सोमवार, 6 जून 2011

बन्दुक और कैमरे में कोई फर्क नहीं : छायाचित्र प्रदर्शनी

फ़ाईजाह हुसैन
बन्दुक और कैमरे में कोई फर्क नहीं है. दोनों की भाषा एक जैसी है, टारगेट, काटरेज, बुल आई, फोकस और शूट. दोनों में ही पलक झपकते ही निशाना चूक जाता है और शिकार रफूचक्कर हो सकता है.

कुशल निशानेबाज सांसों को साधना जानता है. दम साधकर ही निशाना लगाया जाता है.परिणाम के लिए साधना की आवश्यकता होती है. साधना से ही साधन सधता है. तभी अपेक्षित परिणाम निकलता है.

ऐसे ही किसी साधक की तरह अपने कैमरे से परिपक्वता से छायाकारी करती है मॉस कम्युनिकेशन में बैचलर डिग्री ले रही फाइज़ाह हुसैन. फोटोग्राफी भी अभिव्यक्ति का सर्वमान्य सशक्त माध्यम है.युवा फोटोग्राफर अपने काम के प्रति बहुत ही गंभीर और परिपक्व दिखाई देती है. यह गंभीरता और परिपक्वता उनके चित्रों में स्पष्ट झलकती है.

इनके छाया चित्रों को देखने के बाद मुझे होमाई व्यारावाला की याद आती है, उन्होंने भी बचपन में इसी तरह फोटोग्राफी की शुरुवात की होगी.   

जब कोई चित्र खिंचवाता है तो वह सजग हो उठता है.यही सजगता छायाकारी की सहजता तो भंग कर देती है. इस प्रकार खींचे गए चित्रों से संवेदना  तिरोहित हो जाती है. वह सिर्फ साधारण चित्र बनाकर रह जाता है.

फाइज़ाह हुसैन के छाया चित्रों में संवेदना नजर आती है. इन्होने संवेदना की तीसरी आँख से विषयों को पकड़ा है और उन पलों को कैमरे में कैद किया है. आम जन जीवन को सूक्ष्मता से चित्रित किया है.

चित्रों में कलात्मक सौंदर्य है. जिस पर चलते-चलते आँख ठहर जाती है. कभी छायाकारी को उच्च कला की श्रेणी में नहीं रखा गया था. लेकिन वर्तमान में इसने अपना मुकाम बना लिया है. कला स्वरूपों की सृजन प्रक्रिया का प्रमुख आधार छायांकन ही बनता जा रहा है. न्यू मीडिया आर्ट की जो अवधारणा उभरी है उसका मुख्य आधार फोटोग्राफी ही है. 

आर्ट गैलरी
महंत घासीदास संग्रहालय की आर्ट गैलरी में फाइज़ाह हुसैन की प्रथम फोटोग्राफी की दो दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारम्भ 24 मई 2011 को हुआ. इस अवसर इन्होने अपने चुनिन्दा 45 फोटो चित्रों को प्रदर्शित किया है.

चित्रों को देखने से आभास होता है कि किसी कुशल चित्रकार ने अपनी तूलिका से रंग भर दिये हों. प्रत्येक चित्र स्वयं में एक पूर्ण कहानी है. कुछ श्वेत श्याम चित्र भी दर्शकों के मन पर अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं.

मैं जब चित्रों को देख रहा था तो प्रत्येक चित्र के साथ मन में विचारों का सैलाब उमड़ रहा था. काव्य का निर्झर फूट पड़ा था. चित्र मन को स्पन्दित कर रहे थे. कुछ शब्द भी आकृति ले रहे थे. वे भी कुछ कहना चाहते थे और उसी की परिणीति यह पोस्ट बनी है।

फाइज़ाह हुसैन के छाया चित्रों में मौलिकता,अथक, बहुमुखी क्रियाशीलता, कल्पना, सतत जिज्ञासा और पर्यावेक्षण, देश-काल या युग-सत्य के प्रति सतर्कता, आत्मविश्वास प्रदर्शित होता है. 

छाया चित्र में प्रकाश संयोजन महत्वपूर्ण होता है और यह काम तब और चुनौतीपूर्ण होता है जब प्राकृतिक प्रकाश में काम करना हो.

