गैस सिलेंडर के मुल्य में वृद्धि की खबर सुनकर सभी तरफ़ हाय-तौबा मच गया। अरे 2-4 रुपए बढाने की बात हो तो चल भी जाए, परन्तु यहां 50 रुपए बढा दिए गए। मोहल्ले की औरतों में भी गंभीर चर्चा चल पड़ी। वे सरकार को लानत-मलानत भेजने लगी।चुन्नु की मम्मी कह रही थी कि-"इससे अच्छी तो बाजपेयी की सरकार थी, जब चाहो तब सिलेंडर मिल जाता था और उसने दाम भी नहीं बढाए। इस सरकार के आते ही मुए मंत्रियों की नजर सबसे पहले गैसे सिलेंडर पर ही पड़ी।" रुप्पु की मम्मी बोली-"हाँ! इनको मुफ़्त की गैस मिल जाती है जलाने के लिए, क्या पता चले इन्हें घर-गृहस्थी चलाना कितना मुस्किल है, इस मंहगाई के जमाने में। मंहगाई दिनों-दिन बढते जा रही है। लोग त्रस्त हो गए हैं इस मुई सरकार से। हमने तो ये सोच कर वोट नहीं दिया था कि हमारा ही गला कटेगा?"
"हम औरतों को सुनता ही कौन है? जब मनमोहन सिंह ने सरकार संभाली थी तो इनकी पत्नी ने टीवी पे कहा कि वे गैस सिलेंडर का रेट कम करने के लिए कहेगीं उनसे। इसका फ़ल यह मिला की रेट कम करने के बजाय बढा दिया। एक तरफ़ तो आधी आबादी को बराबरी का दर्जा देने के की बात कहते हैं दुसरी तरफ़ बीबी की ही नहीं सुनते, क्या खाक आधी आबादी की सुनेगें।"-चुन्नु की मम्मी बोली। तभी कामवाली सहोदरा बीच में कूद पड़ी-"बहुत मंहगाई हो गयी है बीबी जी, अब मेरे से 500 सौ रुपए में झाड़ू पोंछा नहीं होता, 200 बढाओ तो ही बात बने। गैस सिलेंडर तो मुझे भी लाना पड़ता है, रेट तो सभी के लिए बढा है।" सहोदरा के अल्टीमेटम ने रुप्पु की मम्मी के पेशानी पर बल ला दिए। एक बार दिल्ली से किसी चीज का रेट बढता है तो यहाँ दूधवाला, कामवाली, धोबी, दुकानदार, सब्जीवाले, मोह्ल्ले का गोरखा सभी अपनी मजदूरी बढा देते हैं और रुप्पु के पापा की तनख्वाह तो नहीं बढती। गुस्से में बोली -" लगता है अब तो चूल्हा ही जलाना पड़ेगा।"
इनकी बातें परछी में खाट पर बैठे-बैठे प्रभाती दादी सुन रही थी, बोली -" बहु तु जुग-जुग जीए, पहली बार दिमाग से मेरे मन की बात की है तुने। अरे मैं बरसों से झीख रही हूँ कि मुझे गैस की रोटी नहीं चाहिए, खाने से पेट में अफ़ारा हो जाता है, गैस बन जाती है। रात भर नींद नहीं आती। चुल्हे की रोटी बनाए तो कुछ बात बने। भला मनमोहन सिंह का, हम बुढों का ख्याल तो किया, गैस सिलेंडर का रेट बढा कर। मैं तो कहती हूँ कि 1000 रुपए करदे, हमें चुल्हे की रोटी तो खाने मिलेगी। फ़िर दिन भर खतरा लगा रहता है कि कब सिलेंडर फ़ूट जाए और घर तबाह हो जाए। देखा नहीं क्या तुने,पप्पी की शादी में किस तरह सिलेंडर में आग लग गयी थी, पूरे मोहल्ले में हड़कम्प मच गया था। मुझे तो लगा कि मर गयी तो उपर जाउंगी, बच गयी तो जेल जाना होगा। अच्छा हो इस मुए सिलेंडर से पीछा छूट जाए।"
इतना सुनते ही रुप्पु की मम्मी बिदक गई-" आपको तो बस इंतजार रहता है जली कटी सुनाने का। इधर सिलेंडर का रेट बढ गया है और आपको खुशी हो रही है। मैं नहीं जलाने वाली चूल्हा, चाहे कुछ भी हो जाए, कह देना अपने बेटे से। सिलेंडर का रेट भी बढ गया और हमें ही बद्दुआ दे रही हो कि रेट 1000 हो जाए। चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियाँ कहाँ से आएगीं? कौन चूल्हे में अपना मुंह फ़ूंकेगा? वो जमाना निकल गया, जब देखो तक खिचड़ी में अपनी ही चम्मच घुमाते रहती हो। हमेशा रायता फ़ैलाने को तैयार रहती हो।
