जून 2017 में जब हम अपनी बाईक यात्रा में उत्तराखंड एवं हिमाचल की पहाड़ियों में घूम रहे थे तो रात्रि विश्राम नेरवा में किया। सुबह नेरवा से आगे बढे तो सिर्फ़ चढाई ही चढाई थी। लगता था सड़क हमें बादलों के पार पहुंचाने के लिए कमर कसे हुए है। जब टॉप पर पहुंचे तो एक पहाड़ी गाँव चौपाल दिखाई दिया।
चौपाल, शिमला से कुफ़री ठियोग होते हुए नेरवा से आगे 126 किमी पर हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत स्थल है। यहाँ जून माह में जाना हुआ था। चारों तरफ़ हरियाली बिखरी हुई थी एवं ठंड भी थी। यह समुद्र तल से 2550 मीटर (8370 फ़ुट) की ऊंचाई पर है।
गर्मी के दिनों में जब शिमला, मनाली एवं अन्य स्थानों पर पर्यटकों की बाढ आई हुई थी तब यहाँ शांति एवं सुकून का वातावरण था। जून की चमकीली सुबह मनमोहक थी ऐसा लग रहा था कि दो चार दिन डेरा यहीं डाला जाए। पर समयाभाव एवं आगे की यात्रा तिथि निर्धारित होने के कारण संभव नहीं था।
यहाँ पहुंच कर लगा कि जब अन्य पहाड़ी स्थलों पर जब भीड़ एवं मारामारी हो तो यहाँ तसल्ली से कुछ समय गुजारा जा सकता है। इस समय शिमला में पर्यटकों की भीड़ के कारण पार्किंग भी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। उस समय चौपाल कोलाहल से दूर शांत था। जबकि यह शिमला से 275 मीटर अधिक ऊंचाई पर है।
यदि हम शिमला के नजदीक स्थित पर्यटन स्थलों जैसे कुफरी, फागू, नालदेहरा, चायल आदि से इस क्षेत्र की तुलना करें तो यहां पर्यटन की उन क्षेत्रों से ज्यादा संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में विद्यमान वन, जल, चोटियां घाटियां, नदी-नाले, झरने, किले, सांस्कृतिक धरोहर, मेले, त्योहार, मंदिर, रीति-रिवाज, पकवान आदि अनुपम हैं।
बस अब गर्मी के दिनों का इंतजार है, जब चौपाल पहुंचकर कुछ दिन बिताना चाहुंगा और यहाँ कि प्राचीन संस्कृति, कला और धरोहरों से परिचित होना चाहुंगा। अन्य भीड़ भरे पर्यटक स्थलों से यह स्थान मुझे उत्तम लगा। अगर इस स्थान का आनंद लेना है तो कभी शिमला से आगे बढ़िए और प्रकृति की गोद में छिपेे इस अनुपम हीरे से परिचित होइए।
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