आम जन जीवन जुड़े विषयों पर विविध एंगल, संयोजन, छाया, प्रकाश का विशेष ध्यान रखा है।फाईन आर्ट छायाचित्र कला फोटो का एक ऐसा कार्य है जिसमे छायाकार अपनी मौलिक वैचारिक सोच एवं क्रियात्मकता से अपने अंदर की कला-पिपासा शाँत करने के लिए प्रेरित होता है| 

यह विधा फोटो की अन्य विधाओं से अलग है जैसे कि अखबार के लिए छायाचित्र खींचना, जिसे फोटोजर्नलिस्म कहते हैं.

व्यासायिक फोटोग्राफी कहानी या वस्तु के बारे में एक दृश्य से सारी बात समझा देती है जबकि फाईन आर्ट फोटोग्राफी इन दोनों विधाओं से हटकर है| यह विधा कलाकार की सोच व प्रतीकात्मक कार्य का एक सफल और सहज माध्यम बन जाती है |

24 एवं 25 मई 2011 तक आर्ट गैलरी में लगी इस प्रदर्शनी को फ़ाईजाह ने नक्सली हमले में शहीद हुए सुरक्षा बलों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हे समर्पित कर दिया। इससे उनकी गंभीर सोच का प्रमाण मिलता है। इस चित्र प्रदर्शनी को हजारों दर्शकों ने देखा और भूरि-भूरि प्रशंसा की।

अशोक बजाज एवं फ़ाईजाह हुसैन
25 मई को रात्रि 8 बजे इस छाया चित्र प्रदर्शनी का समापन छत्तीसगढ राज्य भंडारण निगम के अध्यक्ष अशोक बजाज के कर कमलों से हुआ।

उन्होने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए फ़ाईजाह के छाया चित्रों की सराहना की। ज्ञात हो कि भाई अशोक बजाज स्वंय एक उम्दा छाया चित्रकार हैं। उनके बरसों पहले खींचे गए कुछ मेरे पास भी हैं।

उन्होने इस अवसर पर कहा कि " फ़ाईजाह  की उम्दा छायाकारी देखने मिली, चित्रों में मानव जीवन के विविध रंगों के साथ संवेदना भी परिलक्षित हो रही है, आगे चलकर एक दिन फ़ाईजाह छत्तीसगढ एवं देश का नाम रौशन करेगी। इस प्रदर्शनी में फ़ाईजाह के तीन साल का काम प्रदर्शित हुआ है।

फ़ाईजाह हुसैन द्वारा भेंट किए गए चित्र को देखते हुए अशोक बजाज
एक खास बात मुझे और देखने मिली कि फाइज़ाह हुसैन के पालकों का इन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है. इनके पिता मुस्ताक भाई एवं मम्मी निसरीन जी ने इस युवा छायाकार का लगातार उत्साह बढाया.

वर्त्तमान में पालकों में एक जागृति देखने में आ रही है कि वे अपने बच्चों के शौक के प्रति सजग हैं और यही सजगता बच्चों की प्रतिभा को आगे लाने में पुरजोर मदद कर रही है. ऐसे माता-पिता साधुवाद के पात्र हैं. आशा है

फाइज़ाह हुसैन अपने काम के बलबूते पर बुलंदियों को छूएगी और छायांकन में बुलंद मुकाम को हासिल करेगी. यही मेरी कामना और शुभाशीष है। लगभग 30 मिनट तक अशोक बजाज जी ने चित्रावलोकन किया। यह समाचार आकाशवाणी द्वारा भी प्रसारित किया गया।

प्रदर्शनी के शुभारंभ पर मोमबत्तियां जलाकर शहीदो को श्रद्धांजलि
इस चित्र प्रदर्शनी को लगाने के संबंध में मैने संस्कृति विभाग के एक अधिकारी से आर्ट गैलरी नि:शुल्क उपलब्ध कराने के संबंध में चर्चा की।

चर्चा करने के बाद लगा कि-"इनसे चर्चा करके जीवन में पहली बार बहुत बड़ी गलत की।" (शायद इस गलती को भविष्य में दोहराना न चाहूँ) कुछ इस तरह के रोड़े अटकाने वाले अधिकारी भी हैं, जो नियमों का हवाला देते हुए आपके अच्छे काम की भी वाट लगा सकते हैं।

इसके पश्चात फ़ाईजाह संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल से मिली तो उन्होने 500 रुपए प्रति दिन के हिसाब से आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने की अनुमति दे दी।

प्रदर्शनी शु्रु हूई तो आर्ट गैलरी के एसी चालु  नहीं किए गए। दो दिनों में दर्शक और आयोजक गर्मी के कारण तंदुरी मुर्गा बन गए। मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं साधुवाद कि उन्होने एक उदयीमान छाया चित्रकार का हौसला बढाने का कार्य किया।

22 टिप्‍पणियां:

  1. संभावनाशील फाइज़ाह के लिए शुभकामनाएं.