प्रभाती ताई को रुप्पु की मम्मी की बातें तीर सी लगी-"मैं तो मनमोहन सिंह को ही आशीर्वाद दूंगी, उसने तुम्हारे जैसी बहुओं को सीधा करने का सही इंतजाम किया है जो दिन भर खाट तोड़ते रहती है, तुम्हारी उमर में तो सबके उठने के पहले 5 किलो अनाज पीस लेती थी। फ़िर गाय भैंस का काम अलग से। तुम लोग करती क्या हो, अगर हाथ से कुछ करना पड़ जाए तो जान पे बन आती है, कभी ब्लेड प्रेसर बढता है और कभी कुछ, देखो मुझे 80 बरस की हो गयी, कोई अलेड बलेड नही है। मैं तो कहती हूँ कि सिलेंडर का रेट इतना हो जाए कि लोग खरीद ही नहीं सकें। हमारे जैसे बुढों को चूल्हे के खाने का तो सुख मिलेगा।
रामकली दादी ने भी सुर में सुर मिलाया-" जब से गैस घर में घुसी है तब से हमेशा पेट में अफ़ारा बना रहता है, गैस हो जाती है, बहु चुल्हे पे रोटी सेक दे कहती हूँ तो सुनती ही नहीं है। ठंड के दिनों में हम बूढों की मुसीबत बढ जाती है, पहले चूल्हे से घर गरम रहता था, अलाव, पूर, गोरसी जला लेते थे, सेकाई भी हो जाती थी, नींद भी आ जाती थी। यही एक सहारा था बुढों का वह भी गैस ने खतम कर दिया। जिसको भी देखो वही सुगर ब्लेड का मरीज हो गया है। दिन भर गोलियां खाते रहते हैं। मैने तो कभी जिन्दगी भर में सुई नहीं लगवाई। चूल्हे के खाने के स्वाद का मुकाबला गैस क्या करेगी? हमारी तरफ़ से तो अच्छा हुआ जो गैस का रेट बढ गया। भला हो सरकार का। चुन्नु और रुप्पु की मम्मियों ने देखा कि मामला बढ रहा है, गुजरे जमाने के रेड़ियो बंद नहीं होने वाले, दोनो अपने-अपने घर की ओर खिसक गयी-"गैस का रेट बढा कर मनमोहन सिंह ने सही नहीं किया, हमारा वोट तो अब भूल जाए, उसे मिलने से रहा..........। गैस का रेट क्या बढा, अब घर चुल्हा और गैस वाली दो पार्टियों में बंट चुका था
एकदम समसामयिक है यह विमर्श तो...... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअच्छी क्लास ली है आपने।
जवाब देंहटाएं---------
विलुप्त हो जाएगा इंसान?
कहाँ ले जाएगी, ये लड़कों की चाहत?
बहुत सही मुद्दा चुना है आपने |आम गृहणी की समस्या बहुत अच्छी तरह बयां की है |
जवाब देंहटाएंआशा
गैस बड़ी भारी,
जवाब देंहटाएंफाँके की तैयारी।
ghar ghar ki kahani siyaasi andaz me achche trah se buyan ki hai mubaark ho .akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंलगता है गैिस्ट्रक ट्रबल से परेशान हैं सब.
जवाब देंहटाएंअब अंदर की गैस से ही काम चलाना होगा गुरू उपाय खोजो
जवाब देंहटाएंराज्य सरकारे पेट्रोल के दाम अपने को बचाने के लिए कम कर रही है
जवाब देंहटाएंक्या कोई ऐसा है जो गैस के दाम काम करवा पाये
मनमोहन जी की पत्नी तक यहाँ फ़ैल हो गई है ............
सास बहु की रोचक नोक झोक के जरिये समस्या पर अच्छा प्रहार किया है ललित भाई, आपने ।
जवाब देंहटाएंविपक्ष तो सब जगह जरूरी है।
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंगैस का रेट क्या बढा, अब घर चुल्हा और गैस वाली दो पार्टियों में बंट चुका था
जवाब देंहटाएंरोचक नोक झोक ...अच्छा कटाक्ष....
