गुरुवार, 10 मार्च 2011

परबतिया भौजी की लाटरी

परबतिया भौजी नेता गिरी में जाती है, जब कोई पार्टी वाला बुला लेता है रैली, सभा के लिए सौ पचास रुपया दिहाड़ी में, घुम-घुम के सब जानने लगी, कि इन्टर नेट और ई मेल-फ़ी मेल क्या होता है।

एक दिन बोली-"लल्ला हमार भी, ऊ का कहत है, हाँ! ई मेल बनाई दो।"

हमने कहा-"' क्या करेंगी भौजी ई मेल का? तुमको तो सुअर चराना है और क्या।"

भौजी कहने लगी-" देखो लल्ला, सरकार के बहुत सारी इस्कीम आवत है, जौन में गाँव के लोगन का फ़ारेन लेई जात है। हमने नई बिधि से सूअर के गोबर के ईकोफ़्रेंडली गोइठा तैयार किए हैं। उसको सरकार ने मान्यता दे दी है, उर्जा का स्रोत मान के। गैस बहुत मंहगी हो रही है। इसलिए गोइठा को सिगरी में डाल के खाना बनात हैं। हमार इस्कीम सरकार ने मान ली है और फ़ारेन मा सुअर बहुत होत है, तो हमको वहाँ ईकोफ़्रेंडली गोइठा बनाना सिखाने के लिए ले जात है। तो अब ई मेल की जरुरत नइ पड़ेगी?"

मैने परबतिया भौजी का ई मेल बना दिया और उसको आई डी पास वर्ड पकड़ा के छुट्टी पाए- "जाओ भौजी तोहार ई मेल-फ़ी मेल सब तैयार है। ये कागज पकड़ो इसमें तोहार लेटरबाक्स के ताला-चाबी है। जब खोलाना होय तो ये कागज ले के आ जाओ, बाद में मैं देख दूंगा, कोई समाचार, संदेश होय तो।

तीन दिन बाद भौजी पहुंच गयी हमारे  पास और कहने लगी-" हमार लेटर बाक्स खोल के देखो जरा कोई चिट्ठी-पतरी आई है का?

मैने उनका ई मेल चेक कि्या तो एक मेल दिखा, जिसमें अंग्रेजी में लिखा था कि आप भाग्य शाली हैं आपका 500000 पौंड का लाटरी खुल गया है। अपना पता और टेलीफ़ोन नम्बर भेजें।

मैं मेल देख ही रहा था कि भौजी फ़िर बोल पड़ी-"बताते काहे नहीं हो लल्ला, का लिखा है?

मैने बता दिया कि एक चिट्ठी आई है, इंग्लैंड से, जिसमें लिखा है कि आपकी  500000 पौंड याने लगभग 4,00,00,000 की लाटरी खुली है। सुन के भौजी को गश आ गया। मै उनके मुंह पर पानी छींट कर होश में लाया।

बड़ी मुस्किल से मुंह से बोल फ़ूटे - "तो ये बताओ लल्ला पैसा कहाँ मिलेगा? "

अरे भौजी ऐसी लाटरी खुलने की चिट्ठी तो मेरे पास दिन भर 10-20 आ ही जाती है। उसे मैं कूड़े के डब्बे में डाल देता हूँ।"

भौजी को बात कुछ हजम नहीं हुई, मुझे ही गरियाने लगी, "लल्ला हम तुम्हारी सब चाल बाजी समझत हैं। हम अनपढ हैं समझ के बेवकूफ़ बना कर पुरा रुपया हड़पना चाहत हो। हमार भी नाम परबतिया है, पाई-पाई ले के छोड़ूंगी।"

अब गश खाने का समय मेरा था। समझाऊं तो समझाऊं कैसे? भौजी सड़क पर खड़े होकर होले पढी रही थी। तभी उसने कहा कि-" हमारा लेटरबाक्स का ताला चाबी लगा के हमारा कागज वापस करो। कल हम शहर जाकर देखाएगें।" मैने सोचा, चलो बला टली। उसका कागज देकर राम-राम किया। उसके बाद भौजी 2-3 महीना दिखाई ही नहीं दी।

एक दिन खेत जाते समय मिल गयी। मैंने पूछ ही लिया -" का हुआ भौजी तोहार लाटरी का, मिल गया रुपया?

बस मेरा तो ये कहना हुआ और भौजी फ़ट पड़ी -" का बताएं लल्ला, बताने में भी शरम आत है, तुमने सही कहा था। लेकिन हमारे ही दिमाग पर पत्थर पड़ गया था। ऊ लाटरी के चक्कर मा हमार सब सुअर बेचा गए। 30,000 रुपया जमा कराए बैंक में उनके खाते में। लालच पड़ गया था  कि रुपया मिलेगा तो कम से कम सुख से तो जीएगें। जब पैसा नहीं आया तो थाने में गए रपट लिखाने, दरोगा साहब बोले, इंग्लैंड का मामला है, वहीं रपट लिखाओ जाके। बताओ अब कैसे इंग्लैंड जाएं। ये अंग्रेज बहुत बदमाश हैं, पहले यहाँ रहके लूटते रहे देश को और जब छोड़ दिए तो ई मेल से लूट रहे हैं, सत्यानाश होई जाए इनका। किस मुंह से तुम्हे बताने आते।

