गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

नापसंदी लालों के कारनामे

नापसंदी लालों के कारनामे ब्लागवाणी पर चल रहे हैं, कायरों की तरह नापसंद के चटके लगा रहे हैं। पीठ पीछे छुप कर वार करते हैं जयचंद की औलाद।  

पिछले कई महीनों से तमाशा जारी है, हमारा नापसंदी लालों को खुला आमंत्रण है कि आज इस पोस्ट पर खुल के जी भर नापसंद करो।

क्योंकि ऐसा ही कु्छ लिख रहा हुँ, जिसे तुम नापसंद करो। मै देखना चाहता हुँ कि तुम कहाँ तक गिर सकते हो?

अभी मेरी एक भाई से बात हो रही थी तो उन्होने कहा कि " आपका जब विरोध होना शुरु हो जाए तो समझ लो कि आप प्रसिद्ध हो रहे हैं और जलन, इर्ष्या,डाह इत्यादि भाव विरोधियों के मन में पनप रहे हैं।

क्योंकि वे आपकी लोकप्रियता से कुंठित हो रहे हैं और विरोध में आकर अपनी कुंठा निकाल रहे हैं।"

तो हे कुंठित-लुंठित मित्रों मेरा तुम्हे खुला निमंत्रण है आओ और अपनी कुंठा आज इस पोस्ट पर पुर्णरुपेण प्रकट करों।

कल के ब्लागवाणी के टॉप पोस्ट का स्क्रीन शॉट भी संलग्न है जो तुम्हारे पुरुषार्थ का गुणगान कर रहा है। स्वागत है तुम्हारा.......रहीम कवि कहते हैं

आप न काहु काम के डार पात फ़ल फ़ूल।
औरन को रोकत फ़िरे रहिमन पेड़ बबूल॥


नापसंद से नवाजी गयी पोस्टें

53 टिप्‍पणियां:

  1. बबूल का अपना चरित्र है, वैसे ही कुछ लोग आदत से लाचार।

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  2. jin logo kaa dimaag hee shaitaan kaa ho unkaa koi ilaaj hai bhlaa ? waise main is pasand naa paasand ko jyaadaa ahmiyat nahee detaa.

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  3. आपका जब विरोध होना शुरु हो जाए तो समझ लो कि आप प्रसिद्ध हो रहे हैं- सही तो कहा...काहे इतना प्रसिद्ध हुए. :)

    चिन्ता न करें इस सब की और लिखते रचते चलें....

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  4. ललित जी
    पता नहीं लोग क्यों सिर्फ ब्लोग्वानी व चिट्ठाजगत को ही सम्पूर्ण ब्लॉगजगत मान इनके आगे सोचते ही नहीं है | बस यही पसंद नापसंद व अपनी पोस्ट को मुख्य पृष्ट पर दिखती रहने की तरकीबे निकलते रहते है |

    वैसे कुछ लोग आदत से मजबूर है उन्हें एसा करते रहने दीजिए वे अपना खुद का समय ही जाया कर रहे है |

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  5. Prashid hone ka naya rasta hai. Chinta mat kariye, unka kam hi chillana hai.

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  6. लीजिये शर्मा जी,जयचंदों ने ना पसंद लगाया लेकिन हमने पसंद का लगा दिया / क्या शर्मा जी आप भी किन मुद्दों को छूने लगे,जिनका कोई आधार नहीं / आप अपनी सार्थकता को देश और समाज के विकाश के साथ-साथ ब्लॉग और ब्लोगरों के,वैचारिक मतभेद रहते हुए भी ,किसी सच्चाई व अच्छाई के मुद्दे पे सारे एकजुट हों , इस प्रयास की और लगायें / आशा है,आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

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  7. क्या महाराज, आप भी किस बात को पकड़ बैठे?
    जिसके पास जो चीज है, वही तो देगा। काहे की चिंता करते हो।
    ये कुंठित लोग कितने कर्तव्यपरायण हैं, हमें तो इनसे प्रेरणा लेनी चाहिये।

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  8. @संजय जी
    हम कहाँ पकड़ कर बैठे हैं इन्हे?
    कुछ बाहरी हवा है सोचा,मर्चा का धुनी ही लगा दें।
    जिससे इनको समझ में आ जाए,
    नहीं तो फ़िर बजरंग बली महाराज का आह्वान करेगें
    हमारे तो वही सहाय हैं। गदा से मार-मार के सु्धार देते हैं।
    और जो एक बार गदा प्रसाद पा जाता है,फ़िर वह सुधर ही जाता है।

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  9. अरे पसंद नहीं नापसंद ही सही कुछ तो देकर ही जा रहे हैं न ये जयचंद रखो लो क्या जाता है, कुछ लेकर ता नहीं जा रहे हैं। ऐसा तो हमारे साथ भी हो रहा है काफी समय से।

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  10. अब तो ब्‍लागवाणी को नापसन्‍द का चटका बन्‍द कर देना चाहिए। नहीं तो यह खेल चलता ही रहेगा। हम सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए।

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  11. ...."नापसंदी लाल" लोगों की कनपटी पर बहुत बुरा मारा है, वे सडक पर उतर कर चक्काजाम करने की योजना बना रहे होंगे ... जल्दी ही लोकसभा में प्रश्न उठने वाला है जवाब देने के लिये तैयार रहो ललित भाई !!!!

