरकार हमसे परिचित नहीं होगें) और भी मित्र होगें जो आयोजकों द्वारा बनाई गयी विशिष्ट ब्लागरों की सूची में स्थान बना पाने की पात्रता नहीं रखते होगें। ब्लागरी की आचार संहिता पर गंभीर बहस होगी। लेकिन बहस में हम उपस्थित नहीं होगें। हमारी आवाज अवश्य ही सरकार तक पहुंचेगी ये तो मानकर चलते हैं।

70 टिप्‍पणियां:

  1. हमें पता ही अब आपकी इस पोस्ट से चला कि वर्धा में कोई सरकारी ब्लॉगर सम्मेलन आयोजित हो रहा है

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  2. रेवड़ी अपनों को ही बांटी जाती है :)

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  3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ! नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!

    नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...

    कृपया ग्राम चौपाल में आज पढ़े ------
    "चम्पेश्वर महादेव तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल चंपारण"

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  4. ललित भाई !
    आप ने ट्रेनिंग ली है ??

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  5. phal ki chinta insaan ko nahin kerni chaiye. sahee waqt pe sab mil jaega.

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  6. सरकारी सम्मेलन है ना फिर किस बात का गिला है ।
    सरकार का तो ये पुराना सिलसिला है ।

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  7. आपके ब्लॉग का असर दूर-दूर तक है .निश्चित रूप से वह बेहद 'असरकारी' है. फिर 'सरकारी' की चिंता क्यों ? बहारहाल शारदीय नव-रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कृपया स्वीकार करें.

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  8. अरे निमंत्रण तो मुझे भी नहीं आया :)

    वैसे सही चुटकी ली है, शर्मा जी ब्लॉग्गिंग में मीटिंग की क्या जरूरत - ये तो खुली अभिव्यक्ति का माध्यम है - पर क्या करें इधर भी लोग association बना कर बैठे है तमाम -- लगे रहो इन छोटी मोटी बातों को नजरअंदाज कर !!

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  9. छत्तीसगढ़ से कोई भी नहीं क्या?


    अफसोसजनक!!


    या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता !
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:!!

    नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...

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  10. भाई स्‍वराज्‍य से सहमत हैं हम. वैसे हमने इस कार्यक्रम को सभी के लिए खुला सोंचकर एक श्रोता के रूप में उपस्थित होने, वर्धा के लिए टिकट निकवा लिया था पर पारिवारिक कार्यक्रम के कारण इसे कैसल कर दिया है। हमने तो आयोजक महोदय के ब्‍लॉग पर एवं फेसबुक में टिपियाये भी इसीलिये थे कि इस पहल से हमें भी 'विशिष्‍ठ ब्‍लॉगरों' की सूची में स्‍थान मिलेगा :) :) ... पर 15000 नामी गिरामी हिन्‍दी ब्‍लॉगरों में हमारी कौन पूछपरख, (वैसे भी हम सिर्फ क्षेत्रीय रंग प्रस्‍तुत करते हैं)सोंचकर हम चुप हो गए थे, जो सत्‍य भी है।

    वर्तमान परिस्थितियों में आप निर्विवाद रूप से हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में लगातार सक्रिय हैं और हरदिल अजीज हैं इस कार्यक्रम में आपको आमंत्रित नहीं किया जाना दुखद है।

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  11. आपकी इस पोस्ट सही पता चला की कोई सरकारी सम्मलेन भी होने वाला है ...

    आपको नहीं बुलाना अफसोसजनक है

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  12. @संगीता स्वरुप ( गीत )

    बात मुझे बुलाए जाने की नहीं है अन्य सक्रीय ब्लागर मित्र हैं उन्हे आमंत्रित किया जाना चाहिए था। उनकी राय भी ली जानी चाहिए थी।

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  13. @संजीव तिवारी

    वर्धा कोई हमारे से ज्यादा दूर नहीं है, अगर सभी को सूचना पहुंचाई जाती तो अवश्य ही छत्तीसगढ के लगभग ब्लागर मित्र सम्मिलित होते। सभी का उत्साह वर्धन होता।

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  14. ऐसे लोगों को हमने ही तो ये अवसर दिया है। अपना तो दुख नही क्यों कि हम तो खुद को ब्लागर कहने की हिम्मत नही करते मगर आप भी? बहुत दुख की बात है। चलो उनको बजाने दीजिये अपने गाल खुद । ब्लागरों को तो अपनी रचनायें लिखने से फुरसत नही। धन्यवाद।

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  15. जय मा शारदे, नवरात्र की शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. आपकी माइक्रो पोस्‍ट, सतसइया के दोहरे की तरह गंभीर और विचारणीय है. आपके विचार किसी न किसी तरह सम्‍मेलन तक पहुंचना ही चाहिए.

