शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

ये देश है वीर जवानों का--भारतीय सेना को सलाम----------ललित शर्मा

“ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का” जब इस गीत को सुनता हूँ तो मुझे हाथ में रायफ़ल लिए सीमाओं की रक्षा करते जवान याद आ जाते हैं। वैसे भी मेरा लगाव सदा से सेना के साथ रहा है क्योंकि मेरे परिवार का दाना-पानी सेना के पैसे से ही चलता था। वर्दी पहने हुए जवान अपने आभूषणों से सूसज्जित होकर जब कदम ताल करते हैं तो उनके बूटों की धमक से धरती भी हिलने लगती है। लड़ाई का मैदान हो, शांति का समय या सेवानिवृति के बाद का समय, सैनिक आजीवन सैनिक ही बना रहता है। ऐसा अनुशासन सेना में एक 17 साल के रंगरुट को सिखाया जाता है।

छत्तीसगढ में सेना सिर्फ़ एन.सी.सी. के संचालन में ही दिखाई देती थी और कहीं नहीं। एक समय था कि सेना में जाने का जज्बा यहां अन्य प्रदेशों से बहुत कम होता था। आज तो कुछ नवयुवक अपना रुख सेना की तरफ़ कर रहे हैं। विगत दिनों मैं एक मित्र की बेटी की शादी में राजस्थान के झुंझनु जिले के भड़ुन्दा खुर्द गाँव में गया था। वहां जाने पर मुझे पता चला कि वहां से लगभग 800 जवान सेना में हैं और गांव की सारी व्यवस्था सेना के जवान ही संभालते हैं,पंचायत से लेकर साफ़ सफ़ाई तक में अपनी हिस्सेदारी बंटाते हैं क्योंकि हमेशा 200 जवान तो छुट्टी में गांव आए ही रहते हैं। सेना के प्रति मैंने ऐसा आकर्षण इस गांव में देखा।

अभी दो दिनों पहले मैने जब सुना कि भारतीय सेना छत्तीसगढ में “राष्ट्र प्रहरी” थीम पर “अपनी सेना को जाने” नाम से सैन्य मेला कर रही है तो मेले में शिरकत करने की इच्छा प्रबल हो गयी। सेना का यह सराहनीय कदम है जिससे देश के नागरिक अपनी सेना को करीब से जान सकें। सेना ने छत्तीसगढ और उड़िसा का सब-एरिया ऑफ़िस रायपुर में स्थापित किया है। इस दो दिवसीय मेले का शुभारंभ राज्यपाल शेखर दत्त ने किया। इस मेले से नवजवानों को सेना में भर्ती होने के अवसरों एवं अहर्ताओं की जानकारी भी मिलेगी। इस अवसर पर सैनिकों ने अपने करतब भी दिखाए, लेकिन एक अन्य कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण हम इस स्थल पर विलंब से पहुंचे।

सेना के माध्यम से अपना कैरियर बनाने का सपना कुछ प्रदेशों के नौजवान बचपन से ही देखते हैं, जब सेना में भर्ती नहीं हो पाते तो मास्टरी की तरफ़ अपना रुख करते हैं। अब सेना में छत्तीसगढ के नव जवान भी भर्ती होकर अपने राज्य देश और माता-पिता का नाम रोशन कर सकेंगें। इस मेले से उनके अंदर भी सेना को अपना कैरियर बनाने का जज्बा पैदा होगा। आज छत्तीसगढ से अन्य प्रदेशों की अपेक्षा सेना में बहुत ही कम लोग हैं। अब नव जवान रुचि लेने लगे हैं, इसका सबूत सेना की भर्ती रैलियों में देखने मिलता है।आज सेना में जाने के लिए छत्तीसगढ के जवान भी उत्सुक दिखाई पड़ते है और जा भी रहे हैं।

कल भाई अशोक बजाज से चर्चा हो रही थी कि इस मेले को देखने जाना है और वादे के अनुसार मेले में पहुंचे जरुर, लेकिन कुछ विलंब हो चुका था और बरसात मजा किरकिरा कर चुकी थी, मैदान में कीचड़ हो चुका था। फ़िर भी हम सेना के अत्याधुनिक हथियार देखने का लोभ नहीं छोड़ सकते। वहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी। नौजवान सैन्य अधिकारियों से हथियारों के विषय में जानकारी ले रहे थे। हम भी मैदान में पहुंचे तो सबसे पहले सत्ता परिवर्तन वाली एवं कारगिल युद्ध जिताने वाली 155 एम एम की तोप पर निगाह पड़ी। उसका बैरल सामने की ओर था। सैनिक उसके फ़ंक्सन चला कर बता रहे थे। हमने वहां एक सैनिक से पूछा कि यह तोप कौन सी है? तो उसने बताया कि 155 एम एम, फ़िर धीरे से कहा कि बोफ़ार्स हैं। हा हा हा मैने इसलिए इसे सत्ता परिवर्तन करने वाली तोप कहा।12000 किलो की यह तोप तत्कालीन कांग्रेस सरकार के लिए पृथ्वी से भी भारी हो गयी थी।

