सोमवार, 13 सितंबर 2010

दांत का दर्द में लूट डॉक्टर की

दांत में अचानक दर्द हो गया, मैं रात की बस से जगदलपुर से आ रहा था. बस में लेटे-लेटे दर्द से व्याकुल हुआ तो आखिर में बैग में पड़ी एक दर्द निवारक दवाई लेनी ही पड़ गई, सोचा थोडा दर्द कम हो जायेगा. लेकिन दवाई लेने के बाद भी दर्द कम नहीं हुआ.

जैसे-तैसे रात कटी. सुबह घर पहुंचा. सोचा कि अब डॉक्टर को दांत दिखाना चाहिए, नहीं तो दर्द के मारे बुरा हाल हो जायेगा. ये सोच कर मैंने दांत के डॉक्टर की तलाश की, वैसे तो शहर में सैकड़ों डॉक्टर हैं, पर मैं थोडा विश्वास का डॉक्टर चाहता था. एक बार पहले भी एक दांत निकलवाया था.

मैं पता करके डॉक्टर के पास पहुंचा, तो हमारे विख्यात चित्रकार डी.डी. सोनी जी मिल गए, वो बोले कहाँ ?

 डॉक्टर के पास जाते हो? मैं एक मंजन बताता हूँ, उसे लगाओ और दांत की सारी बीमारी ठीक हो जाएगी. मैंने उनकी बात की तरफ ध्यान ही नही दिया और क्लिनिक में घुस गया।


एक बहुत सुन्दर सुसज्जित केबिन, जिसमे कंप्यूटर आदि लगा कर सजाया गया था, डॉक्टर ने मेरा दांत देखा, और कहा कि आपका जो दांत निकला हुआ है. उसे फिर से लगाना पड़ेगा कई दांत दिखाए और नाप देने को कहा.

मैंने कहा कि अभी मै बाहर दौरे पर जा रहा हूँ, आने के बाद नाप दे दूंगा. पहले इस दर्द का इलाज करो, पेन किलर से भी ठीक नहीं हो रहा है. उसने कहा कि आप 1000 रूपये जमा करवा दो, मैंने 1000 रूपये जमा कर दिये, उसने कहा कि आपके दांतों की सफाई करने पड़ेगी,फिर दर्द ठीक हो जायेगा.

उसने कुर्सी पर बिठा कर दांत की सफाई कर दी और लग-भग 500 रूपये की गोली दवाई पेस्ट इत्यादि लिख दिया. हमारी दुबारा मिलने की तारीख भी तय हो गई, जब दांत का नाप देना था. उसने कहा कि जब आप दुबारा आओगे तो आपके दांत की सफाई एक बार और कर दूंगा, उसका चार्ज नहीं लगेगा।


मैं केरल के दौरे पर चला गया, कुछ दिन तो दर्द ठीक रहा, वापसी में एक दिन फिर शुरू हो गया, मैं फिर से उस डॉक्टर के पास गया. तो उसने एक दांत की कीमत 800 से 2000 तक बताई, और एक दांत के लिए तीन दांत लगाने पड़ेंगे. मैं अब समझ चुका था कि ये डॉक्टर "माल प्रैक्टिस" पर उतर आया है.

मैंने कहा आप दांत की सफाई कर दो. तो उसने देख कर कहा कि अब सफाई की जरुरत नहीं है. अभी कुछ दिन पहले तो की थी. मैंने कहा अब मेरा हिसाब कर दो, जो मैंने 1000 रूपये जमा करवाए हैं. देखो उसमे से कितने रूपये बचे हैं ?

मुझे वापस कर दो. मुझे नए दांत नहीं लगवाने. तो डॉक्टर बोला वो तो हो गए दांत सफाई के, येल्लो गयी भैंस पानी में, दिन दहाड़े डाका पड़ गया। जिन दांतों की सफाई 60 रूपये में करवाई थी. उसके एक हजार रूपये. मैं अपना बैग उठा कर चुपचाप चला आया,

आते ही मैंने डी.डी. सोनी के बताये हुए 40 रूपये के मंजन को मंगवाया और उसका इस्तेमाल किया, तब से आज तक दांत में दर्द नहीं हुआ है.

