रविवार, 14 फ़रवरी 2010

प्रेम पत्र वेलेन्टाईन डे पेसल

प्रिय
दमयंती
आशा है तुम ठीक ही होगी.
क अरसे के बाद तुम्हे पत्र लिख रहा हूँ. आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है, क्या तुम्हे पता है? आज लोग वेलेन्टाईन डे मना रहे हैं। यह एक नया अंग्रेजी जुगाड़ आया है हमारे देश मे, प्रेम का इजहार करने के लिए। बस सीधी बात होती है। इसमे लड़के-लड़की दोनो ही प्रेम का इजहार कर सकते है।पहले सफ़ेद गुलाब पेश किया जाता है, फ़िर पीला गुलाब, जब दोनो कबु्ल हो गए तो झट से लाल गुलाब थमा दिया जाता है, फ़िर तैयार है झमा-झम करती बाईक लांग ड्राईव के लिए। दो बार की लांग ड्राईव से बाईक का दम निकल जाता है और सवार का भी. फुल भी मुरझा जाता है. फिर से यही फ़ूल बनाने प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है. तुम्हारे-हमारे प्रेम की तरह अब कुछ भी टिकाऊ नहीं है. सब कुछ नकली है.
याद करो जब तुम और हम पहली बार जब हम स्कूल में आमने-सामने हुए थे. एक प्रेम की चिंगारी हमारे दिल में फूटी थी. जिसकी लपट को हमारे हिंदी के गुरूजी ने अपने अंतर चक्षुओं से देख लिया था, कामायनी पढ़ाते हुए कहा था कि "घटायें उमड़-घुमड़ कर आ रही हैं. बिजली चमक रही है, आग दोनों तरफ बराबर लगी हुयी है. बस बरसात होनी बाकी है". उस समय तक हमें पता ही नहीं था कि यही प्रेम होता है. इसका खुलासा तो आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध से हुआ था. क्या जमाना था वह. बिना प्रेम प्रकटन के ही प्रकट हो जाता था. मित्रों को भी पता चल जाता था. कहीं तो कुछ है. जब हम दिन में कई बार जुल्फें संवारते थे.
प्रेम-पत्र लिखना भी एक कला होती थी. रात-रात भर जाग कर पत्र का मसौदा तैयार करते थे. फिर उसे कई बार पढ़ते थे. किसी बोर्ड परीक्षा से भी बढ़कर यह परीक्षा होती थी. सबसे जोखिम भरा काम होता था उन्हें तुम्हारे तक पहुँचाना. जिसमे जान जाने का खतरा भी था. शायद हमारे ज़माने में इसीलिए प्रेमियों को जांबाज कहा जाता था. बड़ी तिकड़म लगानी पड़ती थी एक पत्र को पहुँचाने में. याद है तुम्हे एक बार चुन्नू के हाथों भेजा गया पत्र तुम्हारी भाभी के हाथ लग गया था और बात तुम्हारे पिताजी तक पहुँच गई थी. वह समय शायद हमारी जिन्दगी का सबसे मुस्किल समय था.
हमें भी फौजी पिता से पिटने का डर और तुम्हारे भी पिता को भी हमारे पिता की बन्दुक का डर, मामला बड़ा फँस गया था. बस तुम्हारे पिताजी ने तुम्हारे ब्याह करने की ठान ली.तुम्हारा ब्याह हो गया और तुम्हारे पिताजी ने चैन की साँस ली. वे एक दिन मुझे मिले थे और मेरा हाल-चाल और कमाई-धमाई पूछी थी. तो मैंने कहा था कि अब क्या करोगे पूछ कर? मर्द की कमाई, औरत की उमर और जावा मोटर सायकिल की एवरेज पूछने वाला मुरख ही होता है.
पुराने तरीके सब समाप्त हो गये.आज कल मोबाईल ईंटरनेट का चलन हो गया है, कब प्रेम का इजहार होता है और कब प्रेम टूटता है पता ही नहीं चलता. बस एक एस.एम.एस और फिर वह हो जाता है बेस्ट फ्रेंड. रक्षा बन्धन की तरह फ्रेंड बैंड भी आ गए है. जो एक दोस्त दूसरे दोस्त को पहनाता है, मतलब जिसके हाथ में मित्र-सूत्र दिखे समझ लो वह बुक हो गया है. मुंह पर रुमाल बांध कर कहीं भी हो आते हैं घर वालों को पता ही नहीं चलता. बस सब दोस्ती-दोस्ती की आड़ में ही चल जाता है. 
