मंगलवार, 8 जून 2010

दिल्ली यात्रा के कुछ चित्र

यात्रा वृतांत आरंभ से पढें
सूर्योदय हो गया है


दूर जंगल में जुआ खेलते लोग (बस इतना ही जूम था मोबाईल में)


इटारसी का प्लेट फ़ार्म


इटारसी रेल्वे स्टेशन (यहां से मुम्बई एवं गुजरात -गोवा का रास्ता है)


लहलहाते खेत सोने (कनक) के


एक ब्लागर टंकी (जहां अब पुलिस का पहरा है)


चम्बल नदी (बहुत लम्बा ब्रिज है)


एक चित्र नीरज जाट जी द्वारा


घड़ी की चाल से (राम बाबु जी,अविनाश जी, रतनसिंग शेखावत जी और मैं


एक आईस्क्रीम कोन और -ब्लेक करंट (बड़ा झटका लगता है)


उफ़्फ़! बहुत गर्मी है (उपदेश सक्सेना जी)


बस एक क्लिक (अविनाश जी और ललित शर्मा)


अविनाश जी और युवा तुर्क कनिष्क कश्यप


वाह! प्लेटें खाली हो चुकी है (ललित शर्मा,अविनाश जी, उपदेश सक्सेना जी)


कुछ भूल गया हुँ कहते कहते (पवन चंदन जी)


पवन चंदन जी के कैमरे से


पांढुरणा -संतरे के खेत

26 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया मजेदार फोटो :)
    मोबाइल के साथ केमरा आने के बाद फोटोग्राफी कितनी सुलभ हो गयी | यदि ये मोबाइल केमरा ना होता तो शायद आप केमरा रखते हुए भी इतने फोटो नहीं ले पाते |

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  2. महराज बिहनिया के पैलगी जी! वाह क्या सीन कैद है कैमरे मे। यही तो तकनोलोजी का कमाल है।

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  3. सुन्दर फोटो
    मोबाईल भी कमाल की चीज है

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  4. ...भारत दर्शन... जय हो ... जोहार!!!!

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. आप अविनाश जी से खूब मिलते हो..... ..? कोई गैंग ......
    रतन सिंह जी को कैसे शामिल कर लिया ...
    :-)

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  7. @ सतीश सक्सेना

    आपने कब से गैंग़ छोड़ दिया,
    करे करावे आप है पलटु पलटु शोर।:-)

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  8. @ रतनसिंग जी शेखावत

    आपसे 100%सहमत, मेरा मोबाईल भी अच्छी फ़ोटु लेता है।

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  9. बहुत खूब ! लाजवाब फोटोग्राफी..और हाँ आइसक्रीम दिखाकर तो मुंह में पानी ला दिया है !

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  10. मुंडीकाट फोटोग्राफ़ में आपका जवाब नहीं...

    जय हिंद...

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  11. हम तो आपके फोटोग्राफी और ग्राफिक्स दोनों के ही कायल हैं।

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  12. एक से बढकर एक फोटो हैं सारे .. अच्‍छा है टंकी के पास पुलिस का पहरा है .. हमारे एक दो साथी उधर बढ रहे हैं !!

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  13. कमाल......क्या माल............... यदि आप अपने मोबाईल से ऐसे ही चित्र निकलते रहे तो कैमरा बंद हो जायेंगे.
    संतरे के खेत दिखने और ब्लोगर टंकी के दर्शन होने से अच्छा लगा.........
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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  14. मुसाफिर कौन है इसमें
    मोबाइल या ललित ?
    फोटो तो ललित हैं ही।

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  15. बहुत खूब ! लाजवाब फोटोग्राफी

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  16. भाई बार-बार खाने की थाली दिखाते रहते हो...
    हम भी इंसान है यार। खा-पीकर तो मत बताया करो।
    इस हफ्ते उदय के पास चलना है या नहीं जरा प्रोग्राम बनाकर बताओ।
    अवधिया जी को भी ले चलेंगे।

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  17. बढ़िया रहा तस्वीरों के माध्यम से विभिन्न शहरों का दृष्य!!

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  18. फोटोग्राफी का शौक बढ़िया है ।
    ये क्या खड़े होकर जुआ खेल रहे थे ?

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  19. वाह मोबाइल तो माइक हो गया...कहा और सुना गया

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  20. इटारसी रेल्वे स्टेशन
    dekh kar nani ka ghar yaad aa gya..
    paas me hai hai..........

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  21. अजी, इटारसी केवल गुजरात-गोवा के लिये ही नहीं है। यह तो भारत के बिल्कुल बीच में है। एक समय यह दिल्ली-चेन्नई और मुम्बई-कलकत्ता लाइनों का जंकशन था।

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