रायपुर से दिल्ली की फ़्लाईट में सवार हुआ, फ़्लाईट दिल्ली पहुंचने में पूरे दो घंटे का समय लेती है। प्लेन ने टेक ऑफ़ किया और मैं एक मैग्जिन पढने लगा। व्योम बालाएं चाय नास्ता सर्व करने लगी। इसी बीच काकपीट का दरवाजा खुला, पायलट प्लेन में चक्कर काटने लगा।
मेरे साथ बैठे दुबे जी पूछा-“पायलट क्यों चक्कर काट रहा है?मुझे तो कुछ शंका हो रही है।“
“मैने पूछा किस बात की?”
“कहीं ये देखने आया हो कि कितनी सवारियाँ मरेंगी”?
“अरे ऐसा तुम क्यों बोल रहे हो”?
“मैने तो पहले कभी पायलट को इस तरह प्लेन में चक्कर काटते नहीं देखा,ऐसा तो पहली बार देख रहा हूँ।“
“हो सकता है यूँ ही चला आया हो, तफ़री करने।“
“अब यह काकपीट के अंदर जाकर एलाऊंस करने वाला है, प्लेन का एक इंजन फ़ेल हो गया है, सवारियाँ अपनी सीट बेल्ट बांध लें, क्रेश लैंडिग की तैयारी की जा रही है”?
“अरे शुभ-शुभ बोलो महाराज।“
“खैर मरने के बाद पता चल ही जाएगा कि सवारियाँ क्यों मरी है।“
“हां, इसमें एक ब्लेक बॉक्स होता है, जिसमें फ़्लाईट डेटा रिकार्डर होता है, जो कि नष्ट नहीं होता।“
“जब ब्लेक बॉक्स इतना मजबूत बनाते हैं,तो प्लेन क्यों नहीं बनाते?- दुबे जी ने सवाल खड़ा किया।
मैं अनुत्तरित था, इसका जवाब मेरे पास नहीं था। तभी एलाऊंस हुआ, हम दिल्ली एयरपोर्ट पर लैन्ड करने वाले हैं, यात्रियों से अनुरोध है कि अपनी सीट बेल्ट बाँध लें…….।
मेरे साथ बैठे दुबे जी पूछा-“पायलट क्यों चक्कर काट रहा है?मुझे तो कुछ शंका हो रही है।“
“मैने पूछा किस बात की?”
“कहीं ये देखने आया हो कि कितनी सवारियाँ मरेंगी”?
“अरे ऐसा तुम क्यों बोल रहे हो”?
“मैने तो पहले कभी पायलट को इस तरह प्लेन में चक्कर काटते नहीं देखा,ऐसा तो पहली बार देख रहा हूँ।“
“हो सकता है यूँ ही चला आया हो, तफ़री करने।“
“अब यह काकपीट के अंदर जाकर एलाऊंस करने वाला है, प्लेन का एक इंजन फ़ेल हो गया है, सवारियाँ अपनी सीट बेल्ट बांध लें, क्रेश लैंडिग की तैयारी की जा रही है”?
“अरे शुभ-शुभ बोलो महाराज।“
“खैर मरने के बाद पता चल ही जाएगा कि सवारियाँ क्यों मरी है।“
“हां, इसमें एक ब्लेक बॉक्स होता है, जिसमें फ़्लाईट डेटा रिकार्डर होता है, जो कि नष्ट नहीं होता।“
“जब ब्लेक बॉक्स इतना मजबूत बनाते हैं,तो प्लेन क्यों नहीं बनाते?- दुबे जी ने सवाल खड़ा किया।
मैं अनुत्तरित था, इसका जवाब मेरे पास नहीं था। तभी एलाऊंस हुआ, हम दिल्ली एयरपोर्ट पर लैन्ड करने वाले हैं, यात्रियों से अनुरोध है कि अपनी सीट बेल्ट बाँध लें…….।
हा हा हा ! सवाल तो बड़ा वाजिब है ।
जवाब देंहटाएंवैसे पता चला पायलेट क्यों चक्कर लगा रहा था ?
डॉ टी एस दराल
जवाब देंहटाएंभाई साहब ये राज की बात है
जिसका पर्दाफ़ाश शाम की सभा में होगा
हा हा हा
llit bhaayi bat to shi likhi he lekin iska prutikrn jis andaaz men aapne kiyaa he iskaa bhi jvaab nhin bhut khub andaaz he mubaark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएं... बहुत सुन्दर !!!
जवाब देंहटाएंएक राज की बता रहा हूं। ‘सार्वजनिक’ मत करना। इसी महीने में रायपुर आ रहा हूं। इस बार सच्ची कह रहा हूं, मजाक नहीं कर रहा हूं।
जवाब देंहटाएंनीरज जाट जी
जवाब देंहटाएंपहुंचो-मिलते हैं।
वाह वाह वाकई सही है कि प्लेन ब्लैक बॉक्स जैसे मजबूत क्यों नहीं बनाये जाते हैं। पायलट व्योम बालाओं को देखने आया होगा या फ़िर बराबर ब्रेकफ़ास्ट नहीं मिला होगा तो इस चक्कर में वो चक्कर मार रहा होगा ।
जवाब देंहटाएंकिसी वस्तु की अच्छाई को अनदेखा करके उसकी खामी निकालना तो हमारे विचार से उचित बात नहीं है। खैर, उम्मीद करते हैं कि अब दुबे जी स्वयं ही ऐसा प्लेन बनाने में जुट जाएँगे जो कि ब्लैक बॉक्स जैसा ही मजबूत हो!