कहने का तात्पर्य यह है कि अब इस तरह के हाई टेक प्रेम में वो मजा नहीं रहा. जो अपने समय में होता था. प्रेमलाप भी नजाकत और नफासत से होता था. तारे गिनने की कहानियां होती थी, प्रेम ग्रन्थ रचे जाते थे. नायिका और नायक की कहानी ही गायब हो गयी. तोता-मैना की कहानी की तो क्या बात करें? वो साँप से बल खाते कुंतल और कानों में झूमते झुमके बरेली के बाजार में खोने के बाद मिले ही नहीं हैं.विछोह में अब वो तडफ कहाँ, जो एक अग्नि दिल में सुलगाये रहती थी.  जिसने तुलसी को कवि तुलसी दास बनाया.        
तुम्हारे विछोह ने हमें पागल कर दिया (आधे तो पहले ही थी,अन्यथा इस पचड़े में क्यों पड़ते?) कवि  दुष्यंत   कुमार ने कहा है " गमे जानां गमे दौरां गमे हस्ती गमे ईश्क, जब गम-गम ही दिल मे भरा होतो गजल होती है।" बस फ़िर क्या था, तुम्हारे विवाहोपरांत एक नए कवि का जन्म हुआ.हम कवि वियोगी हो गए तथा कागजों का मुंह काला करना शुरू कर दिया. संयोग के सपने और वियोग का यथार्थ दिन-रात कागजों में उतारा. बस यही एक काम रह गया था, जीवन में हमारे। 
अब तो मैं देखता हुँ कि हमारे जैसे समर्पित प्रेमियों का टोटा पड़ गया है। हमारी चाहे असफ़ल प्रेम कहानी ही क्यों ना हो जीवन भर सीने से लगाए घुमते हैं। जैसे बंदरिया मरे हुए बच्चे को सीने से लगाये फिरती है. अब नये कवि भी पैदा होने बंद हो गए शायद फैक्ट्री ही बंद हो गई. वही पुराने खूसट कवि, जिनके मुंह में दांत नहीं और पेट में आंत नहीं  मंचो से प्रेम गीत गाते मिल जायेंगे. यह वेलेंटाईन डे तो नए कवियों के लिए नसबंदी जैसा शासकीय प्रोग्राम हो गया. ना प्रेम की आग जल रही है ना कवियों का जन्म हो रहा है. इससे कविता के अस्तित्व को बहुत बड़ा खतरा हो गया है. पहले की प्रेमिकाएं भी कविता एवं शेर-ओ-शायरी की समझ रखती थी. लेकिन आज कल तो सिर्फ पैसा-पैसा. एक दिल जले ने इस सत्यता को उजागर करते हुए एक गाना ही लिख दिया " तू पैसा-पैसा करती है तू पैसे पे क्यों मरती है, एक बात मुझे बतला दे तू उस रब से क्यों नहीं डरती है". आज भी तुम्हारी यादें इस दिल में संजोये हुए जीवन के सफ़र में चल रहे हैं. ये तुम्हारी याद है गोया  लक्ष्मण सिल्वेनिया का बल्ब जो बुझता ही नहीं है. लगता है  जीवन भर की गारंटी है.
और तुम्हारे पति देव कैसे हैं? उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना तथा अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना, बहुत मोटी हो गयी हो. शुगर भी तुम्हारी बढ़ी रहती है. जरा पैदल चले करो, हफ्ते में एक बार शुगर बी.पी. नपवा लिए करो, तुम्हारे नाती-पोतों को प्यार और तुम्हे वेलेंन्टाईन डे और मदनोत्सव पर ढेर सारा प्यार,  
एक मुक्तक अर्ज किया है.
आरजू लिए फिरते रहे उनको पाने की
हम हवा का रुख देखते रहे ज़माने की
सारी तमन्नाएं धरी की धरी रह गयी 
अब घडी आ ही गयी जनाजा उठाने की