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  17. पुनश्च- याद कीजिए ,कब ,कहाँ और किसने कहा था -
    'संतन को कहाँ सीकरी सो काम'

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  18. अजी अब क्या कहे.... वेसे अब अपना बोरी बिस्तर तेयार कर ले नबम्वर मे कुछ होने वाला हे....:)जल्द ही बताऊंगा

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  19. ओहो सर इस बार की बैठक यही तय करने के लिए तो बुलाई जा रही है ...कुल कित्ते साल में ..आप उन जैसे .. बुलाने लायक..ब्लॉगर हो जाएंगे ....देखिए सर ..तय होते ही मेरी सिफ़ारिश करिएगा ...वर्ना अपना तो नंबर ही नहीं आएगा ..। वैसे सर इस बार अ मतलब अपन नहीं बुलाए गए हैं ..बांकी अजय कुमार झा में से जय कुमार झा जी तो पहुंच ही रहे हैं ....अ को आप साथ लेते चलिएगा ..। चलिए फ़िलहाल उन्हें शुभकामनाएं देते हैं ...जय हो सरकार की ..जय हो वर्धा की ..जय हो ..बस जय जय हो जय जय हो

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  20. अरे ललित बिटवा काहे जी छोटा करत हो? ई सुरसतिया जहां होत हैं उंहा अऊर क्या उम्मीद कर सकत हैं? पिछले साल भी गुल गपाडा किया रहा त ई बार कौन मानने वाला है?

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  21. हम तो ऐसन कपूत की वजह से शर्म से गडी जारही हैं। हमरे नखलेऊ मा त ऐसा कबहुं नाही हुआ।

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  22. पर का किया जा सकत है? ऊ सरकारी पैसा से अपने अपनों को रेवडी खिलाय रहा है त तुम कछु नाही कर सकत का?

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  23. अरे हम पूछा चाहती हैं कि सरकारी खजाना से त सब लोग लूटमपट्टी मचाह्ते हैं ई भी मचाय रहे हैं पर तुम कौन कम हो? अरे आपन गिरह से करो खर्च अऊर इ नाशपीटे को मुंह तोड जवाब दो।

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  24. तुम्हरे उंहा एक गो सम्मेलन बुलावो हमरी पेंशन का पैसा भी हम देत हैं तुमका अऊर एक ठो जोरदार बिलागर सम्मेलनवा बुलवाय ल्यो रायपुर मा अऊर इन सरकारी माल पर तरी छानने वाले नाशपीटे को जोरदार जवाब दो जिससे इसको कछु शर्म तो आये।

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  25. बिटवा आपन मदद करने वालों की ही भगवान मदद करत हैं वर्ना इन जैसे लोगन के शिकार बनते रहे, अब देखा जाई कितना बेशर्मी से ई अब लाईव टेलीकास्ट चर्चा करेगा।

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  26. मुफ़्त का चंदन है लगाये जा..लगाये जा। अपने अपने लोगन को रेवडी बंटवाये जा...खुद खाये जा...छि...छि...धिक्कार है ऐसी ओछी मानसिकता को...और बेशर्मी को।

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  27. पर अभी अभी हाम्रे मन मा विचार आया है कि रहीम दास जी जौन कहा है सो तुमको सुनाय देत है थोडा धीरज बंधेगा. अगली टिप्पणी मा पढ ल्यो।

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  28. हां त बिटवा बाबा रहीम दास जी सही कह गए रहिन...