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  12. ललित भाई,
    ये भारतीय केंकड़े हैं...एक ऊपर निकलेगा तो टांग पकड़कर नीचे खींचने की कोशिश करेंगे ही...

    जय हिंद...

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  13. शान्त वत्स शान्त!

    निन्दक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाय।
    बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुहाय॥

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  14. भाई ताऊ प्रकाशन का सद साहित्य काहे नही पढते? सब संकट दूर हो जायेंगे. जय बजरंग बली.

    रामराम.

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  15. हा हा हा
    अभी एक पकड़ में आया है
    जयचंद की औलाद-बाकी भी आते ही होगें।
    अपने को साबित करने के लिए।

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  16. ये विचारों के जयचंद हैं, जिनके विचार आपसे नहीं मिलते हैं, इसलिये गुस्साये नहीं, हम भी अपनी पोस्टों पर इनको झेल चुके हैं, मुंबई ब्लोगर मीट की रिपोर्टिंग में भी नापसंदगी के चटके लग चुके हैं क्या कहें !!

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  17. क्या कोई तरीका है जिस से पता लगाया जा सके कि कौन भाई,कोनसी मेहरबानी कर रहा है?मतलब....

    कुंवर जी,

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  18. बेवजह जिस पोस्‍ट पर एक भी नापसंद का चटका दिखे .. हम ब्‍लॉगरों द्वारा उस लेख को पसंद के चटकों से महत्‍वपूर्ण बना दिया जाए .. बस एक दिन में उनकी आदत सुधर जाएगी !!

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  19. एक व्यक्ति को गालियां पड़ रही होती है तो वह खुश होता है। दूसरा जब इस बारे में पूछता है तो पहले का जवाब था - कुछ लेकर तो नहीं गया, देकर ही जा रही है। गालियां ही सही।
    ....तो सार यह है कि ललित जी कि सामने वाले दे तो रहे हैं।
    इधर तो कोई देने वाला भी नहीं है। गालियां ही सही।
    वैसे भी, ऐसे लोगों को जयचंद कहना ठीक नहीं है। ये तो अपनी लंका ढहाने की तैयारी कर बैठे लोग हैं।

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  20. सही किया जी
    मिर्चा की धूनी लगाये के
    अब आंखें मिचमिचा रहे होंगें

    प्रणाम

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  21. ललित जी ये आपने ठीक नहीं किया जो इस तरह की पोस्ट लगाई! सारा ध्यान अब आपकी तरफ़ हो गया है इनका। मैं तो अपने जासूसों और सैनिकों की मदद से इनकी कुंडली बनाने में लगा हूँ और आपकी इस पोस्ट के बाद मेरी पोस्टों पर कोई आ ही नहीं रहा है नापसंद का चटका लगाने। सारे सैनिक इंतज़ार कर रहे हैं।

    अगर आप भी इन नापसंदियों का लेखा-जोखा बनाना चाह्ते हैं तो भिलाई आ कर कुछ सैनिक ले जाएं। जासूसों के लिए तो आपको अंटी ढीली करनी होगी :-)

    नापसंद खेल जारी रहे :-D

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  22. नापसंदी लालों के कारनामे ब्लागवाणी पर

    -आज बंदूक किस पर तानी है?नपसंदियों पर या ब्लॉगवाणी पर?

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  23. नापसंदी लालों को खुला आमंत्रण है

    -क्यों नपुंसकों को आमंत्रण दे रहे हो

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  24. खना चाहता हुँ कि तुम कहाँ तक गिर सकते हो?

    -पैरों पर तो गिर ही चुके हैं ये!अब क्या पाताल में गिराने का इरादा है क्या ललित जी?

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  25. अभी मेरी एक भाई से बात हो रही थी

    -कितने भाई हैं आपके?कहीं यह दुबई वाला भाई तो नहीं?

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  26. समझ लो कि आप प्रसिद्ध हो रहे हैं

    -अरे आप तो वैसे ही प्रसिद्ध हैं!अब ये लोग और प्रसिद्धि दे रहे हैं

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  27. वे आपकी लोकप्रियता से कुंठित हो रहे हैं और विरोध में आकर अपनी कुंठा निकाल रहे हैं।

    -बिल्कुल सही है

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  28. अपनी कुंठा आज इस पोस्ट पर पुर्णरुपेण प्रकट करों।

    -भई अपन तो कुंठित नहीं!तभी तो यहाँ कमेंट कर रहे पसंद-नापसंद बाद में देखेंगे

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  29. पुरुषार्थ का गुणगान

    -क्यों बंकस मारता है बाप!

