एक बार अकबर और बीरबल कहीं जा रहे थे. सामने से कुछ फासले पर उन्हें एक जाट आता हुआ दिखा.
अकबर ने बीरबल से कहा- इसे देख कर मेरा मन कहता है कि इसे गोली मार दूँ.
देखें उसके मन में मेरे प्रति क्या विचार आते हैं?
जब वह जाट उनके समीप आया तो बीरबल ने बादशाह की तरफ इशारा करके
उस जाट से पूछा कि-भाई डरो नहीं! सच-सच बताओ,
" जब तुम्हारी नजर इस आदमी पर पड़ी तो तुम्हारे मन में क्या ख्याल आया था?
उस जाट ने कहा कि मेरा दिल चाहता था कि इस आदमी की दाढ़ी खींच लूँ.
अब पुष्टि हो चुकी थी कि दिल से दिल की राह होती है.
बसंत पंचमी कि हार्दिक शुभकामनायें |
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Satya vachan...
जवाब देंहटाएंVasant Panchmi ki shubhkamnayen..
Jai Hind...
sahi hai !!! vibration to milte hi hai !! basant panchmi ki shubh kaamnaa!!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही है जी! दिल से दिल की राह होती है!
जवाब देंहटाएंहाय!! ऐसी राह!! दिल से दिल की...
जवाब देंहटाएं:)
वसंत पंचमी की शुभकामनायें
ब्लॉगवाणी में पोस्ट देखते ही मेरे मन में भी आया कि चलो चटका लगाकर पोस्ट पढने चलते है |
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंराजा तो राजा होता है वह कुछ भी सोच सकता है ..प्रजा बेचारी इस से ज़्यादा नही सोच पाती ।
जवाब देंहटाएंhmm..raja or praja ke beech kahe ka dil or kahe ki raah :) ....basantpanchmi ki shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंहाय हाय क्या कह दिया ललित जी। वाह क्या कहने। आपको बसंत की बधाई।
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