सारे डॉक्टर लूटेरे नही हैं, पर कुछ डॉक्टर तो ऐसे हैं जो मर्ज से पहले मरीज को ही ठिकाने लगाने का काम करते हैं, बेख़ौफ़ हो कर. लेकिन कुछ हैं जिन्होंने इस पेशे को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

हमारे एक डॉक्टर मित्र हैं, उन्होने दिव्य दृष्टि पाई है। बिना किसी एक्स रे के ही जान जाते हैं कि मरीज जेब में कितने रुपए लेकर आया है और कितने रुपयों तक का इलाज झेल जाएगा। उसके बाद उसका मुंडन शुरु कर देते हैं। किसी ने सही कहा है:-

इनको  क्या  काम  है मुरव्वत से 
ये  अपने  रुख  से  मुंह  ना मोड़ेंगे 
फरिस्ते  शायद  जान  छोड़ भी दें
पर डॉक्टर अपनी फ़ीस ना छोड़ेंगे

25 टिप्‍पणियां:

  1. दांत के दर्द के तो हम भी शौकीन है लेकिन हमारे डेन्टिस्ट महोदय इतने इमानदार है कि अभी तक एक्स रे भी नही किया है कहते है क्यो बेकार मे रुपये जाया करओगे एक गोली खा लो और दर्द भूल जाओ

    जवाब देंहटाएं
  2. ऐसे डॉक्टरों की खूब विज्ञापन करें जिसके कोई और शरीफ आदमी ऐसे डॉक्टर के चंगुल में न फसें,मैं भी चार साल पहले १२०० रूपये गवाने के साथ-साथ एक दांत में कैप भी लगवा चुका हूँ ,लेकिन वो डॉक्टर महिला थी इसलिए मैंने उसकी ठगी के लिए उसे कुछ नहीं कहा ,अगर कोई पुरुष होता तो मैं भी उसकी सामाजिक खिदमत जरूर करता ..ऐसे डॉक्टर समाज में कोढ़ की तरह हैं इनको कटोरा लेकर भीख मांगना चाहिए था लेकिन ये डॉक्टर बन गए और लोगों को लूट रहें हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  3. मंजन का नाम बता दीजिये।
    काफी लोगों का भला हो जायेगा जी।

    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  4. दांत का दर्द , पन्द्रह सौ का फ़टका , इसीलिए तो कहते हैं दांतों के डॉ को " झटका " ।

    जवाब देंहटाएं
  5. ये भाई तो अपना पेशा सार्थक कर गए - पैसे दाँत से ही पकड़ने वाले निकले .. खैर आपका दर्द ठीक हो गया, ये अच्छा हुआ, अब इससे पहले की नया दर्द शुरू को, कोई दाँतों के डाक्टर वाला ब्लोगर बंधू ढूंढ लीजिये तो बेहतर ...

    जवाब देंहटाएं
  6. जे कहिये की दांत ठीक हो गए ... वरना ये कराह कराह कर हालत तो पतली कर ही देते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. लालित भाईजी ,हमने आजकल ऐसा ही सिस्टम देखा है जहां भी अडवांस पैसा जमा करवाते है उस अस्पताल से आप वापसी में फूटी कोड़ी भी प्राप्त नहीं कर सकते है आपके हाथ में पूरे पैसों का बिल थमा दिया जाता है | भले ही कैसे भी समायोजन करना पड़े | आप मामूली मरहम पट्टी करवाते है तो भी आपसे अडवांस हजार रूपये लेकर आपको जाते हुए हजार रूपये का बिल थमा दिया जाएगा |पांच हजार लेने पर पांच हजार का बिल थमा दिया जाएगा |भले ही मरहम पट्टी ही की हो |

    जवाब देंहटाएं
  8. ... dekh ke lalit bhaai ... mareej unhen a.t.m. dikhaai dete hain ... !!!

    जवाब देंहटाएं
  9. कुछ साल पहले हमारे मित्र के साथ दिल्ली मै ऎसा ही वाक्या हुआ था, तो मित्र मोहदय आती बार उस डाक्टर का दांत भी लेते आये थे:)आप तो फ़ोजी है बडी बदी मुंछो वाले, ओर उस डाक्टर की बतीसी क्यो नही लाये निकाल कर

