मंहगाई बेलगाम होती जा रही है. आम उपभोग की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. सरकार कानों में रुई डाल कर बैठ गई है. उसके जिम्मेदार मंत्री माकूल जवाब नहीं दे रहे हैं.
कुल मिलाकर देश को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया गया है. जो महीने राशन ४००० का आता था वो १०००० का हो गया है. व्यर्थ की चीजों के दाम घट रहे हैं और दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री काबू से बाहर होती जा रही है.
ऐसे में कल कृषि मंत्री शरद पवार से प्रश्न किया गया कि"मंहगाई कब कम होगी? तो उसने जवाब दिया मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ जो बता सकूँ कि मंहगाई कब कम होगी."
चुनाव में शक्कर लाबी ने अपना कमाल दिखाया जिसका परिणाम है कि शक्कर ५० रूपये किलो हो गयी है. ये बात किसी से छुपी नहीं है.
कुल मिलाकर देश को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया गया है. जो महीने राशन ४००० का आता था वो १०००० का हो गया है. व्यर्थ की चीजों के दाम घट रहे हैं और दैनिक उपयोग में आने वाली सामग्री काबू से बाहर होती जा रही है.
ऐसे में कल कृषि मंत्री शरद पवार से प्रश्न किया गया कि"मंहगाई कब कम होगी? तो उसने जवाब दिया मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूँ जो बता सकूँ कि मंहगाई कब कम होगी."
चुनाव में शक्कर लाबी ने अपना कमाल दिखाया जिसका परिणाम है कि शक्कर ५० रूपये किलो हो गयी है. ये बात किसी से छुपी नहीं है.
अब बात ज्योतिषियों पर आ गई है. सवाल आम आदमी से जुड़ा है. उसके पेट की भूख से जुड़ा है. अब हम तो दो ज्योतिषियों को जानते हैं जो हमारे ब्लॉग परिवार में शामिल हैं संगीता पूरी जी और पंडित डी. के.वत्स जी.
अब मैं यह सवाल इनसे ही कर रहा हूँ जिसका जवाब ये दें साथ ही साथ ये भी बताएं कि यह सरकार कितने दिन की मेहमान है आपके दिये जवाब से कृषि मंत्री शरद पवार को पत्र लिख कर अवगत कराएँगे कि ज्योतिषियों ने यह जवाब दिया है. इस विषय में आपकी क्या राय है?
मैं बतलाऊं
जवाब देंहटाएंवैसे ज्योतिषी नहीं हूं मैं
महंगाई कभी नहीं बसा सकती कभी अलग गाम
वो तो सदा ही रहेगी बेलगाम
महंगाई होती है महंगाई
नहीं होती है घोड़ी
नेताओं को रखती है खुश
क्या करेगा अंकुश
महंगाई में गुण घोड़ी के हैं बहुत
उछलती कूदती फुदकती रौंदती
सबको बढ़ती है
इसको बढ़ते देखकर सबकी
टेंशन बढ़ती है
तभी तो पहुंचते हैं सब ज्योतिषियों के पास
नेताओं का क्या है
वे तो करते हैं सदा बकवास
उनसे महंगाई को काबू करने की
कैसी और क्यों कर लगायें आस
पर है मन में यह विश्वास
जीना महंगा हो जाये चाहे कितना
पर जीना नामुमकिन नहीं हो सकता
संघर्षों और महंगाई में ही
सफलता का फूल है खिलता
पौधा है पनपता
पेड़ वही बनता
फिर काट लिया जाता है उसका तना
इंसान भी गुजर जाता है
कहां रह पाता है तना
हर कोई जाने के लिए बना
।
अरे ललित भाई,
जवाब देंहटाएंइलाज आपकी दूसरी वाली फोटो में बस आपके हाथ में है...बस एक बार नेताओं पर इसे आजमा दीजिए, महंगाई तो क्या देश की सारी समस्याएं खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी...
जय हिंद...