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  30. औरन को रोकत फ़िरे रहिमन पेड़ बबूल॥

    -लेओ अब तुम्हई बैठो और कर लो पसंद कबूल

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  31. हम सबको मिलकर आवाज उठानी चाहिए

    -क्यों?बहुत भारी है क्या आवाज :-)

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  32. जिस पोस्‍ट पर एक भी नापसंद का चटका दिखे .. हम ब्‍लॉगरों द्वारा उस लेख को पसंद के चटकों से महत्‍वपूर्ण बना दिया जाए ..

    -आप मुहूर्त निकालिये

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  33. लोकसभा में प्रश्न उठने वाला है

    -अभी तक प्रश्न क्यों नहीं उठा?

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  34. भिलाई आ कर कुछ सैनिक ले जाएं।

    -ले ही आईये ललित जी!इनके सैनिक बहुत काम के होते हैं।बस निगरानी भर करनी पड़ती है सैनिकों की। वरना...

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  35. नापसंद खेल जारी रहे

    -तभी तो इनके सैनिक काम कर पायेंगे :-)

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  36. मैं तो अपनी थकान उतार रहा हूँ.... लाठी-बल्लम भी ज़ंग खा गए हैं इन दो महीनों में.... अभी तेल-पानी लगा कर धूप दिखा रहा हूँ न..

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  37. जो नापसंदगी के चटके व्यक्तिगत वैमनस्य के कारण लगाये जाते हैं तो लगाने वाले की निम्न सोच है...यदि विषय पर लगाये जाते हैं तो सबको पसंद और नापसंद करने का अधिकार है....लेकिन नापसंदगी दिखाई ही क्यों जाती है? ????? बहुत से लोग कोई पोस्ट पसंद करते हैं तो ज़रूरी नहीं की चटका भी लगाएं..उसी तरह नापसंद करने पर भी इसकी ज़रूरत नहीं....इसको हटा देना ही चाहिए...

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  38. @Sanjeet Tripathi

    ध्यान आकर्षित करवाने के धन्यवाद्।

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  39. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  40. मैंने भी एक बार कह कह कर नापसंद लगवाया था -गिरिजेश जी ने भी एक ठोका था मेरे ब्लॉग पर !

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  41. आज पता चला इस चटके का जी मै तो अपने ही ब्लांग पर ढुढता रहा, आप ने सही लिखा कि यह सिर्फ़ कुष्ठा निकालने के लिये ही है, लेकिन हमे क्या जी जो लोग चिडॆगे वो ही कुष्ठा निकालेगे, निकालने दो, वर्ना बेनामी बन के टिपण्णियो मै तंग करेगे. हे राम कब अकल देगा इन लोगो को!!! ललित जी बहुत सुंदर लिखा धन्यवाद

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  42. @Jyotsna
    आप पहली बार आई हैं इसलिए आपकी टिप्पणी रख रहा हुँ।

    पहले पोस्ट पढो और समझो उलजुलुल अर्थ निकालने की कोशिश मत करो,
    जो बिना बुलाए जयचंद औलादें नापसंद का चटका रोज मारे जा रही हैं उनका आह्वान कि्या जा रहा है।

    और मुझे लगता है आप भी उनमें ही शामिल हैं जो फ़र्जी प्रोफ़ाईल ले कर मुंह छुपाए घुम रही है।

    इसके बाद आपकी एक भी कमेंट यहां रखी नही जाएगी, हटा दी जाएगी।

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  43. भाई आजकल इन लोगों की थोडी सी कृ्पादृ्ष्टि तो हम पर भी होनी शुरू हुई है...ज्यादा नहीं तो यही कोई 1/2 नापसंद के चटके तो अपनी हर पोस्ट पर मिल ही जाते हैं...इसका मतलब हम ये समझे कि अपनी भी मार्किट वैल्यू बढने लगी है :-)

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  44. kuchh logon ne bahut pahale asaraani ki ek film dekh lee thee. uskaa naam tha-''ham nahi sudharenge''. ab kyaa kiyaa jaa sakataa hai. bus kaam karate chalo.

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  45. ललित बिटवा ई ज्योत्सना कलमुहीं को नाही जानत का? ई त सुरसतिया है..

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  46. लगता है सब मज़े ले रहे हैं , ललित भाई।

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  47. ...कौन है भाई ये Jyotsna जो अपनी खुजली मिटवाने कमर मटकाते दर दर भटक रही है ... देखो अगर कोई है उसका तो संभाल कर रखो कहीं ऎसा न हो कि .... बाद में लेने-के-देने पड जाये !!!

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  48. ...खुजली अर्थात दिमागी क्रीडा के काटने से उपजी पीडा से है !!!

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  49. ललित जी, आप अपनी ऊर्जा लेखन में ही लगायें. नापसन्द वालों पर ऊर्जा व्यय करने का कोई लाभ नहीं.. एक और बढ़िया पोस्ट के इन्तजार में.

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  50. बबूल का अपना चरित्र है, वैसे ही कुछ लोग आदत से लाचार।

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