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  2. oh to yeh baaat hai hmare lalit bhaia kemre ke aatnkvadi hain bhaai mzaa aa rhaa hai nyi nyi jankariyon me .akhtr khan akela kota rajsthan

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  3. आपका कलानुराग सराहनीय है! फाइज़ाह हुसैन जी को शुभकामनाएँ!

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  4. नवोदित कलाकार को हार्दिक शुभकामनायें !!

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  5. अनेक शुभकामनाएँ फाइज़ाह हुसैन को
    ......

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  6. फैजाह के उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ.उनके द्वारा लिए गए फोटोज वास्तव में सुन्दर और कलात्मक है.एक कलाकार की नजर और संवेदनशीलता तो इस बच्ची के प्रदर्शनी को सुरक्षा बल के शहीदों के नाम करने से ही पता चलती है.मुझे फोटोग्राफी का ज्ञान नही.बस अच्छे फोटोज को पहचान लेती हूँ.ये मैंने गुरुदत्त जी की फिल्मो से सीखा.
    आपने इस बच्ची के काम को प्रोत्साहन दिया अपने आप में यह खुद एक बहुत अच्छा काम किया है.नए कलाकरों को प्रोत्साहन संजीवनी का काम करता है.इनके और भी फोटोज पोस्ट करे.ब्लेक एंड व्हाईट छायाचित्रों में कलाकारी ज्यादा दिखाई देती है.उनसे कहें वे ऐसे ही फोटोज अपने (आपके नही ललित डॉट कोम हमारा भी है हा हा हा ). ब्लॉग के लिए दे.

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  7. बढ़िया पोस्ट भईया....
    शुभकामनाएँ फाइज़ाह हुसैन को
    सादर...

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  8. फ़ाईजाह हुसैन जैसे संवेदनशील कलाकार से परिचय करवाने के लिए आपका आभार , जीवन के विविध रंग फ़ाईजाह हुसैन के संग ..!

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  9. फाय्ज़ाह हुसैन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ..... परिचय कराने के लिए आपका आभार...

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  10. सुन्दर चित्र ..
    फाय्ज़ाह हुसैन को बहुत शुभकामनाएँ!
    आपका आभार !

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  11. छत्तीसगढ़ की नवोदित कलाकार को हार्दिक शुभकामनायें

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  12. फाइज़ाह हुसैन के बारे में रोचक फोटो सहित जानकारी देने के लिए आभार ...

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  13. aapkey blog ko dekhkar naya idea aaya hai ...............KYO NA AAP BLOG POST KI PRADARSHANI LAGAEY..............


    प्रदर्शनी शु्रु हूई तो आर्ट गैलरी के एसी चालु नहीं किए गए। दो दिनों में दर्शक और आयोजक गर्मी के कारण तंदुरी मुर्गा बन गए। मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं साधुवाद कि उन्होने एक उदयीमान छाया चित्रकार का हौसला बढाने का कार्य किया।.....................PAR AISAA MAT HO ...........

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  14. बढ़िया कलामयी पोस्ट.फाइज़ाह हुसैन को शुभकामनायें.

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  15. फाइज़ाह हुसैन के चित्रों को देखकर और उसकी प्रतिभा के बारे में जानकर अच्‍छा लगा .. मेरी भी शुभकामनाएं उसके साथ है !!

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  16. फाइज़ाह हुसैन ...के बारे में जान कर अच्छा लगा
    हम सब की तरफ से उन्हें ..आशीष ...कि वो जीवन में यूँ ही आगे बढती रहें

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  17. चित्र व जानकारी बहुत अच्छे लगे,फाइज़ाह हुसैन के स्वर्णिम भविष्य के लिए शुभकामनायें.

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  18. कितना कुछ कहते चित्र, बधाई फाइज़ाह हुसैन को।

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  19. बधाई फाइज़ाह हुसैन को, धन्यवाद आपको ।

    आपकी फोटोग्राफी की गजब की समझ तारीफे काबिल है और फाइज़ाह हुसैन के फोटो गजब के ।

    आपने उनकी फोटोग्राफी के लिये जो भी लिखा है वे डिजर्व करती हैं ।

    शुभकामनाएं ।

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