बुधवार, 30 जून 2010

ब्लागीरी एग्रीगेटर का स्वागत करें

हिन्दी चिट्ठों के लिए एक अच्छे संकलक की आवश्यक्ता ब्लागवाणी बंद होने के बाद पड़ रही है। क्योंकि सभी चिट्ठे पढ़ने में कठिनाई हो रही है। आज शाम को एक नया संकलक (एग्रीगेटर) आया। देख कर खुशी हुई।

यह एग्रीगेटर ब्लागवाणी चिट्ठाजगत की तरह चिट्ठों की फ़ीड स्वचालित रुप से उठा रहा है। इंडली जैसे जाकर सबमिट नहीं करना पड़ता।

इस तरह से एक अच्छा संकलक होने के सभी गुण हैं। लेकिन एक कमी है जिसे दूर किया जाना चाहिए,इसे कमेंट की फ़ीड भी लेना चाहिए।


इस संकलक का नाम है ब्लागीरी। आप इसके सजेस्ट ब्लाग पर जाकर अपने चिट्ठे का युआरएल इससे जुड़ने के लिए दे सकते हैं और वोट या स्टोरी सबमिट करने के लिए रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं। आईए स्वागत करें नए एग्रीगेटर ब्लागीरी का और अपने ब्लाग सबमिट करें। ब्लागीरी पर अपने ब्लाग सबमिट करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें

ब्लागीरी अभी निर्माणाधीन है-इसकी बेहतरी के लिए आपके सुझावों की आवश्यक्ता है,जिससे इसे और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इसलिए आप अपने सुझाव दें हम उन्हे ब्लागीरी तक पहुंचा देगें। आपके सुझावों का स्वागत है।


ब्लाग जगत के इतिहास में प्रिंट मीडिया पर एक मात्र चिट्ठा चर्चा ब्लाग4वार्ता अवश्य पढें

24 टिप्‍पणियां:

  1. स्वागत है जी ब्लोगगिरी का भी |
    ब्लोगगिरी व इन्डली में एक ये ही कमी है कि ये ब्लॉग पोस्ट्स की फीड स्वत: अधतन नहीं करते | इनमे हर बार जाकर अपनी पोस्ट सबमिट करनी पड़ेगी | साथ ही इन एग्रीगेटरों को बनाने के लिए जो फ्री की स्क्रिप्ट इस्तेमाल की गयी है उसमे फेरबदल ज्यादा संभव नहीं है हाँ कोई तकनिकी दक्ष व्यक्ति इन स्क्रिप्ट्स के लिए यदि स्वत: फीड अधतन करने वाला मोड्यूल बना दे तो यह स्क्रिप्ट काम की हो सकती है |
    ब्लॉग वाणी व चिट्ठाजगत का ये विकल्प नहीं हो सकते |
    फिर भी अच्छा है
    कहावत है ना कि मामा न होने से तो काणा मामा होना ही अच्छा |

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  2. दे्खिए एक नया एग्रीगेटर और मिला है। इसका नाम है ब्लाग चौपाल (नया एग्रीगेटर) इसे ट्राई करके देखें।

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  3. तकनीकी प्रक्रिया बाद मे सीखेंगे। सर्वप्रथम आपको नमस्कार व नए एग्रीगेटर से अवगत कराने के लिये शुक्रिया।

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  4. ललित जी , लगता है ब्लोगवाणी के बंद होने से बौखलाहट बढ़ रही है ब्लॉगजगत में ।
    हम भी परेशान हैं । कितने अग्रीगेटर पर जाएँ । इसलिए फोलो करके और फोलोवर्स पर ही भरोसा रखे हैं ।

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  5. नये एग्रीगेटर्स का स्वागत ।

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  6. बहुत धीमा है यह साईट, हर क्लिक कई कई मिनट ले रहा है ऐसे में इस साईट में खाली बैठकर अपने पोस्‍टों को एड कर वास्‍तविकता से परे अपना रेंक व सक्रियता बढ़ाने का जुगत ही हो सकता है .... :) अभी की स्थिति में इससे पाठक आने से रहे.

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  7. स्वागत है उम्मीद है कमी नहीं पड़ेगी ! शुभकामनायें ललित भाई

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  8. नए एग्रीगेटर से अवगत कराने के लिये शुक्रिया।

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  9. मै डाक्टर दराल साहब के विचारों से सहमत हूँ ...धन्यवाद.

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  10. थोडा सा इंतज़ार कीजिये, घूँघट बस उठने ही वाला है - हमारीवाणी.कॉम

    आपकी उत्सुकता के लिए बताते चलते हैं कि हमारीवाणी.कॉम जल्द ही अपने डोमेन नेम अर्थात http://hamarivani.com के सर्वर पर अपलोड हो जाएगा। आपको यह जानकार हर्ष होगा कि यह बहुत ही आसान और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल बनाया जा रहा है। इसमें लेखकों को बार-बार फीड नहीं देनी पड़ेगी, एक बार किसी भी ब्लॉग के हमारीवाणी.कॉम के सर्वर से जुड़ने के बाद यह अपने आप ही लेख प्रकाशित करेगा। आप सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए इसका स्वरुप आपका जाना पहचाना और पसंद किया हुआ ही बनाया जा रहा है। लेकिन धीरे-धीरे आपके सुझावों को मानते हुए इसके डिजाईन तथा टूल्स में आपकी पसंद के अनुरूप बदलाव किए जाएँगे।....

    अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
    http://hamarivani.blogspot.com

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  11. सभी पाठकों और लेखकों की सुविधाओं का ध्यान रखकर चलें यहीं शुभकामनाएं।

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  12. ललित जी ओर तो सब ठीक है लेकिन इस का लिंक मुझे सभी ब्लांगर की ओर से मिला यह केसे इतने सारे मेल मिले की बता नही सकता, ओर लगा कही यह भी कोई खतरनाक ना हो... चलिये देखते है आप का धन्यवाद इस जान कारी के लिये

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  13. आपके अंदर आध्यात्मिक विचारधारा का प्रवाह है यदि आप मानवता व मानव धर्म आधारित आध्यात्मिक लेख अथवा विचार प्रेषित करें तो अवश्य ही आचार्य जी ब्लाग पर प्रकाशित किये जायेंगे, आपके विचार अधिक से अधिक लोग पढें व मनन करें यही उद्देश्य है, धन्यवाद।
    जय गुरुदेव

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  14. बहुत ही अच्छी जानकारी दी है ... चलिए देखते हैं आगे....

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  15. llit ji aadaab bhaai hm se blogiri men hmaaraa blog nhin jaa rhaa he agr ho ske to plz meraa hindi blog akhtarkhanakela.blogspot is pr dal kr anugrhit kren akhtar khan akela kota rajsthaan

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  16. स्‍वागत भी कर लिया और सम्मिलित भी हो गए। लेकिन हर बार अपनी पोस्‍ट को समर्पित करना पडेगा क्‍या?

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