शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

2 अक्टुबर--बापू का आखरी वसीयत नामा----------ललित शर्मा

गाँधी जी ने महाप्रयाण के एक दिन पूर्व  दिनांक २९ जनवरी १९४८ को एक वक्तव्य लिखा था जो उनका आखरी वसीयत नामा माना जाता है,अक्षरश: यहाँ दिया जा रहा पढ़े ।

देश का बंटवारा होते हुए भी ,भारतीय  राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा मुहैया  किये गए साधनों के जरिये हिंदुस्तान को आज़ादी मिल जाने  के कारण मौजूदा स्वरूप वाली कांग्रेस का काम अब ख़तम हुआ-यानी प्रचार के वहां  और धारा सभा  की प्रवृत्ति चलाने वाले तंत्र के नाते उसकी उपयोगिता अब समाप्त हो गयी है.शहरों और कस्बों से भिन्न उसके सात लाख गांवों  की दृष्टि से हिंदुस्तान की सामाजिक,नैतिक, और आर्थिक आज़ादी हासिल करना अभी बाकी है.लोकशाही के मकसद की तरफ हिंदुस्तान की प्रगति के दरमियान सैनिक सत्ता पर नागरिक सत्ता को प्रधानता देने की लडाई अनिवार्य  है, कांग्रेस को हमें राजनैतिक पार्टियों और सांप्रदायिक संस्थाओं के साथ की गन्दी होड़ से बचाना चाहिए,इन और ऐसे ही दुसरे कारणों से अखिल भारत कांग्रेस कमेटी नीचे दिए हुए नियमो के मुताबिक अपनी मौजूदा संस्था को तोड़ने और लोक-सेवक-संघ के रूप में प्रकट होने का निश्चय करे, जरुरत के मुताबिक इन नियमों में फेरफार करने का अधिकार इस संघ को रहेगा, गांव वाले या गांव वालों के जैसी मनोवृत्ति वाले पॉँच वयस्क पुरुषों या स्त्रियों की बनी हुयी हर एक पंचायत एक इकाई बनेगी,पास-पास की ऐसी हर दो पंचायतों की उन्ही में से चुने हुए एक नेता की रहनुमाई में एक काम करने वाला दल बनेगा, जब ऐसी १०० पंचायते बन जाये तब पहले दर्जे के पचास नेता अपने दुसरे दर्जे का एक नेता चुने इस तरह पहले दर्जे का नेता दुसरे दर्जे के नेता के मातहत काम करे,२०० पंचायतों का के ऐसे जोड़ कायम करना तब तक जारी रखा जाये जब तक वो पुरे हिंदुस्तान को ना ढक ले और बाद में कायम की गयी पंचायतों का हर एक समूह पहले की तरह दुसरे दर्जे का नेता चुनता जाये,दुसरे दर्जे के नेता सारे हिंदुस्तान के लिए सम्मलित रीति से काम करें और अपने -अपने प्रदेशों में अलग-अलग काम करें. जब जरुरत महसूस हो,तब दुसरे दर्जे के नेता अपने में से एक मुखिया चुने, और वह मुखिया चुनने वाले चाहें तब तक सब समूहों को व्यवस्थित करके उनकी रहनुमाई करे,
२९-१-४८ 
मो.क.गाँधी, 



(मेरे सपनों का भारत से साभार)

17 टिप्‍पणियां:

  1. काश की बापू की छोड़ा अधुरा अभियान उनके सपनों का भारत साकार रूप धारण करे ......बहुत ही अच्छी और दुर्लब जानकारी संगृहीत की आपकी पोस्ट में आज आपने ....आभार

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  2. बेशक गाँधी जी का चिंतन बढ़िया था पर उन्होंने नेहरु को कांग्रेस में आगे करके जो गलती की वो देश को आज तक भारी पड़ रही है |

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  3. शहरों और कस्बों से भिन्न उसके सात लाख गांवों की दृष्टि से हिंदुस्तान की सामाजिक,नैतिक, और आर्थिक आज़ादी हासिल करना अभी बाकी है
    लगता है जैसे यह बात ६२ साल पहले नहीं , आज ही कही गई हो ।

    आभार इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए , जो सोचने पर मजबूर करती है ।

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  4. बहुत अच्‍छी प्रस्‍तुति। गाँधी ने ग्राम आधारित व्‍यवस्‍था का आग्रह किया था और नेहरू ने शहर आधारित व्‍यवस्‍था को अंगीकार किया था। साथ ही यह भी कहा था कि कांग्रेस को समाप्‍त कर नए राजनैतिक दल की स्‍थापना करनी चाहिए। लेकिन आज बात-बात में गाँधी की दुहाई देने वाले लोग क्‍या गाँधी की एक भी बात को मानते हैं? बस गाँधी के नाम का उपयोग किया जा रहा है और जनता की भावना से खेला जा रहा है।

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  5. बापू के वसीयत की आपने ठीक समय पर याद दिलाई .बापू के कथन को उनके अनुयाई न पढ़ते है और न सुनते है लेकिन राजनैतिक रोटी जरूर सेंकतें है .

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  6. बापू कि विचार धारा सही थी क्यों कि भारत तो गाँवों में बसता है |

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  7. दो अक्टूबर को जन्मे,
    दो भारत भाग्य विधाता।

    इनके चरणों में श्रद्धा से,
    मेरा मस्तक झुक जाता।।

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  8. कांग्रेस को हमें राजनैतिक पार्टियों और सांप्रदायिक संस्थाओं के साथ की गन्दी होड़ से बचाना चाहिए,
    ओर आज यही पार्टी इस गंदी दोड मै सब से आगे है, बहुत सुंदर लेख धन्यवाद

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  9. गांधीजी की जयन्ती आपने सबको उनके वसीयतनामे की याद दिलाई. आभार . उनका यह वसीयतनामा हम सबके लिए एक नसीहतनामा भी है. सवाल यह है कि हमने आज तक क्या नसीहत ली है ?

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  10. आजादी उतनी ही पायी हमने जितनी बापू दिला पाए ...
    रोचक जानकारी ...!

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  11. सच अगर वह आजादी के बाद कुछ वर्ष रहते तो भारत की तस्वीर कुछ और ही होती.
    जो रास्ता उन्होंने दिखाया है, अगर हम उसपर चल सकें, तो भी तस्वीर बदलते समय नहीं लगेगा.
    जय भारत
    मनोज खत्री

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  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति ..काश ऐसा हम कर पाते ..तो गाँव का रूप कुछ और होता

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  13. दुर्लभ दस्तावेज पढ़वाने के लिए ललित भाई आभार...

    आज गांधी जी कहीं भी हों, नीचे धरती की हालत देखकर यही गा रहे होंगे...

    देख तेरे इनसान की हालत क्या हो गई भगवान,
    कितना बदल गया इनसान, कितना बदल गया इनसान...

    जय हिंद...

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