रविवार, 24 जनवरी 2010

पापी ! तूने मुझे बेकार मरवा दिया.!!

हमारी दादी कहती थी कि इस जुबान का गलत इस्तेमाल मत करो क्योंकि इसका कुछ नहीं बिगड़ता, ये तो बोल कर अन्दर घुस जाती है और दांतों का सत्यानाश (तुडवा) करवा देती है.इसका मतलब यह होता है कि करे कोई और भरे कोई. इस पर ही एक कहानी है.
एक पेड पर एक कौवा और एक बटेर रहते थे. एक बात पक्षियों को सूचना मिली कि गरुड़ भगवान सागर तट पर पधार रहे हैं, तो सभी पक्षी इकट्ठे होकर उनके दर्शनों के लिए सागर तट की ओर चल दिये.
जिस मार्ग से वे दोनों जा रहे थे, उसी राह पर जाता हुआ एक ग्वाला मिल गया. उसने अपने सर पर दही का मटका रखा हुआ था. कौवे ने ग्वाले के सर पर रखा हुआ दही का मटका देखा तो उसके मुंह में पानी भर आया. फिर क्या था, कौवा उस दही को खाने के लिए नीचे उतर आया. खाने के लोभ में वह ये भी भूल गया कि गरुड़ जी के दर्शनों के लिए जा रहा है.
कौवा मटके पर भीत के आराम से दही खाने लगा, कुछ देर बाद ग्वाले को पता चल गया कि मटके से कोई दही खा रहा है.
कौवा बहुत चालक होता है, वह पल भर में दो चर चोंच मार कर उड़ जाता. थोड़ी देर बाद फिर आ जाता.इस प्रकार ग्वाले के चलते चलते कौवा अपना काम करता रहा.
बटेर ने कौवे को ऐसा करने से मना भी किया, परन्तु कौवा कहाँ किसी की बात सुनता है. वह तो यही सोचता है कि मुझ से बड़ा बुद्धिमान कोई नहीं.
ग्वाले ने चलते-चलते कई बार हाथ उठाकर चोर को पकड़ने की चेष्टा की. किन्तु कौवा उसके हाथ नहीं आया.
जब दही चोर को पकड़ा नहीं जा सका तो ग्वाले ने दही का मटका सर से उतर कर नीचे रख दिया. फिर वहीं एक ओर छिपकर बैठ गया और दही चोर का इंतजार करने लगा. उसने देखा कि उपर वृक्ष पर कौवा और बटेर बैठे हैं.
ग्वाला समझ गया कि यही दही के चोर हैं. क्रोध से भरे गवाले ने पास पड़ा एक पत्थर उठाकर उन पर खींच कर मारा. जैसे ही कौवे ने ग्वाले को पत्थर उठाते देखा तो वह झट से उड़ गया मगर बटेर बेचारा नहीं उड़ सका और पत्थर सीधा बटेर को लग गया. पत्थर लगाते ही बटेर के मुंह से दर्द भरी चीख निकली. इसके साथ ही वह धरती पर जा गिरा और अपने जीवन कि अंतिम साँस लेते हुए बोला-----पापी ! तूने मुझे बेकार मरवा दिया. 

11 टिप्‍पणियां:

  1. चालाक और धूर्त फिर अपराधी हो तो उस के नजदीक भी नहीं बैठना चाहिए।

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  2. ाच्छा सन्देश देती कहानी धन्यवाद्

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  3. बढ़िया बढ़िया कहिनी सुनाथस महराज! सुन के मजा घलो आथे अउ गियान घलो मिलथे।

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  4. पापी की संगत भी सही नहीं।
    सही सन्देश।

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  5. बहुत अच्छा सन्देश देती सुंदर कहानी.......

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  6. धूर्त व्यक्ति से दूरी ही भली.....

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  7. शराब की दुकान में बैठकर दूध पीने वाला भी शराबी ही कहलाता है!

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  8. धूर्त से दूर रहना बेहतर है . अच्छी सीख देती कहानी . बधाई हो ललित जी

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  9. बेचारा बटेर ! क्या करें, कौओ की भरमार जो है !

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