बारिश प्रारंभ होते ही प्रकृति का नजारा बदल जाता है, बच्चे-बूढे, जवान, युवतियाँ सब निज-निज तरह से स्वागत करते हैं। सावन की के झूले और फ़िर सावनी त्यौहार मौसम में हरितिमा घोलते हैं। यहीं से तीज त्यौहारों के दिनों की शुरुवात भी होती है। परसों से बारिश की झड़ी लगी, तीन दिन हो गए बरसात रुकने का नाम नहीं ले रही। मौसम को देख कर कवि, गीतकार, चित्रकार सब वर्षा ॠतु का वर्णन अपने माध्यमों से करने लगते हैं।
बारिश में उदय स्कूल नहीं गया, उसने अपनी अभिव्यक्ति के लिए पेंसिल और ड्राईगशीट को माध्यम चुना और बारिश के चित्र बनाता रहा। अपनी क्रियात्मक क्षमता के हिसाब से चित्र खींच लिया। बाल मन की अभिव्यक्ति रोचक होती है, वह वस्तु या दृश्य को जैसा देखता है वैसा ही चित्रित करता है, रेखांकन वास्तविक होता है। उदय द्वारा रेखांकित एक चित्र देखिए। उसने अपने रेखांकन के माध्यम से वर्षा का स्वागत किया। अभी कह रहा था कि-"पापा! मैं नाव बनाना भूल गया।" उसने कल कागज की नाव बनाकर चलाई थी। मैने कहा कि- अब नाव चलाते हुए चित्र बनाना, उसे लगाएगें।
एक काव्यचित्र मैंने भी गत वर्ष खींचा था वर्षा ॠतु का। बरसात के साथ नेट-बिजली की समस्या शुरु होने के कारण स्वाध्याय का समय मिल जाता है। नहीं तो ब्लॉग राग में ही दिन बीत जाता और कु्छ समय चैटराम एवं चलभाष मित्रों को भी देना पड़ता है। कल ताऊ शेखावाटी जी के प्रसिद्ध ग्रंथ "हम्मीर महाकाव्य" का अध्यन कर रहा था। उन्होने वर्षा ॠतु का राजस्थानी भाषा में मनोरम चित्रण किया है। हम्मीर महाकाव्य सरल राजस्थानी भाषा में हठी हम्मीर पर लिखा गया है। उसमें से वर्षा ॠतु का वर्णन प्रस्तुत है-
ताऊ शेखावाटी की कृति "हम्मीर महाकाव्य" के "चौथो जुद्ध" सर्ग से
नाचण लाग्या मोरिया देख, घणघौर नभ मडंल में।
चातकड़ै री मीठी पी-पी, गुंजण लागी भू मंडल में।।
अम्बर में च्यारुँमेर घटा, काळी-काळी गरजण लागी।
तपती धरती री छाती पर, मुसळाधार बरसण लागी॥
तपतै तन पर ठंडी-ठंडी, जद टप-टप छांट पड़ण लागी।
जड़िए विरहण मन दरवाजे, ठक-ठक-ठक ठाप पड़न लागी।
अणचाणचुकै ईं धरती रा, सोंवतड़ा भाग जणा जाग्या।
उड़ता बरसंता बादळिया, आया-छाया रस बरसाग्या॥
बादळ री घोर गरजणा स्युँ, सारी घांटियां गरजण लागी।
नभ में बादळियाँ बीच छिपी, बिजळी चम-चम चमकण लागी॥
दुष्टां री प्रीत कदे जैयाँ, थिर पळ भर नीं हो पावै है।
बैयाँ ईं बिजळी छण-छण में, निज पळ पळाट दिखलावै है॥
रिमझिम रिमझिम बरस्यो पाणी, नदियां उमड़ी तळाब भरया।
फ़ूटी कूंपळ तो सुख्योड़ा, सब ठूंठ होग्या हरया-भरया॥
कळ कळ तद बै'ण लग्यो, पाणी सब नदी नाळाँ में।
अर जगाँ-जगाँ होग्यो भेळो, घाट्याँ रै जोहड़ खाळां में॥
ताळाब किनारे जद मेंढक, यूँ टर्र-टर्र टर्राण लग्या।
जाणै गु्रुकुल में टाबरिया, मिल वेद-पुरान सुणाण लग्या॥
चमकण लाग्या जुगनुं चम-चम, अंधियारी काळी रातां में।
सुणके मन में रस आण लग्यो, चकवे चकवी री बातां में॥
ठंडी पुरवाई चाली तो, हर मन में मस्ती छाण लगी।
मुळ्कंती खिलती कळी-कळी, मँडरातां भवर लुभाण लगी।