    पावस देख रहीमन, कोयल साधी मौन।
    अब दादुल वक्ता भये, हमें पूछी है कौन।।


    मतलब जब बरसात की ऋतु आती है तो कोयल मौन साध लेती है। उसे पता है कि अब तो कौओं का वक्त है तो उसकी कोई पूछ नहीं। चुप रहने में ही भलाई :)

    पर बचुआ आजकल जमाना चुप रहने का नाही। तुमने विरोध मा पोस्ट लिखी हमरा कलेजा ठंडा हुई गवा कि कोई तो माई का लाल है जो इन मौज लेने वालों की मौज भी निकाल सकता है।

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  29. जायज है उसका पगलाना
    चेले चमचों का है जमाना

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  30. कार्यशाला में प्रतिभाग के इच्छुक अभ्यर्थियों को निर्धारित प्रारूप पर सूचना प्रेषित करते हुए अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण का कार्य सामान्यतः पहले आओ-पहले पाओ नियम के आधार पर किया जाएगा। निर्धारित संख्या पूरी हो जाने पर पंजीकरण का कार्य कभी भी बन्द किया जा सकता है।

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  31. यह एक गोष्ठी एवं कार्यशाला है . इसमे किसी को निमन्त्रण नही दिया गया था , http://www.hindisamay.com/Blogworkshop.htm के अनुसार नामांकन आमन्त्रित किए गए थे.

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  32. @Ashish Shrivastava

    मुझे मित्रों के द्वारा जानकारी मिली है कि सभी को मेल भेजे गए हैं। इसका सबुत मेरे पास है।

    और ये आयोजक बताएंगे कि उन्होने किसे मेल भेजा है और किसे नहीं।

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  33. ई ल्यो...अब ये भी कोई पूछबे की बात है? जिन्होने भी शिरकत की है वाको सुरसतिया ने ही मेल भेजी है। सारे बाके ही चेले चमचे हैं उंहा पर। त अऊर कौन जायेगा?

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  34. अऊर सुनो तनि उंहा जो लोग पहुंचे बह्ये ऊ लोग का रजिस्ट्रेशन हुई गवा अऊर बाकी लोगन का लिये रजिस्ट्रेशन बंद हुई गवा? ऐ शाबाश....क्या पटक के मारा है रे?

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  35. अब का हम बताईब कि इसका कर्ता धर्ता कौन है या खुदे बतावोगे? ललित बचुआ इसका रिपोर्टवा तनि सरकार को किया जाये तब मालूम पडेगा कि सरकारी धन का दुरुपयोग किस तरह किया जारहा है?

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  36. हम खुद आज ही हिंदी मंत्रालय मे रिपोर्ट कर रही हूं। ई लोग सब खाऊ पीऊ मंडली इकठ्ठी हुई गई है। इनसे एक एक पाई पाई का हिसाब लिया जायेगा। सब हिंदी भक्त मिलकर इस मठाधीश मंदली अऊर चेले चचों को बाहर करो. किसने अधिकार दिया इनको हिंदी के नाम पर इस तरह जनता के धन का दुरुपयोग करने का? जवाब दिया जाये।

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  37. श्री राज भाटिया जी की बातें आप समझ ही गये होंगें।
    बस

    प्रणाम

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  38. दादा, इंतज़ार करिए .... अभी हम लोगो की पेंसन बनी नहीं है .... कुछ और साल काम करना होगा तब कहीं जा कर नौकरी पक्की होगी ..... उसके कुछ और साल बाद पेंसन बनेगी !

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  39. आप भी ललित भाई, कैसी-कैसी बातों पर मन खराब कर लेते हो!
    अरे वहां Bloggers को नहीं Blockers को बुलाया होगा

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  40. छोटी छोटी बातों से हृदय को नहीं लगाना चाहिए........

    कोई बात नहीं.

    आप खुद ऐसा आयोजन कीजिये..... क्या दिक्कत है. खर्चा सभी आने वाले ब्लोग्गर देंगे.......

    और हाँ हमें भी बुलाएयेगा

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  41. फुर्सत किसे है इस प्रकार के कार्यक्रम में शिरकत करने की | मेरे यंहा एक लाईब्रेरी है जिसमें कोइ लाखो किताबे है| आजकल उनमे दीमक लगने लग गयी है | कही ऐसा न हो कि हिन्दी ब्लोगिंग में लिखी जा रही थोक के भाव में कविताएं और विचार को भी दीमक खाए | जब तक जन सामान्य के काम आने वाली बाते नहीं लिखेंगे तब तक वो ब्लॉग लेखक ही पाठक होगा | अंततोगत्वा दीमक लगेगी |

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  42. यह सवाल तो पूछा ही जाना था -वैसे आपको कौन नहीं जानता ?शायद मूछों वालों को वहां नहीं बुलाया गया है !