तुम्हारा 
राजा नल 

35 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब लिखा है आपने,,, खुशी हुयी आपके विचार जान के|
    लिखते रहिये ....असीम शुभकामनाओं के साथ

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  2. यह चिट्ठी अच्छी लगी , आभार !!

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  3. है तो मस्त!! मगर काहे नहीं ठीक से छुट्टी पर रहते प्रभु!! :)

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  4. वाह!

    जावा मोटर सायकिल की एवरेज पूछने वाला ...
    कागजों का मुंह काला करना शुरू कर दिया ...
    ये तुम्हारी याद है गोया लक्ष्मण सिल्वेनिया का बल्ब ...
    ...जिनके मुंह में दांत नहीं और पेट में आंत नहीं मंचो से प्रेम गीत गाते मिल जायेंगे ..
    असफ़ल प्रेम कहानी ...जीवन भर सीने से लगाए घुमते हैं ...जैसे बंदरिया मरे हुए बच्चे को सीने से लगाये फिरती ...


    बढ़िया शैली व कटाक्ष

    बी एस पाबला

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  5. वाह भाई वाह
    खुद करने लग गए याद पुराने दिनों की
    हमें कहने लगे इतिहास को लेके क्यों बैठे हो
    अरे नए हो या पुराने आप भी तो वेलऐठाइन में ऐठे हो.
    लेकिन मजा आ गया ललित भाई स्टोरी में दम है

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  6. बहूत सूंदर काका, बने लिखे हस, आधूनिक मढई मां आज कल प्रेम भी बिकत हवे उपहार मां, बहूत सधे तरीके से सारी बात बहूत बढिया

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  7. वाह...मज़ा आ गया ....बहुत ही बढ़िया...
    कटाक्षों एवं व्यंग्य से भरपूर सामग्री

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  8. बहुत ही सुन्दर लिखा है ललित जी! आपके इस पोस्ट को पढ़कर महाभारतकालीन 'नल' और 'दमयन्ती' की आत्मा को अवश्य ही असीम शान्ति भी प्रदान होगी!

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  9. एक तो वसन्त, ऊपर से प्रेम दिवस!
    असर तो होगा ही!

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  10. अब तो बस मेहबूब के बस ये ही हाल चाल पता रखते है
    वो हमारी सुगर का और हम उनके वी.पी. का पता रखते है
    और जब उनसे मिलने की तमन्ना कुछ ज्यादा ही होती है
    अपने पोते के मोबाइल से उनकी पोती को एसएमएस करते है

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  11. वैलेंटाइन डे, क्षणिक प्रेम का प्रतीक।
    बढ़िया लगा प्रेम पत्र।

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  12. ये ब्लागिंग का कीड़ा भी बहुत खतरनाक है,मैं भी अमरावती आया हूं छुट्टियां मनाने मगर ब्लागिंग से पिछा छूट नही रहा है।रोज़ एक पोस्ट लिख ही रहा हूं। वैसे प्रेम पत्र लिखने की ट्रेनिंग तुमसे लेकर लास्ट ट्राई करेंगे देखें कुछ हो जाये तो ठीक ही है।

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  13. bahut badhiya
    khaas tauar par kuchh line to behtarin ban padi hain.
    vaise aap anil bhaiya ko training de dena prem patra likhne ki, mai unse sikh lunga
    ;)

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  14. मर्द की कमाई, औरत की उमर और जावा मोटर सायकिल की एवरेज पूछने वाला मुरख ही होता है.