देशवासियों के लिए ग्रहों की गडबडी तभी मानी जा सकती है .. जब वो किसी पराधीन देश के वासी होते .. एक लोकतांत्रिक देश के वासी हैं हम .. परिस्थितियों की कोई गडबडी नहीं हमारे समक्ष .. पर फिर भी अपनी शक्ति को नहीं पहचान रहे हैं हम .. हाथ पर हाथ धरकर बैठे रहनेवालों का ईश्वर भी मदद नहीं करते .. खासकर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश में कमी है तो हमारी इच्छा शक्ति की .. इस तरह भारत की परिस्थितियां बनाना और बिगाडना हमारे खुद के हाथ में है !!
जवाब देंहटाएंये बाद में देखते हैं...अभी तो संगीता जी की भूकम्प की भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य हो गई है...
जवाब देंहटाएं7.3 quake hits Haiti; could be 'catastrophe,' official says
जबरदस्त भूकंप आया है. कोई नहीं जानता कि कितने मरे हैं..BBC और CNN पर फ्लैश देखिये.
ललित जी! कभी आपने मँहगाई को घटते हुए देखा है क्या?
जवाब देंहटाएंमैंने तो जब से होश सम्भाला है, सिर्फ इसे बढ़ते हुए ही देखा है।
बस एक ही सवाल?
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
अरे ललित जी, महंगाई को मारो गोली, इन ज्योतिषियों से यह पूछ लिया होता कि क्या ये लोग कोई टोटका-जादू मंतर भी जानते है यदि हाँ तो इस maun singh bhaai के लिए भी kuch mantro ! साथ में itlee की maataa और yuvraaj के लिए भी kuch हो jaaye तो sone में suhaagaa :)
जवाब देंहटाएंपंडित जी के जवाब का इंतज़ार हैं.
जवाब देंहटाएंसंगीता जी तो टाल गयीं, अब देखिए वत्स जी क्या कहते हैं?
जवाब देंहटाएं--------
अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।
संगीता जी तो टाल गयीं, अब देखिए वत्स जी क्या कहते हैं?
जवाब देंहटाएंजाकिर जी .. मैने जो जबाब दिया उसे आप टालना कहते हैं .. ज्योतिष सिर्फ परिस्थितियों की अच्छाई या गडबडी को बता सकता है .. हमारे देश की परिस्थिति बिल्कुल बुरी नहीं .. पर मनुष्य के अपने कर्तब्य ग्रहों के मुंहताज नहीं .. आज भारतवर्ष में सबों को अपने कर्तब्यों के सही पालन की जरूरत है .. आप जैसे लोग ज्योतिष के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त है .. या तो ग्रहों का प्रभाव एक एक बात पर है .. नहीं तो इसका प्रभाव है ही नहीं .. या तो ज्योतिषी सबकुछ बताएं .. नहीं तो भाड में जाएं .. वाह क्या मानसिकता है आपलोगों की ??
स्वाइन फ्लू के कारण अगस्त के महीने में जब हाहाकार मचा था .. मैने इसे प्राकृतिक आपदा मानते हुए भविष्यवाणी की थी .. जो अक्षरश: सही हुई है .. 2010 के आरंभ में ही स्पष्ट हो गया कि यह बीमारी प्रायोतिज थी .. और सबका भय जाता रहा .. मौसम पर प्रकृति का प्रभाव पडता है .. इस कारण इस प्रकार की भविष्यवाणियों की चर्चा की जा सकती है .. मनुष्य की गलतियों को मैं ग्रहों के प्रभाव से कैसे जोडूं .. आप किसी बच्चे को घर में कैद कर देंगे और हमसे बच्चों की पढाई के बारे में भविष्यवाणी करने को कहेंगे .. तो उसका खुलासा मैं नहीं कर सकती .. हां प्रकृति के द्वारा दी गयी किसी कठिनाई से उसके पढाई में बाधा आ रही हो .. तो उसके ठीक होने के बारे में सटीक तौर पर भविष्यवाणी की जा सकती है !!
जवाब देंहटाएंसवाल जबाब दोनों रोचक...
जवाब देंहटाएंसंगीता पुरी जी और पंO डी के शर्मा जी कोई कृषि मंत्री या खाद्य मंत्री हैं क्या ????????
