शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

शिक्षाकर्मियों की हड़ताल से विद्याथी बेहाल ……… ललित शर्मा


दिसम्बर माह के प्रारंभ से शिक्षाकर्मियों ने हड़ताल कर अपना मोर्चा सरकार के खिलाफ़ खोल रखा है। प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी छठे वेतनमान की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। सभी सरकारी स्कूलों में पढाई ठप्प हो गयी  है। विद्यार्थी हलाकान एवं परेशान हैं। विद्यार्थियों के समक्ष पाठयक्रम पूरा करने की समस्या खड़ी हो गयी है। उनका पाठयक्रम पूरा नही हुआ है। इधर बोर्ड ने वार्षिक परिक्षाओं के लिए तारीख  की घोषणा कर दी। शिक्षाकर्मियों और सरकार के बीच की लड़ाई में लगभग आधा करोड़ विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।

कम खर्च में अधिक शिक्षक उपलब्ध कराने की दृष्टि से रेग्युलर शिक्षकों को कम करके शिक्षाकर्मियों की भर्ती करने के परिणाम स्वरुप बहुसंख्यक स्कूल शिक्षाकर्मियों के भरोसे ही चल रहे  हैं। हड़ताल के पश्चात लगभग इन सभी स्कूलों  में ताला बंदी हो गयी है। विद्यार्थियों को कोई पढाने वाला नहीं है। इससे पालकों की नाराजी के साथ विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर चिंता भी बढती जा रही है। गाहे-बगाहे प्रतिवर्ष शिक्षाकर्मियों की हड़ताल होते रहती है। हड़ताल की इस परम्परा से कोर्स पूरा न होने के कारण विद्यार्थी हलाकान हैं।

3 दिसम्बर से प्रारंभ शिक्षाकर्मियों की हड़ताल को आज एक महीना हो गया। सरकार भी इनकी मांगों की तरफ़ ध्यान नहीं दे रही है और शिक्षाकर्मी भी अपने आंदोलन पर अडिग हैं। इस रस्साकसी के बीच 45 लाख विद्यार्थियों का भविष्य फ़ंसा हुआ है। सरकारी स्कूलों की पढाई का स्तर तो सर्वविदित है तथा एक महीने से पढाई बंद होने से बोर्ड परिक्षाओं का परिक्षाफ़ल भी कमतर होने की आशंका है। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि किसी भी तरह सालाना पाठ्यक्रम पूरा कराया जाए। पढाने वाले शिक्षक रहेगें तभी तो कोर्स पूरा होगा। जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है तो कोर्स कौन पूरा कराएगा? 

जनवरी माह प्रारंभ हो चुका है तथा बोर्ड परिक्षाओं में सिर्फ़ दो महीने ही बचे हैं। दिपावली की एक महीने की छुट्टी और एक सप्ताह की शीतकालीन छुट्टियों के बाद लगभग 50 प्रतिशत कोर्स ही पूरा हो पाया है। गणित, रसायन, भौतिकी, बायो आदि विषयों के विद्यार्थियों पर अध्ययन का दबाव बढ गया है।  ऐसा न हो कि कोर्स पूरा न होने की चिंता को लेकर कहीं विद्यार्थी अवसाद से ग्रसित हो जाएं। बोर्ड की कक्षाओं के विद्याथियों में अपने कैरियर को अत्यधिक दबाव होता है। देखने में आया है परिक्षा में असफ़ल रहने या अंकों का प्रतिशत कम आने पर मानसिक दबाव में आकर विद्यार्थी आत्महत्या करने का भी दुस्साहस कर लेते हैं। अगर ऐसी कोई दुर्घटना घट जाती है तो इसके जिम्मेदार कौन होगा?

शासन एवं शिक्षाकर्मियों को चाहिए कि वह विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लें। जिससे विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर न लगे। पढाई बंद करने की बजाए अगर शिक्षाकर्मी विद्यार्थियों को अध्ययन कराते हुए अपनी हड़ताल जारी रखते तो पालकों का भी उन्हे समर्थन मिलता एवं उनकी मांगो पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के लिए पालक भी अपना सहयोग देते थे। अगर सरकार और शिक्षाकर्मियों के बीच कोई सहमति नहीं बन रही है तो राज्य मानवाधिकार आयोग एवं बाल संरक्षण आयोग को संज्ञान लेते हुए उचित कार्यवाही करनी चाहिए। जिससे 45 लाख विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह न लगे।

नोट:- चित्र गुगल से साभार … आपत्ति होने पर हटा दिए जाएगें।

13 टिप्‍पणियां:

  1. लोग कहते है सरकार है मगर सरकार कहाँ है ?

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  2. यदि बच्चे पढ़ेंगे नहीं तो उनकी भी हानि निश्चित है।

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  3. सच कहा विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शीघ्र उचित निर्णय लेना बहुत जरुरी है...

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  4. विधार्थियों के साथ शिक्षकों के हितों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए।

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  5. सरकार चाहे कांग्रेस का हो या बी जे पी का ,एक समान है, .संवेदन हीन है.

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  6. आपकी बात बिलकुल सही है, शासन एवं शिक्षाकर्मियों को चाहिए कि वह विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लें।

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  7. विचारणीय, सर्वाधिक प्रभावित पक्षों में से इसकी (विद्यार्थियों की) ओर कम ही ध्‍यान जाता है.

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  8. ROJ ROJ KI HADTALON SE,DES KA BEDA GRK HO GYA , UNKI BHI TO SOCHO HADTALON NE MARA JINKO.....BEHAD GANBHIR SAMSYA HAI ISKA HAL SHIGHR NHI NIKALA GYA TO BADE GAMBHIR DUSPARINAM HONGE

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  9. आज के शिक्षक भी अपनी कर्तब्यता को भूलते जा रहे हैं। धन्यबाद।
    राजेन्द्र ब्लॉग

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  10. आग दोनों तरफ बराबर लगी है , एक वेदों का ज्ञाता है तो दूसरा त्रिकाल दर्शी . कौन किसके बाप का क्या बिगाड़ सकता है .. एक कहावत याद आती है गन्दी है चलो छोड़ो मेरे बाप का भी क्या जाता है।
    *****को नृप होय हमे का हरजा , आउ राजा छोड़ होय का परजा **** >>>>>>>>*****दे न गा ददा जब सब झन ल मिळत हे ता तोर कौन बबा के बहरा खेत के दुबराज धान ल बेच के देत हस *********

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  11. ललित भाई जी दहरा ले भुंडा मछरी ल बाहिर निकाल ददा .

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  12. आपकी बात सही है, जल्द और उचित फ़ैसका लिया जाना चाहिये.

    रामराम

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