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  43. ऎसा एक हादसा इलाहबाद मे भी हुआ था करीब साल भर पहले .
    सिर्फ़ कुछ स्वनाम धन्य ही आमन्त्रित थे

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  44. कौन कौन धुरन्धर पधारे है???????

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  45. किस समाचार पत्र मे ऎड छपा था?????????

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  46. क्या कोई काम धन्धा नहीं है??????????

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  47. सरकारी खर्च पर यह बकवास??????????

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  48. अरे अरविंद सर जी ..हम तो हाल ही में सफ़ाचट हुए हैं ..नहीं नहीं बस यूं ही बताया है ..जस्ट ए किटकैट ब्रेक ...

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  49. basanti ko kaun si chakki kaa pisaa aataa khilaa rahe ho .... badi karaari nachaniyaa hai ....................... aak thoo

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  50. सिद्धार्थ जी जबलपुर से ही होकर गये थे वहां लौटेंगे तो पूछ लूगा वैसे मेरा परिचय उनसे ब्लागिरी की वज़ह से हुआ पर शायद न्योतरा-नाई न्यौत न पाया उनकी क्या गलती भैया वैसे भी हम ठहरे सरकारी आदमी हमारी छवि ही न न्यौतने लाईक है भैया.

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  51. किसी पोस्ट में, किसी ब्लॉग पर देखा था, जहां ओपेन इंविटेशन था। http://www.hindisamay.com/Blogworkshop.htm

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  52. @मनोज कुमार जी

    हमने आयोजक-संयोजक से जवाब मांगा है।

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  53. अरे क्या ललित भाई,
    आप तो राजनीति को नज़दीक से अच्छी तरह देख-परख चुके हैं...

    संसद में भी स्थायी संसदीय समितियां होती हैं...अब इस सम्मेलन में भी स्थायी आमंत्रित सदस्यों को बुलाया गया है तो कौन सा अपराध हो गया भला...

    कुछ अपनी समझ-वमझ बढाइए जिससे कि आप भी ब्लॉगर माने जा सके और स्थायी आमंत्रित सदस्य की योग्यता प्राप्त कर सकें...

    मैंने गलत तो नहीं का...

    जय हिंद...

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  54. ललित भाई, बहुत सारे कमेन्ट आगये .... भाई हम तो मान गए कि आप की पेंसन जल्दी ही बनने वाली है .....अपना पता नहीं !!
    वैसे लगता है जो जवाब देने आ रहे हैं ये वर्धा युनिवर्सिटी के पी आर ओ है या यही आयोजक हैं कुछ बताओ तो हम भी पता करें कि भाई हमारी पेंसन कब बनेगी ..... कब से हम भी ब्लॉगर माने जायेगे ?

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  55. अँधा बांटे रेवड़ियाँ ... फिर फिर अपनों को देय

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  56. जो हुक्म होगा सरकारी / वही बनेगी तरकारी .. अच्छा हुआ जो आप नही गए । इसका रहस्य बाद मे पता चलेगा ??????????????

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  57. हम्म ..अफ़सोस जनक ..पर नया क्या है ? रेवडियाँ अपनों को ही बांटने का रिवाज़ है हमारे देश में.

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  58. आपको ब्लागिंग करते डेढ़ साल हुए हैं मुझे पांच साल हो गए हैं . ललित जी निराश न हौं आपको बहुत मंजिल तय करना हैं ....
    अंतिम बात जो किसी और के लिए ..... जबलपुर आते हैं तो पूछते है ई . मेल कर क्या भाई (फलाने फलाने लोग) लोग मिलेंगे ... राम और भरत का मिलाप होने के बाद भूल जाते हैं ...

    अब मुलाकात ( मीट) होती है तो भूल जाने के लिए ...
    अब ऐसा मेल नहीं करना अजनबी बन जाने के लिए ....

    जय राम जी की

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