रविवार, 6 जून 2010

सफ़र के दौरान एक पहेली दिल्ली यात्रा

यात्रा वृतान्त आरम्भ से पढ़ें 
जब दिल्ली यात्रा में रायपुर से चले तो ट्रेन में हमें रायपुर का एक नौजवान मिला, जो कि हमारे सफ़र का साथी बना। शाम को इटारसी के पास उसने एक फ़ल निकाला और मुझे भी खाने को दिया, यह फ़ल वैसे तो भारत में समस्त जगहों पर होता है। लेकिन इसे सभी जगह खाया जाता है या नहीं इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इस फ़ल की मैने एक फ़ोटो ली। यहां आपके लिए एक प्रश्न है कि चित्र में दिखाए गए फ़ल का नाम क्या है? और कैसे खाया जाता है? इसकी पैदावार कहां पर और कैसे होती है। कृपया दिमाग लड़ाएं और बताएं।



जारी है ......... आगे पढ़ें 

36 टिप्‍पणियां:

  1. सिर्फ पोस्‍ट ही नहीं
    हिलाती हैं पहेलियां भी
    हिल मिल जाती हैं जीवन में
    रच बस जाती हैं पहेलियां भी।

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  2. Indian Mulberry- Also known as Noni. :)


    खाया हुआ है मैने यह फल....मगर ट्रेन में किसी से लेकर कुछ भी खा लेते हो आप..किसी दिन कोई लूट न ले जाये फौजी को..हा हा!!

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  3. पता नहीं आप कौन सी ट्रेन से यात्रा कर रहे थे जिसमें यह नहीं लिखा था कि 'अनजान व्यक्तियों से खाने-पीने का सामान न लें'.
    जाना पहचाना सा फल है खाने को मिले तो नाम भी बता दूँ.

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  4. आईये जानें .... मन क्या है!

    आचार्य जी

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  5. मैनूँ नी पता।
    गेस्स कर रिया हूँ -
    कमल के फूल की पंखुड़ियाँ झड़ जाने पर फूल ऐसा ही दिखेगा। कहीं वही तो नहीं।

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  6. कमलगटा कहते हैं इसे हमारे यहाँ.. पानी में पैदा होता है..

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  7. ललित जी ये मखाने हैं .. उथले पानी में होते हैं.. देश के पूर्वोत्तर जैसे असं, पश्चिम बंगाल में होते हैं लेकिन बिहार का मिथिलांचल क्षेत्र अग्रणी है... आपके हाथ में जो है उसमे काछे मखाने हैं... उन्हें निकल कर काली गोलियों के नीचे सफ़ेद गुदा होता है.. इन्हें कच्चा भी खाया जाता है लेकिन असली तौर पर इन काली गोलियों को इन दिनों मशीनों में भुना जाता है फिर इनके लावे निकलते हैं.. जो बाजार में मिलते हैं...

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  8. अम्मा मना की थी न कि अनजाने से यात्रा में कुछ खाना मत...फिर काहे खाये?? कोई दिन शेर सिंह को कोई लूट ले जाये, तब?? शेर न बदनाम होगा आपके पेट के चक्कर में. :)

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  9. naam to pata nahi.....baki aisa lag raha hai ki aapko khatta-meetha jaroor laga hoga....

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  10. ... क्या शिल्पकार भाई ... आज तो माडरेशन का बोलबाला है !!!

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  11. गिरिजेश भाई पहले ही पहुँच गए - अब हम क्या कहें - हाँ जी ये कमल के फूल का आतंरिक हिस्सा ही है और बीच की गोलियां कमल-गत्ते हैं जिनसे मखाने बनते हैं

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  12. बहुत कठिन है, ऐसा रोटी जैसा फ़ल हम पहली बार देख रहे हैं।

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  13. मुझे पता है लेकिन बताऊंगा नहीं क्योंकि अगर बता दिया तो आप कहेंगे कि घर के भेदी ने ही लंका ढाह दी :-)

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  14. ललित भाई पाय लागी। कल कतका जुवर गेव गा। वैसे एला कमलगट्टा कथे काय्।

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  15. भई हमने तो पहले कभी नहीं देखा ।
    जो भी हो , बीस में से चार गायब हैं ।

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  16. इसका जबाब मुझे तो आपने ब्‍लॉगर मीट में ही बता दिया था .. सो मैं चुप्‍प ही रहूंगी !!

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  17. महू ला बहुत दिन होगे महराज 'पोखरा' खाये, सुरता नइ आत हे के कब खाये रेहेंव।

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  18. मै संगीता जी से सहमत हुं, उन का जबाब मेरा जबाब माना जाये:)

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  19. अरे यह रोटी ही है.... साग मिली हुई.... जिसे तंदूर में बनाया गया है....

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  20. खाया तो कईं बार है...लेकिन नाम याद नहीं आ रहा...ठहरिये तनिक सोच कर बताते हैं!
    हाँ कहीम सीताफल तो नहीं.......

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  21. शायद ज्यादा ही नजदीकसे लिया गया इसलिए पहचानना मुसकिल है । बैसे लगता है हमने नहीं खाया

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. lotus fruit ,इस के बीज खाए जाते है मखाने बना कर भी ,तालाब में कमल के फूलों ,सब जगह लगभग ,पूर्वी भारत मैदान तालाब

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  24. कमाल गट्टा भी कहते हैं इसे . छेद के अंदर से फल निकाल कर , छील कर गरी खाई जाती है

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  25. जो भी है लगता तो मजेदार है |
    हम तो उत्तर मिलने के बाद ही ज्ञान वर्धन करेंगे क्योंकि अभी तक कभी इस फल को देखने का मौका नहीं मिला

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  26. हमारे यहाँ लक्ष्मी पूजा / दिवाली में इसे चढ़ाया जाता है प्रसाद के रूप में .

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  27. अब जब इतने लोग कह रहे हैं तो कमाल गट्टा ही होगा :) वैसे हमने तो पहली बार ही देखा है.

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  28. सही कहा जिसने।
    यह कमल गट्टा ही है,इसकी नाल को कमल ककड़ी भी कहते हैं उसकी सब्जी बनाई जाती है। कमल गट्टा लक्ष्मी पूजा में काम आता है।
    कच्चा रहने पर इसे खाया जाता है। और पक जाने पर इसकी जपमाल भी बनाई जाती है।

    हमारे छत्तीसगढ में पोखर में पैदा होने के कारण इसे पोखरा भी कहा जाता है।

    और भी अन्य उपयोग लोगों ने बता ही दिए हैं।

    आप सभी का आभार

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  29. pataa nahi kounsa fal hai....vaise acchi hi hogi tabhi to aapko diyaa gayaa....vaise ho sakta hai ....yah fal lalitbhog ho.

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