फ़िर आगे चले तो एक टैंक था, उसके पास श्री भगवान नामक सैनिक अफ़सर खड़े थे। हमने उस टैंक के विषय में विषय में उनसे माकूल जानकारी ली। कुछ एन सी सी के कैडेट भी टैंक के सामने खड़े होकर फ़ोटो खिंचवा कर मेले को यादगार बना रहे थे। श्री भगवान ने बताया की यह टैंक उबड़-खाबड़ मैदान, रेगिस्तान और पानी में समान रुप से चलता है। इसकी रफ़्तार 65 किलो मीटर प्रति घंटा है। इसकी तोप प्रत्येक परिस्थिति में लगातार गोले दाग सकती है। इस तरह यह टैंक सेना के लिए काफ़ी कारगर है। इनसे उत्सुकतावश एक मित्र ने पूछ लिया कि आप इसे कहां से लाए हैं तो श्री भगवान ने कहा कि आप क्या करेंगे जानकर? तो मैने कहा यार बच्चे खेलेंगे इससे। इसलिए पूछ रहे हैं। सुनकर ये भी मुस्कुराए।

तभी हमारी निगाहें सामने खड़ी एक लम्बी गाड़ी पर पड़ी। जिसमें तीन मिसाईलें लोड थी। हम उसके पास पहुंचे तो देखा कि यह ब्रह्मोस मिसाईल थी। डी आर डी ओ ने इसे अपनी तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया है। वहां उपलब्ध एक अधिकारी ने बताया कि 2-2 सेकंड के अंतराल पर 6 सेकंड में तीनों मिसाईल एक साथ दागी जा सकती हैं तथा 300 किलोमीटर तक इनका निशाना सटीक है। मैं वहां खड़ा सोच रहा था कि गोली बंदुक तो चलाए, एक बार मिसाईल चलाने का मौका मिल जाए तो क्या कहने। लेकिन इस जन्म में वह दिन नहीं आएगा। शायद इसे चलाने के लिए सेना में अगला जन्म लेना पड़े ।

सेना ने रायपुर राजधानी में सैन्य मेला लगा कर युवाओं को सेना के प्रति आकर्षित करने का काम किया है। मैं देख रहा था कि लोग टैंक और तोपों को हाथ लगा कर देख रहे थे। इससे पहले सिर्फ़ चित्रों और फ़िल्मों में ही देखा था। वीरता का जज्बा हमारे देश के नौजवानों में कूट-कूट कर भरा है आवश्यकता है केवल उन्हे सही दिशा देने की। सेना अनुशासन और उत्तरदायित्व सीखाती है। यहां हुक्म उदुली करना बहुत ही कठिन है। आदेश पर पालन सभी परिस्थितियों में करना है। कहीं भी कोई शक की गुंजाईश नहीं होती। अगर देश के युवाओं में अनुशासन लाना है तो प्रत्येक युवा  के 12 वीं पास होते ही 5 साल के लिए सेना में सेवा करना अनिवार्य कर देना चाहिए। उसके पश्चात ही वह अन्य सेवाओं के लिए पात्र हो सके। देश का प्रत्येक नागरिक सैनिक होगा और संकट का समय आने पर दो-दो हाथ करना भी जानता होगा। इसी लिए कहा गया है कि “शस्त्र रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चर्चा प्रवर्तते।“

35 टिप्‍पणियां:

  1. ललित जी,
    भारतीय सेना और इसके वीर सैनिकों पर हमें गर्व है। मेरा लड़का उस समय बहुत छोटा था और हम सड़क के रास्ते कहीं जा रहे थे। हमारी गाड़ी के आगे मिलिट्री का कान्वाय था। सबसे पीछे वाले ट्रक में बैठे एक फ़ौजी को मेरे बेटे ने सैल्यूट किया और ’जय हिन्द’ की आवाज लगाई। आगे से फ़ौजी की आंखों की चमक और ऐसा ही जवान पाकर हम बाप बेटों को जो रोमांच मिला, वो बड़े से बड़े नेता या अभिनेता से हाथ मिलाकर नहीं मिलता।
    हमारा देश जितना बचा है, ये हमारे सैनिकों के दम पर ही है।
    मजा आ गया सुबह सुबह ऐसी पोस्ट देखकर।

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  2. इस सैनिक मेले का बढ़िया विवरण दिया आपने |
    भारतीय सेना को हमारा भी सलाम ||

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  3. बिलकुल ठीक
    अनुशासन लाना है तो प्रत्येक युवा के 12 वीं पास होते ही 5 साल के लिए सेना में सेवा करना अनिवार्य कर देना चाहिए। उसके पश्चात ही वह अन्य सेवाओं के लिए पात्र हो सके।

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  4. पांच वर्ष की अनिवार्य सेना कमीशन सबके लिए होना चाहिए.