जवाब देंहटाएंप्रणाम
ललित जी, पहली बात तो ये कि आपकी इस पोस्ट नें हमारी एक पोस्ट का नुक्सान कर डाला...इसी विषय पर एक आधी अधूरी लिखी हुई पोस्ट अभी भी हमारे पास ड्राफ्ट में सेव पडी है....खैर
जवाब देंहटाएंचलिए अब आपके सवाल पर आते हैं...चाहे आपने ये सवाल मजाक के रूप में उठाया है लेकिन मैं इसका जवाब बिल्कुल गंभीरता से देना चाहूंगा...
जिस प्रकार किसी देश के शासनतंत्र को चलाने के लिए विभिन्न मंत्रियों के एक मंत्रीपरिषद का गठन किया जाता है..ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक संवंत में इन नवग्रहों की एक आकाशीय कौंसिल(ग्रहपरिषद)निर्मित होती है। चाहे कुछ लोगों को ये परिहास की बात लगे लेकिन जो व्यक्ति वैदिक ज्योतिष से थोडा बहुत भी परिचित है, वो मेरी इस बात को बिल्कुल गंभीरता से लेगा।
वर्तमान के 2066 वें संवत को जो "शुभकृ्त" नाम का संवत्सर चल रहा है, इसमें "राजा", "मंत्री","रसेश","धान्येश", "सस्येश" इत्यादि विभिन्न पदों की गणना का फल किसी भी जन्त्री/पंचांग में आप चाहें तो पढ सकते हैं "गुड, चीनी, तेल, घी, तिलहन के व्यापारी इस वर्ष भरपूर मात्रा में लाभ प्राप्त करेंगें। बढती मंहगाई पर नियन्त्रण रख पाना शासन तंत्र के लिए किसी भी तरह से संभव नहीं हो पाएगा"
कुल मिलाकर अर्थ ये है कि मंहगाई अभी काबू मे नहीं आने वाली...ओर स्थिति दिन प्रतिदिन ओर विकट होने वाली है..क्यों कि आगामी संवत्सर में भी हालात ऎसे ही रहेंगें ।
(किसी कार्य में व्यस्त होने के कारण ये टिप्पणी बहुत ही जल्दबाजी में कर रहा हूँ...शायद लिखने में कहीं कोई त्रुटि रह गई हो..समय मिलने पर बाद में आकर देखता हूँ)
very nice!
जवाब देंहटाएंहमें तो अवधिया जी की बात जंचती है।
जवाब देंहटाएंऔर समीर जी की बात पे चिंता है।
संगीता जी की बात सच हो गयी लगती है।
@संगीता जी तथा पंडित वत्स जी- मैने यह प्रश्न मजाक मे नही किया और ना ही आज तक ऐसी कोई पोस्ट लगाई है। लेकिन जब कृषि मंत्री शरद पवार ने यह बात कह दी तो मुझे जिज्ञासा हो गयी कि हमारी प्राचिन विद्या ज्योतिष इस विषय पर क्या कह्ती है? मेरा यही उद्देश्य था। आपने मेरी जिज्ञासा शांत करने के लिए अपना बहुमुल्य समय दि्या, इसके लिए मै आपका आभारी हुँ। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपके प्रश्न ने और वत्स जी के उत्तर ने तो डरा ही दिया है। यह मंहगाई रूकेगी नहीं। ब्लागिंग पर तो इसका असर नहीं पड़ेगा न? सरकार ने व्यापारियों को खुली छूट दी है कि जनता को वे जैसे चाहे लूट लें। क्योंकि चन्दा तो ये ही देते है ना चुनाव में।
जवाब देंहटाएंrochak varta .
जवाब देंहटाएंज्योतिष में किसी देश की आर्थिक स्थिति और महंगाई भाव ताव का जोखा जरुर मिलता है !!! शेयर बाज़ार की कमी बेश पता चल सकती है तो महंगाई के बारे में भी जरुर कुछ न कुछ तो ज्योतिष विद्या बताएगी ही !!!
जवाब देंहटाएंबात तो मार्के की है भाई। शरद पवार ने अभी तक किसी ज्योतिषी को कमीशन नहीं किया?
जवाब देंहटाएंसटीक प्रश्न किया है जी!
जवाब देंहटाएंलोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अटकर पंचे साढे बारा
जवाब देंहटाएंघडी म बजे हे सवा बारा
बने जानकारी होइस भाई, जवाब लकठिया गे हे.