कई दिनों पहले ताऊ शेखावाटी ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि वे रायपुर पहुंच रहे हैं 7 तारीख को प्रखर समाचार वालों ने धमतरी में कवि सम्मेलन में बुलाया है। हमें भी इंतजार था कि ताऊ जी से पुन: मुलाकात होगी।
ताऊ जी से मेरी मुलाकात 7 तारीख को दोपहर में हुयी। वे अपने साथ स्वरचित सभी किताबे एवं ग्रंथ भी लेकर आए थे मेरे लिए। जिसमें हम्मीर महाकाव्य (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की कक्षा 10वीं की अनिवार्य हिंदी पाठ्यक्रम में पढाया जाता है),
सेर को सवा सेर मिल गया (बाल कथा संग्रह), एक और देवयानी (कहानी संग्रह), सोरठां री सौरभ (नीतिपरक संबोधन काव्य),कह ताऊ कविराय (राजस्थानी हास्य व्यंग्य काव्य) साळाहेली (व्यंग्य काव्य), सुण ळे ताई बावळी ( (व्यंग्य काव्य) हेली सतक सवाई (आत्मबोध परक संबोधन गीत, इस गीत संग्रह में 135 गीत हेली संबोधन से हैं) मुझे भेंट किए। राजस्थानी एवं हिंदी भाषा के मुर्धन्य साहित्यकार एवं हस्ताक्षर से एक माह के अंतराल में पुन: मिलन अच्छा रहा।
ताऊ जी से मेरी मुलाकात 7 तारीख को दोपहर में हुयी। वे अपने साथ स्वरचित सभी किताबे एवं ग्रंथ भी लेकर आए थे मेरे लिए। जिसमें हम्मीर महाकाव्य (माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की कक्षा 10वीं की अनिवार्य हिंदी पाठ्यक्रम में पढाया जाता है),
सेर को सवा सेर मिल गया (बाल कथा संग्रह), एक और देवयानी (कहानी संग्रह), सोरठां री सौरभ (नीतिपरक संबोधन काव्य),कह ताऊ कविराय (राजस्थानी हास्य व्यंग्य काव्य) साळाहेली (व्यंग्य काव्य), सुण ळे ताई बावळी ( (व्यंग्य काव्य) हेली सतक सवाई (आत्मबोध परक संबोधन गीत, इस गीत संग्रह में 135 गीत हेली संबोधन से हैं) मुझे भेंट किए। राजस्थानी एवं हिंदी भाषा के मुर्धन्य साहित्यकार एवं हस्ताक्षर से एक माह के अंतराल में पुन: मिलन अच्छा रहा।
ताऊ जी ने एक बात और बताई कि सम्पूर्ण भारत में हरिवंश राय बच्चन जी के पश्चात वे दूसरे कवि हैं जिन्हे जीते जी पाठ्यक्रम में पढाया जा रहा है। नहीं तो मरने के बाद ही कवि्यों का नम्बर आता है। यह भी इन्हो्ने सच ही कहा।
एक बार की घटना बताते हुए कहा कि एक मास्टर उत्तरपुस्तिकाएं जांच रहा था। तो उसने मुझे कहा कि देखिए ताऊ जी आपके जीवन परि्चय में इस लड़के ने क्या लिखा है?
कवि ताऊ शेखावाटी का जन्म 17 सितम्बर 1942को हुआ था और मृत्यु.............सन् में हुयी थी। अब वो बच्चा भी यही मानसिकता लिए बैठा था कि जीवित कवि को तो पाठ्यक्रम में पढाया नहीं जाता, इसलिए मृत्यु तो अवश्य हुयी होगी, झुठी तारीख ही लिख दो शायद सही हो जाए और 5 नम्बर मिल जाए।
ताउ जी से चर्चा के बीच मैने गिरीश भैया को भी फ़ोन करके होटल में बु्ला लिया। अब दो साहित्यकारों की चर्चा का आनंद लेने का मुझे अवसर मिला। प्रतीत हो रहा था जैसे तुलसी दास और रहीम कवि मिले हों।
यह दो साहित्यकारों का मिलन था। साहित्य की चर्चा के साथ साहित्यकारों की चर्चा भी हो रही थी। इस बी्च ताउ जी ने पत्नी महात्म सुनाया। जिसे मैने रिकार्ड कर लिया ।
यह रिकार्ड आपके लिए प्रस्तुत है। यदि चाहें तो डाउनलोड भी कर सकते हैं। काफ़ी चर्चा हुयी, 4बज रहे थे, ताउ को कवि सम्मेलन के लिए जाना था। चाय के पश्चात चर्चा को विराम दिया गया। सब पुन: मिलने का वादा करके विदा ली।
ताऊ की कविताई
काल के प्रकार
बुद्धि चक्कर खायगी,मिल्यो ना हल तत्काल
छोरो आयो स्कूल स्युं, ले' की एक सवाल
ले' की एक सवाल, जरा पापा बतलाओ
कितना होवे काल, जरा सावळ समझाओ
मैं बोल्यो-बेटा! जीवन में तीन काल है
पति-काल, पत्नी-काल, फ़िर कळह काल।
पति-काल
ब्याह होतां'ई सुण सरु,हो ज्यावै पति-काल
होय पति निज पत्नी री, सेवा स्युं खुशहाल