जवाब देंहटाएंपायलट का पेट खराब लग रहा है |
जवाब देंहटाएंमेरे साथ बैठे दुबे जी पूछा-“पायलट क्यों चक्कर काट रहा है?मुझे तो कुछ शंका हो रही है।“
जवाब देंहटाएं“मैने पूछा किस बात की?”
“कहीं ये देखने आया हो कि कितनी सवारियाँ मरेंगी”?
हा-हा- उलटा बोल गए दुबे जी , कहना ये चाहिये था की ये देखने आया है की कितनी बच सकती है
हा-हा-हा
जवाब देंहटाएंतर्काधार पर तो दुबे जी ने सही बात कही है जी
प्रणाम
:) :) सुरक्षित पहुँच गए ....पर दुबेजी का प्रश्न भी वज़नदार था ..आज के माहौल में शंका उठनी स्वाभाविक है
जवाब देंहटाएंवाह दुबे जी वाह
जवाब देंहटाएंदुबे जी के यक्ष प्रशन ...........
लगता है बात आस्था और तर्क कि है ..
बढिया
सवाल ये है कि पायलट काकपिट से निकल कर चक्कर क्य़ूं काट रहा था? सबकी जानकारी के लिये बता दूं कि यह कोई साधाराण प्लेन और साधारण पायलट नही था. यह एक उन्न्त तकनीक का विमान बनाया गया है जिसे ये टेस्ट पायलट उडा रहा था.यात्रियों को इसकी जानकारी नही दी गई थी. अभी तक तो एक निश्चित ऊंचाई पर पहुंचकर जहाज को ओटो मोड मे कर दिया जाता है यानि जहाज अपने आप उडता रहता है. पर अब ताऊ बोईंग कंपनी ने यह एक ऐसा हवाईजहाज बनाया है जो टेक आफ़ से लेकत लैंडिंग तक स्वचालित प्रणाली से करता है.
जवाब देंहटाएंऔर आप लोग उसी में सवार हो गये. पायलट खुद डर के मारे बाहर चक्कर काट रहा था क्योंकि काकपिट में उसके करने के लिये तो कुछ था ही नही, जब देखा कि दूबे जी डर गये हैं और यात्रियों मे उसकी उपस्थिति से दहशत फ़ैल सकती है तो वो अंदर काकपिट मे चला गया वर्ना लैंडिंग भी स्वचालित प्रणाली से ही संपन्न हुई. यह पहली उडान सफ़ल रही और फ़िलहाल ऐसी उडाने गुपचुप जारी रहेंगी.
संपूर्ण परीक्षण के बाद भविष्य में प्लेन पायलट के बिना ही उडान भरेंगे.
रामराम.
अब तो take off के पहले ही landing होने लगी है..
जवाब देंहटाएंha ha ha bahut hi badhiya
जवाब देंहटाएंrahasya ...romaanch aur antatah haasy se bharpoor...
जवाब देंहटाएंपायलट ब्लॉगर रहा होगा..वृतांत में लिखेगा कि कित्ती सवारियाँ क्या क्या कर रही थीं..पोस्ट के जुगाड़ में निकला होगा...ऐसा मुझे डाउट हो रहा है.
जवाब देंहटाएंहा हा हा मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंभईया लगता है आप भी कामन वेल्थ गेम्स
की तैयारियों का जायजा लेने पहुँच गए हैं.
हा हा हा ! ललित जी , राज़ की बात कुछ कुछ तो समझ में आ रही है ।
जवाब देंहटाएंपर कमाल है , अभी तक किसी और की समझ में क्यों नहीं आई ।
कितना भी मज़बूत बना लो जहाज़ को किसी भी सवारी को, जब किसी ने जाना होता है तो चारपाई से गिर कर ही चला जाता है.... :-)
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल:
मुझको कैसा दिन दिखाया ज़िन्दगी ने
@डॉ टी एस दराल
जवाब देंहटाएंबाद में हमें पता चला कि पायलट की बीबी बैठी थी सवारियों में-उसका हाल चाल देखने काकपिट से बाहर निकला था।
हा हा हा
पायलट ब्लैक बॉक्स ही ढूंढ रहा होगा कि कहीं कोई पैसेंजर उसे बहुत ही मज़बूत मान कर झोले में न डाल बैठा हो souvenir मान कर. :-)
जवाब देंहटाएंसवाल एकदम जायज है..
जवाब देंहटाएंव्योम बालाएं उसे नाश्ता देना भूल गयीं होंगी, उन्हें ही खोज रहा होगा।
जवाब देंहटाएंव्योम बालाएं उसे नाश्ता देना भूल गयीं होंगी, उन्हें ही खोज रहा होगा।
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