    सेना मेला का सुन्दर विवरण, सब फोटो देखने के बाद ब्रह्मोस के पास आप तथा मित्र वाले अच्छे हैं.

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  5. बगल में रह कर भी मेरे जैसे कई अन्‍जान रह गए इससे, आपने परिचित कराया, ध्‍सन्‍यवाद. यह भी लगा कि अखबारों के कवरेज से इसका वैसा अनुमान नहीं हो पाया था, जैसे आपकी पोस्‍ट से.

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  6. ... bhaarteey senaa ke javaanon ko tathaa desh bhakti kee bhaavanaa rakhane vaale desh vaasiyon ko salaam ... jay hind !!!

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  7. आधा पढ़ा आधा शाम को पढ़ेगें -

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  8. बहुत बढ़िया मज़ा आ गया !
    ललित भाई एक गाना आपके लिए ....
    http://www.youtube.com/watch?v=M4oIhhQFwz8

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  9. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने मेले के बारे में और सेना के आयुध भंडार के बारे में.

    वाकई कुछ वर्ष तो सेना में जाना अनिवार्य होना ही चाहिये।

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  10. ललित जी, इस देश में राजनीति में आने के लिए हालांकि कोई शिक्षा का स्टार नहीं रखा गया है अब तक मगर मैं कहूंगा कि नेता बन्ने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम ८ साल का सैनिक अनुभव लेना अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए !

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  11. anushasan lana hai to sena men jana aniwary hona chahiye ///khaali anushasan hi nahi desh ke prati zimmedaari ka bhaav bhi aayega...sarthak post

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  12. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने, बिलकुल सही कहा.

    जय हिंद!

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  13. सार्थक एवं प्रभावी पोस्ट के लिए सादर बधाई.......

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  14. बहुत सार्थक और गूढ बात लिखी आपने.

    रामराम.

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  15. सैन्य झांकी देखकर ही जोश का समुद्र ठांठे मारने लगता है। इसी बहाने काफी जानकारी भी मिल गयी, शुक्रिया।
    ..............
    यौन शोषण : सिर्फ पुरूष दोषी?
    क्या मल्लिका शेरावत की 'हिस्स' पर रोक लगनी चाहिए?

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  16. अगर भारत के बिगडे नोजवानो को रास्ते पर कोई ला सकता हे तो यह फ़ोज ला सकती हे, जिस मै अनुशान भी सिखाया जाता हे, इस लिये भारत मै एक कानून हो कि १८ साल के बाद लडके को कम से कम ३ साल फ़ोज मे रहना अनिवार्य हो.
    ओर आज इस भारत देश को किसी ने बचा कर रखा हे तो यह हमारी फ़ोज ही हे, हमारे नेता तो कब का इसे बेच कर खा चुके होते, मेरा सलाम हे इन फ़ोजियो को.
    धन्यवाद इस अति सुंदर पोस्ट के लिये

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  17. सरल प्रवाही लेख पढ़ कर आनन्द आ गया। आप से सहमत हूँ कि:

    प्रत्येक युवा के 12 वीं पास होते ही 5 साल के लिए सेना में सेवा करना अनिवार्य कर देना चाहिए। उसके पश्चात ही वह अन्य सेवाओं के लिए पात्र हो सके। देश का प्रत्येक नागरिक सैनिक होगा और संकट का समय आने पर दो-दो हाथ करना भी जानता होगा। इसी लिए कहा गया है कि “शस्त्र रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चर्चा प्रवर्तते।“

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  18. यह देश तो वीर जवानों का नहीं नेताओं का है. वीर जवानों का होता तो आज सुभाष चन्द्र बोस लापता ना होता. हाँ यह सत्य है की आज हिन्दुस्तान के फौजी सबसे बेहतर नागरिक हैं.

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  19. आपने तो पूरी २६ जनवरी की परेड दिखा दी ।
    अच्छा लगा ये बढ़िया जानकारी पाकर ।
    हमारे परिवार में भी सेना से बड़ा लगाव रहा है ।

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  20. अच्छा विवरण दिया है आपने

    उम्दा पोस्ट....

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  21. .

    सुन्दर और उपयोगी जानकारी -- आभारी !

    .

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  22. इस सैनिक मेले का बढ़िया विवरण दिया आपने |
    भारतीय सेना को हमारा भी सलाम ||

    मैजिक नहीं ट्रिक है ये
    क्या कारण है रंग बदल लेने का गिरगिट के ?

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  23. किसी भी देश की सेना उस देश का गौरव होती है | लेकिन इस गौरव पर भी आजकल राजनीती हावी हो रही है |

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  24. इससे तो देश की तकदीर ही बदल जायेगी

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  25. रोचक विवरण। हमे भी अपने इन जवानो पर गर्व है और उन्हें सलाम करती हूँ। मेरा भारत महान। जय हिन्द।

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  26. सार्थक पोस्ट भारतीय सेना को हमारा सलाम.

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  27. शानदार लेखन और जानदार प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई .

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  28. Everybody has to read this article. Thanks for posting awesome information.

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