सेवा स्युं खुसहाल, छींक भी जे आ ज्यावे
एक मिनट में पत्नी ल्या झट चाय पिलावे
क्युं जी तबियत ठीक नहीं तो पांव दबा दयुं
बार बार पूछै माथा पर 'बाम' लगा दयुं ।
पत्नी-काल
एक दो टाबर हो गया, पैदा तो तत्काल
आवै पत्नी काल तद, खत्म होय पति-काल
खत्म होय पति-काल, अगर पति चाय मंगावै
"छोरो रोवै है ठहरो!" पत्नी समझावै
या तो छोरै नै थ्हे थोड़ी देर खिलाल्यो
या खुद जाकी आप किचन में चाय बणाल्यो।
कळह-काल
अर फ़िर कुछ दिन बाद में, पूरो जीवन सेस
कळह-काल में ही कटै, ईं में मीन ना मेख
ईं में मीन ना मेख, कळह रो बजे नंगाड़ो
रोज लड़ाई झगड़ो, घर बण जाए अखाड़ो
कह ताऊ कविराय, कदै भी चैन न पावै
तेल,लूण,लकड़ी रै, चक्कर में फ़ंस ज्यावे।
सुनिए पत्नी म्हात्तम-ताऊ द्वारा
डाउनलोड करें
मान गए ना ! ताऊ आखिर ताऊ ही होते है हर क्षेत्र में आगे :)
जवाब देंहटाएंताऊ तो सच मे ताऊ हैं मैने पहली बार उनकी तस्वीर देखी है। धन्यवाद और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंताऊ जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा और रचनाएँ तो और भी मजेदार...बढ़िया प्रस्तुति..बधाई
जवाब देंहटाएंअभी परसों ही तो आपने इतनी जानकारी दी थी मुझे श्री. ताऊ जी के बारे में..... और इस पोस्ट ने तो और इज़ाफा किया जानकारी में.... बहुत अच्छी जानकारी के साथ यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी.....
जवाब देंहटाएंललित जी
जवाब देंहटाएंबेहद प्रसंशनीय प्रस्तुति,
बधाई,
आचार्य उदय
शेखावाटी के ताउजी से मिलना अच्छा लगा...आभार यहाँ परिचय कराने का..
जवाब देंहटाएंताऊ जी की रचनाएँ पढ़वाने के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजय राम जी की महराज। बहुत ही अच्छा लगा इनके बारे मे आपके द्वारा दी गई सँक्षिप्त जानकारी पढकर। अर फ़िर कुछ दिन बाद में, पूरो जीवन सेस
जवाब देंहटाएंकळह-काल में ही कटै, ईं में मीन ना मेख
ईं में मीन ना मेख, कळह रो बजे नंगाड़ो
रोज लड़ाई झगड़ो, घर बण जाए अखाड़ो
कह ताऊ कविराय, कदै भी चैन न पावै
तेल,लूण,लकड़ी रै, चक्कर में फ़ंस ज्यावे।
थोड़ा इस काल का भी आनन्द ले रहे हैं हम।
खूब भी और बढि़या भी।
जवाब देंहटाएंबढि़या...
जवाब देंहटाएं॰@निर्मला कपिला जी
जवाब देंहटाएंये ताऊ शेखावाटी जी की चर्चा की है मैने,
अपने ब्लाग ताऊ तो ताऊ रामपुरिया हैं।
उनकी फ़ोटो तो उनके ब्लाग में लगी है।
पहचान लिजिए।:)
Read More: http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/06/blog-post_11.html
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Tau ji se mulaqat achhi lagi.
जवाब देंहटाएंTrikaal-varnan badhiya hai
भाई,
जवाब देंहटाएंताऊ ने तीसरा काल तो जबरदस्त बताया है।
अच्छा अनुभव लगता है।
शेखावाटी के ताउजी से मिलना अच्छा लगा...आभार यहाँ परिचय कराने का.
जवाब देंहटाएंभाई ताऊ की यो कविता पढकै तो जमीम स्वाद सा आ गया..एकदम मजेदार!
जवाब देंहटाएंलगै दुनिया के सारे ताऊ एक जिसे ही हों सै :)
बहुत बढ़िया मुलाकात करवाई , ललित भाई ।
जवाब देंहटाएंपत्नी पुराण सुनकर दाम्पत्य ज्ञान बढ़ गया ।
आभार ।
ताऊ ! पगा लागूं . तीन काळ तो बता दिया थाणे एक काळ कोणी याद आयो,भायो जद लाडी परन के लायो
जवाब देंहटाएंओवर सु ओवरी,ओवरी सू पोल पांति आयो
चौथो ई काळ ने काइ नाम दूँ थाई बताओ
vaah...yah rapat bhi yadgaar ban gayee. tau jaise mahaa kavi se milnaa sukhad rahaa. ye jeevant log hai. mujhe badee preranaa mili unse. unki kavitaye...unkaa vyavahaar..sub kuchh adbhut hai. mujhe bhi unke bahaane samman mil gayaa.
जवाब देंहटाएंमज़ा आया
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