एक पुरानी कहानी पर चलते हैं. एक धोबी के पास एक गधा था. वह उसका बहुत ख्याल रखता था. मगर गधा दिन प्रतिदिन सूखता जा रहा था. धोबी ने सोचा कि इसका पेट भरने का उचित प्रबंध नहीं हुआ तो यह मर जायेगा. तभी उसके दिमाग में एक नई योजना आ गई.
उसने चुटकी बजाते हुए कहा-"लो बन गया काम, मैं इस गधे को शेर की खाल पहना कर रातों को खेतों में छोड़ दिया करूँगा.जिससे यह बड़े मजे से अपना पेट भर सकेगा."
दुसरे दिन धोबी एक शिकारी के पास जाकर शेर की खाल खरीद लाया. रात के समय गधे को शेर की खाल पहना कर खेतों की ओर खदेड़ दिया.
बस उस दिन के बाद गधे के भाग्य जग गए. वह बड़े मजे से रात होने पर खेतों में जाता, खूब पेट भर खाता और मौज मारता, अब तो थोड़े दिन में ही गधा खा-खाकर मोटा-ताजा हो गया.
किसान जब उस गधे को खेतों में आते देखते तो डर के मारे भाग खड़े होते. वे लोग यही समझते कि शेर आ गया. इस गधे ने इस क्षेत्र की सारी फसलों को चौपट कर दिया.
एक गरीब किसान का जब सारा खेत नष्ट हो गया तो वह बेचारा बहुत दुखी हुआ और उसने सोचा की इस शेर को मारे बिना गुजारा नही होगा. अगर उसे भूखे मरना है तो क्यों इस शेर को साथ लेकर मरुँ.
उस रात उसने अपने शरीर पर मटमैले रंग का कम्बल ओढ़ लिया. उसके अन्दर अपना धनुष-बाण छुपा लिया और अपने ही खेत एक कोने में दुबक कर बैठ गया.
जैसे ही शेर की खाल पहने गधा खेत के अन्दर आया तो उसने खेत के कोने में मटियाले रंग के पशु को बैठे देखा, उसने समझा कि यह भी कोई गधा होगा, अपने भाई को वहां देखकर भूल गया कि वह शेर बना हुआ है, बस लगा उसी समय गधे की बांटी 'ढेंचू......ढेंचू' करने.
किसान ने जैसे ही शेर के मुंह से गधे की आवाज सुनी. तो वह समझ गया कि यह तो धोखे बाज गधा है. अब तो मैं इसे किसी भी कीमत पर जीवित नहीं छोडूंगा.......क्रोध से भरे किसान ने उसी समय तीर चलाकर गधे को........................................
इस बोध कथा का ब्लॉग जगत से क्या रिश्ता है गुरु जी
जवाब देंहटाएंवाह गुरु जी तो इस बोध कथा का ब्लॉग जगत से कोई रिश्ता भी है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत से इस बोध कथा का रिश्ता हो या ना हो , पर बोध कथा है प्रेरणा दायक |
जवाब देंहटाएंधोखेबाजों का धंधा ज्यादा दिन नहीं चलता !!!
धोखेबाज का एक दिन यही अन्त होता है।
जवाब देंहटाएंशिक्षाप्रद कथा!
शेर आया शेर आया की आवाज तो सुनाई दी...पक्का गधा होगा...देखता हूँ..:)
जवाब देंहटाएंअरविंद जी-इस कथा का रिश्ता ब्लाग जगत से नही। आम जगत से है।
जवाब देंहटाएंकाश कि धोबी ने गधे को बचपन में च्यवनप्रास खिलाया होता, फिर यह नौबत ही नहीं आती :)
जवाब देंहटाएंdhokhe vaaz jyada dino tak bachnahi sakta.
जवाब देंहटाएंबाह..!
जवाब देंहटाएंधोबा का गधा कुत्ते की मौत......गया!
agar wah gadha politics me hai to kuchh nahi bigdega.narayan narayan
जवाब देंहटाएंबोध तो है कहीं और ढेंचू ढेंचू ना करने LAGE !!!
जवाब देंहटाएंभाई ललित जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया कहानी है ... गधा तो आखिर गधा होता है आखिर में घास तो खायेगा ही .... आनंद आ गया .
हा हा हा ! सही है --अपनी औकात में रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंमारना तो उसके मालिक को चाहिये था ।
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