    बस इतना ही काफी है अब आगे पढ़ने के लिए कुछ बचा ही नहीं :)

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  15. शर्मा जी ,
    इतना जवान न लिखा करें !
    हमें तौ कुछ और ही दिख रहा है ...
    उम्र को एंटी-क्लाक-वेज घुमवा कर आपसे
    जवानी के किस्से सुनने की जिद करने लगूंगा तो
    आप क्या करेंगे ?/!
    .
    आनंद आ गया ... आभार ,,,

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  16. पुराने प्रेमी का नया पत्र वाकई मजेदार है...

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  17. शेर सिंह जी,
    दिल के मामले में भी बड़े घिसे हुए गुरु लगते हो जी...दिल तो बच्चा है जी...

    जय हिंद...

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  18. बहुत ही लाजवाब तरीके से तुलना की ही आज के दौर और कल जे दौर की। आज पिज्जा युग है प्यार भी वैसा हो गया है.....

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  19. वाह वाह ललित भाई पता नहीं हमें क्या क्या याद आ गया, अपने कॉलेज के जमाने का, और मुस्कराहट फ़ैल गयी हमारे चेहरे पर, बहुत ही अच्छॆ तरह से सारे लफ़्फ़ाजी का वर्णन किये हैं। खरी खरी..

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  20. गुरु आपका कौन सा वैलेंटाइन किधर है ब्रिगेड को जानकारी देनी जल्द मेल कीजिये या फीमेल ही कर दीजिये

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  21. गुरु आपका कौन सा वैलेंटाइन किधर है ब्रिगेड को जानकारी देनी जल्द मेल कीजिये या फीमेल ही कर दीजिये

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  22. kya umda patra hai... ab to mere man mein bhi iksha hone lagi hai ek prem-patra likhne kee...

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  23. hahahaha.......patra ho to aisa aur wo bhi prem patra.......kya baat hai.

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  24. ये तुम्हारी याद है गोया लक्ष्मण सिल्वेनिया का बल्ब जो बुझता ही नहीं है.

    अपने बच्चों से हमें मामा कहलवाती है तब भी ;)

    प्रणाम स्वीकार करें

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  25. आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ.
    बहुत ही मजेदार रचना पढने को मिली.
    मज़ा आ गया जनाब.
    फिर से आऊँगा,दमयंती का जवाब पढने के लिए.
    सलाम

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  26. भाई जी .....ये लेख आज ही पढ़ा ...और पढ़ कर मज़ा आ गया
    काश ....कोई होता जो हमको भी प्रेम पत्र लिखता ...अफ़सोस कोई नहीं आया इस जीवन में ऐसा कोई भी ......


    लेख आज के वक़्त के मुताबिक अच्छा लिखा है आपने ....सटीक ........और बहुत खूब

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  27. भाई जी .....ये लेख आज ही पढ़ा ...और पढ़ कर मज़ा आ गया
    काश ....कोई होता जो हमको भी प्रेम पत्र लिखता ...अफ़सोस कोई नहीं आया इस जीवन में ऐसा कोई भी ......


    लेख आज के वक़्त के मुताबिक अच्छा लिखा है आपने ....सटीक ........और बहुत खूब

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  28. ये तुम्हारी याद है गोया लक्ष्मण सिल्वेनिया का बल्ब जो बुझता ही नहीं है. लगता है जीवन भर की गारंटी है.

    kya bat haen ? bahut sunder ...aesa premi sabko mile ???

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  29. प्यार तो बुढ़ापे में आकर पक जाता है, और भी मीठा हो जाता है.
    बहुत ही अच्छा व्यंग्य है.

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