बिरछां पर झूला पड़ग्या अर, मिळ कामणियाँ झूलण लागी।
तीज्याँ रा गाती गीतड़ला, छोरयां बागां घूमण लागी॥
मन मुदित हुया करसा सगळां, खेतां मे हळियो हांकता।
गायां सागै चाल्या गुवाळ, बंसी री घुन पर नाचता॥
सब हरया-भरया होग्या डूंगर, धरती पै छाई हरियाळी।
बन बाग खिलंतै फ़ुलां स्यूँ, महकण लागी डाळी डाळी॥
ज्यूँ जोबण मद मे चूर होय, धन नुँवी नवेली घूम र'यी।
बैया ही हरी-भरी होय'र, तरवर री डाळयाँ लूम र'यी ॥
झर-झर झरता सारा झरणा, मिल मीठी तान सुणाण लग्या।
तद मस्त जीवड़ा लोग कई, हो भेळा गोठ मणाण लग्या॥
अर घोट-घोट पीवण लाग्या, सब मिलकै भांग-भंगेड़ी तब।
गांजै सुल्फ़ै री चिलम खींच, होग्या मद मस्त नसेड़ी सब॥
अर जाय'र बाग-बगीचां में, सावण रा गीत सुणाण लग्या।
नाचता - कूदंता सगळा, ढप लेय'र कुरजां गाण लग्या॥
NH-30 सड़क गंगा की सैर
''कल्पना उसमें लेशमात्र भी नहीं होती।'' पर पुनर्विचार करें.
जवाब देंहटाएंउदय की चित्रकारी मन को भाई...बच्चे कितने निश्छल होते हैं...
जवाब देंहटाएंउदय की चित्रकारी बढ़िया लगी,ताऊ शेखावाटी की रचना पढकर तो मजा आ गया|
जवाब देंहटाएंहम्मीर हठ पर ताऊ की जो शानदार रचनाएँ है उनसे यहाँ परिचय अवश्य कराएं
rainy day ko ham kahte the rahne de....bahut khub
जवाब देंहटाएंराहुल भैया,
जवाब देंहटाएंआपके आदेशानुसार सुधार दिया गया है।
आपकी तेज निगाहों से बच पाना नामुमकिन ही नहीं असंभव भी है।
उदय की चित्रकारी देख कर आनन्द आ गया...
जवाब देंहटाएंहमें तो उदय की बनायीं रचना अच्छी लगी ...
जवाब देंहटाएंसस्नेह
उदय की चित्रकारी अच्छी लगी ...आपका कव्यचित्र बहुत ही सुन्दर है...
जवाब देंहटाएंदेखो मेरा सारा गांव,मेरे थिरक उठे हैं पांव.... वाह......
उदय की सुन्दर चित्रकारी . शुभाशीष .
जवाब देंहटाएंuday ki chitrakari bahut sunder lagi....bachchon ki nirikshan avlokan kshamta bhi adbhut hoti hai...bahut maheen cheezen baten bhi notice karte hai...sunder...barish ka asli maja liya hai usne..
जवाब देंहटाएंउदय की चित्रकारी पसंद आई हमें तो.
जवाब देंहटाएंय्या!! बढ़िया स्केचिंग करे हवे उदय हर...
जवाब देंहटाएंओला बधाई शुभकामना
उदय की सुन्दर चित्रकारी
जवाब देंहटाएंबाकी भी बढ़िया है
उदय की चित्रकारी मन को भाई..
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शुभाशीष .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र,
जवाब देंहटाएंसावन आया झूम के।
उदय ने बारिश को बहुत सुन्दर तरीके से उकेरा है. देखिये शायद बाढ़ के कारण एक गाडी फंसी हुई है. उसे प्रोत्साहित करें. ताऊ शेखावाटी जी की कृति से पहली बार मालूम हुआ की राजस्थं में भी कभी मूसलाधार बारिश हुआ करती थी. आभार.
जवाब देंहटाएंउदय की सुन्दर चित्रकारी
जवाब देंहटाएंबाकी भी बढ़िया है
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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बहुत ही सुंदर चित्रकारी है....
जवाब देंहटाएंउदय की चित्रकारी पसंद आई हमें तो.
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