मैने कहा-" भौजी, लतखोर बाज नहीं आते, चाहे जितना लतिया लो, जी भर के जुतिया लो। मेरे पास हजारों बार ई मेल आया है और मैने इन्हे लतियाया है, और कहा कि मुझे आपका ईनाम-ईकराम नहीं चाहिए, धरे रहो अपने पास।" अगर इनके ई मेल से रुपया मिलता तो मैं आज देश का सबसे धनी आदमी होता, ऐसे ही फ़ालतु घर में बैठ कर कम्प्युटर नहीं खटखटाता।

नोट गंवा के भौजी हालत गंभीर है, कल की महिला सभा में जाते टैम सायकिल पिचंर हो गई। अब कैसे करें?

फ़ूलचंद चचा से 14 रुपए मांग कर ले गयी। तब इनकी सायकिल का पंचर बना। घर वाला ठहरा निखट्टू। कोई काम-धाम तो करता नहीं, दिन भर बैठे ठाले ताश पीटता हैं, और मेम साहेब बिहाने-बिहाने तगाड़ी धर के सुअर चराने निकल जाती है।

31 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे पास भी यह मेल कई बार आ चुकी है, खोली ही नहीं।

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  2. हा हा हा ! अब तो किसी का इ मेल खुलवाने में भी खतरा है ।
    कोई कुछ करता क्यों नहीं ?

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  3. हा हा हा... बेचारी परबतिया भौजी... सेम यहीच BBC वाली ईमेल अपुन के पास भी आईली है... :-)

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  4. shi khaa bhaaijaan aaj kl is lotri ke sndeshon ne tng kr rkh diya he or kevl thgi ke sivaa kuchh nhin he lekin lalti ji hmare bdhe bhyyaa he isliyen unkaa andaaze bayaan to kuchh or he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  5. indu puri goswami @ Buzz- कैसे मिनख हो भाई? बेचारी परबतिया को सही राह नही दिखा सकते थे? हमारी तरह बड़ा दिल रखो,देखो सुबह सुबह ५०,००००० की लोटरी लगी हमारे, हमने अपने भाई को दे दी .अरे अपने पाबला भैया को. वो भी क्या याद रखेंगे कि कोई बहिन मिली थी इतनेएएएएएएएएएए बड़े दिल वाली.
    अगली बार की सारी राशि आपके नाम करती सबके सामने.सच्ची मर्द की जुबान है.

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  6. प्रकाशन संस्‍थान हिंदी साहित्‍य निकेतन की तरफ से वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार (आंचलिक) चुने जाने पर हार्दिक बधाई।

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  7. ईमेल के जमाने में लॉटरी लग रही है, चिट्ठी-पत्री के जमाने में 'पर्सनालिटी ऑ्फ द इयर' फिरते रहते थे.

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  8. अच्‍छी पोस्‍ट।
    अक्‍सर ऐसे मेल आते हैं लेकिन इसका आपने जिस तरह से प्रस्‍तुतिकरण किया वह लाजवाब है।
    शुभकामनाएं आपको।

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  9. एक सांत्वना मेरी भी परबतिया भौजी के लिये...

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  10. इन लाटरी वालों की क्‍लास बहुत अच्‍छी प्रकार से ली है।

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  11. परवतिया बहूजी तो गाँव देहात की ठहरी.. ऐसे लाटरी के चक्कर में बड़े पढ़े लिखे लोग अपना ऍफ़ ड़ी तुडवा लेते हैं... बढ़िया व्यंग्य..

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  12. परबतिया भौजी के माध्यम से जागरूक करने वाली पोस्ट ...बढ़िया ताना बाना बुना है

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  13. वाह परबतिया भौजी। बढिया पोस्ट। बधाई।

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  14. परबतिया भौजी भी बहकावे में आ गई :) वैसे भौजी का न परबतिया क्यों था कही पहाड़ की थी क्या ?

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  15. bahut mast...! bhaiya, parbatiya bhabhee ka e-mel pataa hamka bhee bataye deyo, hamau koi pattree bhej debay

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  16. parbatiya boji ka ye post ham charchamanch me kal rakh rahe hain... aapka aabhaar ... is sundar see post ko mei charchamnch par sheyar karungi... aapka dhanyvaad ..

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  17. @पी.सी.गोदियाल जी

    गाँव में नाम इसी तरह बिगाड़े जाते हैं।
    पार्वती-पारो-पारबती-परबतिया।

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  18. बहुत बढ़िया कहानी...

    प्रादेशिक भाषा का अच्छा संयोजन..!!

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  19. बेचारी...न जाने कितने ही रोज बेवकूफ बनते हैं.

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  20. भॊजाई हो तो परबतिया भॊजाई जेसी ....वाह जी आप ने परबतिया भॊजाई कॊ ही लुटने दिया.... हे राम केसे केसे देवर हे गांव मे

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