गुरुवार, 3 जनवरी 2013

छत्तीसगढ मित्र का पुन: प्रकाशन

पं माधवराव सप्रे

विगत दिनों एक कार्यक्रम के दौरान मुझे "छत्तीसगढ़ मित्र" पत्रिका मिली। इसका प्रकाशन माधवराव सप्रे जी 111 वर्ष पूर्व करते थे। किसी पत्रिका का 111 वर्षों के बाद पुन: प्रकाशन अनूठा अनुभव है।  1871 में जन्मे माधवराव सप्रे जी प्रख्यात कहानीकार एवं पत्रकार थे। इसके साथ ही उन्होने अनुवाद का कार्य भी किया। हिन्दी की प्रथम कहानी एक "टोकरी भर मिट्टी" के शिल्पी माधवराव सप्रे जी ने जनवरी माह सन 1900 में रायपुर से सुदूर कस्बे पेंड्रा से "छत्तीसगढ मित्र"  का सम्पादन एवं प्रकाशन प्रारंभ किया। उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष के लिए उन्होने इसे अपना अस्त्र बनाया। उन्होने पत्र-पत्रिका के माध्यम से साहित्य को राष्ट्र सेवा का साधन बनाया। राष्ट्र चेतना जागृत करने के लिए साहित्य एवं पत्रकारिता ही उपयुक्त माध्यम था। जिसका राष्ट्रीय चेतना एवं सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

डॉ सुधीर शर्मा (प्रकाशक छत्तीसगढ मित्र)
छत्तीसगढ मित्र का तात्कालिक सफ़र सिर्फ़ 3 वर्ष का रहा। दिसम्बर 1902 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इन तीन वर्षों के जीवन काल में पत्रिका ने साहित्य एवं भाषा पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। छत्तीसगढ मित्र का प्रकाशन प्रारंभ करते हुए उसके प्रवेषांक में उन्होने लिखा कि "छत्तीसगढ विभाग को छोड़ कर ऐसा एक भी प्रांत नहीं  है जहाँ दैनिक,साप्ताहिक, मासिक या  त्रैमासिक पत्र प्रकाशित न होता हो। इसमें कुछ संदेह नहीं  है कि सुसम्पादिक पत्रों के द्वारा हिन्दी भाषा की उन्नति हुई है। अतएव यहाँ भी छत्तीसगढ मित्र भाषा की उन्नति करने में विशेष ध्यान देवे, जहाँ तक हो सके भाषा में अच्छे-अच्छे विषयों का संग्रह करे और आजकल भाषा में बहुत सा कूड़ा कर्कट जमा हो रहा है, वह न होने पावे इसलिए पकाशित ग्रंथों पर प्रसिद्ध मार्मिक विद्वानों द्वारा समालोचना भी करे।" "हिन्दी भाषा का साहित्य अतीव संकुचित है और केवल हिन्दी जानने वालों को ग्रंथान्तरों में भरे हुए रस का स्वाद नहीं मिल सकता। अतएव हिन्दी-वांग्मय को पुष्ट करने के लिए अन्यान्य भाषाओं के ग्रंथों का अनुवाद कर सर्वोपयोगी विषयों का संग्रह करना नितांत आवश्यक है। इस हेतु से पदार्थ विज्ञान, रसायन, गणित, अर्थशास्त्र, मानसिक शास्त्र, नीति शास्त्र, आरोग्य शास्त्र, इत्याद्य्नेक शास्त्रीय विषय और प्रसिद्ध स्त्री-पुरुषों के जीवन चरित्र, मनोरंजक कथानक, ज्ञान प्रचुर आख्यान, आबालवृद्ध स्त्री पुरुषों के पढने योग्य अच्छे हितावह उपन्यास आदि मनोरंजक तथा लाभदायक विषय आंग्ल, महाराष्ट्र, गुर्जर, बंगदेशीय तथा संस्कृत आदि ग्रंथों से अनुवाद करके हिन्दी प्रेमियों को अर्पण करने का हमारा विचार है।"

डॉ सुशील त्रिवेदी (सम्पादक)
उपर्युक्त उद्देश्यों को लेकर सप्रे जी ने छत्तीसगढ मित्र का प्रकाशन एवं संपादन प्रारंभ किया। 111 साल तक बंद रहने के बाद पं माधव राव सप्रे शोध संस्थान के सहयोग से वैभव प्रकाशन रायपुर द्वारा प्रकाशन पुन: प्रारंभ किया गया। पत्रिका के दो अंक प्राप्त करने से अनुभव हुआ कि पत्रिका का स्तर पं माधवराव सप्रे के विचारों के अनुरुप ही बनाकर रखा गया है। वर्तमान में संपादक की जिम्मेदारी पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं साहित्यकार डॉ सुशील त्रिवेदी निभा रहे हैं। सम्पादक मंडल में पत्रकार रमेश नैयर, डॉ अशोक सप्रे, नंदकिशोर तिवारी, डॉ चितरंजन कर एवं गिरीश पंकज है। साहित्य एवं समालोचना की मासिक पत्रिका छत्तीसगढ मित्र का 2 रा अंक प्रकाशित हो चुका है। छत्तीसगढ मित्र पत्रिका से जुड़े सभी महानुभावो को मेरी शुभकामनाएं। 

छत्तीसगढ मित्र (मासिक), संपादक - डॉ सुशील त्रिवेदी, प्रकाशक- वैभव प्रकाशन, सम्पादकीय पता- वैभव प्रकाशन, अमीन पारा चौक, पुरानी बस्ती रायपुर (छत्तीसगढ) पिन- 492001 दूरभाष- 0771-4058958  सहयोग राशि मूल्य - 20 रुपए प्रति अंक, 200 वार्षिक, 1000 पांच वर्ष, 5000 आजीवन Email - chhattisgarhmitra@gmail.com 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बृहद परम्परा का अंग है यह पत्रिका..

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  2. ये समाज का दर्पण है प्रकाशन के लिए बधाई ...

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  3. अंकों का स्‍तर निसंदेह नाम की परम्‍परा के अनुरूप है.

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  4. ललित जी छत्तीसगढ़ मित्र परिवार आपका किस प्रकार धन्यवाद करे यह हम विचार कर रहे हैं आप लोगों का ऐसा ही सहयोग करते रहे तो हम निरंतरता में रहेंगे

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