    जवाब देंहटाएं
  10. एसा ही आजकल डाक्टरों का हाल
    अभी मैं जोधपुर गया था वहां मेरी होटल वाले अहसान भाई को एसिडिटी हो गयी तो पर एक निजी चिकित्सालय ने उनका दिल का इलाज शुरू कर दिया दस दिन में तीन लाख ठग लिए बाद में उनके एक जानकार डाक्टर के हस्तक्षेप करने व निजी चिकित्सालय को धमकाने पर निजी चिकित्सालय वालों ने छुट्टी दी और वो एसिडिटी की दवाइयाँ खा कर चंगे भले हो गए |
    वही निजी अस्पताल नागौर के व्यक्ति को भी इलाज के नाम पर ठग रहा था और आखिर ठगने के बाद उसे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया जहाँ उस मरीज की मौत हो गयी , इस पर मरीज के पुत्र ने सरकारी अस्पताल से अनुरोध कर बिना पोस्ट मार्टम किये लाश ली व दुबारा उसी निजी चिकित्सालय में आकर अपने मृत पिता को दुबारा इलाज के भर्ती करा दिया जहाँ वे बेवकूफ लालची डाक्टर लाश का भी इलाज करने के नाम पर उससे दवाएं मंगवाते गए वह व्यक्ति भी खेला खाया था तीन दिन तक अपने आप को ठगवाता रहा तीसरे दिन उसने सरकारी अस्पताल का अपने पिता का मृत्यु प्रमाण दिखाया और कहा कि-तुम क्या तीन दिन से मरे व्यक्ति का इलाज कर रहे हो आखिर निजी अस्पताल वालों ने जो रुपया इलाज के नाम से ठगा था के अलावा तीन लाख और देकर छूटे |

    जवाब देंहटाएं
  11. मैंने तो अपने बच्चों को कहा है कि डेंटिस्ट ही बनना :)

    जवाब देंहटाएं
  12. कुछ डाक्टर ऐसे भी हैं ....अगर दांत ऊपर वाला खराब हो तो नीचे वाला निकाल देते हैं ...उन का कहना है कि दांत का कीड़ा तो नीचे वाले दांत पर बैठकर ही ऊपर वाले दांत को खा रहा है....तो पहले कीड़े के कुशन का इलाज जरूरी है...बाकी सब बाद में देखा जाएगा ।

    जवाब देंहटाएं
  13. इनको क्या काम है मुरव्वत से
    ये अपने रुख से मुंह ना मोड़ेंगे
    फरिस्ते शायद जान छोड़ भी दें
    पर डाक्टर अपनी फ़ीस ना छोड़ेंगे
    भाई साहब , घोड़े को घास से दोस्ती की सीख दे रहे है आप तो :)!

    जवाब देंहटाएं
  14. manjan lagaate rahiye daant theek rahegaa....bechare dentist to pata nahi 4 saal tak sirf daanton ke baare me kyaa padhate hain?

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छे ललित जी...
    आपका यह लेख पढ़ मुझे शेक्ष्पीयर की एक कविता याद आ रही जो हमें 10th क्लास में पढ़ाई गयी थी, जिसमें उन्होंने डेंटिस्ट को ठेकेदार और मरीज के मुंह को वो रोड कहा था जो "under-constructions" है। जहाँ रोड पर काम हमेशा जारी रहता है और ठेकेदार का पेट भरता रहता है...

    जवाब देंहटाएं
  16. "कामर्सिलाईज हो गए हैं 'धरती के भगवान्'
    कई बार तो फीस लेकर भी नई देते वरदान."
    राजधानी में कई नर्सिंग होम हैं जहां भर्ती के पहेले ऑप्सन रखा जाता है... कौन सा रूम लेंगे एसी, नान एसी, डीलक्स, सुपर डीलक्स

    जवाब देंहटाएं
  17. ललित जी , अभी तो एक ही दांत की कहानी सुनाई है । अभी तो ३१ बाकि हैं । मेरी मानो , दांतों का बीमा करा लो ।

    जवाब देंहटाएं
  18. मैं तो भुक्त भोगी हूं |यदि एक बार डाक्टर के चंगुल में फंसे तो कितने पर उतरेगी कहना बहुत मुश्किल है |आपने बहुत अच्छा विषय चुना रचना का |पड़ने में बहुत आनंद आया |बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  19. एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है.




    हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!

    जवाब देंहटाएं
  20. ललित भाई, मुबारक हो...
    आपने और हमने निर्वाण की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है...
    मुंह में दांत नहीं और पेट में आंत नहीं...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  21. साल भर से पुरानी पोस्‍ट पर मेरी भी टिप्‍पणी समर्पित है। डॉक्‍टर भगवान भी हैं, शैतान भी। पैसे भी लूटते हैं, दांत भी। दर्दे दांत की निराली दास्‍तां है। हम सो गए कहते कहते। वह रो गए सुनते सुनते। फिर भी कोई उचित निदान तो होगा ही, वरना न मसूड़ा रहे और न दांत। बतलाइये बतलाइये कोई सही पता और उचित निदान। जो सस्‍ते में न सही पर उचित मूल्‍य पर करता हो निदान। मेरा मसूड़ा है परेशान। अपनी शक्‍ल भी अब तो किसी को दिखला सकता नहीं।

    जवाब देंहटाएं