मनमोहन सिंह ने सरकार संभाली थी तो इनकी पत्नी ने टीवी पे कहा कि वे गैस सिलेंडर का रेट कम करने के लिए कहेगीं उनसे। इसका फ़ल यह मिला की रेट कम करने के बजाय बढा दिया।
जवाब देंहटाएंअरे भाई पहले बढा ले..... जब २००० रुप्ये का होगा तब १० रुप्ये घटा देगा ना, जब पहले सस्ता था तो क्या मुफ़त मे दे देता:)बेचारा
ललित भैया! मनमोहन सिंह जी चाहते हैं कि देशवासियों का स्वास्थ अच्छा रहे. लोग धीरे धीरे कच्ची सब्जियां,सलाद खाने लगेंगे.रोटियाँ कम खायेंगे.लोग मेहमानों को चाय ना पिला कर शिकंजी,छाछ लस्सी पिलाया करेंगे.चूल्हे पर रोटियां बना करेगी.सब चूल्हे के आस पास बैठा करेंगे सर्दियों के दिनों में ,कुछ बातियाँ ,शकरकंद गरम राख में दबा दिया करेंगे.आप और आपकी बहुए...बस हर बात में बुराई ढूंढती रहती है.नया बजट हर बार हमारे लिए नया लेके आता है कुछ ना कुछ.समझतेईच नही आप लोग.और ये वोट ना देने की धमकी किसे दे रहे है?'ये' जानते हैं इस बार नही आये तो क्या हुआ पांच साल बाद तो हम ही आयेंगे.राजनीती को करियर के रूप में अपनाने को कितने 'शरीफ' और पढे लिखे लोग तैयार होते हैं?है कोई शिक्षण संस्था जो भावी नेता तैयार करती हो?कूदो ...कूदो आप और आपकी बहुए ,कुछ नही होने वाला.कूद फांद कर सब चुप हो जायेंगे और कीमते यूँही बढती रहेगी. दुखती रग पर हाथ रखना छोड़ दो.हाथ क्या रखते हो,दबा देते हो हँसी हँसी में.
जवाब देंहटाएंललित भैया! मनमोहन सिंह जी चाहते हैं कि देशवासियों का स्वास्थ अच्छा रहे. लोग धीरे धीरे कच्ची सब्जियां,सलाद खाने लगेंगे.रोटियाँ कम खायेंगे.लोग मेहमानों को चाय ना पिला कर शिकंजी,छाछ लस्सी पिलाया करेंगे.चूल्हे पर रोटियां बना करेगी.सब चूल्हे के आस पास बैठा करेंगे सर्दियों के दिनों में ,कुछ बातियाँ ,शकरकंद गरम राख में दबा दिया करेंगे.आप और आपकी बहुए...बस हर बात में बुराई ढूंढती रहती है.नया बजट हर बार हमारे लिए नया लेके आता है कुछ ना कुछ.समझतेईच नही आप लोग.और ये वोट ना देने की धमकी किसे दे रहे है?'ये' जानते हैं इस बार नही आये तो क्या हुआ पांच साल बाद तो हम ही आयेंगे.राजनीती को करियर के रूप में अपनाने को कितने 'शरीफ' और पढे लिखे लोग तैयार होते हैं?है कोई शिक्षण संस्था जो भावी नेता तैयार करती हो?कूदो ...कूदो आप और आपकी बहुए ,कुछ नही होने वाला.कूद फांद कर सब चुप हो जायेंगे और कीमते यूँही बढती रहेगी. दुखती रग पर हाथ रखना छोड़ दो.हाथ क्या रखते हो,दबा देते हो हँसी हँसी में.
जवाब देंहटाएंUf! ye mahangaii..
जवाब देंहटाएंpariwar ke sambandhon mein khoob darar paida kar khoob rula rahi hai..
saarthak aalek ke liye aabhar!
बहुत बढियी
जवाब देंहटाएंसास- बहू नोंक झोंक के बहाने अच्छा विमर्श किया सुरसा की तरह बढती महंगाई का ....
जवाब देंहटाएंचूल्हा भी जलाना कौन सस्ता होगा , लकड़ियाँ कितनी महगी हैं ,डायरियां गायब हो चुकी हैं , उपले मिलने बंद हो गये हैं ...
अब तो चूल्हे पर रटी बनाने की ही नौबत आ गई ।
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंशानदार कटाक्ष।
जवाब देंहटाएं:):) बहुत बढ़िया ... घर में ही दो पार्टियां हो गयीं ... आज कल ऐसे ही देश पर राज करते हैं ..फूट डालो और राज करो ..
जवाब देंहटाएंललित भाई जी घर में तो हमेशा से दो पार्टियाँ ही होती है। बेचारे गैस चूल्हे को क्यों बदनाम करते हो? आप आदमियों को तो बस बहाना चाहिये। सास-बहू का दिखावे का झगड़ा होता है। जब किसी की चुगली करने की बारी आती है तो दोनो आराम से एक दूसरे से कर लेती हैं...:)
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