कल मेरा बस्तर का दौरा था, अभी शाम को जब ऑनलाईन हुआ तो देखा कि ब्लागवाणी बंद है, कल शाम 3 बजे के बाद इसने चिट्ठों की फ़ीड लेना बंद कर दिया है। इसके बाद मैने दो तीन पोस्ट देखी जिसमें ब्लागवाणी के बंद होने का जिक्र है। एक जगह पढने को मिला कि शायद ब्लागवाणी के सर्वर को शिफ़्ट किया जा रहा है इसलिए कुछ समस्या आ गयी है।
ब्लागवाणी हिंदी चिट्ठों के संकलक के रुप में लोकप्रिय है,यह तो तय है। लेकिन कभी-कभी विवादों में भी आ जाती है। स्वाभाविक है क्योंकि अच्छे तैराक के ही डुबने की संभावना ज्यादा रहती है। क्योंकि कुशल तैराक किसी भी दुर्घटना के प्रति लापरवाह हो जाता है और यही लापरवाही उसे ले डुबती है। अभी कई दिनों से ब्लागवाणी के लिए भी कुछ पोस्ट पढने में आ रही थी।
सबसे ज्यादा समस्या ब्लागवाणी पर दिए गए नापसंद के बटन से आई। जब चिट्ठाचर्चा डॉट कॉम एवं घेटो विवाद चला तब मैने देखा कि मेरे कविता के ब्लाग शिल्पकार के मुख से पर निरंतर नापसंद आने लगी। क्योंकि एक वर्ष तक कविता गीत लिखने के बाद अब किसी को बिना पढे ही नापसंद होने लगी थी। मैने इसे पूर्व घटना से जोड़कर देखना शुरु कर दिया और होली के बाद उस ब्लाग पर कविता लिखना ही बंद कर दि्या। अब कविता लिखने से अरुचि होने लगी थी। यह नापसंद का शिकार मेरा पहला ब्लाग था।
ललित डॉट कॉम पर वीवर्स एक भी नहीं था लेकिन नापसंद के दो चटके लग चुके थे। मैने यह भी देखा है बिना पढे ही नापसंद कर देना किसी के पूर्वाग्रह को ईंगित करता था। फ़िर तो नापसंद करके ही लोग मौज लेने लगे। यह सिलसिला अभी तक चलता रहा है। मेरे कहने का तात्पर्य यह था कि ब्लागवाणी पर नापसंद के चटके ने नापसंद करने वालों का भी खून जलाया है। नापसंद का आप्शन ब्लागवाणी ने किसी अच्छे उद्देश्य के लिए रखा हो यह हो सकता है लेकिन उसका गलत उपयोग किया गया है ऐसा प्रतीत होता है।
मेरा तो यही निवेदन है ब्लागवाणी से कि नापसंद के चटके को बंद करके इस झगड़े की जड़ को खत्म किया जाए। न रहेगा बांस न बजेगी बांसूरी। न नापसंद का चटका रहेगा न झगड़े-लफ़ड़े का खटका रहेगा। जिसे जितनी ज्यादा पसंद मिलेगी वह हाट पर उतनी ज्यादा उपर रहेगा। इसलिए ब्लागवाणी एग्रीगेटर में यथा योग्य सुधार कर उसे पुन: प्रारंभ करें।
इसके बंद होने का असर स्पष्ट रुप चिट्ठाजगत पर दिख रहा है। चिट्ठाजगत पर कभी भी 6-7 कमेंट से उपर होने पर ही पोस्ट साईड बार में चढती थी आज 3-3 टिप्पणी वाली पोस्ट भी वहां पर देखने के लिए मिल रही है, यह मैने पहली बार देखा है। इसका तात्पर्य यह है कि ब्लागों पर पर्याप्त पाठक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसलिए टिप्पणियां नहीं हो पा रही है। ट्रैफ़िक एकदम कम हो गया है। ब्लागवाणी को मेरी यही सलाह है कि नापसंद के खटके को बंद इसे पुन: प्रारंभ किया जाए। वैसे भी दूसरे एग्रीगेटर मैदान में आ चुके हैं,कुछ आने वाले हैं लेकिन ब्लागवाणी, ब्लागवाणी है।
आपकी बात बिलकुल सही है..ब्लोगवाणी के बिना अधूरा-अधूरा सा लग रहा है...ब्लोगवाणी वालों से अनुरोध है कि इसकी कमियों को सुधार कर वे पुन: इसे शुरू करें...
जवाब देंहटाएंब्लोगवाणी तो वापस आ चुका है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन पसंद नापसंद वाली बात सही कही है ।
@डॉ दराल जी
जवाब देंहटाएंब्लागवाणी कहाँ वापस आया है?
वो तो ज्युं का त्युं ही पुरानी पोस्ट दिखा रहा है।
ललित जी, पहले यह तो पता चले कि ब्लोगवाणी बन्द किस कारण से है?
जवाब देंहटाएंआप लोग जब तक इन पसंद ओर ना पसंद चटखो की परवाह करेगे तब तक कॊई ना कोई मजा लेने के लिये ओर आप को चिडाने के लिये पंगे लेता रहे गा, इस ओर गोर करना ही छोड दे.... इन की चर्चा ही ना करे, मस्त रहे
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जवाब देंहटाएंललित जी, आपकी बात में दम है, पर..
मैं राज भाटिया जी का फ़ॉलोवर हूँ..
इसलिये मुझे गर्मी सर्दी कम ही लगती है ।
आपका विश्लेषण सटीक है !
दो दिनों से ब्लागवाणी बन्द है तो मानो ब्लागिंग का सारा रस ही जाता लग रहा है....पता ही नहीं चल पा रहा कि ब्लागिंग में हो क्या रहा है....ब्लागवाणी तो भई वाकई ब्लागवाणी है!
जवाब देंहटाएंlooks like blogvani is judging thier impact :)
जवाब देंहटाएंललित जी,
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है,हम आपसे सहमत हैं।
अभी तक तो ब्लॉगवाणी शुरु नहीं हुआ है, हम भी उसके शुरु होने का इंतजार कर रहे हैं, अपने को तो सबसे अच्छा ब्लॉग एग्रीगेटर लगा अभी तक, आखिर वर्षों का साथ है।
जवाब देंहटाएंआपकी बात बिलकुल सही है..ब्लोगवाणी के बिना अधूरा-अधूरा सा लग रहा है...ब्लोगवाणी वालों से अनुरोध है कि इसकी कमियों को सुधार कर वे पुन: इसे शुरू करें
जवाब देंहटाएंif blogwani is not available then new indian blogging plateform is available.
जवाब देंहटाएंBharatkesari.com, Join and Start Your own Blogging.
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वो बात सारे फसाने मे जिसका ज़िक्र न था ...
जवाब देंहटाएंयही है नापसन्द का चटका
आपसे सहमत
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